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दुर्ग। शौर्यपथ।
लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि जनता और प्रशासन के बीच की सबसे मजबूत कड़ी माने जाते हैं। शहर की जनता ने भी इसी विश्वास के साथ शहरी सरकार की मुखिया के रूप में श्रीमती अलका बाघमार को चुना था—उम्मीद थी कि वे आने वाले पांच वर्षों तक जनता और प्रशासन के बीच सेतु का कार्य करेंगी।
परंतु अब वही जनता पूछ रही है कि क्या यह सेतु सिर्फ एक तरफ से ही जुड़ा है?
प्रशासनिक अधिकारी आते-जाते रहते हैं, उनका स्थानांतरण सामान्य प्रक्रिया है—
परंतु जनता का विश्वास हर बार चुनाव में तय होता है।
इसलिए जब निगम प्रशासन बस स्टैंड पार्किंग में खुलेआम हो रही लूट पर मौन साधे रहता है और कार्रवाई केवल इंदिरा मार्केट पार्किंग तक सीमित रहती है, तब सवाल उठना लाज़मी है—
क्या यह प्रशासनिक निष्पक्षता है या महापौर की भेदभावपूर्ण नीति?
तक़िया पारा वार्ड के पार्षद खालिद रिज़वी ने इंदिरा मार्केट पार्किंग में तय दर से अधिक वसूली का मुद्दा उठाकर जनता के बीच चर्चा का विषय बना दिया,लेकिन सवाल यह भी है कि बस स्टैंड पार्किंग, जहां समान गड़बड़ी जारी है, वहां निगम प्रशासन आँख मूंद कर क्यों बैठा है? क्या वहां किसी जनप्रतिनिधि या प्रभावशाली व्यक्ति का हित जुड़ा है? या फिर यह मुद्दा राजनीतिक सुविधा के तराजू पर तौला जा रहा है?
दुर्ग शहर में हर पार्किंग स्थल—चाहे वह कलेक्टर परिसर का हो या अस्पताल क्षेत्र का, तय दर से अधिक वसूली की खुली लूट चल रही है। इसके बावजूद निगम प्रशासन की कार्रवाई का निशाना सिर्फ इंदिरा मार्केट क्यों बना हुआ है?
जनता का कहना है कि यह “न्याय नहीं, भेदभाव की नीति” है।
वहीं, शहर के जानकार यह भी कहते हैं कि जब से ‘बाघमार सरकार’ ने सत्ता संभाली है, शहर की तस्वीर और बिगड़ी है।अतिक्रमण बढ़े हैं, यातायात अव्यवस्थित हुआ है, और आवारा मवेशियों ने सड़कों को कब्जा लिया है, परंतु महापौर का ध्यान सिर्फ “प्रोटोकॉल” वाले कार्यक्रमों तक सीमित दिखाई देता है।
जनता का व्यंग्य भी अब चर्चा में है —
“जहां वोट नहीं, वहां नोटिस नहीं — यही है बाघमार नीति!”
राजनीतिक गलियारों में यह भी कहा जा रहा है कि अगर आज दुर्ग में निगम चुनाव फिर से हों, तो महापौर अलका बाघमार की जमानत जब्त होना तय है। बीजेपी पार्षदों के भीतर भी इस बात को लेकर नाराज़गी है कि विकास कार्य कागजों पर हैं जमीनी स्तर पर शून्य , वही ठेकेदारों को भुगतान बिना काम के हो रहे हैं।
जनता सवाल कर रही है —क्या महापौर बाघमार संविधान की शपथ के प्रति जवाबदेह रहेंगी या फिर सत्ता सुख के आगे संवैधानिक मूल्यों की बलि चढ़ेगी?
दुर्ग शहर अब एक ही उम्मीद पर टिका है —कि शहरी सरकार भेदभाव की नीति से ऊपर उठकर निष्पक्षता की राह चुने,वरना आने वाला चुनाव इस मौन को जवाब में बदल देगा।
SHOURYAPATH. मुंबई की एक सर्द होती दीवाली की शाम... जब पूरा देश दीपों के उजाले में रमा था, उसी क्षण भारतीय सिनेमा ने अपनी सबसे बड़ी मुस्कराहट खो दी। हास्य के सम्राट, शोले के अमर किरदार ‘अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर’ असरानी अब नहीं रहे। सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 की दोपहर 3:30 बजे उन्होंने जुहू के आरोग्य निधि अस्पताल में अंतिम सांस ली। 84 वर्ष की आयु में वह हमें हमेशा के लिए छोड़ गए ।
उनके भतीजे अशोक असरानी और मैनेजर बाबू भाई ने पुष्टि की कि उन्हें फेफड़ों में पानी भरने की समस्या थी। वे पिछले चार दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। विडंबना यह रही कि अपनी अंतिम सांस लेने से कुछ घंटे पहले ही असरानी ने इंस्टाग्राम पर अपने चाहने वालों को 'हैप्पी दीवाली' की शुभकामनाएं दी थीं — यह उनके प्रशंसकों के लिए अब हमेशा की तरह यादों में दर्ज आखरी संदेश बन गया ।
परिवार की शांति की इच्छा, शांत अंतिम विदाईउनकी पत्नी मंजू असरानी ने पति की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए किसी सार्वजनिक कार्यक्रम से बचने का निर्णय लिया। इसलिए उन्हीं की इच्छा अनुसार सांताक्रूज़ श्मशान घाट में रात आठ बजे बेहद सादगी और निःशब्द वातावरण में अंतिम संस्कार किया गया। न दीप जलाए गए, न पुष्पवर्षा हुई — बस रौशनी के बीच एक रूहानी सन्नाटा था, जैसे हँसी का कोई गीत अधूरा रह गया हो ।
अभिनय की विरासत, हँसी का इतिहास1 जनवरी 1941 को राजस्थान के जयपुर में जन्मे गोवर्धन असरानी ने वर्षों तक हिंदी सिनेमा को अपनी अनोखी टाइमिंग, भोलेपन और व्यंग्य की छौंक से सजाया। चुपके चुपके, रफू चक्कर, बावर्ची, चल मुरारी हीरो बनने, मेरे अपने जैसी फिल्मों से उन्होंने हँसी को नया अर्थ दिया। पर 1975 की शोले में उनका संवाद — “हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं…” — भारतीय सिनेमा की स्मृतियों में अमर हो गया ।
उनका अभिनय केवल कॉमेडी नहीं था; वह मानवता का अनुवाद था — एक ऐसी हँसी जो लोगों के दुख भुला देती थी। उनके अंदर का कलाकार हमेशा एक शरारती बच्चे की तरह जीता रहा — जो हर दृश्य में सादगी, व्यथा और करुणा के रंग बिखेर देता था।बॉलीवुड में शोक की लहरअसरानी के निधन की खबर से फिल्म जगत में गहरा सन्नाटा फैल गया। अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, अनीस बज्मी, जॉनी लीवर, शत्रुघ्न सिन्हा, परेश रावल और अन्य सितारों ने सोशल मीडिया पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। अक्षय कुमार ने लिखा — “आपने हमें हँसना सिखाया सर, आज आँखें नम हैं पर दिल आभारी है।”
एक युग का अंत -गोवर्धन असरानी वह अभिनेता थे जिन्होंने ‘कॉमेडी’ को एक कला बनाया। आज जब उनके संवादों की गूँज सिनेमा के गलियारों में सुनाई देगी — तो वह हँसी की गूँज होगी जिसमें छिपा है सिनेमा का सबसे सच्चा भाव: इंसानियत।वो चले गए, पर उनके शब्द अब भी गूंजते हैं —
“हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं”…
और अब शायद ऊपर स्वर्ग में भी कोई हँसी रोक नहीं पा रहा होगा।” ???
सोशल मीडिया के माध्यम से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा — नक्सल आत्मसमर्पण कांग्रेस के ‘विश्वास-विकास-सुरक्षा’ नीतियों का परिणाम; आरोप लगाने के लिए बस्तर की पीड़ा का राजनीतिकरण न करें
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने हालिया नक्सली आत्मसमर्पणों को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी द्वारा कांग्रेस को नक्सलवाद से जोड़कर की जा रही छींटाकशी पर कड़ा हमला बोला है। बघेल ने यह संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से साझा करते हुए कहा कि नक्सलियों के आत्मसमर्पण में कांग्रेस सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति और उनके द्वारा अपनाए गए ‘विश्वास-विकास-सुरक्षा’ सूत्रों की भूमिका निर्णायक रही है।
भूपेश बघेल ने अपने बयान में प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा —
“कितना छोटा दिल है प्रधानमंत्री जी!… ऐसे समय में जब माओवाद कमजोर हो रहा है, तब भी आप कांग्रेस को नक्सलवाद से जोड़कर जो छींटाकशी कर रहे हैं, वह दिखाता है कि आपके लिए देश की आंतरिक सुरक्षा से ज्यादा विपक्ष पर झूठे आरोप लगाने में दिलचस्पी है।”
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र में गृह मंत्री के इस प्रयास में साझेदारी के लिए कांग्रेस ने भी आभार व्यक्त किया है, परन्तु विपक्ष द्वारा छत्तीसगढ़ की जटिल स्थिति को राजनीतिक मुद्दा बनाकर प्रस्तुत करने का विरोध जताया। बघेल ने स्पष्ट रूप से कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता समझती है कि नक्सलवाद से निपटने की सफलता स्थानीय नीतियों और राज्य सरकार की पहल का नतीजा है, न कि किसी एक पक्षीय दावों का।
पूर्व मुख्यमंत्री ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि नक्सलवाद और आतंकवाद की जो सबसे भारी कीमत चुकाई गई, वह कांग्रेस सरकारों ने ही चुकाई है — “हमारे कई वरिष्ठ नेता कथित नक्सल हमले में शहीद हुए” — और जो जांचें होनी चाहिए थीं, उन्हें रूकवाने वाले भी वही रहे जिनके बारे में आज आरोप लगाए जा रहे हैं। बघेल ने कहा कि बस्तर क्षेत्र को जो पीड़ा और दंश झेलना पड़ा, उसकी जिम्मेदारी 15 वर्षों तक छत्तीसगढ़ में रहे भाजपा-शासित दौर की भी है, और यह प्रश्न उठाया कि तब आवश्यक कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
बघेल ने आरोप लगाया कि नक्सलवाद को राजनीतिक मुद्दा बनाकर छत्तीसगढ़ और उसके लोगों के साथ “दोहरी राजनीति” न की जाए। उन्होंने दृढ़ शब्दों में कहा —
“बस्तर को खुशहाल बनाने का काम कांग्रेस ने शुरू किया है और आगे भी इसे जारी रखेगी… नक्सल मुक्ति के नाम पर हम आपको बस्तर बेचने नहीं बनने देंगे।”
अपने पोस्ट में भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की जनता और प्रदेश की वास्तविकताओं का उल्लेख करते हुए अपील की कि मुद्दों को संवेदनशीलता और सत्यपरकता के साथ देखा जाए; किसी भी तरह के दावों को राजनीतिक लाभ के साधन के रूप में प्रयोग न किया जाए।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब नक्सली आत्मसमर्पण से जुड़ी सूचनाएँ और उनके राजनीतिक अर्थ दोनों ही मुख्य राजनीतिक बहस के केन्द्र में हैं। बघेल के तीखे शब्दों ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य और केन्द्र के बीच इस मसले पर संवेदीय और राजनीतिक मतभेद अभी भी कायम हैं — और इस बहस का असर आगामी राजनीतिक और प्रशासनिक पहलों पर भी दिखेगा।
राष्ट्रीय मंत्री अरविंद मेनन और छत्तीसगढ़ प्रतिनिधिमंडल के साथ बूथ स्तर तक जीत सुनिश्चित करने की बनी रणनीति
पटना/छपरा / शौर्यपथ /
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का शंखनाद होते ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी अभियान में संगठन और समन्वय की शक्ति को एकजुट कर दिया है।
इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री एवं दुर्ग विधायक श्री गजेन्द्र यादव ने बिहार के सारण-छपरा क्षेत्र में पहुंचकर भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार की कमान संभाली।
मंत्री यादव ने बिहार में चुनावी अभियान को गति देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री एवं मध्यप्रदेश के पूर्व संगठन महामंत्री अरविंद मेनन की उपस्थिति में आयोजित महत्वपूर्ण संगठनात्मक बैठक में भाग लिया।
इस बैठक में प्रत्येक बूथ पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने की रणनीति पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ।
“भाजपा की ताकत कार्यकर्ताओं में है। जब प्रत्येक बूथ सशक्त होगा, तभी बिहार में पुनः डबल इंजन की सरकार बनेगी।”
— गजेन्द्र यादव, मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन
बैठक में महाराजगंज सांसद जनार्दन सिंह सिगरीवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह, तथा सभी विधानसभा प्रभारी, संयोजक और विस्तारक उपस्थित रहे।
सभी ने बिहार में पुनः एनडीए की प्रचंड जीत सुनिश्चित करने का संकल्प लिया।
प्रचार के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने सारण पश्चिम भाजपा जिलाध्यक्ष स्व. बृजमोहन सिंह के निवास पर पहुँचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मंत्री यादव ने कहा —
“भाजपा संगठन को सशक्त बनाने में स्व. बृजमोहन सिंह जी का योगदान अविस्मरणीय रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और परिवार को शक्ति दें।”
मंत्री यादव ने बनियापुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी श्री केदारनाथ सिंह एवं समर्पित कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की।
उन्होंने संगठन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि जनता के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनकल्याणकारी नीतियों को पहुँचाना ही विजय की कुंजी है।
छपरा विधानसभा क्षेत्र में मंत्री यादव ने भाजपा प्रत्याशी श्रीमती छोटी कुमारी के समर्थन में कार्यकर्ताओं की बैठक ली और भव्य नामांकन रैली में सम्मिलित हुए।
रैली में जनता से अपील की गई कि वे विकास, विश्वास और सेवा की डबल इंजन सरकार को पुनः अवसर दें।
कार्यक्रम में पूर्व विधायक श्री सी.एन. गुप्ता सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और समर्थक उपस्थित रहे।
“बिहार की जनता का उत्साह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि इस बार भी भाजपा की प्रचंड सरकार बनने जा रही है।”
— गजेन्द्र यादव
छपरा में आयोजित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) दिवाली मिलन समारोह में मंत्री यादव ने चिकित्सकों से आत्मीय संवाद किया।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की स्वास्थ्य सेवाओं में आए परिवर्तनकारी सुधारों की जानकारी साझा की और भाजपा प्रत्याशी श्रीमती छोटी कुमारी के पक्ष में समर्थन की अपील की।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में छत्तीसगढ़ भाजपा की उपस्थिति ने अभियान में नई ऊर्जा भर दी है।
18 अक्टूबर की नामांकन रैली के बाद से छत्तीसगढ़ के विधायक और मंत्री लगातार बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जिनमें कैबिनेट मंत्री गजेन्द्र यादव की भूमिका सबसे प्रभावशाली रही है।
“एक राष्ट्र, एक संगठन, एक लक्ष्य — यही भाजपा की ताकत है।”
बिहार की धरती पर अब स्पष्ट दिख रहा है —
“डबल इंजन का इंजन फिर गरजने को तैयार है।”
बिहार चुनाव प्रवास से लौटने के बाद रायपुर में लगातार राजनीतिक व सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय रहीं — मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह से की सौजन्य भेंट
रायपुर, 19 अक्टूबर 2025।
दीपावली और धनतेरस के पावन पर्व पर छत्तीसगढ़ की युवा एवं उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित विधायक सुश्री भावना बोहरा ने राजनीति, समाज और संस्कृति के संगम से सजे कार्यक्रमों में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने स्वदेशी, सेवा और सादगी के संदेश के साथ जनसंपर्क की नई मिसाल प्रस्तुत की।
विधायक भावना बोहरा ने भाजपा प्रदेश कार्यालय, कुशाभाऊ ठाकरे परिसर, रायपुर में “हर घर स्वदेशी, घर-घर स्वदेशी” थीम पर बनी रंगोली में सहभागिता कर आत्मनिर्भर भारत का सशक्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “स्वदेशी अपनाना केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता नहीं, बल्कि राष्ट्र गौरव का प्रतीक है।”
बोहरा ने कैबिनेट मंत्री श्री गुरु खुशवंत साहेब के नवा रायपुर, अटल नगर स्थित नवीन शासकीय आवास में आयोजित गृह प्रवेश समारोह में भाग लिया और उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा —
“जनसेवा के इस घर में सदैव सद्भाव, सकारात्मक निर्णय और लोककल्याण के विचार प्रवाहित हों।”
विधायक बोहरा ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से मुलाकात कर उन्हें धनतेरस व दीपावली की शुभकामनाएं दीं। इस दौरान राज्य के समग्र विकास, महिला व युवा सशक्तिकरण, किसान कल्याण और नक्सल उन्मूलन जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
“मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ निरंतर विकास और सुशासन के नए अध्याय लिख रहा है। अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुँचना ही हमारा ध्येय है।”
— भावना बोहरा, विधायक, पंडरिया
बिहार चुनाव प्रवास से लौटने के पश्चात भावना बोहरा ने स्पीकर हाउस, रायपुर में विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से भेंट कर उनका कुशलक्षेम जाना और जन्मदिन व दीपावली की शुभकामनाएं दीं।
दोनों के बीच राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर विचारोत्तेजक चर्चा हुई।
“डॉ. सिंह जी का अनुभव और सादगी युवा नेतृत्व के लिए सदैव प्रेरक रही है। प्रभु श्रीराम उन्हें उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करें।”
— भावना बोहरा
दीपावली की पूर्व संध्या पर विधायक भावना बोहरा ने कहा —
“यह पर्व केवल दीप प्रज्वलन का नहीं, बल्कि आत्मबल, स्वदेशी और समाजहित की ज्योति जलाने का अवसर है।”
उन्होंने आम नागरिकों के सुख, शांति और समृद्धि की मंगलकामनाएं दीं।
निरंतर सक्रियता, संतुलित विचार और समाज के प्रति गहरी संवेदना के कारण विधायक भावना बोहरा आज छत्तीसगढ़ की युवा नेतृत्व की अग्रणी आवाज़ बन चुकी हैं।
विधानसभा में “उत्कृष्ट विधायक” सम्मान प्राप्त करने वाली बोहरा का जनसेवा के प्रति समर्पण उन्हें राज्य के अग्रणी जनप्रतिनिधियों में विशेष स्थान दिलाता है।
दुर्ग / शौर्यपथ / राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत संविदा भर्ती हेतु 11 जनवरी 2025 के माध्यम से 38 पद हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया गया है। उक्त विज्ञापित पदों की अनंतिम संवर्गवार चयन सूची दुर्ग जिले के विभागीय वेबसाईट www.durg.gov.in में अपलोड की गई है। उपरोक्त चयनित अभ्यर्थियों के मूल दस्तावेज सत्यापन एवं पदस्थापना स्थल चयन हेतु 17 अक्टूबर 2025 को कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दुर्ग के सभागार में प्रात: 10 बजे से उपस्थित होने हेतु सूचना प्रसारित किया गया था। उक्त दिवस में ऐसे चयनित अभ्यर्थी जो किसी कारणवश उपस्थित नही हो पाये थे, उन्हें 07 नवम्बर 2025 तक कार्यालयीन दिवस व समय में पुन: उपस्थित होने हेतु अंतिम अवसर प्रदान किया जाता है। निर्धारित तिथि तक मूल दस्तावेज सत्यापन एवं पदस्थापना स्थल चयन हेतु उपस्थित नही होने की स्थिति में प्रतीक्षा सूची से अभ्यर्थी का चयन में वरीयता प्रदान की जाएगी। विस्तृत जानकारी हेतु दुर्ग जिले की वेबसाईट स्रह्वह्म्द्द.द्दश1.द्बठ्ठ में अवलोकन व डाउनलोड किया जा सकता है।
दुर्ग / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना वर्ष 2025-26 हेतु स्वीकृति प्रदान की गई है। जिसके तहत् राज्य के प्रतिभावान निम्न आय वर्ग के विद्यार्थी जो कि राष्ट्रीय स्तर के उच्च व्यवसायिक संस्थानों जैसे आईआईटी, एम्स, आईआईएम, एनएलयू, एमबीबीएस जैसे संस्थाओं में शिक्षण सत्र 2025-26 में प्रवेश प्राप्त कर अध्ययन कर रहे हैं उन्हे तात्कालिक सहायता प्रदान की जाएगी। आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त योजना के तहत् आमंत्रण करने हेतु विद्यार्थी छत्तीसगढ़ राज्य का मूल निवासी होना चाहिए। विद्यार्थी को छत्तीसगढ़ राज्य हेतु अधिसूचित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल होना चाहिए। उल्लेखित संस्था में चयन की पात्रता के साथ ही चयन होने का प्रमाण पत्र एवं प्रवेश लेने हेतु संस्था द्वारा जारी सूचना पत्र होना चाहिए। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पालक की वार्षिक आय रूपए 2.50 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। शासकीय सेवकों के आश्रित इस योजना के पात्र नहीं होगे किन्तु चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बच्चे इस योजना का लाभ ले सकेंगे। इच्छुक एवं पात्र अभ्यर्थियों से 25 अक्टूबर 2025 तक कार्यालयीन समय में ऑफलाईन आवेदन आमंत्रित किए गए है। पात्रता, शर्ते तथा आवेदन पत्र का प्रारूप जिले की वेबसाईट- कनतह.हवअ.पद से डाउनलोड की जा सकती है। अभ्यर्थी आवेदन पत्र निर्धारित प्रपत्र में जिले के सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास कार्यालय में अंतिम तिथि तक जमा कर सकते है।
उप मुख्यमंत्री ने बस्तर ओलंपिक की तैयारियों की समीक्षा की
खेल मैदानों की उपलब्धता, उनकी मैपिंग, भोजन, यातायात, आवास, प्राथमिक चिकित्सा, निर्णायकों एवं रेफरियों की व्यवस्था के लिए अग्रिम तैयारी सुनिश्चित करने के दिए निर्देश
अब तक 2.72 लाख खिलाड़ियों का पंजीयन, 20 अक्टूबर तक करा सकते हैं पंजीयन
रायपुर / शौर्यपथ / बस्तर ओलंपिक-2025 की तैयारियाँ अब अंतिम चरण में हैं। उप मुख्यमंत्री तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री अरुण साव ने आज वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों तथा बस्तर संभाग के सभी जिला खेल अधिकारियों की बैठक लेकर इसकी तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने नवा रायपुर स्थित विश्राम भवन में आयोजित बैठक में बस्तर ओलंपिक के व्यापक और सुव्यवस्थित आयोजन के लिए विकासखंड स्तरीय आयोजनों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने खेल मैदानों की उपलब्धता, उनकी मैपिंग, भोजन, यातायात, आवास, प्राथमिक चिकित्सा, निर्णायकों एवं रेफरियों की व्यवस्था के लिए अग्रिम तैयारी सुनिश्चित करने को कहा। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सचिव यशवंत कुमार और संचालक श्रीमती तनूजा सलाम भी समीक्षा बैठक में उपस्थित थीं। बस्तर संभाग के सभी जिला खेल अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।
उप मुख्यमंत्री साव ने बैठक में बस्तर ओलंपिक की पंजीयन प्रक्रिया एवं व्यापक प्रचार-प्रसार की समीक्षा की। उन्होंने ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक प्रचार-प्रसार की योजनाओं—जैसे दीवार लेखन, मशाल यात्रा, पोस्टर, बैनर, पैंपलेट वितरण, हाट-बाज़ारों में प्रचार इत्यादि की जानकारी ली। उन्होंने इसे और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बस्तर ओलंपिक के लिए अब तक 2 लाख 72 हजार से अधिक प्रतिभागियों का पंजीयन हो चुका है। 20 अक्टूबर तक पंजीयन कराया जा सकता है। इस पर श्री साव ने प्रत्येक विकासखण्ड में पंजीयन की स्थिति की समीक्षा कर जिन क्षेत्रों में पंजीयन कम हैं, वहां विशेष अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा पंजीयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने महिलाओं की तुलना में पुरुष प्रतिभागियों के कम पंजीयन को देखते हुए जिला खेल अधिकारियों को पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करने को कहा।
श्री साव ने बैठक में अधिकारियों से कहा कि बस्तर ओलंपिक अब केवल क्षेत्रीय आयोजन नहीं रह गया है, बल्कि इसकी ख्याति पूरे देश में फैल चुकी है। अतः इसे राष्ट्रीय महत्व का आयोजन मानते हुए विकासखंड से लेकर संभाग स्तर तक उच्च गुणवत्ता और समयबद्धता के साथ आयोजित किया जाए। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के निर्णायकों की भागीदारी सुनिश्चित करने तथा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को प्रेरणा स्रोत के रूप में आमंत्रित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने 25 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 5 नवंबर तक होने वाले विकासखंड स्तरीय आयोजनों के लिए सभी जिलों को समय पूर्व संपूर्ण तैयारी सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
उप मुख्यमंत्री ने फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबॉल जैसे खेलों में पंजीयन बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करने तथा खेल विभाग से प्राप्त बजट के अतिरिक्त जिला कलेक्टरों के सहयोग से सीएसआर निधि से वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने को कहा। खेल एवं युवा कल्याण विभाग की उप संचालक श्रीमती रश्मि ठाकुर तथा खेल अधिकारी श्री गिरीश शुक्ला भी बैठक में मौजूद थे।
ग्रामीण महिलाओं की आत्मनिर्भरता की दिशा में सराहनीय कदम, सक्ती प्रशासन का सतत सहयोग
रायपुर / शौर्यपथ / दीपावली जैसे प्रमुख त्यौहार के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के तहत कार्यरत जिला सक्ती की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नई मिसाल पेश की है। ग्राम पलाड़ीखुर्द की राधा कृष्ण स्व-सहायता समूह की सदस्याएं अपने “संगिनी” ब्रांड के अंतर्गत आकर्षक गिफ्ट हैम्पर तैयार कर रही हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के सुगंधित एवं डिज़ाइनर मोम उत्पाद शामिल हैं।
महिलाओं की सशक्तिकरण और रोज़गार सृजन की दिशा में महत्वपूर्ण पहल
यह अभिनव पहल महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और रोज़गार सृजन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। जिला प्रशासन सक्ती द्वारा दीदियों को उत्पाद निर्माण, पैकेजिंग और विपणन के लिए निरंतर सहयोग एवं मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है। समूह की सदस्य श्रीमती पुष्पा दीदी ने बताया कि समूह द्वारा त्यौहारी सीजन को ध्यान में रखते हुए राखी, रंगोली, आचार, गुलाल, तथा मोम उत्पाद जैसे विविध वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। उन्होंने कहा कि इन गतिविधियों से हमें न केवल आर्थिक लाभ मिला है बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
समूह को 2 लाख रुपये तक की आय
पुष्पा दीदी ने आगे बताया कि समूह की दीदियों ने पूर्व में आर-सेटी (त्ैम्ज्प्) से डिज़ाइनर कैंडल बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इसके बाद यूट्यूब वीडियो के माध्यम से गिफ्ट हैम्पर तैयार करने का विचार आया। इस समय जिले की विभिन्न इंडस्ट्रीज और संस्थानों से गिफ्ट हैम्पर के ऑर्डर प्राप्त हुए हैं, जिनकी आपूर्ति दीदियों द्वारा समय पर और आकर्षक पैकेजिंग में की जा रही है। इस पहल से समूह को लगभग 1 लाख 50 हजार से 2 लाख रुपये तक का व्यवसाय प्राप्त होने की संभावना है। इन्हें अभी तक लगभग 60 हज़ार रुपए के गिफ्ट हैंपर के ऑर्डर मिल चुके हैं । यह प्रयास ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए उन्हें स्थायी आजीविका और उद्यमिता के नए अवसर प्रदान कर रहा है। बिहान मिशन के तहत संचालित यह पहल महिलाओं की सृजनशीलता, परिश्रम और नवाचार की उत्कृष्ट मिसाल है, जो अन्य समूहों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
मढ़ौरा और कुशेश्वरस्थान की सीटों पर चुनावी समीकरण बदल सकते हैं, पर क्या आयोग देगा 'दूसरा मौका'?
पटना | विशेष रिपोर्ट —
बिहार चुनाव 2025 में जहां नेता जनसमर्थन के लिए पसीना बहा रहे हैं, वहीं दो उम्मीदवारों की राजनीति तकनीकी गलती के जाल में फंस गई है।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सीमा सिंह (मढ़ौरा) और वीआईपी पार्टी के गणेश भारती (कुशेश्वरस्थान) का नामांकन रद्द हो गया है — एक फॉर्म-B की गड़बड़ी में तो दूसरा सिंबल सिग्नेचर की कमी में।
अब सवाल यह है कि —
? क्या ये दोनों उम्मीदवार अब भी मैदान में उतर सकते हैं?
? या फिर यह चुनाव ‘तकनीकी गलती बनाम राजनीतिक किस्मत’ की कहानी बन जाएगा?
एलजेपी (रामविलास) की प्रत्याशी सीमा सिंह का नामांकन इसलिए रद्द हुआ क्योंकि उनके फॉर्म B — यानी पार्टी की आधिकारिक अनुमति पत्र — में त्रुटि पाई गई।
निर्वाचन अधिकारी ने सुधार का मौका दिया, लेकिन वे निर्धारित समय में संशोधित दस्तावेज़ नहीं जमा कर सकीं।
चिराग पासवान ने इस पर नाराज़गी जताते हुए कहा —
“यह एक मामूली तकनीकी गलती है, हमने चुनाव आयोग से पुनर्विचार का आग्रह किया है।”
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक, सीमा सिंह के पर्चा रद्द होने से मढ़ौरा सीट पर एनडीए की स्थिति कमजोर हुई है और आरजेडी गठबंधन को अप्रत्यक्ष बढ़त मिल सकती है।
दरभंगा जिले की कुशेश्वरस्थान सीट से गणेश भारती का नामांकन इसलिए रद्द हुआ क्योंकि पार्टी सिंबल पत्र पर वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी के हस्ताक्षर मौजूद नहीं थे।
हालांकि गणेश भारती ने दो सेट नामांकन किए थे — एक पार्टी प्रत्याशी के रूप में और दूसरा निर्दलीय रूप में।
पहला नामांकन रद्द होने के बावजूद अब वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में रहेंगे।
यह फैसला महागठबंधन के लिए झटका माना जा रहा है, क्योंकि वीआईपी पार्टी आरजेडी गठबंधन की सहयोगी है।
चुनाव आयोग के नियम साफ़ कहते हैं —
“नामांकन रद्द होने के बाद उम्मीदवारी सीधे तौर पर बहाल नहीं की जा सकती।”
हालाँकि दो रास्ते हैं—
पुनर्विचार याचिका:
उम्मीदवार यह साबित कर सकता है कि नामांकन रद्द करने में प्रक्रिया संबंधी गलती हुई।
आयोग चाहे तो समीक्षा कर सकता है, लेकिन आम तौर पर यह दुर्लभ होता है।
हाई कोर्ट में रिट याचिका:
उम्मीदवार न्यायिक हस्तक्षेप मांग सकता है, पर यह लंबी प्रक्रिया होती है और चुनावी शेड्यूल में बाधा नहीं डालती।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है —
“अगर त्रुटि तकनीकी है और सुधार का अवसर दिया गया था, तो नामांकन दोबारा बहाल होने की संभावना बेहद कम होती है।”
मढ़ौरा (सरन) — एनडीए के लिए बड़ा नुकसान
कुशेश्वरस्थान (दरभंगा) — महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ीं
दोनों सीटें रणनीतिक रूप से अहम हैं —
मढ़ौरा पटना-बिहारशरीफ बेल्ट के समीकरण तय करती है,
तो कुशेश्वरस्थान मिथिलांचल का वोट पैटर्न प्रभावित करती है।
इन दोनों मामलों ने बिहार चुनाव 2025 में एक नया शब्द जोड़ा है —
‘टेक्निकल टर्निंग पॉइंट’
जहाँ एक हस्ताक्षर या एक फॉर्म की ग़लती पूरे राजनीतिक समीकरण बदल सकती है।
निष्कर्ष:
सीमा सिंह और गणेश भारती की उम्मीदवारी अब आयोग या अदालत के निर्णय पर टिकी है।
पर मौजूदा संकेत यही कहते हैं — अब मैदान में वापसी आसान नहीं होगी।
तकनीकी गलती अब बिहार की राजनीति का सबसे चर्चित ‘फैक्टर’ बन चुकी है।
