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✍️ सौरभ ताम्रकार, राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)
नवरात्रि के पावन दिनों में जहां देवी की आराधना और भक्ति का माहौल होना चाहिए, वहीं दूसरी ओर गरबा और डांडिया नाइट्स का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। अब ये उत्सव केवल सांस्कृतिक या धार्मिक आयोजन नहीं रहे, बल्कि बड़े पैमाने पर “कॉर्पोरेट इवेंट” और “बिजनेस मॉडल” बन चुके हैं।
प्रदेश के शहरों में इस बार गरबा-डांडिया महोत्सव का कारोबार करोड़ों तक पहुंचने की उम्मीद है। आयोजक कंपनियां और क्लब नवरात्रि के नाम पर विशाल बजट निकालकर स्पॉन्सरशिप, विज्ञापन और टिकट बुकिंग से मोटी कमाई कर रहे हैं।
पास/टिकट शुल्क: आम जनता से 500 से लेकर 5,000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं।
कॉर्पोरेट पैकेज और वीआईपी टेबल: कंपनियों और धनाढ्य वर्ग को खास ऑफर दिए जा रहे हैं।
ऑनलाइन बुकिंग: सोशल मीडिया और बुकिंग ऐप्स के जरिये युवा वर्ग को खासतौर पर आकर्षित किया जा रहा है।
पहले जहां मोहल्लों और मंदिर परिसरों में लोग मुफ्त या न्यूनतम सहयोग राशि पर गरबा खेला करते थे, वहीं अब ऊंचे-ऊंचे टिकट रेट ने गरीब और मध्यम वर्ग को दूर कर दिया है। मंच, डीजे, चमचमाती लाइटिंग और महंगे कलाकार बुलाने के खर्च की भरपाई जनता की जेब से की जा रही है। परिणामस्वरूप धार्मिक आस्था और परंपरा की जगह दिखावा और कारोबारी चमक-दमक हावी हो रही है।
सबसे बड़ा सवाल प्रशासन की भूमिका को लेकर है।
कई इवेंट आयोजकों ने अब तक न तो जीएसटी विभाग से अनुमति ली है और न ही पर्याप्त टैक्स जमा किया है।
अफसर शिकायत दर्ज होने का इंतजार कर रहे हैं, जबकि टिकटों की खुली बिक्री और करोड़ों का कारोबार उनकी आंखों के सामने हो रहा है।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ अधिकारियों ने यह जरूर स्वीकारा कि “विभाग अलर्ट मोड में है” और टैक्स की वसूली की जाएगी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
यह स्थिति अब समाज में चर्चा का बड़ा विषय बन गई है—
क्या नवरात्रि और गरबा महोत्सव का मकसद केवल पैसा कमाना रह गया है?
क्या देवी दर्शन और गरबा खेलने के लिए भी आम जनता को भारी रकम चुकानी पड़ेगी?
धर्म और संस्कृति के नाम पर हो रहे इस व्यापारिक खेल पर आखिर कौन नियंत्रण करेगा?
नवरात्रि उत्सव का मूल भाव “भक्ति, आस्था और संस्कृति” रहा है। लेकिन आज यह करोड़ों का व्यवसाय बनकर गरीब और सामान्य वर्ग से दूरी बना रहा है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन और समाज मिलकर इसे सही दिशा देंगे, ताकि नवरात्रि अपनी वास्तविक पहचान—भक्ति और सांस्कृतिक मेलजोल का पर्व—बना रह सके?
मुख्यमंत्री साय ने सरस्वती महाविद्यालय भवन का किया लोकार्पण: सरस्वती स्कूलों के 24 प्रतिभावान विद्यार्थियों को किया सम्मानित
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि विद्या भारती संस्था भारत की संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाने में विशिष्ट योगदान दे रही है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे राष्ट्र गौरव निर्माण में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँ।
मुख्यमंत्री साय आज बिलासपुर के कोनी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में नव-निर्मित सरस्वती महाविद्यालय भवन का लोकार्पण करने पहुँचे। इस अवसर पर विद्या भारती द्वारा आयोजित भव्य सम्मान समारोह में प्रदेश के 33 जिलों के सरस्वती स्कूलों से चयनित 24 मेधावी छात्र-छात्राओं को तथा विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों एवं महोत्सवों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने की। विशिष्ट अतिथियों के रूप में केंद्रीय राज्यमंत्री श्री तोखन साहू, उच्च शिक्षा मंत्री श्री टंक राम वर्मा तथा स्कूल शिक्षा मंत्री श्री गजेंद्र यादव उपस्थित रहे। इस अवसर पर बिल्हा विधायक श्री धरमलाल कौशिक और तखतपुर विधायक श्री धर्मजीत सिंह भी विशेष रूप से शामिल हुए।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय सहित सभी अतिथियों ने सरस्वती स्कूल परिसर, कोनी में नव-निर्मित महाविद्यालय भवन का विधिवत पूजा-अर्चना कर लोकार्पण किया। तत्पश्चात सरस्वती स्कूल परिसर स्थित लखीराम सभा भवन में आयोजित सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री ने शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि मेधावी छात्र-छात्राएँ अपनी मेहनत, अनुशासन और संस्कारों से प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे हैं। विद्यालय का यह नया भवन शिक्षा और ज्ञान के विस्तार का प्रतीक है, जो समाज को नई दिशा देगा।
उन्होंने कहा कि सरस्वती महाविद्यालय के द्वारा गुरु घासीदास विश्वविद्यालय तथा इसरो, बेंगलुरु के साथ एमओयू किए हैं, जिससे विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा, अनुसंधान और तकनीकी क्षेत्र में अधिक अवसर मिलेंगे। साथ ही पं. सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय का स्टडी सेंटर भी यहाँ प्रारंभ होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्थानीय भाषा में शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, हाइटेक लाइब्रेरी, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी सुविधाएँ विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे दृढ़ संकल्प और परिश्रम के साथ समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दें।
विशिष्ट अतिथि उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने कहा कि विद्या भारती शिक्षा के साथ संस्कार देने का कार्य कर रही है। उन्होंने संस्था द्वारा ज्ञान परंपरा और भारतीय संस्कृति को सहेजने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
विद्या भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री श्री देव नारायण ने संस्था के सिद्धांतों, विचारधारा और कार्य-प्रणाली की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरस्वती संस्थान द्वारा अब तक छत्तीसगढ़ में तीन महाविद्यालयों की स्थापना की गई है और सात प्रकल्प संचालित हैं। ग्राम भारती के अंतर्गत 1,100 से अधिक विद्यालय कार्यरत हैं। इन संस्थानों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुँचाया जा रहा है, जिससे योग्य और राष्ट्र के प्रति समर्पित विद्यार्थियों का निर्माण हो रहा है।
कार्यक्रम में नन्हे बच्चों ने आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देकर सभी का मन मोह लिया।
इस अवसर पर नगर निगम महापौर श्रीमती पूजा विधानी, क्रेडा अध्यक्ष श्री भूपेंद्र सवन्नी, सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष श्री राम भरोसा सोनी, सरस्वती ग्राम शिक्षा समिति के अध्यक्ष श्री रतन चंद्राकर, सरस्वती शिशु मंदिर कोनी के अध्यक्ष श्री मुनेश्वर कौशिक, सरस्वती ग्राम शिक्षा समिति के सचिव श्री संतोष तिवारी, श्री बृजेंद्र शुक्ला, श्री पुरनंदन कश्यप, श्री रामपाल, श्री सुजीत मित्रा, श्री सुदामा राम साहू, प्रांत प्रमुख श्रीमती दिव्या चंदेल, संचालकगण, प्राचार्य/आचार्यगण तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
प्रशासनिक कामकाज की गति बढ़ाने और पारदर्शिता के लिए आईटी एवं एआई आवश्यक
जिम्मेदार प्रशासन को मजबूत करने के लिए डिजिटल प्रोडक्टिविटी पर जोर
रायपुर / शौर्यपथ / नवा रायपुर स्थित ट्रिपल-आईटी में डिजिटल उत्पादकता संवर्धन एवं एआई एकीकरण विषय पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम राज्य सरकार की पहल पर मंत्रालय में पदस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों को आईटी एवं एआई की नवीनतम तकनीकों और अनुप्रयोगों का प्रशिक्षण देकर प्रशासनिक कार्यों की गति और दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव श्री अविनाश चंपावत, विशिष्ट अतिथि सुशासन एवं अभिसरण विभाग तथा मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत थे, जबकि अध्यक्षता ट्रिपल-आईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. ओपी व्यास ने की।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागी अधिकारियों-कर्मचारियों को जिम्मेदार प्रशासन को मजबूत करने के लिए डिजिटल उत्पादकता को बढ़ावा देने पर विस्तृत चर्चा की गई। पहले दिन प्रतिभागियों को MS Word, Google Docs, Excel और Google Sheets के उन्नत फीचर्स, साथ ही डेटा मॉडलिंग के प्रयोग का प्रशिक्षण दिया गया।
सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव श्री अविनाश चंपावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि कौशल उन्नयन एक सतत प्रक्रिया है, जिससे व्यक्तित्व और कार्यसंस्कृति दोनों निखरते हैं। उन्होंने एआई-आधारित प्रशिक्षण को कर्मचारियों की क्षमता वृद्धि में एक मील का पत्थर बताया और प्रतिभागियों से इसका पूरा लाभ उठाने का आग्रह किया।
सुशासन एवं अभिसरण विभाग के सचिव श्री राहुल भगत ने नागरिक-केंद्रित शासन में तकनीक की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकारी कार्यकुशलता बढ़ाने में एआई टूल्स अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने ई-ऑफिस प्रणाली का उदाहरण देते हुए कहा कि तकनीक का प्रभावी उपयोग शासन को अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार बना सकता है।
ट्रिपल-आईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. ओपी व्यास ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि एआई का स्मार्ट उपयोग करने के लिए हमें जागरूक और सतर्क रहना होगा। एआई के व्यवहारिक अनुप्रयोग से शुरुआत कर निरंतर सीखने की आदत हमें एआई से और अधिक फ्रेंडली बनाएगी। उन्होंने कहा कि डेटा की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है, इसलिए हमें संवेदनशील जानकारी एआई को नहीं देनी चाहिए ताकि सार्वजनिक डोमेन में इनका दुरुपयोग न हो सके।
प्रो. के. जी. श्रीनिवास ने भरोसा दिलाया कि यह प्रशिक्षण उच्च गुणवत्ता वाला और परिणामोन्मुखी होगा। इस प्रशिक्षण के प्रथम चरण में सामान्य प्रशासन, गृह एवं अन्य विभागों के 100 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुए। यह प्रशिक्षण 24 सितंबर से प्रारंभ होकर 25 अक्टूबर 2025 तक आयोजित किया जा रहा है।
"प्रशासनिक कार्यों की गति और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रोडक्टिविटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का समुचित उपयोग आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। शासन-प्रशासन को अधिक जवाबदेह और कुशल बनाने में एआई टूल्स और डिजिटल तकनीकें अभूतपूर्व सहायक सिद्ध होंगी। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिकारियों-कर्मचारियों की कार्यक्षमता में गुणात्मक सुधार लाएंगे और नागरिक-केंद्रित शासन को नई मजबूती प्रदान करेंगे।" - मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
इन्फ्रास्ट्रक्चर और संसाधनों की उपलब्धता के साथ समय पर न्याय उपलब्ध कराने राज्य सरकार कटिबद्ध : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
आमजनों का विश्वास प्राप्त करना न्यायपालिका का सर्वाेत्तम उद्देश्य : न्यायाधीश माहेश्वरी
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना का रजत जयंती समारोह’ का आयोजन महामहिम राज्यपाल श्री रमेन डेका के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने मुख्य अतिथि राज्यपाल श्री रमेन डेका एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू को पौधा एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत एवं अभिनंदन किया। उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव एवं श्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, विधि मंत्री श्री गजेन्द्र यादव, पूर्व राज्यपाल रमेश बैस भी इस अवसर पर मौजूद रहे। कार्यक्रम में रजत जयंती समारोह पर केंद्रित स्मारिका का विमोचन भी किया।
मुख्य अतिथि राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि इस गौरवशाली अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की रजत जयंती समारोह में आप सभी को संबोधित करना मेरे लिए अत्यंत सम्मान और गर्व का विषय है। 1 नवम्बर 2000 को जब छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई, तब शासन के साथ-साथ न्याय के क्षेत्र में भी एक नई शुरुआत हुई। इस राज्य के जन्म के साथ ही इस महान संस्था छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर की स्थापना हुई। तभी से यह न्यायालय संविधान का व्याख्याकार, नागरिक अधिकारों का संरक्षक और न्याय का प्रहरी बनकर खड़ा है। राज्यपाल श्री रमेन डेका ने लोक अदालत के अंतर्गत लंबित मामलों के हो रहे त्वरित निराकरण के लिए न्यायपालिका की सराहना की। उन्होंने न्यायपालिका में नैतिकता, सुदृढ़ीकरण और न्यायपालिका के लंबित मामलों को कम कर आम जनों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि न्याय केवल सामर्थ्यवान लोगों के लिए ही उपलब्ध नहीं हो बल्कि गांव गरीब एवं आमजनों के लिए भी सर्व सुलभ न्याय उपलब्ध हो तभी इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका की भूमिका सार्थक बनेगी।
राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि हम उन दूरदर्शी व्यक्तित्वों और संस्थापकों को कृतज्ञतापूर्वक नमन करते हैं, जिन्होंने इस न्यायालय की नींव रखी। प्रथम मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति डब्ल्यू.ए. शिशक और उनके उत्तराधिकारियों ने इस नवगठित न्यायालय को गरिमा, विश्वसनीयता और सशक्त न्यायिक परंपरा प्रदान की। इसी प्रकार अधिवक्ताओं, न्यायालय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की निष्ठा और परिश्रम ने इस संस्था को पच्चीस वर्षों तक सुदृढ़ बनाए रखा। इन वर्षों में न्यायालय ने संवैधानिक नैतिकता, नागरिक स्वतंत्रता, आदिवासी अधिकार, पर्यावरण संरक्षण, सुशासन और सामाजिक न्याय जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय दिए। इसने छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचानदृउसके जंगल, खनिज, संस्कृति और वंचित समुदायों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया। विकास और अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करते हुए इसने यह सुनिश्चित किया कि प्रगति कभी भी न्याय की कीमत पर न हो।
समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर कहा कि हमारा प्रदेश छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रहा है। यह शुभ अवसर हमारे हाईकोर्ट की रजत जयंती का भी है। यह वर्ष हमारी विधानसभा का रजत जयंती वर्ष भी है। इन सभी शुभ अवसरों पर मैं आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूँ।. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर की नगरी को एक नई पहचान दी है। इस शुभ अवसर पर हम भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री एवं हमारे राज्य के निर्माता श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिनकी दूरदर्षिता से छत्तीसगढ़ राज्य एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना संभव हो सकी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और संसाधनों की उपलब्धता के साथ ही हम किसी भी हालत में समय पर न्याय उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध हैं। इसी क्रम में हमने वर्ष 2023-24 की तुलना में विधि एवं विधायी विभाग के बजट में पिछले साल 25 प्रतिशत और इस वर्ष 29 प्रतिशत बढ़ोतरी की है। यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि इस पीठ के न्यायाधीश जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस श्री नवीन सिन्हा, जस्टिस श्री अशोक भूषण, जस्टिस श्री भूपेश गुप्ता और जस्टिस श्री प्रशांत कुमार मिश्रा जैसे न्यायाधीश देश की सर्वाेच्च अदालत तक पहुँचे। न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वर्चुअल कोर्ट और लाइव स्ट्रीमिंग जैसे डिजिटल नवाचारों को बढ़ावा दिया है। साथ ही डिजिटल रिकॉर्ड रूम, आधार आधारित सर्च और न्यायिक प्रशिक्षण के नए माड्यूल भी अपनाये जा रहे हैं। अपने 25 वर्षों की इस गौरवशाली यात्रा में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ऐसे उल्लेखनीय फैसले दिये हैं जो देश भर में नजीर के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की स्थापना के बाद छत्तीसगढ़ के युवाओं में लॉ प्रोफेशन की ओर भी रुझान बढ़ा है। इससे उन्हें करियर के नये अवसर मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री नेा कहा कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अंग्रेजों के समय की दंड संहिता को समाप्त कर भारतीय न्याय संहिता को लागू किया। अंग्रेजों के समय भारतीय दंड संहिता का जोर दंड पर था। भारतीय न्याय संहिता का जोर न्याय पर है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का प्रयास है कि लोगों को आधुनिक समय के अनुरूप आये नये तकनीकी बदलावों को भी शामिल किया गया है। इसमें फॉरेंसिक साइंस से जुड़ी पहलुओं का काफी महत्व है। लोगों को त्वरित और सुगम न्याय मिल सके, इसके लिए न्यायपालिका को मजबूत करने समय-समय पर जो अनुशंसाएँ की गईं, उनका बीते एक दशक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में प्रभावी क्रियान्वयन हुआ है।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश श्री जे.के. माहेश्वरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और यह धान्य पूर्णता की ओर ली जाती है। जहां धर्म है वहां विजय है। हमार सच्चा कर्म और विचार ही धर्म है। चेतना ही सहज धर्म से जोड़ती है। अगले 25 साल में हम न्यायपालिका को कहां रखना चाहते है इस पर विचार और योजना बनाने का समय है। आम आदमी कोर्ट के दरवाजे पर एक विश्वास के साथ आता है उस मूल भावना के साथ कार्य करें। उन्होंने न्याय व्यवस्था से जुड़े बेंच, बार और लॉयर को विजन के साथ आगे बढ़ने प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सभी समेकित विजन बनाएं ताकि न्यायपालिका अपने जनकल्याण के अंतिम उद्वेश्य तक पहुंच सके। न्यायाधीश श्री माहेश्वरी ने कहा कि भारत के संविधान में रूल ऑफ लॉ की भावना पूरी हो इसके लिए सभी कार्य करें और अंतिम पायदान तक खड़े व्यक्ति तक न्याय पहंुचे इस सोच के साथ आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि आमजनों का विश्वास प्राप्त करना न्यायपालिका का सर्वाेत्तम उद्देश्य है। हाईकोर्ट की स्थापना के साक्षी रहे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश श्री प्रशांत कुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजत जयंती कार्यक्रम के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी और न्यायालय से जुड़े अपने संस्मरण साझा किया।
रजत जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने कहा कि आज केवल न्यायपालिका के 25 वर्षों की यात्रा का उत्सव नहीं है बल्कि न्यायपालिका की उस सुदृढ़ परंपरा का सम्मान है जिसने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा में अपना निरंतर योगदान दिया है। पिछले 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने न्याय की पहुंच को आम जनता तक सरल बनाने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और तकनीकी को क्रांति की तरह अपनाने में अभूतपूर्व कार्य किए हैं।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा ने स्वागत भाषण दिया। न्यायालय की स्थापना के रजत जयंती अवसर पर सभी अतिथियों और उपस्थित जनों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का रजत जयंती कार्यक्रम निश्चित रूप से हम सभी के लिए गौरवशाली क्षण है। पिछले 25 वर्षों में न्यायालय ने विधि के शासन को स्थापित करने बेहतर कार्य किया है। उन्होंने न्यायालय की स्थापना से लेकर अब तक उपलब्धि एवं कामकाज में आए सकरात्मक बदलाव से सभा को अवगत कराया।
समारोह के अंत में न्यायाधीश श्री संजय के अग्रवाल ने आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव, श्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी, विधि विधायी मंत्री श्री गजेन्द्र यादव, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री एम.एम. श्रीवास्तव, तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सैम कोसी, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री यतीन्द्र सिंह, पूर्व राज्यपाल श्री रमेश बैस, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, डीजीपी श्री अरूणदेव गौतम, महाधिवक्ता श्री प्रफुल्ल भारत, विधायक श्री धरमलाल कौशिक, श्री अमर अग्रवाल, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष श्री चंदेल सहित अन्य न्यायाधीश, अधिवक्ता, जन प्रतिनिधिगण तथा न्यायिक सेवा से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / राजधानी रायपुर के सिलतरा स्थित फैक्ट्री में आज हुए दर्दनाक हादसे में 6 श्रमिकों की मृत्यु हो गई तथा कई श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए। दुर्घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन की टीम राहत और बचाव कार्य में जुट गई है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने जिला प्रशासन को घायलों के इलाज की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस दुर्घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक घटना है। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को संबल प्रदान करने की प्रार्थना की।
स्वर्ण पदक विजेताओं को 3 करोड़, रजत को 2 करोड़ और कांस्य को 1 करोड़ देने की भी घोषणा
रायपुर / शौर्यपथ /
राजधानी रायपुर स्थित सर्किट हाउस सभागार में आज छत्तीसगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन की वार्षिक आम सभा बैठक आयोजित हुई। इस अवसर पर एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने खिलाड़ियों के लिए ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले छत्तीसगढ़ के प्रत्येक खिलाड़ी को राज्य सरकार की ओर से 21 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है और सरकार उन्हें पहचान देने तथा निखारने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि लंबे समय से बंद पड़े खेल अलंकरण समारोह को पुनः प्रारंभ किया गया है तथा शीघ्र ही उत्कृष्ट खिलाड़ी सम्मान समारोह भी शुरू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि
ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता को 3 करोड़ रुपये,
रजत पदक विजेता को 2 करोड़ रुपये,
तथा कांस्य पदक विजेता को 1 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय निश्चित रूप से खिलाड़ियों के मनोबल और उत्साह में अभूतपूर्व वृद्धि करेगा।
श्री साय ने बताया कि प्रदेश में खेलो इंडिया के नए परिसरों की शुरुआत की गई है। कुछ माह पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री श्री मनसुख मांडविया के छत्तीसगढ़ आगमन के दौरान खेल अधोसंरचना के विस्तार पर विस्तृत चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर प्रयास हो रहे हैं कि वर्ष 2036 में, जब भारत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ओलंपिक की मेजबानी करेगा, तब छत्तीसगढ़ भी राष्ट्रीय स्तर पर खेलों के लिए अग्रणी राज्य बने।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री एवं संघ के उपाध्यक्ष श्री केदार कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री साय के नेतृत्व में बस्तर ओलंपिक जैसी अनोखी खेल प्रतियोगिताओं की शुरुआत हुई है, जिससे सुदूर वनांचल की खेल प्रतिभाओं को एक बड़ा मंच प्राप्त हुआ है।
आम सभा में वर्ष 2024-25 की ऑडिट रिपोर्ट का अनुमोदन, 2025-26 का बजट प्रस्तुतिकरण और अनुमोदन, साथ ही ऑडिटर की नियुक्ति जैसे विषयों पर चर्चा और निर्णय लिए गए।
महासचिव श्री विक्रम सिसोदिया ने सचिवीय प्रतिवेदन का वाचन किया।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष श्री हिमांशु द्विवेदी, श्री गजराज पगारिया, कोषाध्यक्ष श्री संजय मिश्रा सहित बड़ी संख्या में संघ पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे।
वैश्विक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिया निमंत्रण
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के प्रतिनिधि मण्डल ने सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर रायपुर की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने मुख्यमंत्री श्री साय को आगामी 10 से 13 अक्टूबर तक माउण्ट आबू में आयोजित होने वाले वैश्विक शिखर महासम्मेलन में सम्मिलित होने हेतु आमंत्रित किया।
मुख्यमंत्री साय ने प्रतिनिधि मण्डल को इस आयोजन के लिए शुभकामनाएँ दीं तथा आमंत्रण के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा शांति, आध्यात्मिकता और मानवता के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्य अनुकरणीय हैं।
भेंट के दौरान सविता दीदी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगामी रायपुर प्रवास के दौरान नवा रायपुर, सेक्टर-20 स्थित शान्ति शिखर के नये भवन "एकेडमी फार ए पीसफुल वर्ल्ड- शान्ति शिखर" के लोकार्पण कार्यक्रम की जानकारी भी मुख्यमंत्री को दी।
प्रतिनिधि मण्डल में ब्रह्माकुमारी सविता दीदी के साथ बीके रश्मि दीदी, बीके महेश डोडवानी और बीके हीरेन्द्र नायक भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया “मेक-इन-सिलिकॉन” पोस्टर और वेबसाइट का शुभारंभ
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में “मेक-इन-सिलिकॉन: राष्ट्रीय सिंपोजियम ऑन एनेबलिंग इंडिजिनस सेमीकंडक्टर इन्फ्रास्ट्रक्चर” के पोस्टर और आधिकारिक वेबसाइट का शुभारंभ किया। यह संगोष्ठी भारत में सेमीकंडक्टर मिशन को नई दिशा देने और देश में स्वदेशी तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने की पहल है।
ट्रिपल आईटी-नया रायपुर के निदेशक प्रो. ओमप्रकाश व्यास ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी 7–8 नवम्बर 2025 को ट्रिपल आईटी-नया रायपुर में आयोजित होगी। इसमें देशभर के विशेषज्ञ, उद्योग जगत के प्रतिनिधि, शिक्षाविद और नीति-निर्माता शामिल होंगे। संगोष्ठी का उद्देश्य भारत की घरेलू सेमीकंडक्टर व्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए ठोस रणनीति बनाना है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ पूरी प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर मिशन में योगदान देगा। उन्होंने कहा कि युवाओं, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों को मिलकर नवाचार करना होगा और नेतृत्व की भूमिका निभानी होगी। उनके अनुसार, स्वदेशी सेमीकंडक्टर अधोसंरचना ही भारत की डिजिटल और आर्थिक मजबूती की नींव है। यह आयोजन भारत सरकार के “सेमीकंडक्टर इंडिया मिशन” और छत्तीसगढ़ सरकार की तकनीकी आत्मनिर्भरता की सोच के अनुरूप है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे प्रयास युवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेंगे।
इस अवसर पर संयोजक डॉ. मनोज मजूमदार, डॉ. दीपिका गुप्ता और आयोजन समिति के सदस्य उपस्थित थे।
दुर्ग। शौर्यपथ।
राजनीति की ऊँचाइयाँ जब किसी नेता को मंत्री पद तक ले जाती हैं, तब अक्सर जीवन में प्रोटोकॉल और व्यस्तताओं का ऐसा जाल बुन जाता है कि पुराने मित्र और रिश्ते धीरे-धीरे पीछे छूट जाते हैं। परंतु यह भी एक सच्चाई है कि जो मित्र सच्चे होते हैं, वे किसी पद या ताज के मोह के कारण नहीं, बल्कि अपनत्व और आत्मीयता की डोर से जुड़े रहते हैं।
इसी सत्य को सहजता से परिभाषित करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव आज सुबह दुर्ग शहर में अपने पुराने मित्र मंडली के बीच सामान्य चाय-नाश्ते की चर्चा में शामिल हुए। गंजपारा स्थित एक होटल में बिना किसी औपचारिकता और प्रोटोकॉल के, मंत्री अपने साथियों के साथ पुराने दिनों की यादें ताजा करते नज़र आए।
जहां राजनीति और सरकारी दायित्वों का बोझ हर पल मंत्री के कंधों पर होता है, वहीं यह दृश्य शहरवासियों के लिए चर्चा का विषय बन गया कि इतना बड़ा पद पाने के बावजूद भी मंत्री यादव अपने आत्मीय रिश्तों को जीवित रखना नहीं भूले। यह इस बात का प्रतीक है कि पद भले ही अस्थायी हो, मगर मित्रता जीवन की अमूल्य धरोहर है जो हर परिस्थिति में साथ रहती है।
राजनीति और जिम्मेदारियों की कठोर राह में जब कोई नेता अपने पुराने दिनों की स्मृतियों और दोस्तों के संग बिताए पलों को सहेजकर आगे बढ़ता है, तब यह संदेश और गहरा हो जाता है कि –
? “मंत्री है तो क्या हुआ, इंसानियत और मित्रता ही असली पहचान है।”
दुर्ग। शौर्यपथ। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था सुधार की दिशा में उठाए जा रहे सख्त कदमों के बीच स्कूल शिक्षा मंत्री एवं दुर्ग विधायक गजेन्द्र यादव की कार्यप्रणाली का बड़ा असर सामने आया है। राज्य सरकार ने स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम जेआरडी शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्य संगीता नायर को निलंबित कर दिया है।
सोमवार को जारी आदेश में शासन ने धार्मिक प्रतीकों पर आपत्तिजनक टिप्पणी, परीक्षा कार्यों में लापरवाही, दस्तावेजों के निपटारे में उदासीनता और कर्मचारियों से दुर्व्यवहार जैसे गंभीर आरोपों का उल्लेख किया है।
शासन ने माना कि प्राचार्य का आचरण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 का उल्लंघन है और उनके कार्यों से विद्यालय का वातावरण दूषित हुआ। आदेश में लिखा गया है कि नायर की कार्यशैली में “घोर लापरवाही, उदासीनता और स्वेच्छाचारिता” झलकती है। इसी आधार पर उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के तहत तत्काल निलंबित किया गया।
निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय कार्यालय संभागीय संयुक्त संचालक (शिक्षा संभाग), दुर्ग रखा गया है और उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा।
धार्मिक प्रतीकों को लेकर विवाद
आरोप है कि प्राचार्य संगीता नायर ने छात्रों को चोटी न रखने, तिलक न लगाने और रक्षा सूत्र (मौली) न पहनने जैसी बातें कही थीं। कई छात्रों ने बताया कि परीक्षा के दौरान उन्होंने बार-बार धार्मिक प्रतीकों पर टिप्पणी की और TC देकर निकालने की धमकी भी दी।
इसी मुद्दे पर छात्रों व अभिभावकों ने विरोध दर्ज कराया था।
बजरंग दल की चेतावनी
बजरंग दल दुर्ग के संयोजक सौरभ देवांगन ने आरोप लगाया कि प्राचार्य लंबे समय से हिंदू प्रतीक धारण करने वाले बच्चों को परेशान कर रही थीं। संगठन ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी थी कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
अन्य शिकायतें भी बनीं आधार
सरकारी आदेश में धार्मिक प्रतीकों वाले विवाद के साथ अन्य गंभीर लापरवाहियों का भी जिक्र है—जैसे ओपन स्कूल परीक्षा केंद्र के काम में सहयोग न करना, सेवानिवृत्त व्याख्याता का अवकाश लेखा लंबित रखना और कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार। शिक्षा विभाग ने इसे “गंभीर कदाचार” माना है।
शिक्षा मंत्री की सख्त पहल
दुर्ग विधायक एवं स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव के विभाग संभालने के बाद से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में लगातार कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। लंबे समय से संगीता नायर के खिलाफ शिकायतें और विरोध सामने आ रहे थे, किंतु अब मंत्री की सख्त कार्यप्रणाली के चलते निर्णायक कार्रवाई हुई है।
शहर में यह चर्चा का विषय था कि कभी भी विभागीय कार्यवाही हो सकती है और अंततः शासन ने निलंबन आदेश जारी कर दिया।
आगे की कार्रवाई
दुर्ग जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद मिश्रा ने बताया कि शिकायतों की जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी, जिसके आधार पर निलंबन हुआ है। विभागीय जांच आगे भी जारी रहेगी और दोष सिद्ध होने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई संभव है।
? यह कार्रवाई इस बात का स्पष्ट संकेत है कि शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर शिथिलता और मनमानी को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।
