August 01, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के स्वादों से सजी रही पारंपरिक थाली
ठेठरी, खुरमी, पिड़िया, अनरसा, खाजा, करी लड्डू, मुठिया, गुलगुला भजिया, चीला-फरा, बरा और चौसेला में जीवंत की छत्तीसगढ़ी पाक शैली

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की धरती पर जब भी कोई त्योहार आता है, तो वह केवल धार्मिक या सांस्कृतिक उत्सव भर नहीं होता, बल्कि वह जीवनशैली, परंपरा, स्वाद और सामाजिक सौहार्द का पर्व बन जाता है। इसी श्रृंखला में प्रदेश के प्रमुख कृषि पर्व हरेली तिहार के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निवास में पारंपरिक स्वादिष्ट छत्तीसगढ़ी व्यंजनों ने सभी अतिथियों का मन मोह लिया। प्रदेश की अतुलनीय पाक परंपरा को जीवंत करते हुए यहां आगंतुकों के स्वागत के लिए विशेष रूप से ठेठरी, खुरमी, पिड़िया, अनरसा, खाजा, करी लड्डू, मुठिया, गुलगुला भजिया, चीला-फरा, बरा और चौसेला जैसे दर्जनों पारंपरिक व्यंजनों की व्यवस्था की गई थी।
  बांस की सूप, पिटारी और दोना-पत्तल में परोसे गए इन व्यंजनों ने न केवल स्वाद, बल्कि प्रस्तुतीकरण में भी लोकजीवन की आत्मा को उजागर किया। अतिथियों ने गर्मागर्म पकवानों का स्वाद लेते हुए राज्य की पारंपरिक पाककला की मुक्तकंठ से सराहना की। मुख्यमंत्री श्री साय ने स्वयं भी इन व्यंजनों का स्वाद चखा और कहा की  हरेली तिहार केवल खेती-किसानी का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारी लोकसंस्कृति, हमारी परंपरा और आत्मीयता की अभिव्यक्ति है। इन पारंपरिक व्यंजनों में हमारी माताओं-बहनों की मेहनत, सादगी और स्वाद की समृद्ध परंपरा छिपी है, जो हमारी असली पहचान है। यह आयोजन न केवल हरेली पर्व की महत्ता को दर्शाता है, बल्कि यह प्रमाणित करता है कि छत्तीसगढ़ की आत्मा उसकी मिट्टी, उसके स्वाद और उसकी परंपराओं में रची-बसी है।
  इस अवसर पर परिसर का हर कोना छत्तीसगढ़ी संस्कृति की सौंधी खुशबू से सराबोर था। कहीं ढोल-मंजीरों की थाप पर लोक नृत्य होते दिखे तो कहीं व्यंजनों की खुशबू लोगों को अपनी ओर खींचती रही। परंपरागत वेशभूषा में सजे ग्रामीण कलाकारों और सांस्कृतिक प्रस्तुति ने पूरे माहौल को जीवंत और आत्मीय बना दिया। कार्यक्रम में शामिल हुए वरिष्ठ अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, कलाकारों और आमजनों ने इस आयोजन को एक स्मरणीय सांस्कृतिक अनुभव बताया।

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ी लोकजीवन की खुशबू लिए हरेली तिहार का पारंपरिक उत्सव आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निवास में विधिवत रूप से आरंभ हुआ। छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ प्रत्येक अवसर और कार्य के लिए विशेष प्रकार के पारंपरिक उपकरणों एवं वस्तुओं का उपयोग होता आया है। हरेली पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में ऐसे ही पारंपरिक कृषि यंत्रों एवं परिधानों की झलक देखने को मिली, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की अमूल्य धरोहर हैं।


काठा
   सबसे बाईं ओर दो गोलनुमा लकड़ी की संरचनाएँ रखी गई थीं, जिन्हें ‘काठा’ कहा जाता है। पुराने समय में जब गाँवों में धान तौलने के लिए काँटा-बाँट प्रचलन में नहीं था, तब काठा से ही धान मापा जाता था। सामान्यतः एक काठा में लगभग चार किलो धान आता है। काठा से ही धान नाप कर मजदूरी के रूप में भुगतान किया जाता था।
खुमरी
  सिर को धूप और वर्षा से बचाने हेतु बांस की पतली खपच्चियों से बनी, गुलाबी रंग में रंगी और कौड़ियों से सजी एक घेरेदार संरचना ‘खुमरी’ कहलाती है। यह प्रायः गाय चराने वाले चरवाहों द्वारा सिर पर धारण की जाती है। पूर्वकाल में चरवाहे अपने साथ ‘कमरा’ (रेनकोट) और खुमरी लेकर पशु चराने निकलते थे। ‘कमरा’ जूट के रेशे से बना एक मोटा ब्लैंकेट जैसा वस्त्र होता था, जो वर्षा से बचाव के लिए प्रयुक्त होता था।
कांसी की डोरी
  यह डोरी ‘कांसी’ नामक पौधे के तने से बनाई जाती है। पहले इसे चारपाई या खटिया बुनने के लिए ‘निवार’ के रूप में प्रयोग किया जाता था। डोरी बनाने की प्रक्रिया को ‘डोरी आंटना’ कहा जाता है। वर्षा ऋतु के प्रारंभ में खेतों की मेड़ों पर कांसी पौधे उग आते हैं, जिनके तनों को काटकर डोरी बनाई जाती है। यह डोरी वर्षों तक चलने वाली मजबूत बुनाई के लिए उपयोगी होती है।
झांपी
  ढक्कन युक्त, लकड़ी की गोलनुमा बड़ी संरचना ‘झांपी’ कहलाती है। यह प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ में बैग या पेटी के विकल्प के रूप में प्रयुक्त होती थी। विशेष रूप से विवाह समारोहों में बारात के दौरान दूल्हे के वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, पकवान आदि रखने के लिए इसका उपयोग किया जाता था। यह बांस की लकड़ी से निर्मित एक मजबूत संरचना होती है, जो कई वर्षों तक सुरक्षित बनी रहती है।
कलारी
  बांस के डंडे के छोर पर लोहे का नुकीला हुक लगाकर ‘कलारी’ तैयार की जाती है। इसका उपयोग धान मिंजाई के समय धान को उलटने-पलटने के लिए किया जाता है।

   रायपुर / शौर्यपथ /  मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देशों पर राज्य सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में निरंतर सुधार और शिक्षक समुदाय के हित में त्वरित निर्णय लिए जा रहे हैं। इसी क्रम में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आज दिनांक 23 जुलाई 2025 को विभिन्न विषयों के 1227 व्याख्याता (टी संवर्ग) शिक्षकों को पदोन्नति आदेश जारी किए गए हैं। इन व्याख्याताओं की पदस्थापना काउंसिलिंग के माध्यम से की जाएगी। इन विषयों में हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित, भौतिक, रसायन, जीवविज्ञान, राजनीति शास्त्र, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र और वाणिज्य जैसे मुख्य विषय शामिल हैं। यह निर्णय सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसके अंतर्गत राज्य के शिक्षकों को उनके कार्य, वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर समय पर पदोन्नति और अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है।
   उल्लेखनीय है कि विगत एक वर्ष में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जिला एवं संभाग स्तर पर लगभग 7000 पदों पर पदोन्नति की कार्यवाही संपन्न की गई है। इसके साथ ही, 2621 सहायक शिक्षक (विज्ञान प्रयोगशाला) की सीधी भर्ती काउंसिलिंग के माध्यम से की गई, जिससे स्कूलों में प्रयोगात्मक शिक्षा को और अधिक सुदृढ़ किया जा सके।
इससे पूर्व दिनांक 30 अप्रैल 2025 को लगभग 2900 प्राचार्यों के पदोन्नति आदेश भी जारी किए जा चुके हैं। आने वाले दिनों में पदोन्नत टी संवर्ग के प्राचार्यों की पदस्थापना भी काउंसिलिंग के माध्यम से की जाएगी, जिससे पारदर्शिता और स्थान-आवश्यकता के आधार पर समुचित व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।
   ई संवर्ग के प्राचार्यों का प्रकरण माननीय न्यायालय में लंबित है।  माननीय न्यायालय के निर्णयानुसार समयबद्ध रूप से आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।

 रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ के परंपरागत लोकपर्व हरेली के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं। उन्होंने कहा कि हरेली छत्तीसगढ़ की मिट्टी से जुड़ा ऐसा पर्व है, जो हमारी कृषि संस्कृति, लोक परंपरा और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है।
  मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेली पर्व खेती-किसानी से जुड़ा पहला त्योहार है, जिसमें किसान अपने कृषि उपकरणों की पूजा कर धरती माता के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। यह पर्व न केवल अच्छी फसल की कामना का अवसर है, बल्कि प्रकृति के साथ सामंजस्य की भावना को भी प्रकट करता है।
  श्री साय ने प्रदेशवासियों से आग्रह किया कि इस वर्ष हरेली पर्व को हम और भी सार्थक बनाएं — धरती माता की पूजा के साथ वृक्षारोपण करें, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा भविष्य सुनिश्चित हो सके। यह पर्व केवल परंपरा नहीं, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भी प्रतीक बने।
  मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि हरेली पर्व प्रदेशवासियों के जीवन में खुशियाँ, समृद्धि और हरियाली लेकर आए। उन्होंने सभी नागरिकों से इस लोकपर्व को आपसी सौहार्द, प्रकृति प्रेम और परंपरा के सम्मान के साथ मनाने का आह्वान किया।

   बिर्रा / शौर्यपथ / बम्हनीडीह तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सेमरिया की कोटवार भूमि को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। एक शासकीय शिक्षक द्वारा ग्राम की कोटवारी सरकारी भूमि को अवैध रूप से खरीदने का गंभीर आरोप पंचायत ने लगाया है। मामले की शिकायत पर कलेक्टर कार्यालय ने तत्काल जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं।
  ग्राम पंचायत सेमरिया की सरपंच ईश्वरी बाई कश्यप द्वारा प्रस्तुत आवेदन में कहा गया है कि ग्राम खसरा नंबर 1761 की कोटवारी भूमि, जो कि वर्षों से कोटवार उपयोग के लिए आरक्षित रही है, उसे गांव के कृष्ण कुमार कश्यप ने खरीदकर निजी मकान निर्माण शुरू कर दिया है। जबकि यह भूमि राजस्व रिकार्ड में सरकार की संपत्ति मानी जाती है, न कि किसी निजी व्यक्ति की।ज्ञात हो कि कृष्ण कुमार कश्यप पेशे से एक शासकीय शिक्षक है।
कलेक्टर कार्यालय ने लिया संज्ञान, जांच आदेश 3 दिनों में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश
  जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीर मानते हुए तहसीलदार बम्हनीडीह को तत्काल मौका निरीक्षण कर तथ्यों की पुष्टि करने को कहा है। आदेश में यह भी उल्लेख है कि कोटवारी भूमि को न तो बेचा जा सकता है और न ही खरीदा जा सकता है, यह सार्वजनिक उपयोग की संपत्ति है।


शिक्षक की भूमिका सवालों के घेरे में
  कृष्ण कुमार कश्यप जो पेशे से एक शिक्षक है और शासकीय शिक्षक द्वारा इस तरह की सरकारी संपत्ति को खरीदना न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि शासकीय पद का दुरुपयोग भी माना जा रहा है। इस कृत्य को लेकर क्षेत्र में नाराजगी है, लोग पूछ रहे हैं – "क्या अब शिक्षक भी सरकारी कोटवारी भूमि जैसे जमीनों के सौदागर बन गए हैं?"
पंचायत की मांग – भूमि पर निर्माण कार्य तुरंत रोका जाए
  सरपंच कश्यप ने प्रशासन से यह भी मांग की है कि जब तक जांच पूरी न हो जाए, तब तक निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए और यदि जांच में अवैध क्रय-विक्रय प्रमाणित होता है, तो संबंधित शिक्षक पर कड़ी कानूनी व विभागीय कार्रवाई की जाए।
यह सिर्फ जमीन नहीं – ये पंचायत की प्रतिष्ठा और व्यवस्था का सवाल है
  यह मामला केवल एक ज़मीन का नहीं, बल्कि ग्रामीण व्यवस्था, कानून और पंचायत स्वायत्तता से जुड़ा है। यदि एक शिक्षक, जो समाज का मार्गदर्शक माना जाता है, इस तरह नियम तोड़ता है, तो यह पूरे तंत्र पर सवाल खड़े करता है।

रायपुर / शौर्यपथ /
  भारतीय कृषि में जैविक और अजैविक तनाव प्रबंधन तथा नीतियों पर दो दिवसीय विचार-मंथन सत्र का आयोजन 21 और 22 जुलाई को आईसीएआर–राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान (एनआईबीएसएम), रायपुर में हुआ। यह कार्यक्रम आईसीएआर–राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान (एनआईएएसएम), बारामती और भारतीय कृषि अर्थशास्त्र सोसायटी (आईएसएई), मुंबई के सहयोग से तथा नाबार्ड, रायपुर के आंशिक समर्थन से आयोजित किया गया।
   सत्र में देशभर के करीब 70 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें प्रमुख वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री और नीति निर्माता शामिल थे। उन्होंने कृषि में जैविक (कीट, रोग, आक्रामक प्रजातियां) और अजैविक (सूखा, लवणता, बाढ़, ताप) तनावों के प्रबंधन के विज्ञान आधारित दृष्टिकोण पर चर्चा की। इस अवसर पर भविष्य की नीतियों और कार्यक्रमों के लिए एक नीति पत्र तैयार करने पर सहमति बनी।
  उद्घाटन सत्र में डॉ. एच.सी. शर्मा, पूर्व कुलपति, एचपीकेवी, पालमपुर; डॉ. पी.के. चक्रवर्ती, पूर्व एडीजी (पीपी एंड बी), सदस्य, एएसआरबी; डॉ. पी.के. राय, निदेशक, एनआईबीएसएम; डॉ. के. सम्मी रेड्डी, निदेशक, एनआईएएसएम; डॉ. डी.के. मारोठिया, अध्यक्ष, आईएसएई; श्री ज्ञानेंद्र मणि, सीजीएम, नाबार्ड और डॉ. ए. अमरेंद्र रेड्डी, संयुक्त निदेशक, एनआईबीएसएम ने विचार व्यक्त किए।
इस दौरान तनाव प्रबंधन पर आधारित दो प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।
  तकनीकी सत्रों में जैविक तनाव प्रबंधन में वैज्ञानिक और नियामक नवाचार पर डॉ. एच.सी. शर्मा, जैविक तनाव के लिए नीति और संस्थागत रणनीतियों पर डॉ. पी.के. चक्रवर्ती, अजैविक तनाव के लिए तकनीकी हस्तक्षेप पर डॉ. अंजनी कुमार (आईएफपीआरआई) और अजैविक तनाव लचीलापन बढ़ाने की रूपरेखाओं पर डॉ. के.एल. गुर्जर (डीपीपीक्यूएस) ने प्रस्तुतियां दीं।
 चर्चाओं से तैयार नीति पत्र भविष्य में शोध, निवेश और राष्ट्रीय कार्यक्रमों को दिशा देगा। कार्यक्रम का समापन डॉ. के. श्रीनिवास द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी प्रतिभागियों और सहयोगी संस्थाओं का आभार व्यक्त किया।

बच्चों के समुचित विकास के लिए महिला एवं बाल विकास तथा स्वास्थ्य विभाग समन्वय के साथ करें कार्य
अगली कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में महिलाओं और बच्चों के लिए संचालित योजनाओं की होगी गहन समीक्षा
बच्चों से जुड़ी योजनाओं का हो शत-प्रतिशत गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन
महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं की जिला स्तर पर नियमित समीक्षा करें कलेक्टर
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि नौनिहालों के पोषण और उनको सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य प्रदान करने के लिए राज्य सरकार पूर्णतः प्रतिबद्ध है। बच्चों के समुचित विकास हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग को आपसी समन्वय के साथ मिलकर कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री साय ने आज  मंत्रालय महानदी भवन में महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं की प्रगति एवं क्रियान्वयन की उच्च स्तरीय समीक्षा की और अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों पर केंद्रित योजनाओं की जिलेवार नियमित मॉनिटरिंग सचिव स्तर से की जाए तथा आगामी कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में इसकी गहन समीक्षा की जाएगी।
मुख्यमंत्री साय ने बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की आधारभूत संरचना, बजट और संचालित योजनाओं की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि विभाग बच्चों, किशोरियों और महिलाओं के पोषण एवं सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने यह भी कहा कि छोटे बच्चों की देखभाल और पोषण जितनी संवेदनशीलता और कुशलता से की जाएगी, उनका शारीरिक और मानसिक विकास उतना ही प्रभावी और सुदृढ़ होगा।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बच्चे हमारे देश के भविष्य की नींव हैं और इस नींव को मजबूत करने के लिए सभी की सहभागिता आवश्यक है। उन्होंने विभागीय अमले को जमीनी स्तर पर सक्रियता और स्वप्रेरणा के साथ कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर बल दिया कि राज्य के प्रत्येक बच्चे को पूरक पोषण आहार और विभागीय योजनाओं का समुचित लाभ प्राप्त हो।
उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित किए जाने वाले पोषण आहार, गर्म भोजन, उसकी मात्रा, गुणवत्ता और कैलोरी मानकों सहित विभिन्न बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की और वितरण की प्रक्रिया की निरंतर निगरानी की आवश्यकता बताई।
मुख्यमंत्री  साय ने पीएम जनमन योजना अंतर्गत संचालित 197 आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन की जानकारी ली तथा विशेष पिछड़ी जनजाति (PVTG) समुदाय के बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री साय ने बच्चों के पोषण से संबंधित महत्वपूर्ण सूचकांकों की समीक्षा करते हुए अपेक्षित सुधार लाने हेतु ठोस प्रयास करने की बात कही। उन्होंने कहा कि सूचकांकों के माध्यम से वास्तविक स्थिति का आंकलन संभव होता है, और जहां भी कमी दिखाई दे, वहां त्वरित सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में बेहतर प्रदर्शन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए  निर्देश दिए कि यह प्रगति इसी प्रकार सतत बनी रहे। उन्होंने कहा कि बच्चों के मानसिक विकास पर छोटी-छोटी बातों और व्यवहार का गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संवेदनशीलता के साथ बच्चों से भावनात्मक जुड़ाव बनाएं।
मुख्यमंत्री साय ने विभागीय अमले के नियमित प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा, ताकि वे तकनीकी रूप से दक्ष और अनुसंधानपरक दृष्टिकोण के साथ परिणामोन्मुखी कार्य कर सकें।
बैठक में बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, सखी वन स्टॉप सेंटर, शक्ति सदन, महिला एवं चाइल्ड हेल्पलाइन, महिला कोष, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मिशन वात्सल्य तथा अन्य योजनाओं की भी समीक्षा की गई।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री पी. दयानंद, श्री राहुल भगत, महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव श्रीमती शम्मी आबिदी, संचालक श्री पी. एस. एल्मा सहित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

- कलेक्टर ने राजस्व प्रकरणों को समय-सीमा के भीतर निराकरण करने के निर्देश दिए
- किसान निकटतम कॉमन सर्विस सेंटर या लोक सेवा केन्द्रों में जाकर कराए अपना एग्रो स्टेट में रजिस्ट्रेशन
- कलेक्टर ने राजस्व अधिकारियों की बैठक लेकर राजस्व संबंधी कार्यों की गहन समीक्षा की
राजनांदगांव /शौर्यपथ /कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में राजस्व अधिकारियों की बैठक लेकर राजस्व संबंधी कार्यों की गहन समीक्षा की। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने कहा कि राजस्व से जुड़े प्रकरणों के लिए जनसामान्य को परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने राजस्व प्रकरणों को समय-सीमा के भीतर निराकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने पटवारियों को जनसामान्य के साथ अच्छा व्यवहार रखने के निर्देश दिए। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने एग्रो स्टेट में किसानों का रजिस्ट्रेशन प्राथमिकता के साथ कराने के निर्देश दिए। उन्होंने धान उपार्जन केन्द्रों में जिन किसानों ने पिछले वर्ष धान का विक्रय किया है उनका प्राथमिकता के साथ अनिवार्य रूप से एग्रो स्टेट में रजिस्ट्रेशन कराने कहा। उन्होंने तहसीलदारों को किसानों का निकटतम कॉमन सर्विस सेंटर या लोक सेवा केन्द्रों में जाकर अपना एग्रो स्टेट में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए जागरूकता लाने कहा। उन्होंने स्वामित्व योजना अंतर्गत अधिकार अभिलेख वितरण की कार्रवाई 1 अगस्त तक पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने चिन्हांकित तहसीलों के वन भूमि का राजस्व एवं वन विभाग द्वारा संयुक्त सर्वे कर 15 दिवस में रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा। वृक्षारोपण के लिए स्थल का चिन्हांकन करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। नक्शा बटांकन के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। किसानों का आधार सीडिंग और मोबाईल नंबर सीडिंग के कार्य को प्राथमिकता के साथ कराने कहा।
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने आरबीसी 6-4 के प्रकरणों को प्राथमिकता के साथ तत्काल भेजने के निर्देश दिए। जिससे संबंधित व्यक्ति को समय पर सहायता राशि मिल सके। उन्होंने जिले में संचालित बंद खदानों में दुर्घटना की आशंका को देखते हुए आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही खुले बोर, कुओं का चिन्हांकन सुरक्षा व्यवस्था करने कहा। आदिवासी जमीन की खरीदी-बिक्री प्रकरण के संबंध में प्रतिवेदन पर विशेष ध्यान देने कहा। इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश अधिकारियों को दिए। जिले में चल रहे अवैध प्लाटिंग पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने डिजिटल क्राप सर्वे खरीफ के लिए फिल्ड सर्वेयरों को प्रशिक्षण देने कहा। उन्होंने अविवादित नामांतरण, विवादित खाता विभाजन एवं सीमांकन के कार्यों को समय-सीमा में करने के निर्देश दिए। जियोरिफरेसिंग नक्शा का स्थल भौतिक सत्यापन, नजूल जांच, गलत प्रविष्टि का सुधार कार्य, लोक सेवा केन्द्र में लंबित प्रकरण सहित राजस्व के विभिन्न प्रकरणों की समीक्षा की। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री सीएल मारकण्डेय, अपर कलेक्टर श्री प्रेम प्रकाश शर्मा, संयुक्त कलेक्टर श्रीमती शीतल बंसल, एसडीएम राजनांदगांव श्री खेमलाल वर्मा, संयुक्त कलेक्टर श्रीमती सरस्वती बंजारे, संयुक्त कलेक्टर सुश्री हितेश्वरी बाघे सहित अन्य राजस्व अधिकारी उपस्थित थे।

रायपुर/शौर्यपथ /‘सशक्त मां - स्वस्थ भारत’ के सपने को साकार करने में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना अहम भूमिका निभा रही हैं। इसके माध्यम से मातृत्व और बाल कल्याण योजनाएं संचालित हैं, जिससे ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को बड़ा सहारा मिला है।
योजना के तहत् पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं को दो किस्तों में सहायता राशि दी जाती है। पहली किस्त में 3000 रूपए दिए जाते हैं और दूसरी किस्त में 2000 रूपए की राशि प्रसव के बाद टीकाकरण की पुष्टि होने पर दी जाती है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत अब तक 20 हजार से अधिक महिलाओं को 10 करोड़ 17 लाख 85 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जा चुकी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक तीनों वर्षों में कुल 20357 हितग्राहियों को सीधे डीबीटी के जरिए सहायता राशि दी गई है। इनमें बैकलॉग सहित 3282 महिलाओं को भी लाभ दिया गया है।
महासमुंद की इमली भाठा में रहने वाले गायत्री देवांगन ऐसी ही एक महिला हैं। उनके पति एक वेल्डर हैं। धर में सीमित आय होने पर जब उन्हें इस योजना के तहत 5000 रूपए की राशि मिली, तो उन्होंने इस राशि का उपयोग अपने अच्छे स्वास्थ्य और पोषण पर किया। इसका फायदा उन्हें नन्हे बच्चे के पोषण में मिला। इसके साथ ही उन्हें राज्य सरकार की कौशल्या मातृत्व सहायता योजना के अंतर्गत दूसरी बार गर्भवती होने पर 6000 रूपए की अतिरिक्त सहायता प्राप्त हुई। गायत्री ने आंगनबाड़ी केंद्र से जुड़कर अन्य महिलाओं को भी योजनाओं से लाभ लेने के लिए जागरूक किया।

रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित मिशन वात्सल्य (एकीकृत बाल संरक्षण योजना) के अंतर्गत स्पॉन्सरशिप योजना जरूरतमंद बच्चों के जीवन में उम्मीद की नई किरण बनकर उभरी है। विशेष रूप से उन बच्चों के लिए, जो माता-पिता के संरक्षण से वंचित हैं या जिनकी देखरेख और शिक्षा में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, यह योजना आर्थिक सहारा बन रही है।
कोरबा जिले में जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण समिति और महिला एवं बाल विकास विभाग के समन्वय से अब तक 122 बच्चों को इस योजना के तहत शामिल किया गया है। इन सभी बच्चों को प्रतिमाह 4000 रुपए की आर्थिक सहायता सीधे उनके अभिभावकों या संरक्षकों के खातों में डीबीटी के माध्यम से प्रदान की जा रही है। यह सहायता राशि बच्चों के पोषण, देखरेख, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मूलभूत जरूरतों की पूर्ति में सहयोग कर रही है।
जिला प्रशासन के नेतृत्व में इस योजना को प्रभावशाली रूप से लागू किया जा रहा है। कलेक्टर के मार्गदर्शन में और जिला कार्यक्रम अधिकारी तथा जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी की देखरेख में स्पॉन्सरशिप कमेटी की सक्रिय भूमिका से जरूरतमंद बच्चों को चिह्नित कर उन्हें योजना से जोड़ा गया है।
यह योजना किशोर न्याय अधिनियम और आदर्श नियमों के अनुरूप संचालित की जा रही है, जिसके अंतर्गत संस्थागत और गैर-संस्थागत सेवाएं प्रदान की जाती हैं। कोरबा जिले में गैर-संस्थागत सेवाओं के माध्यम से ऐसे बच्चों को उनके परिवार या संरक्षकों के साथ रहकर बेहतर जीवन की दिशा में अग्रसर करने का प्रयास किया जा रहा है।
कलेक्टर कोरबा ने अपील की है कि समाज के सभी नागरिक यदि अपने आसपास ऐसे बच्चों की जानकारी रखते हैं जिन्हें देखरेख, संरक्षण या शिक्षा की आवश्यकता है और जो माता-पिता से वंचित हैं, तो उन्हें बाल कल्याण समिति अथवा जिला बाल संरक्षण इकाई के समक्ष प्रस्तुत करें। राज्य सरकार का यह प्रयास यह सुनिश्चित कर रहा है कि कोई भी बच्चा सिर्फ माता-पिता की अनुपस्थिति के कारण अपने भविष्य से वंचित न रह जाए। स्पॉन्सरशिप योजना न केवल आर्थिक मदद है, बल्कि यह समाज के संवेदनशील दायित्व की पूर्ति की दिशा में एक सशक्त कदम भी है।

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