October 24, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

  रायपुर / शौर्यपथ / भारत मंडपम, नई दिल्ली में 25 से 28 सितम्बर तक आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का ब्रांड जशप्योर ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। आदिवासी महिलाओं की मेहनत और नवाचार से तैयार किए गए महुआ और मिलेट्स आधारित उत्पादों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छत्तीसगढ़ की एक नई पहचान बनाई।

एक समय था जब महुआ का उपयोग सिर्फ शराब बनाने के लिए होता था। छत्तीसगढ़ राज्य में हुए नवाचार से अब महुआ से कई अन्य पौष्टिक खाद्य सामग्री बनने लगी है। जिससे महुआ की छवि अब धीरे-धीरे बदल रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की दूरदर्शी सोच और पहल ने महुआ को शराब से हटाकर पोषण और खाद्य सामग्री से जोड़ दिया है। मुख्यमंत्री श्री साय का कहना है कि महुआ और मिलेट्स जैसे पारंपरिक उत्पादों को आधुनिक विज्ञान और नवाचार के साथ जोड़कर हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के साथ-साथ पोषण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ का योगदान बढ़ा रहे हैं।

वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में जशप्योर द्वारा प्रदर्शित महुआ नेक्टर को इसके उच्च पोषण मूल्य और दूध, मिठाइयों व पेय पदार्थों में प्राकृतिक स्वीटनर के रूप में उपयोग के लिए विशेष सराहना मिली। महुआ आधारित च्यवनप्राश (बिना शक्कर, गुड़ और शहद), महुआ टी, कूकीज और एनर्जी स्नेक्स ने भी आगंतुकों का ध्यान आकर्षित किया। जशपुर के पारंपरिक मिलेट (कुटकी), कोदो और बकव्हीट से तैयार उत्पाद पन्द्रह से अधिक वैरायटी के मिलेट पास्ता, पौष्टिक स्नैक्स और बेकरी प्रोडक्ट्स ने दर्शकों को आकर्षित किया है। इन उत्पादों ने साबित किया कि ये अनाज भविष्य के सुपरफूड हैं।

प्रदर्शनी में आए अंतरराष्ट्रीय डेलिगेट्स ने जशपुर की आदिवासी महिलाओं की मेहनत और नवाचार की सराहना की। विशेष रूप से एस्वातिनी (Eswatini) देश के कृषि मंत्री और कृषि निदेशक ने महुआ नेक्टर का स्वाद चखकर इसकी गुणवत्ता और पोषण मूल्य की प्रशंसा की।

जशप्योर के पीछे जशपुर की आदिवासी महिला उद्यमी हैं, जो जय जंगल एफपीसी के तहत काम कर रही हैं। उन्होंने फ़ूड-ग्रेड हार्वेस्टिंग और वैज्ञानिक प्रोसेसिंग के माध्यम से महुआ और मिलेट्स को आधुनिक सुपरफूड में बदल दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीण उत्पादों को बढ़ावा देने और आदिवासी महिलाओं की आजीविका सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है।

वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में जशप्योर की प्रभावी उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि परंपरा, मेहनत, नवाचार और मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच मिलकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था और छत्तीसगढ़ की खाद्य संस्कृति को वैश्विक पहचान दिला सकते हैं। जशप्योर अब महुआ और मिलेट्स को शराब की पहचान से हटाकर पोषण और खाद्य की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रतीक बन चुका है।

  रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचालनालय के आदेशानुसार  राज्य के कुल 1227 प्रधान पाठक (प्राथमिक शाला) और बी.एड. प्रशिक्षित स्नातकोत्तर शिक्षक (एल.वी.) को व्याख्याता/व्याख्याता (एल.बी.) टी. संवर्ग में पदोन्नत करने हेतु ऑनलाइन ओपन काउंसलिंग का आयोजन किया गया। यह काउंसलिंग 25 से 28 सितम्बर तक शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय, शंकर नगर, रायपुर में संपन्न हुई।
    काउंसलिंग के पहले तीन दिनों में अनुपस्थित रहे अभ्यर्थियों के लिए चौथे दिन यानि 28 सितम्बर को विशेष काउंसलिंग आयोजित की गई। इसमें संस्कृत, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, भूगोल और गणित विषय के 5 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग कराई गई। इसके अतिरिक्त 165 अनुपस्थित अभ्यर्थियों को लॉटरी के माध्यम से उनके संबंधित जिले/संभाग की शालाओं में रिक्त पदों पर स्थान आवंटित किया गया।
  कुल 1102 अभ्यर्थियों में से 937 अभ्यर्थी काउंसलिंग में उपस्थित रहे, जिससे उपस्थित रहने का प्रतिशत 85.03 प्रतिशत रहा। काउंसलिंग में चयनित सभी अभ्यर्थियों को उनके द्वारा चयनित विद्यालयों में पदस्थापना के लिए नोडल अधिकारी द्वारा नियुक्ति आदेश जारी कर दिए गए हैं।

  रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज अमर शहीद भगत सिंह की जयंती के अवसर पर राजधानी रायपुर स्थित भगत सिंह चौक पहुँचकर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि अमर शहीद भगत सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के वह तेजस्वी नायक थे, जिन्होंने अपने अदम्य साहस, अटूट देशभक्ति और सर्वोच्च बलिदान से आने वाली पीढ़ियों के लिए अमिट प्रेरणा छोड़ी है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और स्वतंत्रता के लिए त्याग ही सच्ची देशभक्ति का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगत सिंह के विचार और आदर्श आज भी युवाओं को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करते हैं।

इस अवसर पर रायपुर उत्तर विधायक श्री पुरंदर मिश्रा, सीजीएमएससी अध्यक्ष श्री दीपक म्हस्के, अल्पसंख्यक बोर्ड के अध्यक्ष श्री अमरजीत छाबड़ा एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

‘मन की बात’ करोड़ों देशवासियों को जोड़ने, प्रेरित करने, नवाचार और उत्कृष्ट कार्यों को सामने लाने का माध्यम : मुख्यमंत्री साय
 रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर के शंकर नगर स्थित सिंधु पैलेस में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 126वीं कड़ी का श्रवण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ करोड़ों देशवासियों को जोड़ने, उन्हें प्रेरित करने तथा नवाचार और बेहतर कार्यों को सामने लाने का सशक्त माध्यम है।
  मुख्यमंत्री साय ने इस दौरान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह और स्वर कोकिला लता मंगेशकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पुण्य स्मरण किया। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों को शक्ति उपासना के पर्व नवरात्रि की शुभकामनाएँ भी दीं।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि शक्ति उपासना के इस पावन अवसर पर प्रधानमंत्री ने देश की दो बहादुर बेटियों, लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा की ‘नाविका सागर परिक्रमा’ का उल्लेख किया। दोनों अधिकारियों ने 47 हजार 500 किलोमीटर की समुद्री यात्रा 238 दिनों में पूरी की और दुनिया के सबसे सुदूर स्थान ‘नीमो प्वाइंट’ पर तिरंगा फहराकर देश का गौरव बढ़ाया है।
  मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय देशभर में ‘जीएसटी बचत उत्सव’ मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जीएसटी दरों में हुई कटौती से लोगों को दैनिक जरूरतों की वस्तुओं से लेकर वाहनों, कृषि उपकरणों और मशीनों तक में बड़ी राहत मिल रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत का आह्वान करते हैं और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।
  मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम स्वदेशी वस्तुएँ खरीदते हैं, तो हम केवल सामान नहीं लेते, बल्कि एक परिवार की उम्मीद, एक कारीगर की मेहनत और एक उद्यमी के सपनों को सम्मान देते हैं। उन्होंने कहा कि खादी उत्पादों की लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है और हम सभी को खादी के वस्त्रों और उत्पादों का उपयोग करना चाहिए।
  इस अवसर पर रायपुर उत्तर विधायक पुरंदर मिश्रा, सीजीएमएससी के अध्यक्ष दीपक म्हस्के, छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक  उपस्थित थे।

जेम पोर्टल में भ्रष्टाचार का केन्द्र बना, प्रदेश के बाहर के सप्लायरो से ज्यादा खरीदी हो रही
आठ लाख की रोटी खरीदी मामले की लीपापोती की जा रही है  

    रायपुर / शौर्यपथ / जेम पोर्टल भ्रष्टाचार का केन्द्र बन चुका है। पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि जेम पोर्टल से की गई सभी खरीदी की जांच होनी चाहिए ।  कांग्रेस सरकार के समय सीएसआईडीसी के माध्यम से हो रही खरीदी को भाजपा सरकार बनने के बाद इसी लिए बंद किया गया था ताकि भ्रष्टाचार किया जा सके और राज्य के बाहर के सप्लायरों से कमीशन ले कर खरीदी की जाय।जेम पोर्टल के माध्यम से अब तक 87873 करोड़ की खरीदी की गई है। इस पूरी खरीदी की जांच की जानी चाहिये। जेम पोर्टल की खरीदी में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। स्थानीय व्यापारियों की अनदेखी हुई है, पोर्टल से हुई अधिकांश खरीदी राज्य के बाहर के सप्लायरों से हुई है। इसी जेम पोर्टल से 300 का जग 32000 में खरीदा गया है। 1 लाख की टी.वी 10 लाख में, 60 हजार की रोटी मेकर मशीन 8 लाख में खरीदी गयी। 1539 का ट्रेक सूट 2499 में खरीदा गया। यह है जेम पोर्टल का कमाल सरकार में बैठे हुये लोग जेम पोर्टल के माध्यम से राज्य के खजाने पर डाका डाल रहे है। आठ लाख की रोटी खरीदी मामले में लीपापोती करने में पूरी सरकार जुटी है जबकि इस मामले में अभी तक एफआईआर हो जाना था ।
 पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि जेम पोर्टल के माध्यम से की गई अभी तक की सभी खरीददारी का सोशल ऑडिट करवाया जाय तो पूरा सिस्टम नंगा हो जाएगा ।सरकार में सह है तो सभी खरीदारी की गई सामांग्री और उसके भाव सार्वजनिक कर दे ।अभी तक जितनी भी खरीदी की गई साफ हो जाएगा कि सारा सामान बाजार भाव से दस से सौ गुना से भी  अधिक भाव पर खरीदी हुई है।
 दीपक बैज ने कहा जेम पोर्टल से खरीदी में जो भ्रष्टाचार हुआ है उसमें नीचे से ऊपर तक लोग शामिल है इसीलिए सरकार किसी भी घोटाले का जांच नहीं करवा रही ।जांच की मांग करने वाले घोटाले के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की जाती है बलौदाबाजार रायपुर में यही हुआ है ।

रायपुर / शौर्यपथ।
   इस्पात गोदावरी हादसे से पूरे प्रदेश में शोक की लहर है। मृतकों के परिजनों और घायलों से संवेदना व्यक्त करने आज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मुलाकात की। दोनों नेताओं ने नारायणा हॉस्पिटल पहुंचकर घायलों का हालचाल जाना और उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।

घटना को गंभीर लापरवाही बताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि प्रथम दृष्टया इंडस्ट्रियल सेफ्टी एक्ट का पालन नहीं किया गया था। कंपनी प्रबंधन की स्पष्ट लापरवाही सामने आ रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब उद्योग विभाग और श्रम विभाग मौजूद हैं, तो औद्योगिक सुरक्षा की अनदेखी कैसे हो रही है?

बैज ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की मांग करती है।
? मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए।
? घायलों को 50 लाख रुपये और पूर्ण इलाज की व्यवस्था मिले।
? घटना की निष्पक्ष जांच कर कंपनी प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की जाए।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस तरह की घटनाएं औद्योगिक क्षेत्रों में प्रबंधन की बेलगाम कार्यशैली और सरकारी उदासीनता का परिणाम हैं। उन्होंने पीड़ित परिवारों को भरोसा दिलाया कि कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी है और न्याय दिलाने तक संघर्ष जारी रहेगा।

यह हादसा न केवल सुरक्षा मानकों पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रदेश में उद्योगों के संचालन पर निगरानी कितनी ढीली है। पीड़ित परिवार अब सरकार और प्रशासन से न्यायपूर्ण कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

  दुर्ग/लखोली / शौर्यपथ /
37 सीजी बटालियन एनसीसी दुर्ग द्वारा लखोली में 10 दिवसीय संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर (CATC-150) का आयोजन 26 सितम्बर से 05 अक्टूबर तक किया जा रहा है। इस शिविर में विभिन्न कॉलेजों एवं स्कूलों से कुल 401 कैडेट्स भाग ले रहे हैं।
  शिविर का शुभारंभ कैंप कमांडेंट कर्नल निलेश चतुर्वेदी के उद्घाटन भाषण से हुआ। उन्होंने एनसीसी के आदर्श वाक्य “एकता और अनुशासन” पर प्रकाश डालते हुए कैडेट्स को देशप्रेम, सेवा-भाव और सशस्त्र सेनाओं में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही जल संरक्षण, जल की बर्बादी रोकने तथा अनुशासन में रहकर लक्ष्यों को हासिल करने का आह्वान किया।
  कर्नल चतुर्वेदी ने शिविर की गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें गणतंत्र दिवस परेड दिल्ली की तैयारी, थल सेना कैंप, एसएसबी चयन हेतु विशेष कक्षाएं, व्यक्तित्व विकास, नेतृत्व क्षमता, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर व्याख्यान, ड्रिल, खेलकूद और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। शिविर की रूपरेखा सैन्य वातावरण पर आधारित है, ताकि कैडेट्स सेना जैसी दिनचर्या से परिचित हो सकें।
  शिविर के दूसरे दिन विशेष सत्र में रायपुर ट्रैफिक पुलिस के डीएसपी गुरजीत सिंह एवं उनकी टीम ने सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यातायात नियमों का पालन केवल जुर्माने से बचने के लिए नहीं, बल्कि जीवन सुरक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए आवश्यक है। कैडेट्स को हेलमेट और सीटबेल्ट के अनिवार्य उपयोग, वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग न करने, ओवरस्पीडिंग से बचने, पैदल यात्रियों को प्राथमिकता देने और ट्रैफिक सिग्नलों का पालन करने जैसे बिंदुओं पर जागरूक किया गया। उन्होंने कैडेट्स को समाज में “रोल मॉडल” बनकर नागरिकों को प्रेरित करने का संदेश दिया।
  इस शिविर में उप शिविर सेनानी कर्नल प्रेमजीत, सूबेदार मेजर थानेश्वर गुरुंग, तथा विभिन्न संस्थानों से आए एनसीसी अधिकारी — कैंप एजुटेंट ऑफिसर लेफ्टिनेंट संतोष यादव, लेफ्टिनेंट प्रशांत दुबे, फर्स्ट ऑफिसर पूनम सोंधी, फर्स्ट ऑफिसर सचिन शर्मा, फर्स्ट ऑफिसर के.के. कोशिमा, थर्ड ऑफिसर पूनम बघेल एवं पीआई स्टाफ उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने कैडेट्स को अनुशासन, नेतृत्व एवं कौशल विकास की दिशा में सक्रिय रूप से प्रेरित किया।
  यह शिविर न केवल कैडेट्स को सैन्य जीवन का अनुभव करा रहा है, बल्कि उनमें सामाजिक दायित्व, राष्ट्रप्रेम और जिम्मेदार नागरिक बनने की भावना भी प्रबल कर रहा है।

दुर्ग/कोपीडीह / शौर्यपथ /
श्री जी योग समिति दुर्ग (पंजीकृत संस्था), जो पिछले तीन वर्षों से योग प्रशिक्षण के क्षेत्र में सक्रिय है, ने नवरात्रि पर्व के अवसर पर आस्था और समर्पण का अद्वितीय परिचय दिया। समिति द्वारा डोंगरगढ़ जाने वाले पद यात्रियों के लिए ग्राम कोपीडीह में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।
  भक्ति और उल्लास से भरे इस आयोजन में समिति के सभी सदस्यों ने तन, मन, धन से योगदान देते हुए देवी गीत, नृत्य और हर्षोल्लास के साथ यात्रियों और ग्रामीणों को भोजन परोसा। व्रतधारियों के लिए विशेष फलाहार की व्यवस्था की गई, जिससे श्रद्धालुओं में अपार हर्ष देखा गया।
  समिति का यह आयोजन ग्रामवासियों के लिए भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। गांव में भक्तिभाव और सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बना। समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष सहित सभी पदाधिकारी एवं सदस्य – पंकज शर्मा, देवाशीष कर्मकार, अमरेश भौमिक, बबीता गुप्ता, वंदना सोनी, संदीप अग्रवाल, शरद गुप्ता, शोभा कर्मकार, कमल शर्मा, ब्यूटी भौमिक, कविता चौधरी, इंदु वडेरा, पूजा विश्वकर्मा, प्राची विश्वकर्मा, सूर्य राजपूत, भावना साहू एवं नितेश साहू अपने बच्चों सहित, रविशंकर सोनी, दीनदयाल साहू, मनीष दरयानी, कुशल उजाला–गंगा उजाला अपने बच्चों सहित, डॉली साहू, शोभ सुनील खंडेलवाल, मनीष साहू, ममता गणेश अग्रवाल, निक्की अग्रवाल, अर्चना भौमिक, डॉ. अनुराधा बक्शी, सौम्या सिंघानिया अपनी माता सहित, मूलचंद भैया, गौरव बजाज, पलक, पूनम चावड़ा, हार्दिक चावड़ा, कार्तिक, प्रीति अग्रवाल और अन्य अनेक सदस्य पूरे उत्साह के साथ उपस्थित रहे।
  माता रानी की पूजा-अर्चना हेतु समिति द्वारा दान भी अर्पित किया गया। इस अवसर पर ग्राम सरपंच का सहयोग भी सराहनीय रहा। कार्यक्रम के अंत में समिति ने सभी ग्रामवासियों के सहयोग और सहभागिता के लिए आभार प्रकट किया।
? “मां बंधन भी है और मुक्ति भी, मां साधन भी है और साध्य भी” – इसी भाव के साथ यह आयोजन नवरात्रि में श्रद्धा, सेवा और समर्पण का प्रेरणादायी उदाहरण बन गया।

दुर्ग। शौर्यपथ।

वैशाली नगर में गरबा महोत्सव के नाम पर आस्था को शर्मसार करते हुए अश्लीलता का नंगा नाच हुआ और इस आयोजन में क्षेत्र के विधायक श्री रिकेश सेन भी मौजुद रहे। धार्मिक आयोजनों को राजनीति और पाखंड का साधन बनाने की यह सोच नई नहीं है, लेकिन समाज के सामने जब ऐसे दृश्य आते हैं, तो जनता का विश्वास टूट जाता है।

विधायक की मौन उपस्थिति या मौन स्वीकृति?

    गंगा जल जितनी पावन पार्टी और संस्कृति के स्वयंभू रक्षक जब अश्लील डांस का आनंद लेते दिखें, तो फिर जनता किससे उम्मीद रखे? यही वजह है कि सोशल मीडिया पर लोग विधायक से सवाल पूछ रहे हैं – क्या यह वही संस्कृति और आदर्श हैं, जिनका हवाला हर मंच से दिया जाता है? धार्मिक श्रद्धा और सुचिता का दावा करने वाले इस तरह आस्था के मंच को उपहास का केंद्र बना रहे हैं।

आस्था के मंच पर अश्लीलता – चिंतन का विषय

   यह कोई पहला मौका नहीं है जब असे आयोजनों पर सवाल उठे हैं, लेकिन एक जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में ऐसे दृश्य सामने आना, समाज के नैतिक मूल्यों को बट्टा लगाने जैसा है। जनता जानना चाहती है कि क्या राजनीति धार्मिक आयोजनों तक को शर्मसार करने की छूट देने लगी है? इस गंभीर मसले पर समाज को मुखर होना पड़ेगा और नेताओं को भी जवाब देना होगा कि आस्था के साथ खिलवाड़ कब तक चलता रहेगा। 

डॉ नीता मिश्रा, सहायक प्राध्यापक, शहीद गुण्डाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र, जगदलपुर

शौर्यपथ लेख।

भारत में रेबीज से होने वाली मौतें एक बार फिर राष्ट्रीय बहस का विषय बन गई हैं। हाल ही में दिल्ली और अन्य राज्यों में रेबीज के मामलों में वृ‌द्धि ने सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने पर मजबूर कर दिया। अदालत ने सख्त निर्देश जारी किए हैं, जिससे देश की आवारा कुत्तों की नीति पर सवाल उठने लगे हैं। रेबीज़ जैसी गंभीर बीमारी के प्रति आवश्यक जागरूकता कि कमी ही पशुओ एवं मनुष्यों में होने वाले मृत्यु दर का मुख्य कारण है जिसे स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सहभागिता से ही नियंत्रित किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिवर्ष जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से 28 सितम्बर को विश्व रेबीज़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस परिपेक्ष्य में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रिय रेबीज़ नियंत्रण कार्यक्रम, रेबीज़ उन्मूलन हेतु राष्ट्रिय कार्य योजना संचालित की जा रही है जिसके अंतर्गत "2030 तक जीरो रेबीज़" का लक्ष्य रखा गया है।

*रेबीज़ क्या है?*

रेबीज़ पशुओ से इंसानों में होने वाला एक जानलेवा घातक बिमारी है जो आमतौर पर किसी जानवर के काटने या खरोचने से फैलता है, उदाहरण के लिए, आवारा कुत्तों, बिल्लियों और चमगादड़ों के काटने से, जिसके एक बार लक्षण परिलक्षित होने के बाद पशुओ एवं इंसानों में भी कोई इलाज उपलब्ध नही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन कि एक रिपोर्ट अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 18000-20000 लोगो कि रेबीज़ के कारण मृत्यु होती है जिसमे छत्तीसगढ़ भी टॉप 10 राज्यों में से एक है। कुत्तो के काटने से होने वाली मृत्यु के ज्यादातर शिकार 15 वर्ष से कम आयु के बच्चे होते है।

*रेबीज़ कैसे होता है?*

यह बिमारी रेबीज़ वायरस (रेब्ड़ो वायरस) के संक्रमण के कारण होता है, इसीलिए इस बिमारी को रेबीज़ कहते है। यह वायरस संक्रमित रेबिड जानवरों की लार के ज़रिए फैलता है। संक्रमित जानवर किसी दूसरे जानवर या व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकते हैं। दुर्लभ मामलों में, रेबीज़ तब फैल सकता है जब संक्रमित लार किसी खुले घाव या श्लेष्म झिल्ली, जैसे कि मुंह या आंखों में चली जाती है। इसके अतिरिक्त संक्रमित पशुओ या संक्रमित मनुष्य के अथवा उनके शारीर से होने वाले विभिन्न स्त्राव के संपर्क में आने से भी रेबीज़ बिमारी होने की आशंका रहती है।

*रेबीज़ बिमारी के पशुओ में क्या लक्षण दिखाई देते है?*

पालतू पशुओ के शुरुवाती लक्षण बुखार, भूख न लगना, दर्द, व्यवहार में परिवर्तन, पशुओ का अत्यधिक आक्रामक (furious form) या अत्यधिक शांत हो जाना (dumb form), मुंह से अत्यधिक झाग निकलना, अनावश्यक भौंकना या चिल्लाना, जीभ लटकना, अतिउत्तेजित होकर सभी पर आक्रमण करना, अन्य पशुओ एवं मनुष्यों को काटना, मांस पेशियों में अकडन, पैरालिसिस एवं मृत्यु इत्यादि ।

*रेबीज़ बिमारी के इंसानों में क्या लक्षण दिखाई देते है?*

इंसानों में रेबीज़ के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं और इनमें कमज़ोरी, सिरदर्द और बुखार शामिल हो सकते हैं। रेबीज़ के गंभीर लक्षण अंतर्गत जी मचलाना, उल्टी आना, चक्कर आना, चिंता व भ्रम की स्थिति में रहना, अति उत्तेजित या अति शांत होकर अवसाद जैसे मानसिक स्थिति निर्मित होती है। परिपक्व अवस्था मनुष्य को धीरे धीरे पानी या भोजन घुटकने में परेशानी होने लगती है एवं पानी से भय होने लगता है, जिसे हाइड्रोफोबिया कहते है। मनुष्यों में यह एक बहुत महत्वपूर्ण लक्षण है क्योकि इन्सान पानी को देखकर डरने लगता है एवं पानी से दूर रहने की कोशिश करता है। बिमारी की अंतिम अवस्था में अत्यधिक लार स्त्राव होना, जीभ का लटकना, बोलने में असमर्थ होना, फोनोफोबिया, कुत्ते जैसी आवाज निकालना, हवा के झोखे से डरना, पुतली का फैल जाना, मांसपेशियों में ऐंठन, पैरालिसिस, सुध-बुध खोना, कोमा में जाना व पक्षाघात के साथ मनुष्य की मृत्यु हो जाती है।

*पागल कुत्ते या जंगली पशुओ के काटने पर क्या करना चाहये?*

सर्वप्रथम किसी भी अन्य पालतू या जंगली पशुओ द्वारा अपने पालतू पशु या मनुष्यों को काटे या खरोचने पर काटे गये जगह को साबुन एवं बहते पानी के प्रवाह से धोना चाहिए। तत्पश्चात उपलब्ध एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल कर 24 घंटे के भीतर क्रमशः नजदीकी पशुचिकित्सालय या जनचिकित्सालय जाकर चिकित्सकीय सलाह अनुसार एंटी रेबीज़ टीका सहित अन्य दवाइयों एवं औषधियों का सेवन करना चाहये। इसप्रकार आज भी रेबीज़ एक ऐसी घातक जानलेवा बिमारी है जिसका केवल टीकाकरण से ही बचाव संभव है।

*सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप*

समाचार पत्रों के अनुसार 2025 में दिल्ली में अब तक 49 रेबीज से मौतें दर्ज की गई हैं जिसमे वर्तमान समय में दिल्ली में रेबीज से एक बच्चे की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को आदेश दिया कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के सभी आवारा कुत्तों को आठ सप्ताह के भीतर पकड़कर शेल्टर में रखा जाए। हालांकि, इस आदेश पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने तीव्र विरोध जताया। अदालत ने 22 अगस्त को आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि केवल आक्रामक या रेबीज से ग्रस्त कुत्तों को ही शेल्टर में रखा जाए, बाकी को टीकाकरण और नसबंदी के बाद उनके क्षेत्र में वापस छोड़ा जाए।

*चिकित्सा विशेषज्ञों की राय*

विशेषज्ञों का कहना है कि रेबीज पूरी तरह से रोके जाने योग्य बीमारी है, लेकिन देर से इलाज शुरू होने, टीके की कमी, और जागरूकता की कमी के कारण मौतें होती हैं। गंभीर मामलों में केवल टीका पर्याप्त नहीं होता-रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन (RIG) की भी आवश्यकता होती है। इसप्रकार आज भी रेबीज़ एक ऐसी घातक जानलेवा बिमारी है जिसका केवल टीकाकरण से ही बचाव संभव है।

 अधिक जानकारी के लिए आप डॉ मिश्रा से 9131564254 पर या अपने नजदीकी जनस्वास्थ्य केंद्र या पशुचिकित्सा संस्था में सम्पर्क कर सकते है।

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