July 31, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

  रायपुर /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ सरकार ने युवाओं की ऊर्जा, प्रतिभा और नवाचार को सशक्त मंच देने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए “CM आईटी फेलोशिप कार्यक्रम” की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में यह कार्यक्रम राज्य के तकनीकी रूप से दक्ष और होनहार युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने का एक सशक्त माध्यम बनेगा।
इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के युवाओं को नवा रायपुर स्थित अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT-NR) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं डाटा साइंस जैसे भविष्यगामी विषयों में M.Tech करने का अवसर प्रदान किया जा रहा है। यह पाठ्यक्रम डिजिटल इंडिया मिशन और नई शिक्षा नीति के अनुरूप तैयार किया गया है, जिसमें तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ नवाचार, अनुसंधान और व्यावहारिक प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया गया है। इस योजना के तहत चयनित विद्यार्थियों की पूरी ट्यूशन फीस राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी, साथ ही उन्हें ₹50,000 प्रतिमाह की फेलोशिप भी प्रदान की जाएगी। पाठ्यक्रम के दौरान युवा विद्यार्थियों को AI, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स, हेल्थटेक, एजुटेक, राजस्व प्रणाली और ई-गवर्नेंस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सरकारी प्रोजेक्ट्स पर कार्य करने का व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त होगा। प्रदेश सरकार ने युवाओं से आग्रह किया है कि वे इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाने हेतु iiitnr.ac.in पोर्टल पर जाकर आवेदन करें।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल राज्य के तकनीकी परिदृश्य को नई ऊंचाइयाँ देगा, बल्कि छत्तीसगढ़ को डिजिटल युग में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक मजबूत कदम साबित होगा।

भिलाई, 25 जुलाई।
शिव की नगरी भिलाई एक बार फिर महादेव के जयकारों से गुंजायमान होने जा रही है। पुण्यभूमि भिलाई में 30 जुलाई से 5 अगस्त 2025 तक प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से सायं 4 बजे तक जयंती स्टेडियम, सिविक सेंटर में श्री शिव महापुराण कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इस सात दिवसीय आध्यात्मिक महोत्सव में अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शिव कथावाचक पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी महाराज शिव महिमा का रसपान कराएंगे।

इस भव्य आयोजन की तैयारियों के क्रम में आयोजक एवं भिलाई निगम के नेता प्रतिपक्ष तथा बोल बम समिति के संस्थापक श्री दया सिंह ने आज शुक्रवार को दुर्ग रेंज के पुलिस महानिरीक्षक श्री रामगोपाल गर्ग, कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह तथा पुलिस अधीक्षक श्री विजय अग्रवाल से सौजन्य मुलाकात कर उन्हें कथा का ससम्मान आमंत्रण पत्र भेंट किया। साथ ही उन्हें सपरिवार कथा में सम्मिलित होकर शिव कृपा प्राप्त करने का आग्रह भी किया।

इस अवसर पर श्री दया सिंह ने कहा—

“यह कथा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जागरण का पर्व है। यह आयोजन भक्ति, अनुशासन और समाज में सद्भाव का संदेश देगा। हम संपूर्ण भिलाईवासियों से अनुरोध करते हैं कि सपरिवार इस दिव्य प्रसंग का भाग बनें और महादेव की कृपा का अनुभव करें।”

सुरक्षा और व्यवस्था के लिए व्यापक तैयारियां जारी
प्रत्येक दिन अनुमानित हज़ारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति को देखते हुए सुरक्षा एवं ट्रैफिक व्यवस्था की पूर्व तैयारी की जा रही है। नगर निगम, पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी से यह आयोजन सफल व व्यवस्थित बनाने का संकल्प लिया गया है।

कथा की मुख्य बातें:

  • ? स्थान: जयंती स्टेडियम, सिविक सेंटर, भिलाई

  • ? तिथि: 30 जुलाई से 5 अगस्त 2025

  • ? समय: दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक

  • ? कथावाचक: पं. श्री प्रदीप मिश्रा जी महाराज

स्वच्छता हम सभी की है जिम्मेदारी – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि स्वच्छता केवल एक अभियान नहीं, बल्कि हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि देश को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने में हमारी स्वच्छता दीदियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, जिन्होंने निष्ठा, परिश्रम और सेवा-भावना के साथ समाज को नई दिशा दी है। मुख्यमंत्री श्री साय ने आज जशपुर जिले के ग्राम बगिया में आयोजित सम्मान समारोह में स्वच्छता दीदियों को साड़ी, स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री  साय ने कहा कि जशपुर एक प्राकृतिक रूप से समृद्ध और सुंदर जिला है, लेकिन पहले जब वे गांवों का दौरा करते थे, तो सड़कों के किनारे फैला कचरा गांवों और नगरों की सुंदरता को धूमिल कर देता था। इस स्थिति को बदलने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत कर इसे राष्ट्रीय जनआंदोलन में परिवर्तित किया। उन्होंने स्वयं झाड़ू उठाकर लोगों को प्रेरित किया और गांव-गांव, शहर-शहर स्वच्छता की अलख जगाई। उन्होंने हर नागरिक को स्वच्छ और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार दिलाने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अभियान में हमारी स्वच्छता दीदियों की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। उनके अथक परिश्रम और समर्पण का ही परिणाम है कि आज जशपुर जिले ने स्वच्छता के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। वे वास्तव में सम्मान की पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने हमें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण प्रदान करने में अमूल्य योगदान दिया है। मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे अपने घर, मोहल्ले, चौराहे, मंदिर और सार्वजनिक स्थलों की सफाई को अपना कर्तव्य मानें और स्वच्छता को अपनी आदत में शामिल करें।
उल्लेखनीय है कि आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा शहरी स्वच्छता सुधारों के मूल्यांकन और प्रोत्साहन हेतु स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के अंतर्गत 4,589 शहरों को शामिल किया गया था। इस राष्ट्रीय सर्वेक्षण में जशपुर जिले के नगरीय निकायों ने अभूतपूर्व प्रदर्शन कर देश भर में अपना परचम लहराया है।इसमें जशपुरनगर ने 20,000 से 50,000 की जनसंख्या वर्ग में पूरे देश में 10वां स्थान प्राप्त किया है, जो कि 2023 की 505वीं रैंकिंग से एक लंबी छलांग है। इसी वर्ग में नगर पंचायत कुनकुरी ने 13वां रैंक, नगर पंचायत पत्थलगांव ने 30वां रैंक, नगर पंचायत बगीचा ने 51वां रैंक, और नगर पंचायत कोतबा ने 64वां रैंक हासिल किया है। यह असाधारण उपलब्धि स्वच्छता दीदियों के परिश्रम और प्रशासनिक टीम के समन्वित प्रयास का प्रतिफल है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में जिले को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए नगरीय निकायों द्वारा योजनाबद्ध रूप से कई कार्य किए जा रहे हैं, जिनमें बी.टी. रोड निर्माण, रोड मार्किंग, सामुदायिक शौचालयों का उन्नयन, चौक-चौराहों का सौंदर्यीकरण, वॉल पेंटिंग, वेस्ट मैटेरियल से पार्कों का निर्माण, कम्पोस्टिंग शेड और रिसाइक्लिंग सेंटर की स्थापना, फुटपाथों पर पेवर ब्लॉक लगाना, साइनेज आदि प्रमुख हैं। लेकिन इन प्रयासों की आत्मा बनी हैं वे स्वच्छता दीदियाँ, जो हर गली, मोहल्ले में जाकर डोर टू डोर कचरा संग्रहण जैसे श्रमसाध्य कार्यों को अंजाम देती हैं।
इस अवसर पर जशपुर विधायक श्रीमती रायमुनी भगत ने सभी स्वच्छता दीदियों, नगरीय निकायों के अधिकारियों और नागरिकों को इस उपलब्धि पर बधाई दी। सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष एवं पत्थलगांव विधायक श्रीमती गोमती साय ने कहा कि स्वच्छता दीदियाँ वह कार्य कर रही हैं जो पहले समाज में उपेक्षित था। उन्होंने कहा कि कभी स्वच्छता के प्रति लोगों में चेतना नहीं थी, लेकिन स्वच्छ भारत अभियान के तहत दीदियों ने लोगों को न केवल जागरूक किया, बल्कि व्यवहार परिवर्तन भी सुनिश्चित किया, जिससे जशपुर को यह गौरव प्राप्त हुआ है।
कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय, उपाध्यक्ष श्री शौर्य प्रताप सिंह जूदेव, कलेक्टर श्री रोहित व्यास, नगर पालिका अध्यक्ष श्री अरविंद भगत, उपाध्यक्ष श्री यश प्रताप सिंह जूदेव सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण हेतु मुख्यमंत्री की दूरदर्शी पहल
सीएसआर निधि से प्रदत्त एम्बुलेंस में उपलब्ध है बेसिक लाइफ सपोर्ट समेत आधुनिक सुविधाएँ
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज जशपुर जिले के ग्राम बगिया स्थित कैम्प कार्यालय परिसर से अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त एम्बुलेंस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह एम्बुलेंस बैंक ऑफ इंडिया द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निधि से प्रदत्त है, जिसमें बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम सहित अन्य उन्नत सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं।
यह एम्बुलेंस मुख्य रूप से मनोरा क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु रखी जाएगी, जिसकी सेवाएँ आवश्यकता अनुसार पूरे जिले में ली जा सकेंगी। इससे आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित चिकित्सा परिवहन सेवा सुनिश्चित हो सकेगी, जिससे खासकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में गंभीर रूप से बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को समय पर स्वास्थ्य सहायता मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर कहा कि राज्य सरकार हर व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण और त्वरित स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के लिए कृतसंकल्पित है। उनकी पहल पर विशेष रूप से ग्रामीण एवं दूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य अधोसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए अनेक योजनाएँ प्रारंभ की गई हैं। उन्होंने बताया कि कुनकुरी में मेडिकल कॉलेज और 50 बिस्तर वाला मातृ एवं शिशु अस्पताल, जशपुर में प्राकृतिक चिकित्सा एवं फिजियोथेरेपी केंद्र, शासकीय नर्सिंग कॉलेज तथा शासकीय फिजियोथेरेपी कॉलेज की स्थापना का कार्य प्रगति में है।
इस अवसर पर सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष श्रीमती गोमती साय, जशपुर विधायक श्रीमती रायमुनी भगत, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री शौर्य प्रताप सिंह जूदेव, नगर पालिका अध्यक्ष श्री अरविंद भगत, नगर पालिका उपाध्यक्ष श्री यश प्रताप सिंह जूदेव, कलेक्टर श्री रोहित व्यास, सहित अनेक जनप्रतिनिधिगण, प्रशासनिक अधिकारी, और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

'नियद नेल्ला नार' बना सुशासन का जीवंत प्रमाण: जहाँ कभी बंदूकें थीं, वहाँ अब किताबें हैं – बस्तर में भय से विश्वास की ओर बढ़ती नई सुबह
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के वे सुदूरवर्ती गाँव, जो वर्षों तक विकास की मुख्यधारा से कटे रहे, आज नई उम्मीदों और उजालों की ओर अग्रसर हैं। जहाँ कभी बिजली, सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएँ और संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था, वहीं अब वही गाँव प्रगति के रास्ते पर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इस बदलाव की नींव मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व और जन सरोकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप 15 फरवरी 2024 को 'नियद नेल्लानार – आपका आदर्श ग्राम योजना' के रूप में रखी गई। यह योजना उन क्षेत्रों तक शासन की संवेदनशील और सक्रिय पहुँच सुनिश्चित करने का क्रांतिकारी प्रयास है, जहाँ अब तक केवल उपेक्षा और प्रतीक्षा का सन्नाटा था।
मुख्यमंत्री साय का स्पष्ट मानना रहा है कि केवल सुरक्षा शिविर स्थापित कर देना पर्याप्त नहीं, जब तक वहाँ शासन की संवेदनशील उपस्थिति और समग्र विकास की किरण नहीं पहुँचे। इसी सोच के साथ बस्तर के पाँच नक्सल प्रभावित जिलों—सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कांकेर—में 54 नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए। इन शिविरों के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 327 गाँवों को चिन्हित कर यह निर्णय लिया गया कि इन सभी को शत-प्रतिशत योजनाओं से जोड़ते हुए एक नया विकास मॉडल प्रस्तुत किया जाएगा।
इस पहल के साथ ही गाँवों में बदलाव की हवा बहने लगी है। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने 31 नए प्राथमिक विद्यालयों की स्वीकृति दी, जिनमें से 13 स्कूलों में कक्षाएँ शुरू हो चुकी हैं। 185 आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना को स्वीकृति दी गई, जिनमें से 107 पहले ही प्रारंभ हो चुके हैं, जिससे बच्चों को पोषण और प्रारंभिक शिक्षा की सुविधा मिलने लगी है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में 20 उप-स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत किए गए, जिनमें से 16 स्वास्थ्य केंद्र प्रारम्भ हो चुके हैं। ये वही गाँव हैं जहाँ पहले एक सामान्य दवा के लिए भी लोगों को मीलों जंगल पार करना पड़ता था।
मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में संचार और संपर्क साधनों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। पहले जहाँ मोबाइल सिग्नल का नामोनिशान नहीं था, वहाँ अब 119 मोबाइल टावरों की योजना बनी और 43 टावर कार्यशील हो चुके हैं। 144 हाई मास्ट लाइट्स की मंजूरी दी गई, जिनमें से 92 गाँवों में अब रात के अंधेरे में उजियारा फैलने लगा है। सड़क और पुल निर्माण के लिए 173 योजनाएँ बनाई गईं, जिनमें से 116 को स्वीकृति मिल चुकी है और 26 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। यह विकास केवल अधोसंरचना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक जुड़ाव और पहचान का सशक्त माध्यम बन चुका है। आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अब तक 70,954 लोगों के आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं, 46,172 वृद्धजनों को आयु प्रमाण-पत्र जारी किए गए हैं और 11,133 नागरिकों का मतदाता पंजीकरण हुआ है, जिससे वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदार बन पाए हैं। 46,172 लोगों को आयुष्मान कार्ड जारी कर मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 12,232 मकानों का लक्ष्य तय किया गया है, जिनमें से 5,984 परिवारों को स्वीकृति मिल चुकी है। किसान सम्मान निधि योजना के तहत 4,677 किसानों को सहायता राशि प्रदान की गई है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 6,460 घरों में व्यक्तिगत शौचालय बनाए गए हैं। रसोई को धुएँ से मुक्त करने के उद्देश्य से 18,983 महिलाओं को उज्ज्वला और गौ-गैस योजना के तहत गैस कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। 30 गाँवों में डीटीएच कनेक्शन भी दिए गए हैं, जिससे ये गाँव अब सूचना और मनोरंजन के मुख्य प्रवाह से जुड़ चुके हैं।
यह परिवर्तन मात्र योजनाओं का संकलन नहीं है, बल्कि शासन और जनता के बीच एक नए भरोसे का रिश्ता है, जिसकी बुनियाद सहभागिता और पारदर्शिता पर टिकी है। वर्षों तक शासन से कटे रहे लोग अब स्वयं विकास की निगरानी में सहभागी बन रहे हैं। अब ग्रामीण स्वयं आंगनबाड़ी की उपस्थिति पंजी, राशन दुकान की गुणवत्ता और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी कर रहे हैं। यह वही बस्तर है, जो भय से विश्वास और उपेक्षा से भागीदारी की ओर बढ़ चला है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस दूरदर्शिता ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि सुशासन केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि जमीनी क्रियान्वयन से आता है। 'नियद नेल्लानार' केवल एक योजना नहीं, बल्कि यह बस्तर के पुनर्जागरण की यात्रा है—एक ऐसी यात्रा जिसमें बंदूक की जगह अब किताबें हैं, अंधेरे की जगह उजियारा है और असहमति की जगह अब सहभागी लोकतंत्र की भावना है।

मुख्यमंत्री साय ने किया “रक्त-मित्र” पुस्तिका का विमोचन, रेडक्रॉस के आजीवन सदस्यों को किया सम्मानित
    रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने कहा है कि रक्तदान एक पुनीत कार्य है, जो न केवल किसी जरूरतमंद को जीवनदान देता है, बल्कि मानवता के प्रति हमारी सेवा भावना का श्रेष्ठतम उदाहरण भी है। मुख्यमंत्री श्री साय आज जशपुर जिले के ग्राम बगिया में भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
 मुख्यमंत्री साय ने कहा कि “रक्त-मित्र” डायरेक्ट्री एक ऐतिहासिक और सराहनीय पहल है, जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति समय पर रक्तदाताओं से सीधा संपर्क स्थापित कर सकता है। यह पहल जीवनरक्षक सहायता को सहज, सुलभ और समयबद्ध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि मुझे यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि जशपुर जिले में हर वर्ग के नागरिक स्वैच्छिक रक्तदान और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं और समाज सेवा में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। आज रक्तदाताओं को प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ, क्योंकि जीवनदान देने वाला व्यक्ति वास्तव में ईश्वर के समकक्ष होता है।
  मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि रक्त का हमारे जीवन में क्या महत्व है। सही समय पर उपयुक्त रक्त समूह का रक्त मिलने से किसी के प्राणों की रक्षा की जा सकती है, इसलिए रक्तदान को ‘महादान’ कहा गया है। राज्य में रेडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से सर्वाधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है, जो जनसेवा की उत्कृष्ट मिसाल है। मैं इस मंच से प्रदेशवासियों से आह्वान करता हूँ कि वे यथासंभव रक्तदान कर इस जीवनरक्षक कार्य में सहभागी बनें।
   मुख्यमंत्री  साय ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार हेतु राज्य सरकार निरंतर प्रतिबद्ध है। हाल ही में हमने एम्बुलेंस सेवाओं को हरी झंडी दिखाकर त्वरित चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस पहल की है। उन्होंने कहा कि मैं सभी नागरिकों को यह आश्वस्त करना चाहता हूँ कि हमारी सरकार प्रत्येक व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण, सुलभ और त्वरित स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिए संकल्पित है।
 इस अवसर पर मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने कैम्प कार्यालय बगिया में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी जशपुर के आजीवन सदस्यों को प्रमाण पत्र वितरित किए और “रक्त-मित्र” पुस्तिका का विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने श्री नीरज शर्मा, श्री अजय कुमार कुशवाहा और श्री शिव नारायण सोनी को प्रमाण पत्र प्रदान कर उनके योगदान की सराहना की।
   उल्लेखनीय है कि “रक्त-मित्र” डायरेक्ट्री, जिला प्रशासन एवं भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी, जिला जशपुर की एक अभिनव पहल है, जिसके अंतर्गत 480 स्वैच्छिक रक्तदाताओं के नाम एवं मोबाइल नंबर सूचीबद्ध किए गए हैं। इस डायरेक्ट्री के माध्यम से जब भी किसी मरीज को रक्त की आवश्यकता होगी, वह सीधे सूची में दिए गए नंबरों पर संपर्क कर रक्त प्राप्त कर सकता है।
   इस प्रयास से रोगियों को इधर-उधर भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और उन्हें समय पर रक्त मिल सकेगा। यदि कोई व्यक्ति या समाजसेवी “रक्त-मित्र” बनना चाहता है, तो वह डायरेक्ट्री में दिए गए QR कोड को स्कैन कर गूगल फॉर्म भर सकता है। साथ ही, कलेक्टर एवं अध्यक्ष, भारतीय रेडक्रॉस जिला मुख्यालय, जशपुर (कलेक्ट्रेट परिसर, कक्ष क्रमांक 122) में संपर्क कर भी “रक्त-मित्र” के रूप में पंजीयन कर सकता है।
   इस गरिमामय कार्यक्रम में सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष एवं पत्थलगाँव विधायक श्रीमती गोमती साय, जशपुर विधायक श्रीमती रायमुनी भगत, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री शौर्य प्रताप सिंह जूदेव, नगर पालिका अध्यक्ष श्री अरविंद भगत, उपाध्यक्ष श्री यश प्रताप सिंह जूदेव, कलेक्टर श्री रोहित व्यास, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री शशि मोहन सिंह, डिप्टी कलेक्टर श्री हरिओम द्विवेदी, डिप्टी कलेक्टर श्री प्रशांत कुशवाहा, रेडक्रॉस सोसायटी के श्री रूपेश प्राणी ग्राही, अनेक जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ी संस्कृति, लोक जीवन और खानपान की दिखी झलक
श्री साव ने हल और कृषि औजारों की पूजा कर गौमाता को आटे की लोंदी खिलाई, गेड़ी का भी लिया आनंद
प्रदेशवासियों को दी हरेली की बधाई और शुभकामनाएं

रायपुर / शौर्यपथ / उप मुख्यमंत्री अरुण साव के नवा रायपुर स्थित शासकीय निवास पर आज सुबह से हरेली की धूम रही। उन्होंने सपरिवार हल और कृषि औजारों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर गौमाता को आटे की लोंदी और गुड़ खिलाया। उन्होंने गेड़ी का भी आनंद लिया। कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, विधायक श्री रोहित साहू और श्री मोतीलाल साहू भी हरेली पर्व में शामिल हुए।
  हरेली पर उप मुख्यमंत्री साव के निवास पर चहुंओर छत्तीसगढ़ी संस्कृति, लोक जीवन और खानपान की झलक दिखी। उन्होंने हरेली पर्व में शामिल होने अपने निवास पहुंचे सभी लोगों का परंपरागत छत्तीसगढ़ी व्यंजनों चौसेला, गुलगुल भजिया, बरा, टमाटर की चटनी और भजिया खिलाकर स्वागत व आवभगत किया। उन्होंने हरेली पर अपने निवास में शीशम का पौधा लगाया।
  उप मुख्यमंत्री साव ने प्रदेशवासियों को हरेली की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हरेली तीज-तिहारों से संपन्न छत्तीसगढ़ का साल का पहला लोक पर्व है। मुख्यतः कृषि और किसानों को समर्पित यह पर्व आज पूरे प्रदेश में उत्साह व उमंग के साथ मनाया जा रहा है। हरेली में गेड़ी का परंपरागत साथ बच्चों के लिए भी इस त्योहार को उत्साहपूर्ण बनाता है। हरेली से मेरे बचपन की कई अच्छी और सुखद यादें जुड़ी हुई हैं। रायपुर नगर निगम के सभापति सूर्यकांत राठौर, खनिज विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष  छगन मूंदड़ा, बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष यशवंत जैन, पवन साय और अनुराग अग्रवाल सहित अनेक जनप्रतिनिधि भी हरेली पर्व में शामिल हुए।

? कोरबा | 

कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र में एक विशेष विवाह आवेदन को लेकर सामाजिक हलकों में गहरी हलचल मची हुई है। एक युवक द्वारा विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत आवेदन देने के बाद, जिले के कई प्रमुख सामाजिक संगठनों ने इस विवाह को संदिग्ध मानते हुए प्रशासन को गहरी आपत्ति पत्र सौंपे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, तौसीफ़ मेमन नामक युवक ने शोभा सिंह नाम की युवती से विवाह हेतु आवेदन दिनांक 23 जून 2025 को कार्यालय अपर कलेक्टर एवं विवाह अधिकारी, कोरबा में प्रस्तुत किया था। प्रथम दृष्टया यह एक वैधानिक प्रक्रिया प्रतीत होती है, परंतु जैसे ही यह मामला सार्वजनिक हुआ, हिन्दू मंदिर नारायणी सेना, महाराणा प्रताप चौक व्यापार मंडल, राजपूत क्षत्रिय समाज, समेत कई सामाजिक संस्थाओं ने इस पर गंभीर आपत्तियाँ दर्ज कराईं।

इन संगठनों ने अपने ज्ञापनों में आरोप लगाया कि:

  • युवक तौसीफ़ मेमन की पृष्ठभूमि संदिग्ध है।

  • वह मूलतः बांग्लादेशी घुसपैठिया रोहिंग्या मुसलमान हो सकता है।

  • उसका संबंध झींगुर बाबा गिरोह जैसे संगठनों से होने की आशंका भी जताई गई है।

  • इस विवाह का उद्देश्य केवल लव जिहाद या धार्मिक छल हो सकता है।

इन आरोपों को गंभीर मानते हुए विवाह अधिकारी ने दिनांक 23 जुलाई 2025 को पुलिस अधीक्षक, कोरबा को पत्र जारी कर संबंधित युवक की पूरी पृष्ठभूमि की गहन जांच कर सत्यापन रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। पत्र में यह स्पष्ट कहा गया है कि यदि आपत्तियों की पुष्टि होती है, तो आवेदन को नियमों के तहत रद्द किया जाएगा।

? क्या कहा है पत्र में?

"...आवेदक की पहचान को लेकर प्रस्तुत आपत्तियाँ अत्यंत गंभीर हैं। यदि वह वास्तव में बांग्लादेश से आया रोहिंग्या शरणार्थी है अथवा धर्मांतरण हेतु छल कर रहा है, तो यह विवाह कानून की मूल भावना के प्रतिकूल होगा..."

? प्रशासन की तत्परता:

प्रशासन ने इस मामले में केवल दस्तावेज़ों को देखकर निर्णय नहीं लिया, बल्कि सामाजिक संगठनों की शंकाओं को आधार बनाकर जाँच प्रक्रिया को प्राथमिकता दी है। विवाह अधिकारी ने यह भी उल्लेख किया है कि यह मामला केवल दो व्यक्तियों का निजी मामला नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक सद्भाव और सुरक्षा का पहलू भी गहराई से जुड़ा है।

? सामाजिक संगठनों की चेतावनी:

आपत्ति करने वाले संगठनों ने कहा है कि यदि इस प्रकार के मामलों में प्रशासन मौन रहता है तो यह भविष्य में मासूम लड़कियों के साथ धोखा, शोषण और कट्टरपंथी नेटवर्क के प्रसार का मार्ग खोल सकता है।


⚖️ क्या है विशेष विवाह अधिनियम 1954 की भूमिका?

विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत दो अलग-अलग धर्मों के युवक-युवती विवाह कर सकते हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनी सत्यापन से जुड़ी होती है। किसी भी प्रकार की झूठी जानकारी, विदेशी नागरिकता छिपाना या पहचान से छेड़छाड़ इस अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।


?️ संदेश समाज के लिए:

यह मामला न केवल प्रशासन की सतर्कता का उदाहरण है, बल्कि समाज की सामूहिक चेतना और सजगता का भी प्रतीक है। यदि वाकई इस विवाह के पीछे किसी प्रकार का छल, पहचान की धोखाधड़ी या सांप्रदायिक उद्देश्य छिपा हो, तो यह हर नागरिक के लिए एक खतरे की घंटी है

"बेटियों को बचाने के लिए कानून, समाज और प्रशासन — तीनों का सजग रहना अनिवार्य है।"


? निष्कर्ष:

कोरबा प्रशासन ने सही दिशा में कदम उठाते हुए सामाजिक आपत्तियों को नजरअंदाज नहीं किया है। अब यह जिम्मेदारी पुलिस जांच पर है कि वह पूरे मामले की निष्पक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत कर न्यायसंगत निर्णय के लिए मार्ग प्रशस्त करे।

इस तरह के मामलों में सिर्फ भावनाओं से नहीं, सत्यता और प्रमाण के साथ ही कार्रवाई होनी चाहिए।

दुर्ग। शौर्यपथ।
नगर पालिका निगम दुर्ग में नवनियुक्त महापौर श्रीमती अलका बाघमार ने अपने 100 दिनों के कार्यकाल में ही अपनी कार्यशैली की ऐसी अमिट छाप छोड़ दी है, जिसे जनता पीढ़ियों तक याद रखेगी! दुर्ग निगम क्षेत्र इन दिनों खुशहाली के ऐसे वातावरण में जी रहा है कि मानो स्वर्ग ही धरती पर उतर आया हो।

    दुर्ग नगर निगम अब केवल नगर निगम नहीं, बल्कि "विकास तीर्थ" बन चुका है, जहां आकर योजनाएं मोक्ष प्राप्त करती हैं और समस्याएं स्वर्गवास को प्राप्त हो जाती हैं।

जन-जन की महापौर: सुलभता की नई मिसाल


पूर्व के शासनकाल में शहरी सरकार के मुखिया से मिलने के लिए महीनों गुजर जाते थे, क्योंकि वे चाटुकारों से घिरे रहते थे। परंतु वर्तमान समय में ऐसी स्थिति बिल्कुल भी नहीं है। अब आम जनता महापौर से आसानी से मिल सकती है! मानो महापौर महोदया हर समय जनता-जनार्दन के लिए ही उपलब्ध हों। यह सुलभता ही उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण है।" लोग अब राशन की दुकान से कम और महापौर के दर्शन से ज़्यादा तृप्ति पा रहे हैं।"

दुर्ग का कायाकल्प: सुंदरता और स्वच्छता का संगम

क्या सड़कें, क्या गलियां – हर तरफ स्वच्छता का अद्भुत साम्राज्य! आधे घंटे की बारिश तो छोड़िए, अगर प्रलय भी आ जाए तो नालियों में जाम की स्थिति नहीं रहेगी। पूरे शहर में कहीं भी पानी का जमावड़ा देखने को नहीं मिलता है; सड़कें गड्ढा रहित होकर ऐसी हो गई हैं जैसे घर का आंगन हो।

   " ऐसी सफाई तो कभी इंसान के मन में भी नहीं देखी गई, जैसी दुर्ग की गलियों में देखी जा रही है! अब कचरा खुद चलकर स्वेच्छा से डंपिंग यार्ड में चला जाता है।"
  "रात के समय शहर में घूमने से ऐसा प्रतीत होता है जैसे चांद की रोशनी अपनी छटा बिखेर रही हो, हर कोना जगमगा रहा है।"

   शहर के मध्य सुराना कॉलेज के सामने का क्षेत्र जो कभी बदबूदार वातावरण से घिरा रहता था, अब खुशबूदार वातावरण में निर्मित है। कभी यहां कचरे का ढेर होता था, अब सुंदर उद्यान बन चुके हैं। चौक-चौराहों की बात करें तो उनकी सुंदरता अद्भुत है, मानो हर चौराहा कला का एक नायाब नमूना हो। कचरा निष्पादन के लिए बड़ी-बड़ी डंपिंग मशीनें लग चुकी हैं, जिससे शहर की गंदगी का नामोनिशान मिट गया है।
अतिक्रमण मुक्त दुर्ग: न्याय और व्यवस्था का राज

दुर्ग निगम क्षेत्र की सड़कें अतिक्रमण मुक्त हो गई हैं, और आम जनता के यातायात में अतिक्रमणकारियों के कारण हो रही बाधाएं अब दूर हो गई हैं। हर तरफ खुशी का वातावरण है।

    "सड़कों से अतिक्रमण इस कदर हट गया है कि अब हर वाहन को चलने से पहले सड़क से अनुमति लेनी पड़ती है कि कहीं वह उसकी स्वच्छता तो नहीं बिगाड़ रहा।"

   अवैध रूप से बिल्डिंग/घर बनाने वालों को ख्वाब में भी अब निगम के भवन विभाग जाना पड़ता है, और शहर में अवैध प्लाटिंग पूरी तरह बंद हो गई है। सड़कों पर अब आवारा गाय कहीं नजर नहीं आतीं – वे भी शायद महापौर के शासन से प्रभावित होकर अनुशासित हो गई हैं! इंदिरा मार्केट अब प्रदेश का सबसे सुंदर बाजार नजर आने लगा है। व्यापारियों ने बरामदे का स्थान खाली कर दिया है ताकि आम जनता के आवागमन में किसी प्रकार की दिक्कत न हो।

जिस भावभूमि बिल्डर द्वारा निगम की जमीन पर कब्जा कर लिया गया था, वह अब कब्जा मुक्त हो चुका है। यह महापौर की दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि उन्होंने न्याय और व्यवस्था को सर्वोपरि रखा है। गोठान की गायों के लिए भरपूर चारा उपलब्ध कराने में शहरी सरकार की अहम भूमिका नजर आ रही है, जो पशु कल्याण के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है।

भ्रष्टाचार का युग समाप्त: पारदर्शिता और ईमानदारी का नया दौर

घोटाले की बात करें तो अब घोटाले की बात बहुत दूर नजर आती है। आम जनता के सपनों में भी घोटाले नजर नहीं आते। अब तो आम जनता निगम के नोटिस को देखते ही कांप जाती है – भ्रष्टाचार का निगम के दरवाजे में आगमन बिल्कुल बंद हो चुका है।

    "जिन अफसरों पर कभी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, अब वे ध्यान और प्रायश्चित में लीन हो चुके हैं। बताया जाता है कि कुछ तो हिमालय की ओर भी प्रस्थान कर चुके हैं।"

  "निगम के कर्मचारी रोज सुबह उठकर शहरी सरकार के कार्यों की आराधना करते हैं, मानो वे देवता समान हों।"

भले ही शहरी सरकार भाजपा की है, परंतु शहरी सरकार की न्याय प्रणाली में सुशासन एक बड़ा महत्वपूर्ण अंग माना जा रहा है। जिस अपंजीकृत संस्था राम रसोई के भूमि आवंटन पर विवाद उत्पन्न हुआ था, उस मामले पर शहरी सरकार ने दस्तावेजों का निरीक्षण किया और सभी गलतियों को संज्ञान में लेते हुए, भाजपा नेता और राम रसोई के संरक्षक चतुर्भुज राठी से राजनीतिक संबंधों को न निभाते हुए, निष्पक्ष कार्यवाही की और बस स्टैंड को एक व्यवस्थित बस स्टैंड के रूप में बना दिया।

    "यह महापौर का ही जादू है कि अब कागजों में भी सच्चाई झलकने लगी है – दस्तावेज़ भी डर के मारे झूठ बोलने से परहेज़ करते हैं।"

राजस्व वसूली में क्रांति: निगम बना आत्मनिर्भर

राजस्व वसूली के मामले में तो अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि साल भर में कम से कम ₹100 करोड़ की राजस्व वसूली हो जाएगी, जो कि एक अभूतपूर्व उपलब्धि है!

    "करदाता अब अपनी खुशी से टैक्स देने पहुंचते हैं, कुछ तो अतिरिक्त टैक्स देकर निकलते हैं यह कहते हुए कि "राशि कम लग रही है, कुछ और लें!"

प्रदेश सरकार से दुर्ग निगम में करोड़ों रुपए के कार्य अब तक महापौर के सानिध्य में आ चुके हैं, और ऐसी चर्चा है कि कई हजार करोड़ रुपए भी अब आने वाले समय में दुर्ग निगम में आ जाएंगे।

    शहरी सरकार, प्रदेश सरकार और उनके जनप्रतिनिधियों के साथ ऐसा तालमेल बैठाकर चल रही है कि मानो राज्य सरकार पैसे लेकर निगम के दरवाजे पर खड़ी हो, मिन्नतें कर रही हो कि दुर्ग निगम ये पैसे ले ले!

सामंजस्य और सम्मान: विपक्ष भी हुआ नतमस्तक

  पूर्व की शहरी सरकारो ने हमेशा विपक्ष का अपमान किया है, परंतु वर्तमान समय में शहरी सरकार के द्वारा विपक्ष के नेताओं का भी पूरा सम्मान किया जा रहा है। उन्हें बड़े-बड़े कार्यालय दिए गए हैं ताकि वे जनता की बातों को सुन सकें और अपनी बातों को शहरी सरकार के सामने रख सकें।

   अतिश्योक्ति " नगर निगम के मंत्रिमंडल में इतनी एकता है कि एक मंत्री खांसी भी करता है तो दूसरा टॉवल लेकर दौड़ पड़ता है। ऐसी सामूहिक भावना केवल महापौर के करिश्मे से संभव हो पाई है।"यह लोकतंत्र में सद्भाव की अद्भुत मिसाल है!

शहरी सरकार के मंत्रिमंडल की काबिलियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर मंत्री आपस में अपनी कार्यो की रूपरेखा को भली-भांति उचित ढंग से निर्वाहन कर रहा है। आपसी मतभेद की कहीं बातें नजर नहीं आ रही हैं, और शहर के विधायक के साथ सामंजस्य की अद्भुत मिसाल सबके सामने नजर आ रही है। शासकीय सुविधाओं का दोहन करने के बजाय आम जनता की सुविधाओं के लिए शहरी सरकार कटिबद्ध है।

    अब नगर निगम के कर्मचारियों की सुबह 'सुशासन मंत्र' के जाप से शुरू होती है और रात 'महापौर चालीसा' के पाठ से समाप्त होती है।

निष्कर्ष: स्वर्णिम युग का प्रारंभ

पूर्व की शहरी सरकार के कार्यकाल को अब जनता बिल्कुल भूल चुकी है। ऐसी कोई बातें हैं जिनकी व्याख्या करते-करते सुबह से रात हो जाएगी, परंतु वर्तमान की शहरी सरकार की कार्यप्रणाली और सुशासन की बातें कभी खत्म नहीं होंगी। हर दृष्टिकोण से वर्तमान की शहरी सरकार, महापौर श्रीमती अलका बाघमार के सानिध्य में नई ऊंचाइयों को छू रही है, और हम धन्य हैं कि हम इस स्वर्णिम युग के साक्षी हैं!

    "यदि वर्तमान महापौर जी इसी गति से कार्य करती रहीं, तो संभावना है कि आने वाले दिनों में संयुक्त राष्ट्र भी दुर्ग निगम को 'ग्लोबल रोल मॉडल फॉर अर्बन गवर्नेंस' घोषित कर देगा।"

  भाजपा नेता के अपंजीकृत संस्था पर कार्यवाही हो गई ( विकाश के चश्मे से )

   मुक्तिधाम में पशु मृत आत्मा को श्रधांजलि देते हुए ( विकाश के चश्मे से )

   सडको पर अब आवारा पशु नजर नहीं आते (विकास के चश्मे से )

   इंदिरा मार्केट का सुन्दर रूप बरामदा हुआ कब्ज़ा मुक्त (विकास के चश्मे से )

लेखक: शरद पंसारी
(यह व्यंग्य लेख नगर निगम दुर्ग की प्रेस विज्ञप्तियों में दर्शाए गए विकास और जमीनी सच्चाई के तुलनात्मक विश्लेषण पर आधारित है। विकास के चश्मे से शहर में विकास कार्य और सुशासन चरम सीमा पर है )

शौर्यपथ समाचार विशेष रिपोर्ट
दुर्ग, 24 जुलाई 2025
  नगर पालिक निगम दुर्ग में हाल ही में तीन कर्मचारियों के निलंबन के बाद प्रशासनिक हलकों में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। सूत्रों से मिली विश्वसनीय जानकारी के अनुसार चौथे कर्मचारी पर भी अब निलंबन की कार्रवाई तय मानी जा रही है। आरोप है कि उक्त कर्मचारी ने शासकीय पद का दुरुपयोग करते हुए अपने बेटे के नाम से "स्ट्रीट वेंडर" योजना में दुकान का अवैध रूप से आवंटन करवा लिया, जबकि वह स्वयं शासकीय कर्मचारी था और योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभों के लिए अयोग्य था।

फाइलों में दबा मामला अब फिर उठा चर्चा में
  सूत्रों का कहना है कि यह मामला पूर्व से ही जांचाधीन है लेकिन कुछ समय से यह फाइलों में दबा पड़ा था। अब जबकि नगर निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल के नेतृत्व में लगातार तीन कर्मचारियों पर निलंबन जैसी सख्त कार्रवाई की जा चुकी है, तो यह उम्मीद की जा रही है कि इस मामले पर भी कठोर निर्णय लिया जाएगा।

क्या शासकीय कर्मचारी अपने परिजनों को दिला सकते हैं योजना का लाभ?
   यह सवाल अब प्रशासनिक और सामाजिक चर्चा का विषय बन गया है – क्या कोई शासकीय कर्मचारी, जो स्वयं राज्य शासन की सेवा में है, अपने पुत्र अथवा परिजनों को शासन की योजनाओं का लाभ दिला सकता है?

नियम क्या कहते हैं?
छत्तीसगढ़ नगर प्रशासन अधिनियम एवं संबंधित योजना निर्देशों के अनुसार –

    कोई भी शासकीय कर्मचारी या उसका निकट संबंधी यदि उस योजना की पात्रता श्रेणी में नहीं आता, तो वह लाभ लेने का अधिकारी नहीं होता।

    प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि योजना (PM SVANidhi) जैसे योजनाओं में स्पष्ट प्रावधान है कि लाभार्थी स्वयं स्वरोजगार में संलग्न हो तथा किसी प्रकार की शासकीय सेवा में न हो और न ही उसका नाम शासकीय पेंशनर सूची में दर्ज हो।
    यदि किसी कर्मचारी द्वारा पद का दुरुपयोग कर इस प्रकार का लाभ अपने परिजनों को दिलाया गया है, तो यह स्पष्ट रूप से हितों का टकराव (Conflict of Interest) और शासकीय सेवा नियमों का उल्लंघन है।

आयुक्त की अग्नि परीक्षा
  अब सभी की निगाहें नगर निगम आयुक्त श्री सुमित अग्रवाल पर टिकी हैं। वे पहले ही अनुशासन और पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा चुके हैं। परंतु क्या वे इस संवेदनशील मामले में भी निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करते हुए दोषी कर्मचारी पर कार्रवाई करेंगे या यह मामला एक बार फिर फाइलों में दफ्न हो जाएगा, यह देखने योग्य होगा।

न्याय की प्रतीक्षा में शिकायतकर्ता
  इस मामले में शिकायतकर्ता ने बार-बार निगम को आवेदन दिया है, जिसकी सत्यता की पुष्टि के लिए दस्तावेज और जांच रिपोर्ट भी संलग्न किए गए थे। अब जबकि नगर निगम प्रशासन लगातार कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तो शिकायतकर्ता सहित समाज के जागरूक नागरिकों को आशा है कि इस बार भी पारदर्शी और निष्पक्ष निर्णय सामने आएगा।

शौर्यपथ की अपील
  शौर्यपथ समाचार इस पूरे प्रकरण पर सतत निगरानी रखे हुए है और पाठकों को निष्पक्ष जानकारी देता रहेगा। साथ ही हम शासन एवं प्रशासन से आग्रह करते हैं कि योजनाओं का लाभ केवल पात्र व्यक्तियों को ही मिले, इसके लिए एक स्वतंत्र एवं स्वचालित सत्यापन प्रणाली विकसित की जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार के दुरुपयोग पर पूर्ण विराम लगाया जा सके।

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