November 21, 2024
Hindi Hindi

लेख : किसान की मेहनत और नीबू-मिर्च की पीड़ा Featured

शौर्यपथ लेख / ‘‘शाम सुबह की हवा लाख रूपये की दवा‘‘ इस बात को अपने बुजुर्गों से सुनते मैंने बचपन से प्रातः भ्रमण को अपनी दिनचर्या में शामिल किया। इससे ताजी हवा से तन-मन प्रसन्न रहता है और अच्छे विचारों की उत्पत्ति भी होती है। अपनी इसी दिनचर्या के अनुरूप पिछले रविवार को सुबह चार बजे प्रातः भ्रमण के लिए मैं निकल पड़ा था। चलते-चलते मुझे अचानक किसी के सिसकने की आवाज सुनाई दी। मेरे कदम उस दिशा में बढ़ चले जहां से रोने-सिसकने की आवाज आ रही थी। आगे जाकर मैंने देखा कि काले धागे में गंूथे मिर्च और नीबू एक-दूसरे से लिपट कर रो रहे है। मैंने उन्हें बड़े प्यार से उठाया और पूछा, क्या बात हैं, क्यों रो रहे हो आप लोग i
मेरा यह प्रश्न सुनते ही मिर्च और नीबू गुस्से से लाल हो उठे। नीबू ने कहा - ज्यादा दया दिखाने की जरूरत नहीं है। तुम लोगों की वजह से ही हम नीबू और मिर्च परिवार के लोगों को ऐसी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। सुई-धागा में एक साथ नीबू और मिर्च को पिरो कर तुम लोग घर-दुकान अथवा मोटर गाड़ी में लटका कर रखते हो। जरा सोचों तुम्हें जब सुई चुभती है, कांटा गड़ता है तो कितनी पीड़ा होती है। हमें भी सुई-धागे में तुम पिरोते हो तो हम दर्द के मारे कराह उठते है, पर दूसरे के दुख दर्द में हंसने वाले तुम लोग क्या समझोगे नीबू और मिर्च की पीड़ा।
मैंने इस पर नीबू को सहलाते हुए कहा - दरअसल टोना-टोटका और बुरी नजर से बचने के लिए ऐसा किया जाता है। मेरे इस जवाब से लाल मिर्ची भड़कते हुए बोली- यह पूरी तरह से अंधविश्वास है। कान खोल कर सुन लो, जिस नीबू और मिर्च को उपजाने में किसान की मेहनत, पसीना के साथ-साथ पानी, बिजली और खाद का उपयोग भी होता है। उसे दरवाजे पर लटका कर दूसरे दिन सडक पर फेंक देते हो, जो कि राहगीरों के जूते चप्पल, मोटर गाड़ियों के चक्के तले कुचल कर बरबाद हो जाते हैं। ऐसा करते समय भूल जाते हो कि बहुमूल्य नीबू-मिर्च को अंधविश्वास के चक्कर में टांगने-फेंकने से तुम्हारी सदगति नहीं, दुर्गति ही होगी।
मिर्च की बात सुनकर अपनी गलती का अहसास करते हुए मैंने कहा - हां मिर्च बहन, तुम ठीक कह रही हो। तुम्हारी बाते सुन कर मेरी आत्मा से यही आवाज आ रही है कि सेहत के लिए बहुपयोगी नीबू,मिर्च का ऐसा दुरूपयोग करना मानव समुदाय के लिए अनिष्टकारक है। दुनिया कहां से कहां पहंुच गई है, फिर भी अंधविश्वास में डूबे लोग अपना समय, श्रम और पैसों की बर्बादी के साथ मन को कमजोर बनाये हुए जी रहे है।
मेरी बात को बीच में टोंकते हुए नीबू ने कहा - इंसान बेहद स्वार्थी होता है, नीबू मिरची की तो बात ही छोड़ो, वह अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए जीव जन्तुओं की बलि देने से भी बाज नहीं आता है। पढा-लिखा ज्ञानीजन भी अंधविश्वास के मकड़जाल में फंसा हुआ है। मेहनत की महिमा का मर्म समझने के बजाय नीबू मिर्च लटकाने और जीवों की हत्या को अपनी सदगति का राह मान रहा है। सच तो यह है कि सदगति तभी मिलेगी जब पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं के प्रति इंसान दया भाव रखेगा। अपनी मेहनत से कमाये धन-दौलत में से कुछ अंश को दीनहीन, गरीब असहाय मानव सेवा में लगायेगा।
बिल्कुल सही बात कह रहे हो नीबू भाई, कहते हुए मिर्ची उंची आवाज में बोली - अगर थोड़ी भी समझदारी इंसानों में है तो हमारा तो यहीं कहना है कि नीबू और मिर्च रोज खरीदे, ताकि इसे बेचने वालों का भी जीवन निर्वाह हो सके। लेकिन इसे खरीद कर बर्बाद कर देने से अच्छा है कि किसी गरीब मजदूर को दान दे देना। ऐसा करने से इंसान के मेहनत की कमाई का सदुपयोग, किसान के श्रम का सम्मान और गरीब मजदूरों के आशीर्वाद की भी प्राप्ति होगी। यह ऐसा आशीर्वाद होगा जो कि सदैव दानदाता के मन को मजबूत बनायेगा और अंधविश्वास जैसे ढकोसलों से दूर रखेगा।
नीबू और मिर्च से बातचीत समाप्त करके मैं घर की ओर लौटने लगा। मेरे मन में उस समय यह भी विचार बार-बार आ रहे थे कि नीबू का उपयोग पूजा पाठ में होता है। मां दुर्गा और काली के लिए गहने का स्वरूप होता है, अतः इसे फेंकना सचमुच अनिष्टकारी हैं।
विजय मिश्रा 'अमित'
अतिरिक्त महाप्रबंधक (जनसंपर्क)
छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कम्पनी

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)