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राजभवन में हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया 6 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेश का स्थापना दिवस
रायपुर /शौर्यपथ /राज्यपाल श्री डेका ने इस अवसर पर सभी राज्यों की विशेषताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश, भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है। यह भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है। यह हिन्दुओं की प्राचीन सभ्यता का उद्गम स्थल है। भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया और बौद्ध धर्म की नींव रखी। अभी प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। महाकुंभ के दौरान करोड़ों श्रद्धालु, साधु-संत और विद्वान एकत्रित होते हैं। यह आयोजन वेदों और पुराणों में वर्णित पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक है। उत्तरप्रदेश, की सांस्कृतिक धरोहर, इस राज्य को एक सशक्त राज्य बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। महाकुंभ जैसे आयोजनों की सफलता यह दर्शाती है कि उत्तरप्रदेश न केवल भारत की आस्था का केंद्र है बल्कि विश्व के मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बना रहा है।
आंध्रप्रदेश ने कृषि, उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यटन और शैक्षणिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। आंध्रप्रदेश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि और संबंधित गतिविधियों में लगी हुई है। आंध्रप्रदेश, घरेलू पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय गंतव्य है। विशेष रूप से तिरूपति बालाजी मंदिर, हिंदू पौराणिक कथाओं के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है।
राज्यपाल ने कहा कि केरल अपनी शैक्षणिक उन्नति, स्वास्थ्य सेवाओं, साहित्य, कला, सांस्कृतिक विरासत और सुंदर समुद्री तटों के लिए पूरे विश्व में एक मिसाल बन चुका है। साक्षरता दर, स्वास्थ्य सूचकांक और लैंगिक समानता में केरल पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। प्राचीन काल में हमारी कई सभ्यताएं मातृप्रधान रही है। लेकिन वर्तमान में मेघालय एक ऐसा राज्य है जहां की मुख्य जनजातियां मातृवंशीय प्रणाली का अनुसरण करती है और यहां विरासत तथा वंश महिलाओं से चलता है। मेघालय के ग्रामीण जीवन में पर्वतीय जीवन शैली के दर्शन होते हैं। पर्यटन की दृष्टि से यह राज्य महत्वपूर्ण है। यहां विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र मौसिनराम है।
उन्होंने कहा कि मणिपुर शाब्दिक अर्थाे में आभूषणों की भूमि है। यहां के लोग संगीत तथा कला में बड़े प्रवीण होने के साथ-साथ सृजनशील होते हैं जो उनकी हथकरघा, दस्तकारी के उत्पादों में झलकती है। मणिपुर देश का आर्किड टोकरी है, यहां आर्किड पुष्प की 500 प्रजातियाँ पाई जाती है। प्राकृतिक छटा से भरपूर यह राज्य पर्यटकों के लिए स्वर्ग हैं। राज्यपाल ने कहा कि त्रिपुरा का उल्लेख महाभारत, पुराणों तथा अशोक के शिलालेख में मिलता है। इस राज्य की अपनी अनोखी जनजातीय संस्कृति है। देवी त्रिपुर सुंदरी का प्रसिद्ध शक्तिपीठ भक्तो की आस्था का केंद्र है। दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन दीव इन दो केंद्र शासित प्रदेशों के विलय के बाद यहां विकास की नई संभावनाएं खुली हैं। राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि युवाओं को अपने प्रदेशों की सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित एवं संरक्षित करना चाहिए और उस पर गर्व करना चाहिए।
कार्यक्रम में आंघ्र प्रदेश राज्य के प्रतिनिधि श्री जी स्वामी, केरल के प्रतिनिधि श्री विनोद पिल्ले, उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि श्री प्रतीक पाण्डेय, त्रिपुरा की प्रतिनिधि सुश्री संगीता ने राज्यपाल को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। राज्यपाल द्वारा भी इन को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
कार्यक्रम में पद्मश्री से पुरूस्कृत द्वय श्रीमती उषा बारले ने पंडवानी गायन की और श्री मदन चौहान ने सूफी गायन की शानदार प्रस्तुति दी। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव डॉ सी.आर. प्रसन्ना, संयुक्त सचिव श्रीमती हिना नेताम, इन सभी राज्यों के छत्तीसगढ़ में निवासरत युवा, महिलाएं एवं गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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