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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जनजातीय अंचलों में सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए संचालित आदि कर्मयोगी अभियान के तहत जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण वैष्णव ने श्री रजवाड़ा होटल एण्ड रेस्टोरेंट में डिस्ट्रिक्ट प्रोसेस लैब का शुभारंभ किया। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण वैष्णव ने कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। जिसका उद्देश्य जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों तक शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाना और विभिन्न विभागों की प्रत्येक योजना से गांव के अंतिम व्यक्ति को जोडऩा है। इसके लिए शासकीय अधिकारी-कर्मचारी, आदि कर्मयोगी, व्यावसायिक कार्यकर्ता सहित अन्य सहयोगी, अशासकीय संस्था, स्वसहायता समूह, सामाजिक कार्यकर्ता, ग्रामीण युवा साथी बनकर गांव के अंतिम व्यक्ति तक एक नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। उन्होंने सभी से आदि कर्मयोगी अभियान को सफल बनाने के लिए सहयोग की अपील की।
आदि कर्मयोगी अभियान के जिला प्रभारी श्री सुशील कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर 20 लाख आदि कर्मयोगी भारत में तैयार किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में 1 लाख 33 हजार आदि कर्मयोगी तैयार किए जाएंगे। उन्होंने कर्तव्यनिष्ठ और उत्तरदायी शासन स्थापित करने कहा। सहायक आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग सुश्री दीक्षा गुप्ता ने बताया कि आदि कर्मयोगी अभियान के तहत आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग राजनांदगांव द्वारा तीन दिवसीय डिस्ट्रिक्ट प्रोसेस लैब में जिला स्तर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग, राजस्व विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, महिला बाल विकास विभाग, कृषि विभाग तथा अशासकीय संस्थाओं के चयनित 28 प्रतिभागी शामिल हो रहे है। इस अवसर पर प्रशिक्षण प्रदायकर्ता श्री यशवंत वर्मा, श्री दीपक ठाकुर, सुश्री रेणुका कन्नौजे, श्री किशोर माहेश्वरी, श्री वीरेंद्र वैष्णव, श्री दिलीप कुमार, श्री अमितेश सिंह परिहार तथा अधीक्षक श्री पुरेंद्र, श्री प्रशांत, श्री मोहनीस, श्री निखिल, सुश्री विनीता, सुश्री जया एवं सुश्री स्मृति उपस्थित थे।
जगदलपुर, शौर्यपथ। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का आज जगदलपुर में मां दंतेश्वरी हवाई अड्डे पर आत्मीय स्वागत किया गया। वे बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने और राहत कार्यों की समीक्षा करने के लिए पहुंचे हैं।
हवाई अड्डे पर सांसद महेश कश्यप, चित्रकोट विधायक विनायक गोयल, जगदलपुर के महापौर संजय पांडेय सहित अन्य जनप्रतिनिधियों और पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा, आयुक्त नगर निगम प्रवीण वर्मा ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। मुख्यमंत्री साय के साथ वन मंत्री केदार कश्यप, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह और सचिव श्रीमती रीना बाबा साहब कंगाले भी पहुंचे हैं।
हवाई अड्डे पर स्वागत के बाद मुख्यमंत्री श्री साय सड़क मार्ग से दंतेवाड़ा के लिए रवाना हो गए। वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे और स्थिति का जायजा लेंगे। इसके साथ ही, वे राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा भी करेंगे ताकि प्रभावित लोगों को तत्काल सहायता पहुंचाई जा सके।
रायपुर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का बड़ा निर्णय, 100 पंपों से होगी शुरुआत
रायपुर/शौर्यपथ / सड़क हादसों में लगातार बढ़ती मौतों को देखते हुए रायपुर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने एक महत्वपूर्ण और जनहितकारी कदम उठाया है। अब रायपुर में 1 सितंबर से बिना हेलमेट दोपहिया चालकों को पेट्रोल नहीं मिलेगा।
एसोसिएशन ने इसे एक जागरूकता अभियान के रूप में शुरू करने का फैसला लिया है। प्रारंभिक चरण में रायपुर जिले के लगभग 100 पेट्रोल पंपों पर इस नियम को सख्ती से लागू किया जाएगा। इसके बाद जिले के सभी 320 पंपों पर इसे विस्तार दिया जाएगा और आगे चलकर प्रदेश के अन्य जिलों में भी यह व्यवस्था लागू होगी। इस संबंध में एसोसिएशन पहले ही उप मुख्यमंत्री अरुण साव और कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह को ज्ञापन सौंप चुका है।
"ताकि न जाए किसी की जान" – अखिल धगट
एसोसिएशन के अध्यक्ष अखिल धगट ने कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि सड़क हादसों में होने वाली अनावश्यक मौतों को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि शुरुआत के कुछ दिनों तक लोगों को समझाकर पेट्रोल दिया जाएगा और उन्हें हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित किया जाएगा। अगली बार यदि वे बिना हेलमेट आएंगे तो पेट्रोल नहीं दिया जाएगा।
धगट ने स्पष्ट किया कि इस अभियान का मकसद जुर्माना या दंड नहीं, बल्कि जन-जागरूकता है। उन्होंने कहा— "हमें यह सुनिश्चित करना है कि हेलमेट न पहनने के कारण कोई भी अपनी जान न गंवाए। जब तक लोगों में हेलमेट पहनने की आदत स्थायी रूप से नहीं बन जाती, यह अभियान जारी रहेगा।"
जनहितकारी कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल न केवल दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़े कम करने में मदद करेगी बल्कि लोगों में सड़क सुरक्षा को लेकर जिम्मेदारी और अनुशासन भी बढ़ाएगी। यह अभियान सरकार की रोड सेफ्टी पॉलिसी को भी मजबूत आधार देगा।
जनता की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए रायपुर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का यह कदम एक ऐतिहासिक और जनहितकारी निर्णय के रूप में देखा जा रहा है।
दुर्ग / शौर्यपथ / विगत दिनों ग्राम मर्रा क्लॉक पाटन में गोड़वाना समाज की मातृशक्ति सशक्तिकरण, जागरूकता, एकजुटता के उद्देश्य से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उस अवसर पर मुख्य रूप से श्रीमती नोमिन ठाकुर जिला पंचायत सदस्य, श्री श्यामल दास मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला अंत्यावसायी विभाग दुर्ग, श्री पुरुषोत्तम प्रसाद क्षेत्राधिकारी जिला अंत्यावसायी विभाग दुर्ग, श्रीमती दीपमाला जैन जनपद सदस्य, श्रीमती ममता अरमो अध्यक्ष महिला प्रभाग दुर्ग, श्री मुकेश देवांगन सरपंच, श्री राकेश ठाकुर समाजसेवी उपस्थित थे।
कार्यक्रम शुभारंभ आदिशक्ति यूड़श्येव की पूजा अर्चना अतिथियों के द्वारा किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये श्री राकेश ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में गोंड़वाना की मातृशक्तियों को स्वरोजगार की दिशा में आगे आने की आवश्यकता है। इसके लिये जरूरी है। समाज की मातृशक्ति जागरूक एवं एकजुट हो जिससे स्व-सहायता समूह बनाकर शासन की योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर पहुंचाया जाये।
श्री श्यामल वास ने कहा कि शासन की विभिन्न स्वरोजगार योजना जो बैंकों के माध्यम से संघालित की जा रही है। उन योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े युवाओं को मिले जिससे उनका जीवन-यापन का स्तर ऊंचा हो सके। योजनाओं में अनुदान लाभ के साथ-साथ विभाग द्वारा प्रधानमंत्री अभ्युदय कौशल विकास योजनांतर्गत वर्तमान में सोलर पैनल इस्टालेशन, सीएनसी टर्निंग, सिलाई कढ़ाई, कम्प्यूटर हार्डवेयर जैसे ट्रेडों में निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण प्रदाय किया जा रहा है। जिससे युवाओं में कौशल का विकास में और उन्हें विभिन्न अंतराष्ट्रीय व राष्ट्रीय कंम्पनियों में नियोजित किया जा सकें।
श्रीमती नोमिन ठाकुर ने सिलाई मशीन मिलने पर बधाई देते हुये प्रसन्नता व्यक्त कर आगे भी महिलाये आगे आकर महिला सशक्तिकरण के लिये साथ जुड़कर काम करने की बात कहीं अंत में उपस्थित अतिथियों द्वारा स्वरोजगार हेतु ऋण के रूप में सिलाई मशीन व अन्य योजना के चेक का वितरण किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती टोमिन नेताम एवं आभार श्रीमती किरण नेताम ने किया स्वरोजगार से तांभावितों में श्रीमती रोशनी नेताम, श्रीमती रूखमणी ठाकुर, श्रीमती कोमल, कु. शालिनी, रानू चाई, कीर्ति ठाकुर, महेश्वरी, केशर, निकिता, किरण, पूजा, तृष्णा, चंचल, टिकेश्वरी, नंदिनी, त्रिलोका, कु. भूमिका, गीता देशलहरे, माता महिलांग, कु. खुशीमती, कु. भारती, कु. सविता, भामेश्वरी, कु. पूष्पांजली देशलहरे शामिल है।
कृषि मंत्री दिल्ली जाकर नड्डा से गुहार लगाते हैं, खाली हाथ लौटकर कहते हैं, खाद की कोई कमी नहीं है ?
रायपुर/ शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में अभूतपूर्व खाद संकट, डीएपी और यूरिया की कालाबाजारी को भाजपा प्रायोजित त्रासदी करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है भाजपा सरकारों की दुर्भावना पूर्वक नीतियों के चलते ही ऐसी परिस्थिति निर्मित हुई है। सरकार के द्वारा खाद सब्सिडी में लगातार कटौती, उर्वरक क्षेत्रों का निगमीकरण, निजी करण और नियंत्रणमुक्त करने की वजह से ही आज छत्तीसगढ़ के किसान खाद के लिए तरस रहे हैं। प्रदेश के किसान खरीफ सीजन शुरू होने से 3 महीना पहले, फरवरी में ही अपनी डिमांड सहकारी सोसाइटियों के माध्यम से सरकार तक पहुंचा चुके थे, लेकिन यह सरकार समय पर न रैक की व्यवस्था करा पाई, न ही सोसाइटी में भंडारण। अब तो फसल के निर्णायक ग्रोथ का समय आ गया है, अब भी खाद नहीं मिल पाएगा तो उत्पादन कैसे होगा?
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि धान का कटोरा कहलाने वाला छत्तीसगढ़, भाजपा सरकार की दुर्भावना के चलते हैं उर्वरक संकट से जुझ रहा है। सरकारी समितियों के गोदाम खाली है, किसान सुबह से शाम तक कतार में खड़े होकर खाली हाथ लौटने मजबूर हैं। खाद के अभाव में खरीफ फसल की वृद्धि रूक गई है। सत्ता के संरक्षण में जमाखोर, कोचियों, बिचौलियों और कालाबाजारी करने वाले किसानों को खुलेआम लूट रहे हैं। 1350 का डीएपी खुले बाजार में 2000 रुपए तक बिक रहा है, 266 रुपए के यूरिया के लिए किसानों से 1000-1200 तक वसूला जा रहा है। किसान कर्जदार हो रहे हैं, लेकिन सरकार केवल विज्ञापनों में झूठे दावे करके किसानों की समस्या से किनारा कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा सरकार का चरित्र छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ अन्यायपूर्ण है। एक तरफ छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री दिल्ली जाकर नड्डा से खाद उपलब्ध कराने गुहार लगाते हैं, और जब केंद्र सरकार की उपेक्षा से सुनवाई नहीं होती तो खाली हाथ वापस छत्तीसगढ़ लौटकर कहते हैं कि खाद की कोई कमी नहीं है। उर्वरक सप्लाई के सरकारी दावे केवल कागजी हैं। केंद्र सरकार की दुर्भावना और उपेक्षा पर परदेदारी करने सरकार झूठे दावे करके किसानों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है। सरकार के दोहरे रवैए के खिलाफ पूरे प्रदेश में किसान उद्वेलित हैं।
लगभग 94 प्रतिशत किसानों ने कराया पंजीयन
जिले में मिशन मोड में कृषक पंजीयन के लिए किया गया कार्य
राजनांदगांव / शौर्यपथ / कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने खरीफ विपणन वर्ष 2024- 25 के लिए एग्रीस्टेक के तहत कृषक पंजीयन हेतु राजस्व, कृषि एवं सहकारी विभाग को निर्देश दिए थे। इसी कड़ी में आज कृषक पंजीयन के अंतिम दिवस जिले के लगभग 94 प्रतिशत किसानों ने कृषक पंजीयन करा लिया है। कुल 1 लाख 17 हजार 512 किसानों ने एग्रीस्टेक के अंतर्गत कृषक पंजीयन कराया है। जिले में कृषि विभाग द्वारा मिशन मोड में कृषक पंजीयन के लिए कृषक जोड़ो अभियान चलाया गया था। जिले में एग्रीस्टेक पोर्टल फॉर्मर रजिस्ट्री के तहत कृषक पंजीयन के लिए कृषक जोड़ो अभियान के तहत लगातार कृषकों का पंजीयन कराने के लिए जागरूक किया गया। छूटे हुए किसानों का पंजीयन कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करते हुए पाम्प्लेट, पोस्टर के माध्यम से भी जानकारी दी गई।
शेष किसानों का पंजीयन तकनीकी दिक्कतों का कारण नहीं हो सका है। जिसमें फार्मर रजिस्ट्री वेबपोर्टल में अपलोड डाटा वर्तमान में राजस्व रिकार्ड के डाटा जैसे क्रय-विक्रय, फौती नामांतरण, बंटवारा नामांतरण के पश्चात् एंट्री, भूमि स्वामी के नाम का मिलान नहीं होने, महिला कृषकों के जमीन रिकार्ड में पिता का नाम एवं आधार कार्ड में पति का नाम दर्ज होने के कारण एवं अन्य तकनीकी कारणों से शेष कृषकों का पंजीयन नहीं हुआ है। शीघ्र ही छुटे हुए किसानों का पंजीयन भी हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि जिले में पूर्व वर्ष में धान बिक्री करने वाले किसानों की संख्या 1 लाख 25 हजार 610 है। जिसमें से 1 लाख 17 हजार 512 किसानों ने एग्रीस्टेक के अंतर्गत कृषक पंजीयन कराया है।
31 अगस्त को दोपहर 12.15 बजे सभी आकाशवाणी केंद्रों से होगा प्रसारण
राजनांदगांव / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सुशासन की सरकार ने छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत तैयार विशेष रेडियो कार्यक्रम ‘दीदी के गोठ’ का शुभारंभ 31 अगस्त को दोपहर 12.15 बजे होगा। यह कार्यक्रम आकाशवाणी रायपुर सहित प्रदेश के सभी आकाशवाणी केंद्रों से एक साथ प्रसारित होगा। साथ ही इसका लाइव प्रसारण ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म (www.onlineradiofm.in/stations/all-india-air-raipur पर भी उपलब्ध रहेगा।
मुख्यमंत्री और मंत्रियों का विशेष संदेश
शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, भारत सरकार के केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री तथा राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री विजय शर्मा ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणादायी संदेश देंगे। यह केवल एक कार्यक्रम का शुभारंभ नहीं, बल्कि शासन की नीतियों और योजनाओं को सीधे जनता तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बनेगा।
आत्मनिर्भरता की ओर महिलाओं का मार्गदर्शन
‘दीदी के गोठ’ का प्रमुख उद्देश्य है — ग्रामीण अंचलों की महिलाओं को शासन की योजनाओं से जोड़ना, उन्हें स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करना। इस कार्यक्रम में स्व-सहायता समूहों की सफल महिलाओं की कहानियाँ साझा की जाएंगी। वे महिलाएँ जिन्होंने कठिनाइयों और संघर्षों को पार कर अपने परिश्रम और आत्मविश्वास से न केवल आर्थिक मजबूती पाई, बल्कि समाज में एक नई पहचान भी बनाई।
आज छत्तीसगढ़ की हजारों महिलाएँ ‘लखपति दीदी’ के रूप में उभर चुकी हैं। उनकी प्रेरणादायी कहानियाँ रेडियो की आवाज़ के माध्यम से गाँव-गाँव, घर-घर तक पहुँचेंगी और अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भरता की राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित करेंगी।
सामूहिक श्रवण की व्यवस्था
इस कार्यक्रम के प्रभाव को और व्यापक बनाने के लिए पंचायत, ग्राम संगठन और संकुल संगठन स्तर पर सामूहिक श्रवण की व्यवस्था की जा रही है। इसमें जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, स्थानीय समुदाय और स्व-सहायता समूह की दीदियाँ शामिल होंगी। सामूहिक श्रवण से ग्रामीण क्षेत्रों में आपसी संवाद, चर्चा और प्रेरणा का वातावरण बनेगा।
सुशासन की सोच का प्रतिबिंब
‘दीदी के गोठ’ केवल एक रेडियो कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की सुशासन की सरकार की दूरदर्शी सोच का प्रतिबिंब है। इसका उद्देश्य है महिलाओं की आवाज़ को पूरे समाज तक पहुँचाना, उनके संघर्ष और उपलब्धियों को सामने लाना और शासन की योजनाओं से जोड़कर ग्रामीण अंचलों में सकारात्मक परिवर्तन की राह दिखाना।
छत्तीसगढ़ और सेल में पहला चिकित्सालय बना, स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक उपलब्धि
भिलाई / शौर्यपथ / सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय पं. जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (जेएलएनएच एंड आरसी) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। अस्पताल के ब्लड सेंटर को राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) से मान्यता प्राप्त हुई है। यह गौरव न केवल छत्तीसगढ़ राज्य बल्कि पूरे सेल संगठन में पहली बार किसी ब्लड सेंटर को हासिल हुआ है।
यह सफलता कार्यपालक निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. रविंद्रनाथ एम, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनीता द्विवेदी, डॉ. के. ठाकुर, डॉ. सौरभ मुखर्जी, डॉ. उदय कुमार और उनकी समर्पित टीम के सतत प्रयासों से संभव हुई। परियोजना का कानूनी निष्पादन एवं प्रलेखन डॉ. दीपक कुमार दासमोहपात्रा ने किया, जिन्होंने एमओयू तैयार कर एनएबीएच पोर्टल पर विवरण अपलोड किया। संपूर्ण आवेदन प्रक्रिया एसीएमओ डॉ. निली एस. कुजूर और डॉ. दासमोहपात्रा के मार्गदर्शन तथा एसीएमओ डॉ. अनिरुद्ध मेने और क्यूएमडी टीम की मदद से पूरी की गई।
20–21 जून 2025 को मूल्यांकनकर्ताओं डाॅ. भरत सिंह और डाॅ. प्रसून भट्टाचार्य ने अंतिम मूल्यांकन किया। सभी गैर-अनुपालनों के समाधान के उपरांत 11 अगस्त 2025 को ब्लड सेंटर को औपचारिक मान्यता प्रदान की गई। इस मान्यता के साथ जेएलएनएच का ब्लड सेंटर देशभर के 4,200 ब्लड सेंटरों में से चुनिंदा 100 मान्यता प्राप्त केंद्रों में शामिल हो गया है।
एनएबीएच, भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) का घटक बोर्ड है, जो स्वास्थ्य संस्थानों के लिए गुणवत्ता और सुरक्षा के कठोर मानक तय करता है। ब्लड सेंटर को मिली यह मान्यता इस बात की पुष्टि करती है कि यहाँ रक्तदान की संपूर्ण प्रक्रिया — दाता की स्वास्थ्य जाँच, स्क्रीनिंग, रक्त संग्रह, विभिन्न घटकों में संसाधन, संक्रामक रोग परीक्षण, सुरक्षित भंडारण और वितरण — वैज्ञानिक एवं मानक प्रोटोकॉल के अनुरूप की जा रही है।
इस उपलब्धि में श्री शाहिद अहमद, डॉ. अनिरुद्ध मेने, डॉ. अमित अग्रवाल, डॉ. राजू भैंसारे, डॉ. मनीषा कांगो, डॉ. गुरमीत सिंह, डॉ. प्रिया साहू, डॉ. गायत्री नट्टी, डॉ. आकांक्षा शर्मा, डॉ. प्रतीक शिवप्पा, श्री राजीव शर्मा, सुश्री रीता भटनागर, श्री सुधीर पांडे सहित ब्लड सेंटर विभाग की टीम के सदस्य सुश्री साजी, श्री संजय फुलज़ेले, श्री अजय कुमार आर्य, श्री कुलदीपक तिवारी, सुश्री मिनाक्षी चरण, श्री जितेंद्र, पैथोलॉजी विभाग और क्यूएमडी टीम (सुश्री रेजी, सुश्री बीना, सुश्री लता) का विशेष योगदान रहा।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, यह मान्यता ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के क्षेत्र में जेएलएनएच ब्लड सेंटर की गुणवत्ता और रोगी सुरक्षा के प्रति अग्रणी भूमिका को प्रमाणित करती है। इससे न केवल मरीजों को सुरक्षित और सर्वोत्तम गुणवत्ता का रक्त एवं रक्त उत्पाद मिलेंगे, बल्कि अस्पताल की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी। साथ ही, स्वैच्छिक रक्तदान को प्रोत्साहन मिलेगा और छत्तीसगढ़ सहित पूरे सेल संगठन की स्वास्थ्य सेवाओं में नई मिसाल स्थापित होगी।
महासमुंद/संवाददाता संतराम कुर्रे
पिथौरा ब्लॉक के गौरव ग्राम बुंदेली में आज ग्राम पंचायत द्वारा गांव की सुख-समृद्धि और शांति के लिए हवन-पूजन का आयोजन किया गया। ग्राम पंचायत भवन के सामने आयोजित इस कार्यक्रम में सरपंच रविकांत निषाद, उपसरपंच घनश्याम साहू, मुकेश किशोर सहित समस्त पंचगण उपस्थित रहे और ग्रामीण जनों के साथ मिलकर देवी-देवताओं का आह्वान किया।
यह आयोजन इतवारी त्योहार के पावन अवसर पर सम्पन्न हुआ। परंपरागत मान्यताओं के अनुसार, इस दिन खेतों में लगी फसलों की रक्षा और उनमें किसी भी प्रकार की बीमारी न आने की प्रार्थना की जाती है। ग्रामीणजन मानते हैं कि इस दिन गांव के समस्त देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने से अन्न भंडार भरे रहते हैं और समृद्धि का वास होता है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष और युवा उपस्थित रहे। ग्रामवासियों ने श्रद्धा भाव से हवन में आहुति अर्पित की और चीला-रोटी का प्रसाद खेतों में अर्पित कर देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। वातावरण वैदिक मंत्रों और पूजा-पाठ की ध्वनि से गूंज उठा।
ग्रामीणों ने इस अवसर को सामाजिक और धार्मिक एकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह परंपरा हमें हमारी संस्कृति से जोड़े रखती है और ईश्वर से गांव की रक्षा और सुख-समृद्धि की कामना का अवसर प्रदान करती है।
महासमुंद/शौर्यपथ/
संवाददाता संतराम कुर्रे
महासमुंद जिले के खल्लारी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक-6 के वनांचल ग्राम भालूकोना में प्रयोग सेवा समाज के तत्वाधान में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिला पंचायत उपाध्यक्ष भीखम सिंह ठाकुर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।
इस अवसर पर भालूकोना के अलावा उखरा, दरबेकेरा, तुपकबोरा और पंडरीपानी ग्रामों से आई हुई महिला स्व-सहायता समूह की दीदियों तथा क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों के साथ विस्तृत चर्चा की गई। चर्चा का मुख्य केंद्र संविधान में दिए गए अधिकारों, कानून से संबंधित जानकारियों तथा प्रवासी मजदूरों की समस्याओं पर रहा।
भीखम सिंह ठाकुर ने ग्राम पंचायत के सरपंचों और उपस्थित बहनों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने निराश्रित पेंशन, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी शासकीय योजनाओं की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने भाजपा सरकार की विभिन्न योजनाओं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय के सुशासन से भी ग्रामीणों को अवगत कराया।
कार्यक्रम में हीरा साहू, ओमप्रकाश ध्रुव, बहुर देशकर, प्रयोग सेवा समिति की संचालक देवंतीन बाई ठाकुर, एकता परिषद के सदस्य हलधर मिश्रा सहित बड़ी संख्या में महिलाएँ, पुरुष और युवा मौजूद रहे। उपस्थित लोगों ने कार्यक्रम को सार्थक बताते हुए इसे जागरूकता का माध्यम बताया।
कोंडागांव। राजधानी रायपुर से बस्तर संभाग को जोड़ने वाली जीवनरेखा नेशनल हाईवे-30 आज खुद जिंदगी के लिए खतरा बन गई है। एनएचएआई की लापरवाही और ठेकेदारों की मनमानी ने इस राष्ट्रीय राजमार्ग को खस्ताहाल कर दिया है। हालात ऐसे हैं कि कहीं गड्ढे सड़क को निगल रहे हैं, तो कहीं नारायणपुर चौक पर लगा हाई मास्क लाइट अंधड़ में लटककर मौत का झूला बना खड़ा है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सड़क से ज्यादा गड्ढे और धूल उड़ रही है, जिससे लोगों को आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा तो है ही, साथ ही सांस व अस्थमा जैसी बीमारियों का शिकार भी होना पड़ रहा है। तेज रफ्तार वाहनों और अंधे मोड़ के बीच लटकती हाई मास्क लाइट किसी भी वक्त बड़ा हादसा कर सकती है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की नींद अब तक टूटी नहीं है।
लोगों का गुस्सा अब टोल प्लाजा संचालन को लेकर फूट पड़ा है। सवाल उठ रहे हैं कि –
क्या टोल प्लाजा सिर्फ टैक्स वसूली का अड्डा है?
सड़कें गड्ढों में समा जाएं, बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो जाए, यातायात अव्यवस्थित हो – तो आखिर टोल की रकम जा कहां रही है?
एनएचएआई और ठेकेदारों की जिम्मेदारी केवल ‘वसूली’ तक सीमित है या जनता की सुरक्षा और सुविधा भी उनके दायरे में आती है?
कोंडागांव जिला मुख्यालय का नारायणपुर चौक, जो कि एक व्यस्त तिराहा है, रात में पूरी तरह अंधेरे में डूबा रहता है। स्थानीय लोगों ने कई बार यातायात विभाग से सावधानी हेतु बेरिकेड्स और लाइट व्यवस्था सुधारने की मांग की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोगों का कहना है कि सरकार और ठेकेदार दोनों ही बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं।
अब जनता सोशल मीडिया पर भी खुलकर सवाल उठा रही है – क्या इस समस्या का समाधान तब होगा जब केंद्रीय मंत्री या बड़े जनप्रतिनिधियों से लोग सड़क पर उतरकर मिलेंगे? या फिर प्रशासन हादसे के बाद ही जागेगा?
यह वही हाईवे है जो राजधानी को सीधे बस्तर से जोड़ता है। ऐसा राजमार्ग जो विकास का प्रतीक होना चाहिए था, वह आज भ्रष्टाचार और लापरवाही का आईना बन गया है। टोल वसूली करने वाले ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारी जनता के पैसे पर मौज तो कर रहे हैं, लेकिन जनता को सुरक्षा और सुविधा देने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की दस दिवसीय जापान और दक्षिण कोरिया यात्रा छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक साबित हुई। इस उच्चस्तरीय दौरे ने प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय निवेश, तकनीकी हस्तांतरण, रोजगार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में नए अवसर दिए हैं।
यह यात्रा भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (ITPO) के आमंत्रण पर आयोजित हुई। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया। मुख्य उद्देश्य था –
छत्तीसगढ़ को वैश्विक निवेश केंद्र बनाना
नई तकनीकों व प्रबंधन ज्ञान का हस्तांतरण करना
औद्योगिक विकास को सांस्कृतिक और पर्यटन विस्तार से जोड़ना
ओसाका वर्ल्ड एक्सपो में लगाए गए छत्तीसगढ़ पवेलियन ने विदेशी निवेशकों, नीति निर्माताओं और कंपनियों का ध्यान खींचा।
बौद्ध धरोहर, लोककला, टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग को खास तौर पर प्रदर्शित किया गया।
विदेशी कंपनियों ने इन क्षेत्रों में साझेदारी और निवेश में रुचि दिखाई।
जापान की SARTHAJ FOODS, Biocedes और Biyani Group ने छत्तीसगढ़ में संयंत्र लगाने में रुचि दिखाई।
दक्षिण कोरिया की Modern Tech Corp और UNECORAIL ने मेट्रो रेल, स्मार्ट सिटी और रेलवे उपकरण निर्माण में निवेश पर सहमति दी।
मुख्यमंत्री ने कोरिया इंटरनेशनल ट्रेड एसोसिएशन (KITA) और प्रमुख औद्योगिक समूहों से प्रत्यक्ष संवाद कर कई समझौते किए।
छत्तीसगढ़ सरकार ने निवेशकों को आश्वस्त किया कि—
सिंगल विंडो सिस्टम से त्वरित क्लीयरेंस मिलेगी।
फास्टर ग्राउंडिंग नीति से परियोजनाओं की तुरंत शुरुआत होगी।
5G, ई-व्हीकल, नवीकरणीय ऊर्जा और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में सब्सिडी और कर छूट की पेशकश की गई।
इस यात्रा के परिणामस्वरूप 6 बड़े निवेश प्रस्ताव आए हैं, जिनसे हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा।
जापान और कोरिया के साथ नॉलेज शेयरिंग कोलैबोरेशन की योजना बनी है।
स्टार्टअप, स्किल डेवलपमेंट और रिसर्च हब की स्थापना के लिए संस्थानों को आमंत्रित किया गया।
ओसाका एक्सपो में छत्तीसगढ़ की लोककला और बौद्ध धरोहर ने जापानी और कोरियाई निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया।
सरकार ने बौद्ध पर्यटन सर्किट को जापान, कोरिया और अन्य एशियाई देशों से जोड़ने का रोडमैप प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की यह यात्रा केवल निवेश तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने छत्तीसगढ़ को अगले दशक के लिए विकास, तकनीकी नवाचार और सांस्कृतिक गौरव की मजबूत नींव दी है।
पारदर्शी प्रशासन, तेज़ी से परियोजनाओं की ग्राउंडिंग और जनता की भागीदारी इस यात्रा की सबसे बड़ी पूंजी साबित होगी।
दुर्ग। शौर्यपथ / राजनितिक
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस संगठन की स्थिति पर यदि विशेष रूप से दुर्ग जिले की बात की जाए तो यह साफ दिखाई देता है कि संगठन लंबे समय से परिवारवाद, गुटबाज़ी और निष्क्रियता की राजनीति में उलझा हुआ है। यही कारण है कि कांग्रेस कार्यकर्ता, जो पार्टी की रीढ़ माने जाते हैं, लगातार उपेक्षा और निराशा का सामना कर रहे हैं।
दुर्ग कांग्रेस की राजनीति बीते वर्षों से कुछ चुनिंदा परिवारों और नेताओं तक सीमित रही है।
पार्टी के भीतर ब्लॉक और जिला स्तर पर वही पुराने चेहरे बार-बार आगे लाए जाते हैं।
इससे न केवल संगठन में ठहराव आया है बल्कि नए और समर्पित कार्यकर्ताओं के लिए अवसर भी बंद हो गए हैं।
हालिया ब्लॉक अध्यक्ष चुनाव की मीटिंग में भी यही परिदृश्य सामने आया, जब बिना पूर्व जानकारी दिए अचानक बैठक में पुराने अध्यक्ष की दावेदारी का नाम उछाल दिया गया।
कार्यकर्ताओं के अनुसार यह प्रक्रिया उनके लिए “आघात” जैसी रही। उनका मानना है कि बिना उद्देश्य बताए, अचानक नामांकन की चर्चा संगठन की लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है।
दुर्ग कांग्रेस की कमजोरी का दूसरा बड़ा कारण है – नेतृत्व की निष्क्रियता।
जिला अध्यक्ष लंबे समय से निष्क्रिय भूमिका में नजर आते हैं।
सत्ता में रहने के दौरान ब्लॉक अध्यक्ष सत्ता का लाभ उठाते रहे, जबकि विपक्ष की भूमिका में आने के बाद भी कोई प्रभावी आंदोलन खड़ा नहीं किया गया।
केवल दुर्ग ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष राकेश ठाकुर ही लगातार जिला मुख्यालय पर आंदोलनों की जिम्मेदारी उठाते रहे, लेकिन शहर कांग्रेस में इसका असर दिखाई नहीं दिया।
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पूर्व विधायक अरुण वोरा को टिकट मिल सकता है।
कार्यकर्ताओं का मानना है कि अरुण वोरा की पिछले वर्षों की निष्क्रियता और कार्यकर्ताओं के साथ भेदभावपूर्ण रवैया कांग्रेस की स्थिति को और कमजोर कर देगा।
यद्यपि उनकी पहुंच केंद्रीय संगठन तक है, लेकिन आम कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ाव कमजोर पड़ चुका है।
यदि आठवीं बार भी टिकट उन्हें मिलता है, तो यह कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है और भाजपा को दुर्ग में एक मजबूत संजीवनी मिल जाएगी।
? यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अब आम जनता भी लगातार एक ही प्रत्याशी और उसी परिवार के नाम को सुन-सुनकर ऊब चुकी है। पिछले 35–40 वर्षों से दुर्ग की जनता को लगभग एक ही चेहरे का सामना करना पड़ा है। जनता का कहना है कि कांग्रेस यदि केवल परिवारवादी राजनीति पर टिकेगी तो उससे किसी बड़े बदलाव की उम्मीद करना व्यर्थ है। यही कारण है कि आज कांग्रेस से आम जनता की अपेक्षाएँ लगभग खत्म हो चुकी हैं।
कांग्रेस कार्यकर्ता आज संगठन के भीतर परिवारवाद और मनमानी से सबसे अधिक आहत हैं।
ब्लॉक स्तर की बैठकों में कार्यकर्ताओं की अनदेखी,
निर्णयों में पारदर्शिता का अभाव,
और आंदोलन की कमी ने कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ दिया है।
इसी के समानांतर, आम जनता भी कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व से निराश हो चुकी है। बार-बार वही परिवार और वही प्रत्याशी देखना जनता को अब नीरस और अप्रभावी लग रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही तो जनता का कांग्रेस से मोहभंग और गहराता जाएगा।
कांग्रेस का इतिहास लोकतांत्रिक परंपराओं पर आधारित रहा है, लेकिन दुर्ग कांग्रेस में परिवारवाद और कब्ज़े की राजनीति ने संगठन को खोखला कर दिया है।
प्रदेश और केंद्रीय संगठन अब भी परिवारवाद को नजरअंदाज कर रहे हैं।
यह प्रवृत्ति केवल दुर्ग ही नहीं, बल्कि अन्य जिलों में भी कांग्रेस की पकड़ कमजोर कर रही है।
जहां परिवारवाद मजबूत रहेगा, वहां कांग्रेस का जनाधार और समर्पित कार्यकर्ता दोनों खो जाएंगे।
राजनीति का स्वरूप लगातार बदलता है। विपक्ष के रूप में कांग्रेस के पास जनता की आवाज़ उठाने का बड़ा अवसर था, लेकिन दुर्ग में पार्टी इस भूमिका को निभाने में नाकाम रही है।
यदि संगठन में समय रहते बदलाव नहीं हुआ, तो कांग्रेस को न केवल दुर्ग शहर बल्कि पूरे जिले में अस्तित्व बचाए रखना मुश्किल होगा।
दुर्ग कांग्रेस के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती है – परिवारवाद से ऊपर उठकर सक्रिय और पारदर्शी नेतृत्व खड़ा करना। अन्यथा आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का पतन अवश्यंभावी है।
अब यह लेख कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता – दोनों की भावनाओं को समाहित करता है।
