September 21, 2024
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

रायपुर / शौर्यपथ / राज्य शासन की मंशा के अनुरूप ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार की पहल पर काष्ठ शिल्प वनवासियों के रोजगार का आधार बना है। मंत्री गुरु रूद्रकुमार ने कहा कि अबूझमाड़ में निवास करने वाले वनवासी परिवार के लोगों को रोजगारमूलक काष्ठ शिल्प के कार्य से जोड़ा गया है।
छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड जगदलपुर जिला बस्तर के महाप्रबंधक ने बताया कि जिले के जनजाति समुदाय अबुझमाड़िया, मोरिया, हल्बा एवं गोंड़ जनजाति समुदाय काष्ठ द्वारा विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों का निर्माण किया जाता रहा है, जिसमें देवी-देवताओं, मानव-कलाकृति एवं जनजाति संस्कृति का चित्रण करते हैं। उन्होंने बताया कि विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) नई दिल्ली से स्वीकृत इंटीग्रेटेड डिजाइन एंड टेक्निकल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा 15 जुलाई से जनवरी 2021 तक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित की जा रही है। 15 जुलाई से काष्ठ शिल्प में 40 आदिवासी शिल्पियों के लिए अति उन्नत डिजाइन वर्कशॉप प्रारंभ किया गया है।
इसी कड़ी में 15 जुलाई से 26 जुलाई तक गुणवत्ता युक्त होनहार शिल्पियों का 10 दिवसीय सर्वे किया गया है, 27 जुलाई से 12 अगस्त 2020 तक 15 दिवसीय मार्केटिंग सर्वे और प्रोटोटाइप डिजाइन डेवलपमेंट का कार्य किया गया। इसी प्रकार 15 अगस्त से 14 सितंबर तक एक माह प्रारंभिक मार्केटिंग और प्रशिक्षण देकर सामग्रियों का उत्पादन किया जाना है और 15 सितंबर से 14 अक्टूबर तक प्रशिक्षण और उत्पादन कार्य किया जाएगा। 15 अक्टूबर से 14 नवंबर तक प्रशिक्षण के साथ-साथ बल्क में उत्पादन का कार्य किया जाना है। दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 तक 2 माह तक विक्रय-सह-प्रदर्शनी आयोजित कर शिल्पकारों द्वारा उत्पादित सामग्रियों को बाजार उपलब्ध कराया जाएगा। प्रशिक्षण देने के लिए एक डिजाइनर भी नियुक्त किया गया है। सभी शिल्पकारों को इस प्रशिक्षण के दौरान 9000 रुपए प्रति शिल्पी प्रति माह छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।

’कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़’ बनाने सांसदों, विधायकों, महापौर, नगरीय निकाय और पंचायत प्रतिनिधियों का किया आह्वान

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक सितम्बर से शुरू हो रहे राष्ट्रीय पोषण माह में सक्रिय सहयोग प्रदान करने के लिए जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ की अवधारणा को साकार करने के लिए छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों, विधायकों, महापौर, नगरीय निकाय और पंचायत प्रतिनिधियों से अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान करने का आह्वान किया है। जनप्रतिनिधियों द्वारा पूर्व में किए गए सक्रिय सहयोग की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में बच्चों में व्याप्त कुपोषण और एनीमिया को समाप्त करने के लिए विधायकगणों का हमेशा सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ है। विगत वर्षों में पोषण माह के आयोजन के दौरान भी सभी से सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ है। राष्ट्रीय पोषण माह 2020 के आयोजन में सभी के सक्रिय सहयोग, समन्वय और पूर्ण भागदारी की अपेक्षा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों में व्याप्त कुपोषण एवं एनीमिया एक गंभीर समस्या है। कुपोषण के स्तर में उल्लेखनीय कमी लाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 से पोषण अभियान का संचालन किया जा रहा है। समुदाय तक पोषण के प्रति जागरूकता, व्यवहार परिवर्तन, सम्प्रेषण एवं पोषण संवाद के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु जन-आंदोलन के रूप में प्रतिवर्ष राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है। सम्पूर्ण राज्य में इस वर्ष भी 01 सितम्बर 2020 से 30 सितम्बर 2020 तक राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जाना है।
कोविड-19 के संक्रमण से उत्पन्न वैश्विक आपदा की स्थिति के कारण इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण माह को अन्य माध्यमों के साथ-साथ यथा आवश्यकता डिजिटल जन-आंदोलन के रूप में मनाया जाना है। इस हेतु तकनीक एवं समन्वय का उपयोग करते हुए वर्चुअल बैठक, सोशल मीडिया, मास मिडिया, प्रिंट मीडिया का वृहत स्तर पर उपयोग किया जाना है। राष्ट्रीय पोषण माह 2020 का एक प्रमुख उद्देश्य गंभीर कुपोषित बच्चों की शीघ्र पहचान एवं उन्हें संदर्भित किया जाना है। बच्चों की उत्तरजीविता में सुधार हेतु बच्चों को स्तनपान के साथ-साथ समय पर ऊपरी आहार दिया जाना एक महत्वपूर्ण रणनीति है। पोषण माह के दौरान शीघ्र स्तनपान एवं 06 माह तक संपूर्ण स्तनपान को बढ़ावा दिया जाना है। पोषण माह के दौरान पौष्टिक सब्जियां, फलदार पौधेां को घर की बाड़ियों, सामुदायिक बाड़ियों, खाली पड़ी भूमियों में रोपण करने के साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूल भवनों, शासकीय भवनों में तथा नगरीय क्षेत्रों में घर की छतों पर पोषण वाटिका निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया जाना है। राज्य में पोषण माह के दौरान सही पोषण-छत्तीसगढ़ रोशन की अवधारणा को मूर्त रूप देने हेतु सभी जनप्रतिनिधियों, त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, नगरीय निकाय के प्रतिनिधियों क्षेत्रीय अमले एवं जनसमुदाय का सक्रिय सहयोग आवश्यक है।

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भिलाई / शौर्यपथ / सोमवार की अलसुबह कोयले से भरी मालगाड़ी के चार वेैगनों वैगन क्रमांक एनसीआर 22131577008, एनसीआर 22131129023, ईसीआर 22101733946 तथा डब्ल्ूसीआर 22161128294 में आग लगने से हड़कंप मच गया। मध्य लाईन में रायपुर की ओर से दुर्ग की ओर धड़घड़ाते हुए जा रही मालगाड़ी के वैगनों में उठते धुआं को देख यहां के स्टाफ ने अधिकारियों से कहकर गाड़ी रूकवाई और तुरंत फायर ब्रिगेड को बुलाकर आग बुझाने का कार्य किया गया, कड़ी मशक्कत के बाद तीन घंटा में बाग पर काबू पाया गया। आग लगने के कारण तीन घंटा तक इस ट्रेक पर दोनो ओर से गाडिय़ों के आवाजाही पर रोक लगा दियाग गया था, स्थिति सामान्य होने के बाद सवा 9 बजे इस ट्रेक पर अन्य ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो सकी। अगर इस प्रयास में एक-दो घंटे की देरी हो जाती तो आग की लपटें कोयले से भरी वैगन को नुकसान पहुंचा सकते थे। ऐसा नहीं हो पाने से रेलवे का महकमा राहत की सांस ले रहा है। आग लगने की घटना पर यह आशंका जाहिर की जा रही है कि जिस स्थान या खदान से कोयला मालगाड़ी के वैगन में भरा गया है, वहीं पर ही कोयले के कुछ भाग में आग लगी रही होगी। इसी आग के चलती मालगाड़ी में तेज हवा में सुलगने की संभावना जताई जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार आज सुबह सवा 6 बजे के आसपास मध्य लाइन पर रायपुर से दुर्ग की ओर जा रही कोयले से भरी मालगाड़ी की रैक के चार वैगनों में धुंए के साथ आग की लपटें उठ रही थी। भिलाई-3 रेलवे स्टेशन के पास लोको पायलट एके दुबे और गार्ड नवीन कुमार ने आपस मे बातचीत करते हुए वैगन में लगी आग की जानकारी स्टेशन मास्टर को दी। स्टेशन मास्टर ने भी प्रथम तल की छत से आग की लपटों को देखा और तत्काल लाल सिग्नल देकर मालगाड़ी को खड़ा करवा दिया। लोको पायलट के साथ मोबाइल फोन पर बात करते हुए जिन वैगनों में आग नजर आ रही थी उसे आगे पीछे करते हुए स्टेशन कार्यालय के नल में पाइप लगाकर पानी की बौछार की जाती रही। इस बीच फायर ब्रिगेड को भी सूचना दे दी गई थी। फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी पहुंचने के बाद बारी-बारी से सभी चार वैगनों पर लगी आग को काबू में कर लिया गया।
कोयले से भरी वैगनों में आग लगने की सूचना मिलते ही रेलवे सुरक्षा बल के उप निरीक्षक आरके राठौर सहायक उप निरीक्षक पी राजैय्या, एस कुमार, डीके वर्मा, आरक्षक वीरेन्द्र कुमार, एसके दानेकर, सीबीआई के एएसई नरेन्दर यादव सहित बैरक में मौजूद रहे। आरक्षक आलोक यादव ने पहुंचकर आग बुझाने में योगदान दिया। शासकीय रेलवे पुलिस के सहायक उप निरीक्षक बीके राठौर, दल सिंह, आरक्षक जानसिंह, छन्नूराम भगत, पर्वत राव अविसाय मिंज सहित स्टेशन में मौजूद अन्य स्टाफ ने भी आग में काबू पाने अपने-अपने स्तर पर कोई कसर नहीं छोड़ी। इससे पहले रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों ने पटरी के ऊपर से गुजरने वाली ओएचई की बिजली सप्लाई को बंद करवा दिया। इसके बाद फायर ब्रिगेड की टीम ने वैगन के उपर चढ़कर पानी का छिड़काव करते हुए कोयले में लगी आग को काबू में कर लिया।

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