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रायपुर /शौर्यपथ/
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारतरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी जयंती 3 दिसम्बर पर नमन किया है। बघेल ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के योगदान को याद करते हुए कहा है कि उन्होंने संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में देश को एक मजबूत संविधान दिया। डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने राष्ट्रपति रहते हुए स्वतंत्र तथा निष्पक्ष कार्य की मिसाल प्रस्तुत की। भारतीय स्वाधीनता संग्राम को मजबूत बनाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा छोड़ी गई विचार-मूल्यों की विरासत हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
रायपुर /शौर्यपथ/
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 3 दिसम्बर अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर दिव्यांगजनों को सुखद भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए सभी लोगों से दिव्यांग भाई-बहनों को आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक वातावरण बनाने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि दिव्यांग दिवस का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समाज में समानता का वातावरण निर्मित करने के साथ ही उनके लिए तरक्की और विकास के रास्ते सुनिश्चित करना है। शारीरिक अक्षमता के कारण कई बार दिव्यांगों को भेदभाव और उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। इसे दूर करने के लिए समाज में जागरूकता की जरूरत है। भावी पीढ़ी को दिव्यांगता से बचाने के लिए हमें उनके पोषण और स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक होने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि दिव्यांग भाई-बहनों के जीवन में सुविधा और सकारात्मक बदलाव के लिए हर प्रयास करने के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्पित है। यह गर्व और खुशी का विषय है कि अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर इस वर्ष दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए छत्तीसगढ़ को तीन श्रेणियों में राष्ट्रीय पुरस्कार मिल रहा है। उन्होंने सामाजिक संगठनों और समाज से दिव्यांगजन के लिए सक्रिय भागीदारी के साथ कानूनी, सामाजिक, आर्थिक और अन्य बाधाओं को दूर का आग्रह करते हुए कहा कि दिव्यांग दिवस की सार्थकता तभी होगी जब समाज में दिव्यांग अन्य नागरिकों के समान ही आर्थिक और सामाजिक परिस्थिति पा सकेंगे।
धान खरीदी का साल दर साल बन रहा नया कीर्तिमान
बीते 3 साल में लिए गए क्रांतिकारी फैसले: किसान हुए खुशहाल
बढ़ा खेती-किसानी का रकबा, बढ़ी आमदनी
डॉ. ओम प्रकाश डहरिया
रायपुर /शौर्यपथ/
गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार करने मेहनतकश किसानों-ग्रामीणों और मजदूरों के दुख-दर्द समझने वाली सरकार के रूप में छत्तीसगढ़ ने देश में एक अलग छवि बना ली है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में किसान हितैषी फैसलों और निर्णयों से महज 36 माह में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
छत्तीसगढ़ की मौसम और जलवायु के साथ-साथ लगभग 80 प्रतिशत लोगों की खेती-किसानी पर निर्भरता को देखते हुए नई सरकार ने खेती-किसानी को लाभकारी बनाने का निर्णय लिया। खेती-किसानी में आधुनिक तौर-तरीके के इस्तेमाल और किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी देने का फैसला क्रांतिकारी सिद्ध हुआ। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में इन 36 माह में समर्थन मूल्य में धान खरीदी का साल दर साल नए कीर्तिमान बनते गए।
छत्तीसगढ़ में किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर खेती-किसानी के लिए सहकारी समिति से ऋण और समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के साथ-साथ इनपुट सब्सिडी देने का परिणाम यह हुआ कि खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 रिकॉर्ड 92 लाख मीटरिक टन धान खरीदी की गई। ऐसे किसान जो खेती-किसानी छोड़ चुके थे, वे अब खेती-किसानी की ओर लौटने लगे हैं। राज्य में कुल कृषि का रकबा बढ़कर 29.85 लाख हेक्टेयर हो गया है। किसानों की माली हालत में भी काफी सुधार हुआ है। राज्य के किसान अब बेहतर ढंग से खेती-किसानी करने लगे हैं इसकी बानगी चालू खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान बेचने के लिए किसानों के पंजीकरण से देखा जा सकता है। इस वर्ष राज्य में 24 लाख 9 हजार 453 किसानों ने पंजीयन कराया है।
छत्तीसगढ़ के इतिहास में चालू खरीफ सीजन में 105 लाख मीटरिक टन धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी का अनुमान है। राज्य सरकार के द्वारा किसानों से न केवल खरीदी की सुनिश्चित व्यवस्था की है, बल्कि उन्हें तत्काल भुगतान की व्यवस्था भी की गई है। किसानों को उनके बैंक खातों के जरिये ऑनलाईन भुगतान किया जा रहा है। धान खरीदी को लेकर किसी भी किसान को दिक्कत न हो इसके लिए सभी कलेक्टरों को निदेश दिए गए हैं।
किसानों-ग्रामीणों की सहूलियतों को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष 88 नवीन धान खरीदी केन्द्र प्रारंभ किए गए हैं। इस वर्ष 2 हजार 399 धान खरीदी केन्द्रों में धान उपार्जन की व्यवस्था की गई है। किसानों को धान खरीदी केन्द्रों में भीड़भाड़ और लंबी लाईन से निजात मिलेगी, वहीं परिवहन व्यय भी कम होगा। समय व पैसे की बचत भी होगी।
चालू खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 के तहत समर्थन मूल्य पर किसानों से धान की नकद एवं लिंकिंग के माध्यम सें खरीदी एक दिसम्बर 2021 से 31 जनवरी 2022 तक तथा मक्का की खरीदी एक दिसम्बर 2021 से 28 फरवरी 2022 तक की जाएगी। खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 के लिए औसत अच्छी किस्म के धान के लिए समर्थन मूल्य की दर, धान कॉमन 1940 रूपए प्रति क्विंटल, धान ग्रेड ए 1960 रूपए प्रति क्विंटल तथा औसत अच्छी किस्म के मक्का का समर्थन मूल्य 1870 रूपए प्रति क्विंटल का दर निर्धारित है।
राज्य सरकार द्वारा खेती-किसानी को लगातार बढ़ावा दिए जाने के फलस्वरूप इस वर्ष खरीफ सीजन में करीब 48 लाख 20 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में विभिन्न् फसलों की बोनी हुई है। इनमें धान के अलावा दलहन, तिलहन, मक्का, सोयाबीन की फसल शामिल है। राज्य में 3.42 लाख हेक्टेयर में दलहन, 2 लाख हेक्टेयर में तिलहन, 1.50 लाख हेक्टेयर में साग-सब्जियों की खेती की गई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार बनते ही सर्वप्रथम किसानों के हित में फैसला लेते हुए किसानों के अल्पकालीन कृषि ऋण लगभग 10 हजार करोड़ रूपए माफ किया गया, वहीं किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी कर अंतर की राशि सब्सिडी अनुदान राजीव गांधी न्याय योजना के माध्यम से देकर सीधे किसानों के जेब में पैसे डालने का काम किया। यही कारण है कि देश और दुनिया में आर्थिक मंदी होने के बावजूद भी छत्तीसगढ़ में इसका प्रभाव नहीं पड़ा।
कोरोना काल के दौरान भी राज्य खेती-किसानी, उद्योग-धंधे चलते रहे। सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को गतिमान रखने के लिए सभी सेक्टरों को विशेष रियायत और छूट दी गई है। इससे ग्रामीण के साथ-साथ शहरी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। यही कारण है कि राज्य के अर्थव्यवस्था में अन्य राज्यों की तुलना में आर्थिक मंदी का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
सरकार की किसान हितैषी नीतियों से इन तीन सालों में छत्तीसगढ़ राज्य में खेती-किसानी खूब फली-फूली और समृद्ध हुई है। पहले साल लगभग 83 लाख मीटरिक टन धान खरीदी की गई इसी प्रकार दूसरे साल रिकॉर्ड 92 लाख मीटरिक टन धान खरीदी हुई। इस वर्ष 105 लाख मीटरिक टन धान खरीदी की उम्मीद है। सरकार की इन नीतिगत फैसलों और कार्यों से समाज के सभी वर्गो का न्याय के साथ निरंतर विकास हो रहा है। गरीब, मजदूर, किसान, व्यापारी इन सभी वर्गो के हित में किए जा रहे कार्यों से नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का सपना साकार हो रहा है।
महासमुंद /शौर्यपथ/
कलेक्टर डोमन सिंह ने राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के तहत प्राकृतिक आपदा से मृत्यु होने पर 10 मृतकों के निकटतम वारिसानों के लिए आर्थिक सहायता अनुदान राशि स्वीकृत की है। इनमें विकासखण्ड महासमुन्द के ग्राम साकिन सोदिर निवासी योगेश ध्रुव की मृत्यु 23 सितम्बर 2019 को पानी में डूबने से होने पर उनके पिता ओंकार ध्रुव, ग्राम परसाडीह निवासी मनिषा ध्रुव की मृत्यु 19 दिसम्बर 2018 को आग में जलने से होने पर उनके पति दाउलाल ध्रुव, ग्राम परसकोल निवासी गायत्री यादव की मृत्यु 23 मई 2019 को आग में जलने से होने पर उनकी बहन परमेश्वरी यादव और संतन कुमार टंडन की मृत्यु 15 मार्च 2019 को पानी में डूबने से होने पर उनके पिता घसियाराम टण्डन, ग्राम बेलसोंडा निवासी ललित कुमार बघेल की मृत्यु 13 अप्रैल 2019 को पानी में डूबने से होने पर उनके पिता अमरदास बघेल एवं ग्राम तुमगांव निवासी राकेश कुमार की मृत्यु 12 मार्च 2018 को आग में जलने से होने पर उनके पिता गोवर्धन साहू के लिए आर्थिक सहायता अनुदान राशि स्वीकृत की गई है। इसी प्रकार बागबाहरा विकासखण्ड के ग्राम डोंगाखम्हरिया निवासी नरबदिया बाई की मृत्यु 09 अगस्त 2018 को अतिवृष्टि से होने पर उनकी नातिन त्रिवेणी बाई, ग्राम कौहाकुड़ा निवासी फत्तेसिंग नायक की मृत्यु 09 अक्टूबर 2020 को आग में जलने से होने पर उनकी पत्नी सानोबाई नायक, ग्राम अनवरपुर निवासी भोपेश साहू की मृत्यु 12 मार्च 2019 को पानी में डुबने से होने पर उनकी माता प्रीति साहू एवं ग्राम टेड़ीनारा निवासी बलीराम की मृत्यु 09 सितम्बर 2019 को सॉप के काटने से होने पर उनकी पत्नी नेेतबाई दीवान के लिए चार-चार लाख रूपए की आर्थिक सहायता अनुदान राशि स्वीकृत की गई हैं।
महासमुंद /शौर्यपथ/
कल शुक्रवार 3 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से दिव्यांग अपना दमखम दिखायेंगे। 1 और 2 दिसम्बर को विकासखण्ड स्तर पर खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अयोजन एवं सामान्य स्वास्थ्य जांच हुई थी। इसमें निःशक्त कल्याण क्षेत्र की शासकीय संस्था, स्वैच्छिक संस्था एवं शिक्षा विभाग शालाओं में अध्ययनरत् दिव्यांग छात्र-छात्राओं के बीच आयोजित किए गए। कल शुक्रवार 3 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर जिला मुख्यालय महासमुंद के मिनी स्टेडियम में जिला स्तरीय खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अयोजन एवं सामान्य स्वास्थ्य जांच का आयोजन होगा। इस मौके पर दिव्यांग क्षेत्र में काम करने वाले विशिष्ट व्यक्तियों को भी सम्मानित किया जाएगा। खेलकूद प्रतियोगिता 10ः00 बजे से 2ः00 बजे तक और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन दोपहर 2ः30 बजे से होगा। अंत में पुरूस्कार का वितरण किया जाएगा।
मालूम हो कि हर साल विश्व में अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस 3 दिसम्बर को मनाया जाता है। इसका मकसद दिव्यांगों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलावा लाना और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। हर साल इस दिन दिव्यांगों के विकास, उनके कल्याणों के लिए योजनाओं, समाज में उन्हें बराबरी का अवसर मुहैया कराने पर गहन विचार विमर्श किया जाता है। इस दिन दिव्यांगों के उत्थान ,उनके स्वास्थ्य व सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिले में पिछले दो वर्ष से कोरोना के चलते लोगों के सेहत और बचाव की दृष्टि से आंशिक कार्यक्रम हुए थे।
उपरोक्त आयोजन राजीव गांधी शिक्षा मिशन, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान एवं समाज कल्याण विभाग के समन्वय से आयोजित होगा। खेलकूद प्रतियोगिता में विभिन्न विधा मटका फोड़, थ्रो बॉल, बुक बैलेंसिंग, नींबू चम्मच दौड़ के अलावा 50 से 200 मीटर की दौड़ होगी। इसमें अलग-अलग आयु वर्ग के बालक-बालिकाएॅ भाग लेंगे। इसी प्रकार सांस्कृतिक कार्यक्रम में एकल और सामूहिक गीत का भी आयोजन होगा।
रायपुर /शौर्यपथ/
महिलाओं को यदि सशक्त बनाना है, तो उनकी शिक्षा के साथ आर्थिक सबलता के रास्ते बनाना जरूरी है। उन्हें अधिकार के साथ आगे बढ़ने के सुरक्षित अवसर देना भी जरूरी हैे। आर्थिक रूप से सशक्त महिलाएं अपने साथ पूरे परिवार को आगे ले जा सकती हैं, इसी विचार के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने के साथ स्वावलंबन की नीति अपनाई है। महिलाओं की प्रगति के अपनाई गई नीतियों और उनके संरक्षण का ही परिणाम है कि नीति आयोग द्वारा जारी वर्ष 2020-21 की इंडिया इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार लैंगिक समानता में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है। यहां महिलाएं पंचायतों में 50 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सहभागिता कर रही हैं। भूमि और संपत्ति पर कानून के अनुसार महिलाओं का स्वामित्व एवं नियंत्रण सुनिश्चित कराया गया है। सरकारी सेवाओं में महिलाओं के अधिकार सुरक्षित रहें, इसके लिए भर्ती, पदोन्नति, दस्तावेजों की छानबीन के कार्यों के लिए बनाई गई समितियांे में एक महिला प्रतिनिधि अनिवार्य रूप से रखने की व्यवस्था बनाई गई है। इसके साथ ही सरकारी पदों में 30 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा सुनिश्चित की गई है। ग्रामीण महिलाओं को जिला खनिज न्यास निधि बोर्ड में ग्राम सभा सदस्यों के रूप में 50 फीसदी आरक्षण से खुद के लिए नीतियां बनाने का बड़ा अधिकार दिया गया है।
सरकारी नौकरियों, बोर्ड और पंचायतों में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के साथ ही ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए नयी पहल की गई हैं। गोधन न्याय योजना के माध्यम से महिलाओं को गौठानों में आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया है। इसमें लगभग 45 प्रतिशत भागीदारी महिलाओं की है। गौठानों में महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट उत्पादन के साथ-साथ कई उत्पाद तैयार कर रही हैं। तैयार खाद की बिक्री में भी उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई है। सामान्य गोबर खाद के विक्रय की लाभांश राशि में से 90 पैसे संबंधित स्व-सहायता समूह को दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही शासकीय उचित मूल्य की दुकानों का संचालन, आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए भोजन और स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने जैसे कई महत्वपूर्ण काम बड़ी संख्या में महिलाओं को दिए गए हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं का मानदेय बढ़ाया गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत उचित मूल्य दुकानों के आवंटन में महिला स्वसहायता समूहों की भागीदारी बढ़ाने के लिए उनकेे अनुभव संबंधी योग्यता को 3 वर्ष के स्थान पर 3 माह करने का निर्णय लिया गया है।
विधवा, परित्यकता, निराश्रित महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण की राह मजबूत बनाने के लिए महिला कोष के माध्यम से उन्हें कम ब्याज पर ऋण देने के साथ ही कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। महिलाओं को नई आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने महिला कोष से संबंधित समूहों के 12.77 साथ करोड़ रूपये के कालातीत ऋण माफ कर दिये हैं। उन्होंने महिला समूहों के न सिर्फ ऋण माफ किये गए बल्कि ऋण लेने की सीमा को भी दो से चार गुना तक बढ़ा दिया है। इसके साथ ही महिला कोष द्वारा दिए जाने वाले ऋण में 5 गुना वृद्धि का भी निर्णय लिया है।
महिला स्वालंबन के लिए गांवों-शहरों के साथ वनांचल की आदिवासी महिलाओं को भी ध्यान में रखा गया है। दूरस्थ नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में महिलाओं द्वारा संचालित डेनेक्स गारमेंट फैक्ट्री और डेनेक्स ब्रांड अब देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाने लगा है। वनोपज के कारोबार से महिला समूह की 50 हजार से अधिक सदस्यों को जोड़ने के राज्य सरकार के फैसले से जहां आदिवासी और ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मजबूती मिली है वहीं मिशन क्लीन सिटी परियोजना में 10 हजार महिलाओं के जोड़े जाने से मातृ-शक्ति की हिस्सेदारी को विस्तार मिला है। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत प्रदेश में करीब 20 लाख गरीब परिवारों की 1 लाख 85 हजार महिलाएं स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हैं। चार हजार बहनें बीसी सखी के रूप में चलता-फिरता बैंक बन गई हैं। राज्य सरकार ने बजट में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क और सी-मार्ट स्टोर जैसी नई अवधारणा को शामिल किया है। बिलासपुर के गनियारी में 5 एकड़ क्षेत्र में लगभग 3.81 करोड़ रूपए की लागत से बना मल्टी स्किल सेंटर महिलाओं को उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में दक्ष बनाने के साथ सशक्त बनाने का बड़ा केन्द्र बन गया है। शहरों में पौनी-पसारी योजना और गांवों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के पीछे वास्तव में नारी की शक्ति को आगे बढ़ाने की योजना है।
महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए न सिर्फ आर्थिक मजबूती के आधार तैयार किये गए हैं, बल्कि कामकाज के लिए सुरक्षित और भयमुक्त वातावरण देने के लिए हर संभाग में कामकाजी हॉस्टल के साथ जिला मुख्यालयों में महिला हॉस्टल बनाए जाने की शुरूआत की गई है। कन्या छात्रावास तथा आश्रमों में महिला होमगार्ड के 2 हजार 200 नए पदों का सृजन किया गया है। मदद के लिए 370 थानों में महिला हेल्प डेस्क संचालित हैं, जिससे महिलाएं मजबूती से अपने कदम आगे बढ़ा सकें। आर्थिक मजबूती और सुरक्षा के साथ 9 जिला मुख्यालयों में नए महिला महाविद्यालय की शुरूआत के साथ महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा के रास्ते खोले गए हैं। लाइवलीहुड कॉलेजों में कन्या छात्रावास की व्यवस्था से महिलाओं के कौशल विकास की राह आसान बना दी है। इसके साथ ही स्नातकोत्तर तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था से बड़ी संख्या में महिलाओं को आगे पढ़ने आ रही हैं जिससे कॉलेजों में बालिकाओं की प्रवेश संख्या बालकों से ज्यादा हो गई है। छत्तीसगढ़ की नीतियांे और सुरक्षित वातावरण का सकारात्मक प्रभाव अब छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के रूप में सामने आ रहा है। छत्तीसगढ़ की मेहनतकश महिलाओं के हौसलों का यह बुलंद आगाज निश्चित ही सुनहरे भविष्य के रूप में सामने आएगा।
रायपुर /शौर्यपथ/
दो साल का मासूम दौड़कर घर की ओर आ रहा था, उसी समय गाड़ी ने उसे टक्कर मार दी, जिससे उसका एक पैर कट गया। सूरजपुर जिले के उदयपुर ब्लॉक में रहने वाला पवन अब 6 साल का हो चुका है। एक पैर के सहारे घिसट कर चलता है। परिवार वालों के मन में उसके भविष्य को लेकर कई तरह की आशंकाएं और चिंता है। लेकिन राजधानी के माना कैम्प स्थित पुनर्वास केन्द्र ने उनकी चिंता दूर कर दी है। यहां आकर पवन को नकली पैर के सहारे चलते-दौड़ते देखकर अब उनके मन में नई आस जगी है। पवन के दादा कोहित राम ने बताया कि पवन अपने हम उम्र बच्चों के साथ खेल भी नहीं पाता था। जब से पुनर्वास केन्द्र में उसको नकली पैर लगा है, वह खुशी से दौड़ने की कोशिश करता है। उन्होंने कहा कि पवन के भविष्य की उन्हें बहुत चिन्ता थी, लेकिन पैर लगने के बाद उसे चलते देखकर उसके जीवन को लेकर संतोष आ गया है।
नन्हें पवन की तरह हर उम्र और वर्ग के कई जीवन को समाज कल्याण विभाग द्वारा माना कैम्प में संचालित पुनर्वास केन्द्र ‘फिजिकल रिफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर‘ से नई उम्मीद मिली है, और उनका जीवन तेजी से आगे बढ़ने लगा है। यहां दिव्यांगजन को कृत्रिम हाथ-पैर,कैलीपर्स,सहायक उपकरण, कस्टम व्हील चेयर, बैसाखी, एल्बो क्रच, स्पाइनल ब्रेस, सी.पी. चेयर निःशुल्क बनाकर देने के साथ फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी की सुविधा दी जा रही है। केन्द्र ने अब तक 4 हजार से अधिक उपकरण प्रदान कर कई दिव्यांग जन के जीवन को संवारकर सुविधाजनक बनाया है।
दिव्यांग जन के जीवन को नई दिशा देने और उन्हें हाथों-पैरों का सहारा देने के लिए समाज कल्याण विभाग ने दूर-दराज क्षेत्रों में उनके चिन्हांकन का काम शुरू किया है। इसकी शुरूआत विगत अक्टूबर माह में दूरस्थ क्षेत्र सरगुजा में शिविर लगाकर की गई। यहां विशेषज्ञों द्वारा 140 दिव्यांग हितग्राहियों को चिन्हांकित किया गया। इनमें से हाथ और पैरों की अलग-अलग अक्षमता वाले मरीज थे। अब इन्हें 155 क्रत्रिम उपकरण निःशुल्क प्रदान कर उनकी जीवन में फिर से गति लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए 140 दिव्यांगजन में 65 हितग्राहियों के नकली पैर तैयार करने के लिए पीआरआरसी सेंटर लाकर नाप लिया जा रहा है। पहले बैच में जब 14 दिव्यांगों को कृत्रिम पैर लगाए गए तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उनमें जीवन जीने की फिर से ललक जाग उठी। विशेषज्ञों के प्रशिक्षण और निर्देशों से वे एक दिन में ही पग-पग चलने लगे।
पहले बैच में पवन की तरह सरगुजा के लैंगा गांव से आए सातवीं कक्षा के छात्र रामनारायण ने बताया कि जन्म से ही उनका एक पैर खराब है। लाठी की सहायता से वह स्कूल जाता है। कृत्रिम पैर लग जाने से अब उसे अच्छी तरह चलते बन रहा है। अब स्कूल के अलावा वह कही भी बिना परेशानी आना-जाना कर सकता है। इसी तरह नारायणपुर गांव के रहने वाले सातवीं कक्षा के छात्र छत्रपाल का भी एक पैर जन्म से ही खराब था। छत्रपाल के नाना तेजराम यादव ने बताया कि छत्रपाल का एक पैर खराब होने के कारण उसे चलने में बहुत दिक्कत होती है। अब सरकार की मदद से पैर बन जाने से उसका भविष्य बन गया है। इसी तरह उदयपुर के सरगंवा निवासी 50 वर्षीय जयकरण सिंह ने बताया कि 2010 में एक्सीडेंट में उनका पैर काटना पड़ा। तब से वे बैसाखी के सहारे चलते हैं। नकली पैर लग जाने से अब वे अच्छी तरह अपना काम कर सकते हैं।
लखनपुर के रतन सिंह ने बताया कि वे खेती-किसानी का काम करते हैं। कुछ साल पहले हुई दुर्घटना में उनका पैर काटना पड़ा। उनके क्षेत्र के जनपद पंचायत में शिविर लगने की जानकारी उन्हें मिली तो वह तुरंत पहुंच गए। रायपुर की टीम ने उनके पैर का नाप लिया। अब पैर लग गया है, और वह अच्छी तरह चल पा रहे हैं। इसी तरह उदयपुर निवासी हीरालाल देवांगन ने बताया कि 8-10 साल की उम्र में रेल्वे लाईन में उनका पैर कटा गया था। समाज कल्याण विभाग ने पैर बनाकर दिया है। साथ ही ट्रेनिंग भी दी है, इससे वे अच्छी तरह चलने लगे है। दिव्यांगजन को रायपुर लाने-लेजाने से लेकर उनके खाने रहने की व्यवस्था भी राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क की गई। सभी दिव्यांगजन ने राज्य सरकार आभार जताते हुए कहा कि सरकार ने संवेदनशीलता के साथ उनके द्वारा खुद पहुंचकर उनकी सहायता कर रही है।
रायपुर /शौर्यपथ/
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धान खरीदी के लिए उपार्जन केन्द्रों में सभी आवश्यक सुविधाएं और व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं, जिससे धान बेचने आए किसानों को कोई असुविधा न हो। बघेल के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारी धान खरीदी के पहले दिन से मुस्तैद रहे और उपार्जन केन्द्रों का औचक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इसी कड़ी में बस्तर कमिश्नर जी.आर. चुरेंद्र ने बुधवार की शाम को जगदलपुर के बड़े मुरमा और नानगुर धान खरीदी केंद्रों का औचक निरीक्षण किया और धान खरीदी की व्यवस्थाओं का जायजा लेकर खरीदी कार्य को सुचारू संचालन के निर्देश अधिकारियों को दिए। इस अवसर पर केंद्रीय सहकारी बैंक, कृषि, खाद्य विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर /शौर्यपथ/
छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को गतिमान रखने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में पिछले तीन वर्षों में लिए गए नये फैसलों ने रियल एस्टेट कारोबार को नया बूम दिया है। राज्य में गरीब और मध्यम वर्गों को अपना आशियाना बनाने में काफी सहुलियत मिली है, वहीं राज्य शासन द्वारा रियल एस्टेट बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए कई नये प्रावधान किए गए हैं। ऑनलाईन पंजीयन सुविधा, निर्धारित समय अवधि में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की स्वीकृति दी जा रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर राज्य सरकार ने 5 डिसमिल तक के छोटे भू-खण्डों की खरीद-बिक्री पर लगी रोक को हटाया। सम्पत्तियों की गाईड-लाईन दरों में 30 प्रतिशत की कमी की गई। भूमि नामांतरण और डायवर्सन की प्रक्रिया को पूर्व की अपेक्षा अब ज्यादा आसान किया गया है। छत्तीसगढ़ शासन ने महिलाओं को पंजीयन शुल्क में एक प्रतिशत की छूट प्रदान की है। दस्तावेजों के पंजीयन के लिए सिंगल विन्डों प्रणाली से अनुमति और अनापत्ति प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया आसान बनाई बना दी गयी है। छत्तीसगढ़ सरकार के फैसलों से राज्य में अब आम आदमी और कमजोर तबके लोग भी छोटे और मध्यम भू-खण्डों की खरीदी-बिक्री कर रहे हैं।
राज्य के पंजीयन कार्यालयों में आधुनिकीकरण और नई सुविधाएं जुटाई गई है। इन कार्यालयों में ऑनलाईन पंजीयन ई-स्टाम्पिंग की सुविधा दी गई है। इसी प्रकार जमीनों और मकानों का पंजीयन तेजी से कराने के लिए सॉफ्टवेयर में संशोधन किया है। पंजीयन शुल्क भुगतान के लिए ऑनलाइन भुगतान सुविधा सहित स्वाइप मशीन अधिकांश पंजीयन कार्यालयों में उपलब्ध कराई गई है। राजस्व न्यायालयों को भी आधुनिक बनाया जा रहा है। न्यायालयों में ऑनलाईन प्रकरणों का पंजीयन के साथ ही जमीन और भवन संबंधी दस्तावेजों का डिजिटलाईजेशन किया जा रहा है। पंजीयन विभाग में एक जनवरी 2019 से अब तक करीब दो लाख 75 हजार से ज्यादा छोटे भू-खंडों के क्रय विक्रय के दस्तावेजों का पंजीयन किया गया है। वर्ष 2020-21 में 1589.42 करोड़ का राजस्व अर्जित किया। वित्तीय वर्ष 2021-22 में अक्टूबर माह तक 902.79 करोड़ रूपए से ज्यादा का राजस्व अर्जित किया जा चुका है।
राज्य शासन द्वारा जनहित में निर्णय लिया जाकर, दस्तावेजों के बाजार मूल्य निर्धारण करने वाले गाईडलाईन की दरों में 25 जुलाई 2019 से 30 प्रतिशत की कमी को वर्ष 2020-21 एवं वर्ष 2021-22 के लिए भी यथावत रखा गया है। संपत्ति के बाजार मूल्य में कमी के साथ ही संपत्ति के खरीदी बिक्री में राहत प्राप्त होने से मध्यमवर्ग के लिए भूमि-मकान खरीदना आसान हुआ है। इसी प्रकार 75 लाख कीमत तक के मकान-भवन के विक्रय संबंधी विलेखों पर अगस्त, 2019 से पंजीयन शुल्क की दर में 2 प्रतिशत की रियायत को वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 के लिए बढ़ाया गया है।
कोविड-19 से संक्रमण की सुरक्षा को देखते हुए पंजीयन हेतु ऑनलाइन अपॉइंटमेंट स्लॉट बुकिंग को अनिवार्य किया गया है। अपॉइंटमेंट प्राप्त पक्षकार निर्धारित समय में ही पंजीयन कार्य हेतु उपस्थित होते हैं। इस व्यवस्था के तहत कोविड-19 महामारी के दौरान भी पंजीयन की सुविधा प्रदान की गई है। दस्तावेज पंजीयन के साथ ही साथ दस्तावेज नकल एवं खोज हेतु भी अपॉइंटमेंट बुकिंग प्रारंभ की गई है। पक्षकार द्वारा पंजीयन फीस का भुगतान भी ऑनलाइन किया जा सकता है।
नई दिल्ली/शौर्यपथ/
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने UPA (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) को लेकर एक बयान दिया था. जिसमें कहा था कि कोई UPA नहीं है. ममता बनर्जी की ओर से UPA पर दिए गए इस बयान पर अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की प्रतिक्रिया आई है और उन्होंने कहा है कि कांग्रेस बिना यूपीए का कोई मतलब नहीं है. कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर लिखा कि कांग्रेस बिना यूपीए मतलब ऐसा शरीर जिसमें आत्मा ही नहीं है. विपक्षी की एकता दिखाने का समय आ गया है. अपने इस ट्वीट के जरिए कपिल सिब्बल ने ममता बनर्जी को UPA में कांग्रेस की क्या अहमियत है ये बताने की कोशिश की है.
दरअसल कल ममता बनर्जी ने मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों नेताओं ने मजबूत विपक्ष बनने पर चर्चा की थी. वहीं इस मुलाकात के बाद जब ममता बनर्जी से सवाल करते हुए पूछा गया कि क्या वो चाहती हैं कि शरद पवार को UPA का अध्यक्ष बनाया जाए? इस सवाल के जवाब में ममता बनर्जी ने कहा था कि क्या यूपीए? अब कोई यूपीए नहीं है? यूपीए क्या है? हम एक मजबूत विकल्प चाहते हैं. अपने इस बयान के जरिए ममता ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा था.
गौरतलब है कि एक समय में तृणमूल कांग्रेस कभी UPA का हिस्सा हुआ करती थी. लेकिन अब ममता ने कांग्रेस पार्टी से दूरी बना ली है. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी ममता ने कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं किया था. कांग्रेस ने वाम दलों के साथ मिलकर तृणमूल और बीजेपी के खिलाफ ये चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में ममता की पार्टी को जीत मिली थी.