
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
राजनांदगांव / शौर्यपथ / स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 संक्रमण सहित श्वसन संबंधी गंभीर रोगों जैसे टीबी सहित इंफ्लूजां आदि की रोकथाम के लिए जांच के दायरा को बढ़ायेगी। इसके तहत ऐसे सभी मरीजों की कोविड जांच भी होनी है, जो टीबी से पीडि़त हैं। इस दिशा में परिवार कल्याण मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी कर आवश्यक निर्देश दिये हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कोविड-19 से पीडि़त मरीजों की टीबी व टीबी के मरीजों की कोविड जांच की जाये। निर्देश में इस बात की चर्चा की गयी है कि ट्यूबरकलोसिस (टीबी) और कोविड-19 दोनों संक्रामक रोग हैं जो फेफड़ों पर हमला करते हैं। दोनों ही रोगों में कफ, बुखार व सांस लेने में परेशानी जैसे समान लक्षण दिखते हैं। हालांकि टीबी रोग का इन्क्यूबेशन पीरियड लंबा होता है और बीमारी होने की जानकारी लंबे समय में मिलती है। विभिन्न अध्ययनों से इस बात का खुलासा किया गया है कि कोविड-19 के मरीजों में टीबी की मौजूदगी 0.37 से 4.47 प्रतिशत रहता है। अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण पिछले साल की तुलना में टीबी मामलों में 26 प्रतिशत की कमी आयी है।
कोविड-19 के गंभीर मरीजों में टीबी होने का जोखिम 2.1 गुना अधिक होता है, इसके साथ ही टीबी मरीजों में कुपोषण, मधुमेह एवं धूम्रपान की आदत व एचआइवी की संभावना भी अधिक होती है जो जोखिम बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं।
बाई डायरेक्शनल जांच के लिए तीन महत्वपूर्ण कदम
मंत्रालय का मानना है कि टीबी और कोविड जांच के लिए बाई डायरेक्शनल यानी दो तरफा जांच जैसे महत्वपूर्ण कदम संक्रमण की पुष्टि के लिए उठाने होंगे। इनमें टीबी और कोविड में से किसी एक बीमारी से संक्रमित हुए व्यक्तियों की दोनों बीमारियों के लिए जांच करने की सिफारिश की गयी है। सभी इलाज कराये हुए या इलाजरत टीबी मरीजों की कोविड-19 की जांच होगी, यदि मरीज कोविड-19 पॉजिटिव होते हैं तो गाइडलाइन के अनुसार मरीज का टीबी इलाज के साथ साथ कोविड-19 मैनेजमेंट के अनुरूप इलाज किया जायेगा, यदि मरीज कोविड.19 निगेटिव हैं तो उनका सिर्फ टीबी का इलाज जारी रहेगा।
कोविड-19 मरीजों का होगा टीबी स्क्रीनिंग
सभी कोविड-19 के मामले में टीबी के लक्षणों की पहचान की जायेगी। खांसी या कफ दो हफ्ते से अधिक समय तक रहने, वजन में कमी एवं रात के समय में बहुत अधिक पसीना बहने सहित टीबी के मरीजों के साथ काटेंक्ट हिस्ट्री का पता लगाकर उनके छाती का एक्स-रे कराया जायेगा और टीबी की इलाज की जाएगी। टीबी जांच के लिए सैंपल कलेक्शन का काम खुले व हवादार क्षेत्र में किया जाना है। स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट पहन कर और कोविड-19 उचित व्यवहारों को अनुपालन करते हुए सैंपल कलेक्शन का काम करना है।
टीबी के कारण फेफ ड़ों में होता है सूजन
लंबे समय से खांसी वाले व्यक्ति को बिना देरी किये डॉक्टरी सलाह लेते हुए टीबी की पुष्टि की जांच करानी चाहिए। खांसने के दौरान संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकले ड्रापलेट्स में मौजूद माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरियां दूसरे स्वस्थ्य रोगी को भी संक्रमित कर देता है। इस संक्रमण के कारण धीरे धीरे फेफड़ों में सूजन आ जाती है।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
