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रायपुर /शौर्यपथ /देवांश अब न केवल सुनेगा अपितु बोलेगा भी। यह संभव हुआ है सारंगढ के चिरायु टीम के द्वारा, जिनकी मदद से ग्राम हिच्छा के 2 वर्षीय बालक का चिरायु योजना के तहत सफल इलाज किया गया। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की तहत चिरायु योजना जन्म से 18 वर्ष तक आयु के जरूरमंद बच्चों के लिए ही है जिनकी बीमारियों को समय पर पहचान कर निःशुल्क इलाज की सुविधा मुहैया करायी जाती है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारंगढ़ के चिरायु टीम (ब) अपने दैनिक स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान समीपस्थ ग्राम हिच्छा आंगनबाड़ी केंद्र के बालक देवांश को श्रवण बाधित पाया, बच्चे के सुनने की क्षमता में कमी के साथ ही बाह्य ध्वनि के प्रति कोई भी रिस्पॉन्स नहीं करता।
संवदेनशील मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता की खुशहाली के लिए सतत् प्रयासरत है। उन्होंने प्रदेश में सुशासन के लिए सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इसी के परिपालन में कलेक्टर श्री धर्मेश साहू के निर्देशन तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एफ आर निराला के कुशल मार्गदर्शन में बालक देवांश के इलाज के लिए समुचित प्रबंध किया गया। देवांश के बोलने की क्षमता को विकसित करने निरंतर 3 माह तक स्पीच थेरेपी दिया गया। इस थेरेपी से देवांश के बोलने में आवश्यक सुधार होना प्रारम्भ हो गया। बच्चा जब सुनेगा तभी तो कुछ बोलेगा को ध्यान में रखते हुए का क्लियर इम्प्लांट नामक कान की श्रवणशक्ति हेतु सर्जरी के लिए एम्स हॉस्पिटल रायपुर भेजा गया। देवांश का अलग-अलग स्तर पर जांच, वेक्सिनेशन की प्रक्रिया पूर्ण कर का क्लियइम्प्लांट किया गया। इसके बाद देवांश की सुनने व बोलने के अभ्यास हेतु स्पीच थेरेपी की प्रक्रिया की जा रही है।
ज्ञात हो कि इस प्रकार के ऑपरेशन के लिए 6-7 लाख रुपए खर्च आता है। आर्थिक रूप से कमजोर देवांश के पिता श्री किशोर पटेल बच्चे के इलाज के लिए इतनी बड़ी राशि की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं था। देवांश का निःशुल्क इलाज चिरायु योजना से ही संभव हो सका। चिरायु योजना से देवांश के माता-पिता बेहद खुश हैं। उन्होंने योजना को बच्चों के लिए जीवनदायनी बताते हुए सरकार व पूरी स्वास्थ्य टीम का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
ज्ञात हो कि चिरायु योजना का मकसद, बच्चों में जन्म के समय से मौजूद दोष, कमियां, बीमारियां, विकलांगता और विकास संबंधी देरी को पहचानकर, जल्द से जल्द इलाज मुहैया कराना है। चिरायु योजना के तहत, स्कूलों और आंगनबाड़ियों में बच्चों की जांच की जाती है और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें मुफ़्त में इलाज दिया जाता है। इस योजना के तहत, कटे-फटे होंठ, जन्मजात मोतियाबिंद, टेढ़े-मेढ़े हाथ-पैर, श्रवण बाधा (जन्मजात बधिरता) और 30 तरह की बीमारियों और विकृतियों का इलाज किया जाता है।
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