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0 साल में सिर्फ एक दिन खुलता है द्वार
मृणेन्द्र चौबे
राजनंदगांव/शौर्यपथ/मंढीप खोल गुफा के अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को द्वार खोले जाएंगे। यहां स्थापित शिवलिंग के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु आते है।इस रहस्यमय गुफा की मुख्य खास बात है कि पूरे साल भर में केवल अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को ही या गुफा खुलता है। इस रहस्यमयी गुफा में शिवलिंग की पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
मैकाल पर्वत श्रेणि में स्थित मंडीपखोल गुफा तक पहुंचने का सफर काफी रोमांचक है। पर्यटकों के लिए यह सफर किसी रोमांचकारी से काम नहीं है। गुफा तक पहुंचाने के लिए कोई स्थाई रास्ता नहीं है। इस गुफा तक पहुंचने श्रद्धालुओं को 16 बार एक नदी पार करना पड़ता है।
गंडई-पंडरिया के जंगल में यह गुफा साल में सिर्फ एक बार अक्षय तृतीया के बाद आने वाले पहले सोमवार को खुलती है । गुफा के खुलने पर बडी संख्या में लोग यहां आकर गुफा को देखने के साथ यहां विराजित शिव जी की पूजा अर्चना करते है।यहां जिले से लेकर पूरे छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र ओडिशा के लोग पहुंचते हैं।
राज परिवार के सदस्य राजपुरोहित और उनके परिवार द्वारा पहले पूजा अर्चना करने के बाद मंढीप खोल गुफा के द्वार खोलते हैं। फिर लोगों के दर्शन का सिलसिला शुरू हो जाता है। श्रद्धालु यहां श्वेत गंगा कुंड में लोग डुबकी लगाने के लिए कतार पर खड़े रहते है। बताया जाता है कि इस कुंड में पूरे साल भर पानी निकलते रहता है।ऐसी मान्यता है कि यहां डुबकी लगाने से कुष्ट रोग दूर होता है, ।भरी गर्मी में इस कुंड का पानी बेहद ठंडा रहता है l
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