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राजनांदगांव।शौर्यपथ / जनसंख्या स्थिरीकरण माह तथा विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालय में जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा शुरू किया गया है। कार्यक्रम की शुरुआत में पहले दिन जनसंख्या स्थिरीकरण पर जोर देते हुए वर्चुअल मीटिंग की गई, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तथा हितग्राही शामिल हुए। बैठक में परिवार नियोजन पर आधारित विभिन्न आवश्यक जानकारी देते हुए परिवार नियोजन के बेहतर उपाय बताए गए।
जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा जिले में 24 जुलाई तक मनाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यालय में आयोजित की गई वर्चुअल मीटिंग में सभी विकासखंड चिकित्सा अधिकारी प्रमुखता से शामिल हुए। इस दौरान जिले के सभी विकासखंड व शहरी क्षेत्र के चिन्हित योग्य दंपतियों को परिवार नियोजन कार्यक्रम में अनिवार्य रूप से जोड़ने पर जोर दिया गया। साथ ही परिवार नियोजन के साधन जैसे-महिला नसबंदी, पुरूष नसबंदी, आईयूसीडी, निरोध, माला-एन, छाया एवं अंतरा इंजेक्शन के संदर्भ में हितग्राहियों से भी विस्तृत चर्चा की गई। उन्हें उपयुक्त साधन की जानकारी व इसके उपयोग करने की सलाह दी गई।
वर्चुअल मीटिंग में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश चौधरी ने हितग्राहियों से आग्रह किया कि, अपनी जान-पहचान के लोगों से भी परिवार नियोजन के साधन अपनाने हेतु चर्चा करें एवं अपना अनुभव साझा करें। उन्होंने कहा, परिवार नियोजन का अर्थ छोटा परिवार और बच्चों के बीच पर्याप्त अंतर से है। कई मामले में गर्भधारण, प्रसव तथा असुरक्षित गर्भपात की समस्याओं के कारण महिलाएं असहज खतरे की शिकार हो जाती हैं, जबकि प्रसव के दौरान महिलाओं पर हावी होने वाली असहज स्थिति को परिवार नियोजन द्वारा काफी हद तक रोका जा सकता है।
इसी तरह नवविवाहिता को भी प्रसव के दौरान जोखिम उठाना पड़ता है, क्योंकि उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ रहता है। वहीं नवजात को भी जन्म से 1 वर्ष तक अनहोनी की आशंका रहती है। इन्हीं विषयों पर लोगों को जागरुक करने, परिवार नियोजन के प्रति प्रेरित करने तथा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जिले में जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा मनाया जा रहा हैश्। वर्चुअल बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश चौधरीए जिला कार्यक्रम प्रबंधक गिरीश कुर्रे, शहरी कार्यक्रम प्रबंधक अनामिका विश्वास, जिला सलाहकार डॉ. स्नेहा जैन व जिला एमईआईओ रईशा बेगम खान समेत अन्य शामिल थे।
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खुशहाल है हमारा परिवार
औंधी निवासी लक्ष्मण पोयाम और अमृता पोयाम (बदला हुआ नाम) पति-पत्नी हैं। इनका विवाह साल 2010 में हुआ है। वे दो बच्चों के माता-पिता हैं। दोनों बच्चों में लगभग तीन साल का अंतर है और यह परिवार अब काफी खुशहाल है। प्रेरित करने वाली बात यह है कि, एक जिम्मेदार पति होने का फर्ज निभाते हुए लक्ष्मण ने अपनी नसबंदी कराई है। लक्ष्मण ने बताया, एक बच्चा होने के बाद से ही वह परिवार नियोजन का साधन अपनाने लगे थे। दूसरा बच्चा होने के बाद नसबंदी कराने के लिए अमृता भी तैयार थी, लेकिन आपसी सामंजस्य के बाद मैंने ही नसबंदी कराने का निर्णय लिया। लक्ष्मण का कहना है, परिवार नियोजन हर दृष्टिकोण से बेहतर है। अच्छी सेहत और आर्थिक स्थिति, दोनों में लाभदायक है।
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हम हुए समझदार, अब आपकी बारी...
करेली निवासी रामदयाल निषाद और निर्मला निषाद (बदला हुआ नाम) की शादी को लगभग चार वर्ष हो गए हैं। दोनों की एक बेटी है, जो लगभग तीन वर्ष की है। रामदयाल ने बताया, बेटी के जन्म के बाद वह परिवार नियोजन के पक्षधर हो गए हैं और परिवार नियोजन का साधन अपना रहे हैं। वहीं पत्नी निर्मला भी काफी सुलझी हुई और समझदार है। दूसरे बच्चे के बारे में उन्होंने अभी कुछ तय नहीं किया गया है और वर्तमान में उनका दांपत्य जीवन सुखमय है। उनका कहना है, परिवार नियोजन की दिशा में प्रत्येक योग्य दंपतियों को स्वयं से सामने आना चाहिए, ताकि औरौं को भी इससे प्रेरणा मिलेश्।
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