November 21, 2024
Hindi Hindi

दुर्ग में कांग्रेस का बदलता स्वरुप , राष्ट्रिय कांग्रेस से वोरा कांग्रेस में बदलता स्वरुप ... Featured

दुर्ग / शौर्यपथ लेख / कांग्रेस जो एक समय देश की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है देश में कांग्रेस की स्थिति क्या है ये किसी से छुपी नहीं है असंतोष और आपसी गुटबाजी की मार झेल रही राष्ट्रिय कांग्रेस अपने अस्तित्व को बचाने का निरंतर प्रयास कर रही है . छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के रास्ट्रीय नेत्रित्व की जीत के बजाये भूपेश नेत्रित्व की जीत ज्यादा रही प्रदेश में १५ साल की भाजपा सत्ता के खिलाफ मुखर हुए तो भूपेश बघेल ही हुए जिसका नतीजा रहा प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी . प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में सबसे ज्यादा अहम् भूमिका किसी की रही तो वो तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और टी.एस.सिंहदेव की मेहनत और सक्रियता का परिणाम रहा सभी को लेकर आगे बढने की निति रही गुटबाजी खत्म करते हे सबके साथ चलने का परिणाम रहा प्रदेश में कांग्रेस की सरकार का सत्ता में काबिज होना .
किन्तु अगर हम क्षेत्र की बात करे तो आज दुर्ग की ऐसी स्थिति है कि दुर्ग में कांग्रेस के कार्यकर्ताओ को महत्तव नहीं दिया जाता यहाँ महत्तव दिया जाता है वोरा के करीबी लोगो को . दुर्ग में आज भी सत्ता आने के बाद कांग्रेसी कार्यकर्त्ता कही ना कही उपेक्षित से है .दुर्ग कांग्रेस में ऐसे लोगो को ही महत्तव दिया जा रहा है जो कांग्रेस के नहीं वोरा के करीबी है . ऐसा नहीं है कि दुर्ग में कांग्रेस नेताओ की कमी है . लक्ष्मण चंद्राकर , प्रतिमा चंद्राकर , राजेन्द्र साहू ,मदन जैन जैसे नेता भी है जिन्होंने अपनी जिन्दगी कांग्रेस के लिए गुजार दी किन्तु आज सत्ता होने के बाद भी कही ना कही ऐसी स्थिति सामने आ ही जाती है जिससे ये आभास हो जाता है कि दुर्ग में कांग्रेस कार्यकर्ता होने से ज्यादा जरुरी है वोरा का करीबी होना . बस वोरा गुट के करीबी हो जाओ फिर पद,कार्य , महत्तव सब मिल जायेगा इसके लिए कांग्रेस का करीबी होना कोई महत्तव नहीं रखता अगर आप वोरा गुट के करीबी है तो आपकी बल्ले बल्ले अगर नहीं तो फिर सर रैली में भीड़ का हिस्सा ही बने रह सकते है . यह बात इस लिए कह सकते है कि पूर्व में ऐसे कई प्रकरण सामने आये है जिसमे कांग्रेस से बढ़कर वोरा गुट हावी रहा . आइये ऐसे कुछ घटनाक्रम देखते है जो पिछले दिनों दुर्ग में हुए जिससे अनुमान लगाना आसान होगा कि दुर्ग में कांग्रेस की भूपेश सरकार की नहीं वोरा गुट की मनमानी चलती है ..
निगम की सत्ता के कंधे में स्वर वोरा गुट
दुर्ग निगम में महापौर के चयन में वोरा गुट ने सभी अनुभवी लोगो को दरकिनार कर पहली बार सक्रीय राजनीती में आये धीरज बाकलीवाल को महापौर की खुर्सी दिला कर वोरा गुट ने निगम के रस्ते शहर में अपने अस्तत्व को बचा लिया आज दुर्ग निगम में नाली के उद्घाटन से लेकर सडक के उद्घाटन में विधायक का निर्देश अनुशंषा रहती है हर कार्य विधायक के निर्देश पर होता है यहाँ तक की कार्य के बंटवारा में भी वोरा बंगले का पूरा हस्तक्षेप रहता है अगर कांग्रेस का कार्यकर्त्ता वोरा बंगले से दूर है तो वो कोई काम का नहीं जिसका परिणाम आज यह है कि विधायक के बंगले के करीबी रहने वाले आज एल्डरमैन भी है , ठेकेदार भी है और निजी कार्यो में सर्वेसर्वा भी है ये अलग बात है कि उनका सक्रीय राजनीती से कोई लेना देना नहीं . वोरा बंगले के करीबी आज एमआईसी प्रभारी भी है ठेकेदारी भी कर रहे है साथ ही किसे कार्य देना है किसे नहीं ये भी निश्चित कर रहे है . आज निगम में सत्ता का यहाँ तक ईस्तमाल हो रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी कई मामलो में दरकिनार करने की असफल कोशिश हो रही है जिसका एक छोटा सा उदाहरण २३ अगस्त को ही देखने को मिला . २३ अगस्त प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्मदिन इस दिन दुर्ग ही नहीं पुरे प्रदेश में मुख्यमंत्री के जन्मदिन के बधाई सन्देश लगे थे बड़े बड़े फ्लेक्स बेनर में जिसमे कार्यकर्ताओ ने लाखो खर्च किये किन्तु २४ अगस्त की सुबह शहर से ऐसे सारे पोस्टर बेनर गायब हो गए जिसमे विधायक वोरा के फोटो नहीं थे . तब ये चर्चा रही कि किसी ने होरी कर लिए होंगे अगर चोरी हुए तो ये गजब का ईतिफाक है कि शहर के ऐसे पोस्टर ही गायब हुए जिसमे विधायक के फोटो नहीं थे तो गजब का ईतिफाक है . क्योकि ऐसे ही ईतिफाक भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव के पोस्टर के साथ भी हुए वही विधायक वोरा के जन्मदिन के पोस्टर महीनो लगे रहे पर चोरी नहीं हुए लगता है चोर भी मुख्यमंत्री और दुसरे नेताओं से खफा है और विधायक का ख़ास समर्थक . खैर ये ईत्तिफाक कई बार हो चुके है . कई बार तो ऐसा ईतिफाक भी होता है कि निगम का अतिक्रमण दस्ता शहर की साफ़ सफाई और अवैध पोस्टर बैनर निकालने के नाम पर शहर में कार्यवाही करता है तब भी अतिक्रमण दस्ता को दुसरे सारे नेताओ के पोस्टर नजर आते है जिन्हें उतार लिया जाता है किन्तु अवैधानिक तरीके से लगे विधायक के पोस्टर का तेज ऐसा रहता है जो दिखाई नहीं देता .
अनुभवी जनप्रतिनिधि को दरकिनार - निगम की सत्ता की चाबी कहने को तो धीरज बाकलीवाल के हाँथ में है किन्तु सिर्फ नाम के महापौर बन कर रह गए धीरज बाकलीवाल क्योकि शहर के हर कार्य का निर्देश विधायक वोरा ही देते है . आज दुर्ग भी भिलाई की तरह हो गया है जैसे भिलाई में विधायक एवं महापौर देवेन्द्र यादव लिखा जाता है और हर कार्य की अनुशंषा या सोंच एक ही व्यक्ति की रहती है ठीक उसी तरह दुर्ग निगम का हाल है हर कार्य की अनुशंषा या सोंच विधायक वोरा की ही रहती है महापौर धीरज बाकलीवाल सिर्फ एक नाम है और कुछ भी नहीं ऐसा हम नहीं कहते ऐसा कहने वाले दुर्ग के कई कांग्रेसी है कई जनप्रतिनिधि है जो ये बात कहते आम देखे जा सकते है . धीरज बाकलीवाल जो महापौर बनने से पूर्व एक व्यापारी थे जिनका सक्रीय राजनीती से कम ही वास्ता रहा एक मिलनसार और हंसमुख व्यक्ति की छवि रही जो सालो से कांग्रेस के नहीं वोरा परिवार के करीबी रहे है आज वोरा बंगले के कारण ही प्रतम बार चुनावी रण में विजयी होकर महापौर की खुर्सी पर विराजित है ऐसे में स्वाभाविक है कि वोरा गुट को ज्यादा महत्तव देंगे .
दुर्ग का निष्क्रिय संगठन कार्यकर्ताओ की लगातार उपेक्षा - दुर्ग कांग्रेस में संगठन की बात करे तो संगठन के नाम पर कुछ नाम जरुर है किन्तु ये ऐसे नाम है जो कभी सक्रीय राजनीती में कोई अहम् भूमिका नहीं निभा पाए सिर्फ वोरा बंगले के करीबी होने का फायदा उठाये है अनुभवहीनता आज दुर्ग कांग्रेस संगठन में साफ देखि जा सकती है . संगठन की बात करे तो दुर्ग कांग्रेस में अध्यक्ष की खुर्सी ऐसे हाँथ में है जो सक्रीय राजनीती से दूर ही है बात गया पटेल की है जो आज दुर्ग कांग्रेस के अध्यक्ष है किन्तु सिर्फ नाम के अध्यक्ष संगठन स्तर पर ऐसी कोई छाप नहीं छोड़ पाए है जैसी छाप पूर्व महापौर आर.एन.वर्मा ने छोड़ी थी . उसी कड़ी में आज एक ऐसे युवा कांग्रेस को अध्यक्ष बनाया गया है जिसे दुर्ग के कई कांग्रेसी जानते भी नहीं अगर पहचान है तो इतनी कि विधायक परिवार के करीबी के टूर पर महापौर बाकलीवाल के नजदीकी के टूर पर यहाँ बात हो रही है दुर्ग युवा कांग्रेस अध्यक्ष आयुष शर्मा कि जबकि दुर्ग युवा कांग्रेस की बात करे तो ऐसे कई चेहरे है जो सालो से सक्रीय राजनीती में है किन्तु दुर्ग में कांग्रेस अब बचा ही कहा यहाँ सिर्फ वोरा कांग्रेस की छाप ही है . अगर कांग्रेस का कोई अस्तित्व बचा होता तो दुर्ग के अनुभवी कांग्रेसियों के मन में असंतोष की जो धारा आज बह रही है वो नहीं बह रही होती . आज अनुभवी पार्षद जो सालो से कांग्रेस के साथ है न कि वोरा के सिर्फ पार्षद ही बनकर रह गए उनमे से मदन जैन , राजकुमार नारायणी वो मुख्य नाम है जो सिर्फ इसलिए दरकिनार है क्योकि वो कांग्रेसी है अगर वो वोरा गुट के कांग्रेसी होते तो आज कही और होते . कुछ ऐसी ही हालत सभापति राजेश यादव के साथ भी रही शुरू शुरू में सभापति को भी दरकिनार करने का कई बार असफल प्रयास हुआ किन्तु राजेश यादव के साथ सभापति का पद जुडा होने के कारण दरकिनार करना मुश्किल हो गया .
क्या वोरा कांग्रेस का  ये अंतिम कार्यकाल - इन दिनों शहर में ऐसी चर्चा जोरो पर है कि जिस तरह से वोरा गुट शहर में मनमानी कर रहा है चाहे वो कार्य विभाजन की बात हो , चाहे वो चखना सेंटर आबंटन की बात हो , चाहे राशन दुकान वितरण की बात हो , चाहे वो सनागाथान के कार्यो की बात हो , चाहे शहर में विकास कार्यो के नाम पर दिखावा हो ऐसे कई कारण है जिससे शहर के आम जनता ही नहीं कई कांग्रेसी भी आतंरिक रुप से आक्रोशित है और ढाई साल बाद होने वाले चुनाव में मतदान के रूप में अपना फैसला सुनाने का इंतज़ार कर रहे है . वैसे अगर देखा जाए तो जिस तरह से वर्तमान हालत है चुनाव के बाद ऐसे कांग्रेसी कार्यकर्त्ता मिलना मुश्किल ही होगा जो समाज के बीच अपनी पैठ बनाकर वोट मांगने जा सकेगा .जिस तरह से आज कई कांग्रेसी कह रहे है कि इतनी उपेक्षा भाजपा शासन में नहीं हुई जितनी खुद की सरकार होते हुए हो रही कोई बड़ी बात नहीं कि भविष्य में एक बार फिर सालो दुर्ग में भाजपा का शासन रहेगा .

Rate this item
(1 Vote)
Last modified on Sunday, 31 January 2021 11:00

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)