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राजनांदगांव / शौर्यपथ / कार्यों में पारदर्शिता और संवेदनशीलता रखने के साथ बच्चों के हितों में जिलाधीश तारन प्रकाश सिन्हा के द्वारा जारी निर्देशों का सूचना के अधिकार अधिनियम के स्टेट रिसोर्स पर्सन योगेश अग्रवाल ने स्वागत किया है। जिलाधीश के रूप में राजनांदगांव में सिन्हा जी की पहली पोस्टिंग हुई है। अग्रवाल के अनुसार पदभार ग्रहण करते ही अपने प्रारंभिक निर्देशों से जिलाधीश सिन्हा ने प्रशासन में मूलभूत कसावट के जो संकेत दिये हैं वे किसी पायलट प्रोजेक्ट (अलग कार्य योजना ) का अहसास कराने वाले निर्देश हैं।
उन्होंने आगे कहा कि 2005 में देश में लागू सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रचार-प्रसार अभियानों के पायलट प्रोजेक्ट के लिए यूएनडीपी के द्वारा इस राज्य के केवल दो ही जिलों को चुना गया था उनमें से एक राजनांदगांव भी था। उस समय भी पारदर्शिता और जिम्मेदारी के सूत्र वाक्यों के साथ चलाये गये विभिन्न अभियानों ने इस जिले को प्रदेश स्तर पर अलग पहचान दिलाई थी। तब जिला प्रशासन राजनांदगांव के सूचना-रथ ने सूचना-कानून में निहित पारदर्शिता के मूल संदेशों को गांव-गांव तक पहुँचाने हेतु अनूठी पहल की थी।
योगेश अग्रवाल द्वारा लिखित-निर्देशित डॉक्यूमेंट्री फिल्म जानने का हक के निर्माण की पहल भी इसी समय हुई। सूचना-क़ानून के रिसोर्स पर्सन ने आगे यह भी रोचक जानकारी दी कि यह देश की पहली फिल्म थी जो छत्तीसगढ़ी भाषा में बनाई गई थी ताकि प्रदेश का हर आम आदमी सूचना के कानून को आसानी से समझ सके। फिल्म जानने का हक़ भी पारदर्शिता, जिम्मेदारी व ईमानदारी को समर्पित थी।
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