December 03, 2024
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मौत के बाद भी जारी है गद्दार और देशभक्ति का पैमाना ..... Featured

शौर्य की बातें / ये क्या हो रहा है मेरे देश में अब इंसानों को गद्दार और देशभक्त की संज्ञा कानून नहीं कुछ लोगो द्वारा दिया जा रहा है ये कुछ लोग वो है जो समाज के अभिन्न अंग है जो दिनभर सभी कार्य सभी समाज के साथ मिलकर करते है ये कपडे के व्यापारी है जो अपने दूकान में आने वालो को ये नहीं पूछते की किस धर्म से हो जिस समाज से हो सभी को एक भाव से देखते है और कोशिश करते है कि उनके दूकान से कुछ खरीद कर जाए , ये होटल वाले है जो अपने ग्राहकों का धर्म पूछ कर अपने होटल में आने जाने से नहीं रोकते सभी को ग्राहक मानते है और इनकी सेवा करते है , ये मिल मालिक है जो अपने कर्मचारियों को काबिलियत के पैमाने में परख कर काम और पद देते है , ये राजनेता है जो चुनाव के समय सभी से हाँथ जोड़ कर अपने पक्ष में मतदान के लिए निवेदन करते है , ये वकालत से समबन्ध रखते है अपने यहाँ आने वाले हर फरियादी को न्याय के मंदिर से न्याय दिलाने के लिए प्रयासरत रहते है , ये बिल्डर है जो सभी को आदर भाव के साथ अपनी प्रॉपर्टी को बेचने के लिए उसकी अच्छे बताते है . कहने का तात्पर्य यह है कि जब सामन्य जीवन में अपनी आय बढाने के लिए किसी जाति धर्म का भेद भाव नहीं करते तो फिर सोशल मिडिया में आते ही कैसे किसी को भी देशभक्त या देश द्रोही करार दे देते है क्या तब उन्हें ये अहसास नहीं होता कि उनका चरित्र दोहरे मापदंड पर टिका हुआ है सोशल मिडिया में एक अलग रूप रहता है और सामाजिक जीवन में एक अलग रूप रहता है . आखिर कैसे इन लोगो की सोंच जहाँ कमाई के साधन की बात आती है तो समभाव के रूप में दर्शित होती है और जबी सोशल मिडिया पर ऊँगली चलती है तो आरोप प्रत्यारोप की झड़ी लग जाती है .
क्या हम अपना दोहरा चरित्र छोड़ कर एक ही मानसिकता से नहीं जी सकते . अगर हमें किसी जाति/ धर्म विशेष से नफरत है तो क्यों ना उनसे सामजिक जीवन में भी दुरी बना कर रखे ना तो उनसे बात करे ना तो उनके बनाये वास्तु को ईस्तमाल करे और ना ही उनको कोई सामान बेचे और ना ही उनके करीबियों से कोई सम्बन्ध रखे अगर ऐसा कर सकते है तो खुल कर अपने विचार समाज में और सोशल मिडिया में भी रखे अगर नहीं तो फिर क्यों दोहरे चरित्र के साथ जी कर अपने ही अस्तित्व को अपनी ही परछाई को धोखा दे रहे है .
कल देश के मशहूर पत्रकार रोहित सरदाना की मौत की खबर आयी . सभी को दुःख हुआ यह भी नहीं कह सकता क्योकि सोशल मिडिया में देखा कोई अच्छा हुआ कह रहा है कोई गलत हुआ करके दुःख जता रहा है कोई ऐसी तुलना कर रहा है कि हे भगवान् रोहित सरदाना की जगह फला व्यक्ति को ले जाना था नाम के मात्राओं में थोड़ी फेर बदल करके अपनी चतुराई तो पेश कर रहा है किन्तु किस ओर इशारा कर रहा सभी को समझ आता है किसी को कोरोना संक्रमण ने घेर रखा हो तो उसके पाप पुन्य गिनाने वालो की भी फौज सामने आ जाती है जैसे कि ईश्वर ने सबका हिसाब किताब उसे ही दे रखा हो और कह दिया हो कि जाओ इसे प्रचारित करो . मौत किसी की दुःख होता है और वो भी ऐसी मौत जिसकी जिम्मेदार वैश्विक आपदा और सही समय में सही इलाज का मिलना . वर्तमान समय में हमने कई अपनों को खोया ऐसे कई चेहरे सोशल मिडिया में दीखते है जिनसे हमारा कही न कही कोई सम्बन्ध रहा हो कभी व्यापारिक तो कभी सामजिक तो कभी दोस्ताना तो कभी पारिवारिक . कोरोना आपदा किसी पर भी भेदभाव नहीं कर रही है सभी के लिए एक काल बनकर आयी है और सभी की यही कोशिश है कि इस काल से जंग में जीत इंसानों की हो किन्तु यहाँ तो इंसान के जंग हारने के बाद उसके पाप पुन्य का फैसला और विश्लेषण शुरू होने लग गया है क्या यही समाज में रहना चाहते है हम क्या हमें ऐसे ही समाज की आवश्यकता है जहां उसके कर्मो का लेखा जोखा चंद मतलब परस्त लोग कर रहे है और अपने आप को समझदार समझने लगे है अपने आको को खुश करने के लिए अपनों के जाने के दुःख को भूल कर मौत को भी तुलनात्मक दृष्टी से देखने लगे है .
एक मौत का अर्थ सिर्फ एक इंसान की जान का जाना ही नहीं होता एक मौत के कारण किसी की खोख सुनी होती है तो कोई अनाथ होता है , कोई बहन अपने भाई को खो देती है , कोई दोस्त अपने जिगरी दोस्त से बिछड जाता है . एक मौत कई लोगो को दुःख पहुंचती है कई परिवार टूट जाते है कई लोगो के भविष्य अँधेरे की गर्त में चले जाते है . मेरी नजर में देश द्रोही वो है गद्दार वो है जिसे कानून ने सजा दी हो भारत के संविधान में उसे मुजरिम का दर्ज दिया हो उनकी मौत उनके कर्मो के आधार पर हो रहा है किन्तु कोरोना आपदा में हुई मौत का भी अगर विश्लेषण हो ये क्या सही है . शौर्यपथ समाचार पत्रकारिता की दुनिया में अपना मुकाम बनाने वाले रोहित सरदाना को श्रधांजलि अर्पित करता है और ईश्वर से ये प्रार्थना करता है कि काल के इस खेल से हमें और हमारे देश को बाहर निकाले . कोरोना से जंग में भारत की जीत हो सब कुशल से हो सभी का मंगल हो . जय हिन्द ( शरद पंसारी - संपादक , दैनिक शौर्यपथ समाचार पत्र )

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