
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
राजनांदगांव / शौर्यपथ / स्वदेशी के प्रेरणा और आजादी बचाओ आंदोलन के संस्थापक राजीव भाई दीक्षित की जयंती एवं बलिदान दिवस पर माँ पंचगव्य चिकित्सा एवं गौरक्षा अनुसंधान केन्द्र महामाया चौक बसंतपुर राजनांदगांव में स्वदेशी चिंतन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राजीव भाई के जीवन पर आधारित ड्राक्युमेन्ट्री एवं उनके व्याख्यानों का भी श्रवण किया गया। इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। संगोष्ठी में उपस्थित सभी अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किए और भारत की वर्तमान समस्याओं के समाधान पर गहन चिंतन किया गया। कार्यक्रम में बताया गया कि राजीव भाई दीक्षित की जयंती एवं बलिदान दिवस को स्वदेशी दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया और पूरे भारत का भ्रमण कर स्वदेशी के प्रति जन जागृति जगाते रहे। संगोष्ठी में जैविक कृषि, स्वदेशी अर्थव्यवस्था, आयुर्वेद, गुरूकुलीय शिक्षा जैसे विभिन्न विषयों विचार विमर्श किया गया। साथ ही आगे की कार्य योजना पर भी चिंतन किया गया। कार्यक्रम में सभी ने राजीव भाई के बताएं रास्ते पर चलने और अधिक से अधिक स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर स्वदेशी जागरण मंच से राजकुमार शर्मा, समाजसेवी राधेश्याम गुप्ता, वरिष्ठ कार्यकर्ता राकेश सोनी, प्रमोद कश्यप, हार्दिक कोटक, आभा श्रीवास्तव, किशोर साहू, प्रज्ञानंद मौर्य, मनोज शुक्ला, सुदर्शन मानिकपुरी, घनसु साहू, सूर्यकांत चन्द्राकर, पुरूषोत्तम देवांगन, हेमंत देवांगन, मनोज कश्यप, टीकम पटेल, धर्मेन्द्र साहू सहित अन्य गणमान्य जन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन आनंद श्रीवास्तव द्वारा किया गया।
उल्लेखनीय है कि आजादी बचाओ आंदोलन के संस्थापक, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के राष्ट्रीय महासचिव एवं स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता श्री राजीव दीक्षित का जन्म 30 नवम्बर 1967 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे अपने करोड़ प्रशंसकों के बीच आज भी राजीव भाई के नाम से जाने जाते है। यह बहुत ही संयोग की बात है कि उनके जन्मदिन 30 नवम्बर 2010 को छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान भिलाई दुर्ग में उनकी आकस्मिक मृत्यु हो गई थी। सोशल मीडिया पर आज भी उनके द्वारा दिए गए आयुर्वेद, भारतीय परंपरा, भारतीय शिक्षा व्यवस्था जैसे विभिन्न व्याख्याओं को बड़ी संख्या में सुना जाता है और उनके प्रशंसकों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.