November 21, 2024
Hindi Hindi

ये तो वही बात हो गई कि खुद बच्चे एग्जाम में बैठे और खुद को ही अंक दे दे...

शौर्यपथ लेख ( डॉ. सिद्धार्थ शर्मा की कलम से ...) / पतंजलि कोरोनिल किसी भी दवा को कंपनी अपने हिसाब से नही ला सकती। अगर ला पाती तो लाखों दवाइयां आज मार्किट में होती। कंपनी खुद ही ट्रायल करे खुद ही अप्रूवल दे ये तो वही बात हो गई कि खुद बच्चे एग्जाम में बैठे और खुद को ही अंक दे दे। आयुर्वेद में आयुष मंत्रालय सर्टिफिकेट देता है पर कोरोनिल का कभी ट्रायल हुआ ही नही। जो ट्रायल हुआ वो एक private ट्रायल था जो बहुत ही कम लोगों के बीच हुआ बिना किसी सरकारी दखल के। उसी आधार पर पतंजलि ने खुद को सफल घोषित कर दिया।
         लेकिन 80% कोरोना केसेस तो लक्षणविहीन होते हैं और अपने आप बिना दवा के ठीक हो जाते हैं। 20% में गंभीर लक्षण आते हैं और इसी श्रेणी से 2% लोग मरते भी हैं। दिक्कत ये है कि पतंजलि ने जल्दबाजी दिखाई और बिना सरकारी trial और अप्रूवल के इसे कोरोना की दवा बताकर बाजार में उतारने लगी। अब आयुर्वेद के नाम का सहारा लेकर भारत सरकार पर दबाव बनाना चाहती है कि भारत आयुर्वेद को हमेशा प्रमोट करता है। बिल्कुल करता है पर उसके नियम उसके चरण तो पूरा करते? अब तक तीन दवाओं को अप्रूवल मिला,तीनो ने अपना trail पूरा किया। फिर पतंजलि की कोरोनिल को बिना ट्रायल permision सिर्फ इसलिए दे दिया जाए क्योकि हमको अपनी पीठ ठोकनी है? अब जब सरकार ने प्रचार पर यह कहकर बैन लगाया कि इसे कोरोना की दवा कहकर मत बेचो तो सभी देशभक्तों को आयुर्वेद,स्वदेश और मेक इन इंडिया पर प्रहार लग रहा। कुछ विशेषज्ञ तो बस डॉक्यूमेंट की प्रॉब्लम बताने लगे। लेकिन सच तो ये है कि इस दवा का सरकारी विधिवत trial अब तक हुआ ही नही है तो बिना जांच के इसे कोरोना की दवा सिर्फ इसलिए बता देना क्योकि ये स्वदेशी उत्पाद है भारत का नाम विश्व में खराब कर सकता है। आज तक किस कंपनी पर केस हुआ कि दवा खाने के बाद भी मरीज मरा?शर्तिया इलाज शब्द क्यो बैन हुआ? कोई इलाज बीमारी शत प्रतिशत ठीक करने का दावा नही कर सकता ये नियम है। पेशेंट की मृत्यु के लिए dr, हॉस्पिटल या दवा को जिम्मेदार नही ठहराया जा सकता। लापरवाही की स्थिति में उसकी जांच के अलग तरीके है। परिणाम के आधार पर अच्छा बुरा इलाज होता ही नही। बिना इलाज 80% ठीक हो जाते है केवल 2% की मृत्यु होती है इसलिए ऐसे तो दवा बनाने वालों की भीड़ लग जायेगी जो 98% सक्सेस का दावा करेंगे।
        ये कहना कि ये शरीर को नुकसान नही पहुचायेगी ये भी बात गलत है। असल मे कोई चीज नुकसान पहुचाती ही नही। ये तो हमारे शरीर की इम्युनिटी है जो एंटीजन मानकर कभी भी शरीर के खुद के अंगों को नष्ट कर देता है। माँ का शरीर बच्चे को खत्म कर देता है बाहरी मानकर (erythrobalstosis fetalis). तो एलर्जी किसी भी चीज की हो सकती है। दूध की भी। लैक्टोस intolerance। इसलिए आयुर्वेद से साइड इफ़ेक्ट नही होता वाली बात सरासर गलत है।एक कहावत है कि बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए काम बिगाड़ो आपनो जग मा होत हँसाये।
      पतंजलि ने इतनी हड़बड़ी दिखाई की बिना सरकारी ट्रायल के दवा लॉन्च कर दी। जब विरोध हुआ तो कहने लगे लॉन्च किए है प्रचार नही किया? बाबा बैठकर उसका 100% सक्सेस उसका रेट उसकी खाने की विधि सब बता रहे फिर कहते हैं प्रचार नही किया?
अभी जो 3 दवा को मान्यता मिली,तीनो ने ट्रायल पास किया। अमेरिका ने वैक्सीन बनाई वो जनवरी में आएगी क्या इतना धैर्य पतंजलि में नही था??कुछ कह रहे कि इलाज न भी हो पाए पर नुकसान भी नही होगा। अरे क्या 550 रुपये में मुंगबड़ा खरीदे हो? कंपनी स्वदेशी और आयुर्वेद के नाम पर कमा कमा कर अमीर होती जाएगी और गरीब आदमी बिना कमाए पिसता जाएगा

Rate this item
(1 Vote)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)