October 31, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ


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   शौर्य की दुनिया / कुदरत ने फुर्सत के पलों में कई जीवों में जान फूंकी है. ज़रा अपने दायरे से बाहर निकल कर देखिए, दुनिया की हज़ारों ऐसी प्रजाती हैं जिन तक सिर्फ़ National Geographic या Discovery Channel वाले ही पहुंच सकते हैं. इन प्रजातियों का जिक्र किताबों में मिलना भी​ मुश्किल है. कुछ महासागर की गहराई में पाए जाते हैं, तो कुछ घने जंगलों के बीच बसे हैं. ऐसे ही दुर्लभ जीवों की सूची पेश है आपके लिए.

1. Okapi

ये जानवर ज़ेब्रा और जिराफ का मिश्रण है. ये मध्य अफ्रीका में पाया जाता है.

2. समुद्री सुअर या Sea Pig

Sea Pig को ज़्यादातर लोग Scotoplanes के नाम से भी जानते हैं. ये अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागर की 1000 मीटर गहराई में पाए जाते हैं.

3. Shoebill

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इनकी चोंच जूते के आकार की होती है. इसी वजह से इनका नाम Shoebill पड़ा है.

4. Thorny Dragon

ये छिपकली आसानी से रेगिस्तान की मिट्टी में छिप जाती है. इसका एक नकली सिर होता है जिसे ये लोगों को धोखा देने के लिए निकालती है.

5. The Blue Parrotfish

ये नीली मछली अटलांटिक महासागर में पायी जाती है.

6. Indian Purple Frog

भारत में पाई जाने वाली मेंढ़कों की ये एक विचित्र प्रजाती है. इनका शरीर अजीब सा मोटा होता है. ये साल भर धरती के अंदर रहते हैं और संभोग के लिए सिर्फ़ दो हफ़्ते धरातल पर बिताते हैं.

7. The Saiga Antelope

ये साइगा हिरण अपनी अजीब नाक के लिए जाना जाता है.

8. The Bush Viper

ये सांप अफ्रीका के ट्रॉपिकल जंगलों में पाया जाता है और अपना ज़्यादातर शिकार रात के अंधेरे में करता है.

9. The Pacu Fish

इस मछली को Ball Cutter भी कहते हैं. इसके दांत कुछ-कुछ इंसानों जैसे होते हैं और ये अपने शिकार को काटने से चूकती नहीं हैं.

10. Glaucus Atlanticus

इसे ब्लू ड्रैगन भी कहते हैं. इसके पेट में गैस भरी होती जिसकी वजह से ये समुद्र के गुनगुने पानी की सतह पर तैरते दिखाई देते हैं.

11. Hummingbird Hawk-Moth

ये कीट फीलों के पराग खा कर जीवत रहते हैं और ​इनकी आवाज़ भी Hummingbird की तरह होती है.

12. Venezuelan Poodle Moth

ये पतंगा और मधुमक्खी जैसा दिखने वाला अजीब सा जीव साल 2009 में Venezuela में पाया गया था. इस जीव की कोई खास जानकारी नहीं है जीव वैज्ञानिकों के पास.

13. Umbonia Spinosa

ये कीड़े अपने चोंच से फूल के तने में छेद करके खाना खाते हैं. वैज्ञानिकों को इनके बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है.

14. Mantis Shrimp

इस जीव को Sea Locusts, Prawn Killer या Thumb Splitters भी कहते हैं. ये ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल पानी में पाए जाते हैं. ये अधिक्तर वक्त अपने बिल में छिपे रहते हैं.

15. The Panda Ant

इन चीटों के शरीर पर सफेद और काले रोए होते हैं. जिसकी वजह से इन्हें Panda Ant कहते हैं. ये Chile में पाए जाते हैं और इनके रेशे काफी नोकीले होते हैं.

16. Penis Snake

इस जानवर को वास्तव में Atretochoana Eiselti कहते हैं. इसका अगला हिस्सा Penis जैसा दिखता है.ये एक चपटे सिर वाला बड़ा जीव है, जिसका शरीर काफी चिकना होता है.

17. Red-lipped Batfish

ये लाल होठों वाली मछली Galápagos Islands में पाई जाती है. ये मछली तैर नहीं पाती इसलिए समुद्री तल पर चलती है.

18. Goblin Shark

Goblin Shark लगभग पूरी दुनिया में पाई जाती है, पर समुद्री सतह के 100 मीटर की गहराई में. ये लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है.

 शौर्य की दुनिया / किसी बात की आदत होना गलत बात नहीं, लेकिन लत यानी एडिक्शन कई बार बहुत हानिकारक हो सकता है. दिल्ली में एक ऐसे ही हानिकारक एडिक्शन की बात पता चली है. दिल्ली के नजफगढ़ इलाके के रहने वाले सनी को एक ऐसे ड्रग की आदत लग गई थी जिसे घोड़ों को दिया जाता था. ये ऐसा ड्रग था जो परफॉर्मेंस बढ़ाता था और सनी को बॉडीबिल्डिंग का शौख था. धीरे-धीरे कर इंजेक्शन लेने लगे और इसके कारण ही अब उन्हें अस्पताल जाना पड़ा. वहां उनका इलाज हो रहा है.

एडिक्शन कई बार इतने अजीब हो जाते हैं कि बाकी सभी चीज़ें आम लगने लगती हैं. ये विक्स वेपोरब सूंघने या वीडियो गेम के दीवाने हो जाने जैसे एडिक्शन नहीं बल्कि कुछ तो इतने भयावह हैं कि उनके बारे में सोचकर ही डर लग जाए. दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो इतने अजीबो-गरीब एडिक्शन का शिकार हैं कि वो आम लोगों की तरह न जिंदगी जी सकते हैं और न ही अपने रोजमर्रा के काम कर सकते हैं.

1. कार के साथ सेक्स

एक इंसान जो कार के साथ सेक्शुअल रिलेशनशिप में है और उसी में अपना पार्टनर खोजता है. एरिजोना के निएंड्रिथल असल में Mechanophilia के मरीज हैं. इस बीमारी के मरीज मशीनों से खास तौर पर आकर्षित होते हैं और उनके साथ सेक्शुअल रिलेशनशिप भी रखते हैं.

2. तकिए का एडिक्शन

जोहानसबर्ग में रहने वाली टैमरा असल में अपने तकिए की एडिक्ट हैं. वो चाय पीने, खाना खाने, बाहर जाने, शॉपिंग करने हर काम के लिए अपने तकिए के साथ रहती हैं. उनके अनुसार उनके इस बॉन्ड को सिर्फ वही जान सकती हैं.

3. बिल्ली के बाल खाने वाली महिला

अमेरिका के मिशिगन राज्य के डेट्रॉइट शहर में रहने वाली लीज़ा की लत बेहद अजीब है. उन्हें अपनी बिल्ली के बाल खाना पसंद है. वो दिन में तीन हेयरबॉल (बालों का गुच्छा) खा लेती हैं और 20 साल से ये कर रही हैं. इतना ही नहीं वो अपनी बिल्ली के बाल उसी तरह से निकालती हैं जैसे जानवर एक दूसरे को जुबान से चाटते हैं.

बिल्ली के बाल खाती लीजाबिल्ली के बाल खाती लीजा

4. अपने पति की चिता की राख खाने वाली महिला

केसी के पति की मौत 2011 में हो गई थी और तब से लेकर अब तक वो अपने पति की मौत का दुख नहीं भुला पा रही हैं. वो एक बर्तन में अपने पति की राख संजो कर रखे हुए हैं और उन्हें उसे खाने का एडिक्शन है. वो अपनी उंगलियां बर्तन में डालती हैं. उनपर थोड़ी सी राख लग जाती है और फिर उसे चाट लेती हैं.

केसी अपने पति की राख हर रोज थोड़ी-थोड़ी कर खाती हैं.केसी अपने पति की राख हर रोज थोड़ी-थोड़ी कर खाती हैं.

5. हवा भरे हुए खिलौनो से प्यार

खिलौनों का प्यार अधिकतर बच्चों में पाया जाता है, लेकिन अगर कोई आपसे बोले कि एक आदमी अपने खिलौनो से इतना प्यार करे कि उनके साथ सेक्स भी करे तो? मार्क अपने 15 हवा भरने वाले खिलौनो के साथ रिलेशनशिप में हैं और वो नाहाने, सोने से लेकर दिन के हर काम को उन खिलौनो के साथ ही करते हैं.

6. शवों को सूंघने का एडिक्शन

लुइस स्क्वारिसी ब्राजीलियन नागरिक हैं. पिछले 35 सालों से वो एक अजीबोगरीब सनक के शिकार हैं. उन्हें शवों को सूंघना अच्छा लगता है और इस एडिक्शन के कारण वो कई बार अपनी नौकरी भी छोड़ चुके हैं. उन्हें शवों को सूंघना और लोगों की शवयात्रा में जाना बहुत पसंद है. 1983 में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी और तब से ही वो ब्राजील के Batatais शहर की हर शवयात्रा में जाते हैं.

लुइस को अपनी नौकरी सिर्फ इस एडिक्शन के कारण छोड़नी पड़ी.लुइस को अपनी नौकरी सिर्फ इस एडिक्शन के कारण छोड़नी पड़ी.

7. इंसान और सुअर का खून पीने वाली महिला

कैलिफोर्निया की मिशेल असल मायने में वैंपायर की तरह हैं. उन्हें इंसान और सुअर का खून पीने की आदत है. पिछले 15 सालों में वो इतना खून पी चुकी हैं कि 23 बाथटब पूरे भर जाएं.

मिशेल ने धोखे से एक बार सुअर का खून पी लिया था और फिर उन्हें उसकी भी आदत लग गई.मिशेल ने धोखे से एक बार सुअर का खून पी लिया था और फिर उन्हें उसकी भी आदत लग गई.

8. घर की दीवारें खाने वाली महिला

किसी को ईंठ खाने का इतना शौख हो कि वो अपने घर की दीवारों पर ही छेद कर दे ऐसा सोचकर ही अजीब लगेगा. Patrice Benjamin-Ramgoolam असल में इतनी ही दीवानी हैं. उन्होंने 18 साल की उम्र से ही ये खाना शुरू किया और एक समय पर वो इतनी दीवानी हो गईं थीं कि उन्होंने अपने घर की दीवारों पर ही छेद कर दिया था.

9. सोफे और गद्दे खाने वाली महिला

अब ये एडिक्शन भी खाने से ही जुड़ा है. एक महिला सोफे और गद्दे के कुशन खाने की इतनी आदी है कि वो कई गद्दे और सोफे खा चुकी हैं.

10. टॉयलेट पेपर खाने का एडिक्शन

प्रेग्नेंसी में महिलाओं को अचार खाने का मन करता है, लेकिन ब्रिटेन की जेड सिल्वेस्टर को बेहद अजीब एडिक्शन होता है. जेड 5 बच्चों की मां हैं और प्रेग्नेंसी के वक्त वो टॉयलेट पेपर सूंघती हैं और खाती हैं. जेड एक दिन में प्रेग्नेंसी के दौरान पूरा एक रोल टॉयलेट पेपर खा जाती थीं.

जेड पांच बच्चों की मां हैं.

जेड पांच बच्चों की मां हैं.

साभार ( एजेंसी )

 

    शौर्यपथ / राजतंत्र के जमाने में नेपाल में एक तंजतारी चलती थी, ‘मुखे कानून छ’ यानी जो मुंह से निकल गया, वही कानून है। 28 मई, 2008 को राजशाही खत्म कर नेपाल में लोकशाही की घोषणा कर दी गई, मगर शासन का ढब वहां बदला नहीं। विगत बुधवार को सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बयान दिया था कि नेपाल भी नक्शा जारी करेगा। उनके इस बयान के पांच दिन बाद सोमवार को नए नेपाल का राजनीतिक नक्शा मंत्रिपरिषद ने जारी भी कर दिया। जो काम पिछले 26 साल में नहीं हो सका था, प्रधानमंत्री ओली ने पांच दिन में कर दिया? 
इस नए राजनीतिक नक्शे में लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी से लगे भारतीय इलाकों को भी नेपाल का हिस्सा बता दिया गया है। नए नक्शे में गुंजी, नाभी और कुटी जैसे गांवों को भी नेपाली इलाके में दिखाया गया है। यह दीगर है कि 1975 में नेपाल ने जो नक्शा जारी किया था, उसमें लिंपियाधुरा के 335 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र नहीं दर्शाए गए थे। मंगलवार 19 मई, 2020 से यह नेपाली संविधान की अनुसूची, सरकारी निशान और उसके पाठ्यक्रम का हिस्सा हो गया। सवाल यह है कि क्या इस नए नक्शे को हेग स्थित ‘आईसीजे’ या दुनिया की कोई भी न्यायपालिका मान लेगी? 
ब्रिटिश भारत में 1798 से लेकर 1947 तक जो नक्शे समय-समय पर जारी किए गए, उन पर नेपाल को कोई आपत्ति नहीं थी। प्रोफेसर लोकराज बराल 1996 में नई दिल्ली में नेपाल के राजदूत रह चुके थे। पिछले हफ्ते एक बातचीत में उन्होंने माना कि नेपाल उस दौर में भी ब्रिटिश इंडिया के नक्शे पर आश्रित था। भारत-नेपाल संयुक्त प्राविधिक समिति ने 26 वर्षों का समय लगाकर 182 स्ट्रीप मैप के साथ 98 प्रतिशत रेखांकन का कार्य संपन्न किया है। इसमें दो फीसदी कार्य कई वर्षों से बाकी है। इस पर भारतीय पक्ष की मुहर भी नहीं लगी है। नया विवाद 2 नवंबर, 2019 को शुरू हुआ, जब भारत ने कश्मीर-लद्दाख को लेकर नक्शा पुनर्प्रकाशित किया था। उसमें पड़ोसी मुल्कों को बांटती सीमाओं में कोई रद्दो-बदल नहीं हुआ था, पर भारतीय विदेश मंत्रालय के स्पष्टीकरण के बावजूद नेपाल मानने को तैयार नहीं था। वह विदेश सचिव स्तर पर इसे सुलझाना चाहता था। 
नए विदेश सचिव हर्षवद्र्धन शृंखला 29 जनवरी, 2020 को चार्ज लेने के साथ नेपाल से इस विषय पर संवाद करते, यह संभव नहीं था। उसके अगले पखवाडे़ इसकी तैयारी हो, तब तक कोरोना महामारी प्रारंभ हो चुकी थी। प्रश्न यह है कि यदि लिपुलेख मुद्दा ओली सरकार के लिए इतना ही महत्वपूर्ण था, तो 28 मार्च, 2019 को विदेश सचिव स्तर की बैठक में इसे शामिल क्यों नहीं किया गया? काठमांडू में आहूत उस बैठक में तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव विजय कृष्ण गोखले व उनके नेपाली समकक्ष शंकरलाल वैरागी क्रॉस बॉर्डर रेलवे, मोतिहारी-अमलेखगंज तेल पाइपलाइन व अरुण-तीन जल विद्युत परियोजना पर सहमति बना रहे थे। 
दो-तीन बातें ध्यान में रखने की हैं। 1962 में युद्ध के समय से ही यहां पर इंडो-तिब्बतन फोर्स की तैनाती भारत ने कर रखी है। नेपाल इसे हटाने की मांग कई बार कर चुका है। कायदे से नेपाल को ऐसा कोई पत्र दिखाना चाहिए, जिसमें तत्कालीन भारत सरकार ने लिपुलेख ट्राइजंक्शन पर इंडो-तिब्बतन फोर्स की तैनाती का कोई अनुरोध किया था। सितंबर 1961 में जब कालापानी विवाद उठा था, उससे काफी पहले 29 अप्रैल, 1954 को भारत-चीन के बीच शिप्ला-लिपुलेख दर्रे के रास्ते व्यापार समझौता हो चुका था। सन 1954 से लेकर 2015 तक चीन ने कभी नहीं माना कि लिपुलेख वाले हिस्से में, जहां से उसे भारत से व्यापार करना था, नेपाल भी एक पार्टी है या यह ‘ट्राइजंक्शन’ है। 2002 में एक ज्वॉइंट टेक्नीकल कमेटी भी बनी। उन दिनों नेपाल की कोशिश थी कि चीन को इसमें शामिल करें। चीनी विदेश मंत्रालय ने 10 मई, 2005 को एक प्रेस रिलीज द्वारा स्पष्ट किया कि कालापानी भारत और नेपाल के बीच का मामला है, इसे इन दोनों को ही सुलझाना है। 
नेपाल, 1950 की संधि को भी ध्यान से नहीं देखता है। 31 जुलाई, 1950 को हुई भारत-नेपाल संधि के अनुच्छेद आठ में स्पष्ट कहा गया है कि इससे पहले ब्रिटिश इंडिया के साथ जितने भी समझौते हुए, उन्हें रद्द माना जाए। यह एक ऐसा महत्वपूर्ण बिंदु है, जो कालापानी के नेपाली दावों पर पानी फेर देता है। दरअसल, ओली सरकार कालापानी-लिपुलेख विवाद में फंसी हुई है। स्वयं सरकार के मंत्रियों को नहीं मालूम कि जिस सड़क का उद्घाटन 8 मई, 2020 को विडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया है, वह सड़क कब से बननी शुरू हुई थी। 
विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावाली कहते हैं, ‘भारत, लिपुलेख में 2012 से सड़क बना रहा था, यह मीडिया रिपोर्ट से मुझे मालूम हुआ।’ यह कुछ अजीब नहीं लगता कि जो विवादित इलाका नेपाल की राजनीति का ‘एपीसेंटर’ बना हुआ है, वहां की जमीनी गतिविधियों से ओली और ज्ञावाली अनभिज्ञ थे? पुराने टेंडर  व दस्तावेज बताते हैं कि शिप्किला-लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली 75 किलोमीटर दुर्गम सड़क 2002 से निर्माणाधीन थी। यह परियोजना 2007 में ही पूरी हो जानी थी, जो बढ़ते-बढ़ते 2020 में पहुंच गई। 
सोचने वाली बात है कि प्रधानमंत्री ओली इस पूरे मामले को राष्ट्रीय अस्मिता की ओर क्यों धकेल रहे हैं? सर्वदलीय बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री व जनता समाजवादी पार्टी के नेता बाबुराम भट्टराई ने यूं ही नहीं कहा था कि राष्ट्रवाद का भौकाल खड़ा करने की बजाय सरकार पुराने दस्तावेजों को जुटाए और कालक्रम को व्यवस्थित करे, तभी इस लड़ाई को वह अंतरराष्ट्रीय फोरम पर ले जा सकेगी। 
परिस्थितियां बता रही हैं कि लिपुलेख विवाद में पीएम ओली ने जान-बूझकर पेट्रोल डाला है। कालापानी के छांगरू गांव में नेपाली अद्र्धसैनिक बल, आम्र्ड पुलिस फोर्स (एपीएफ) की तैनाती ओली का खुद का फैसला था। उसके बारे में बुधवार को हुई सर्वदलीय बैठक में चर्चा तक नहीं हुई थी। ओली चाहते हैं कि सीमा पर तनाव बढ़े, ताकि देश का ध्यान उधर ही उलझा रहे। 29 मई, 2020 को बजट प्रस्ताव के बाद ओली पद पर रहें न रहें, कहना मुश्किल है। 44 सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी में प्रधानमंत्री ओली के पक्ष में केवल 14 सदस्य हैं। प्रचंड गुट के 17 और माधव नेपाल के 13 सदस्य मिलकर कोई नया गुल खिलाने का मन बना चुके हैं। 
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

    दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग सीमा पर पहुंचने वाले श्रमिकों को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसका पूरा ध्यान प्रशासन द्वारा रखा जा रहा है। यहां से राजनांदगांव बार्डर में श्रमिकों को उनके गंतव्य तक ले जाने के लिए 40 बसें निरंतर आपरेट कर रही हैं। इसके अलावा जो लोग जिले की सरहद से प्रवेश कर रहे हैं उन्हें संबंधित गांवों के क्वारंटीन केंद्रों तक पहुंचाने के लिए चेकपोस्ट में पांच बसें उपलब्ध कराई गई हैं। ट्रेनों के माध्यम से पहुंचने वाले लोगों को क्वारंटीन केंद्रों तक पहुंचाने के लिए भी पृथक से बसों की व्यवस्था की गई है। सभी चेकपोस्ट में स्वास्थ्य परीक्षण करने के लिए स्वास्थ्य अमला मौजूद है। ट्रेनों के माध्यम से आने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य जांच स्टेशन में ही कराया जा रहा है। इसके पश्चात उन्हें भोजन पैकेट उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
अब तक बाहर से आने वाले श्रमिकों एवं ग्रामीणों के लिए क्वारंटीन सेंटर बनाये गए हैं जिनमें अभी तक 2125 ग्रामीण क्वारंटीन किये गए हैं। इनके भोजन-पानी की एवं अन्य बुनियादी सुविधाएं स्थानीय अमले द्वारा उपलब्ध कराई गई है। यहां हेल्थ टीम भी मौजूद रहती है जो लगातार क्वारंटीन में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य की मानिटरिंग करती है। कलेक्टर श्री अंकित आनंद एवं जिला पंचायत सीईओ श्री कुंदन कुमार ने तीनों ब्लाकों के क्वारंटीन केंद्रों की स्थिति जानी। उन्होंने चेकपोस्ट पर भी स्थिति जानी। यहां धमधा नाका के पास बेमेतरा के अधिकतर प्रवासी श्रमिक थे। हर आधे घंटे में बसों का फेरा लगाकर लगभग तीन हजार लोगों को उनके जिले तक छोड़ा गया। इसके अलावा अन्य पड़ोसी जिलों में भी श्रमिकों को छोडऩे के लिए वाहनों की व्यवस्था की गई।

उसके परिजनों के खातें में भी दिये 11 हजार रूपये आर्थिक मदद

        दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग थाना अंतर्गत अंजोरा बाइपास पर विनोद हेम्ब्रोम पिता रसिक हेम्ब्रोम नामक नव युवक का शव मिला था। जो ग्राम गरंग थाना भेलवाघाटी देवरी, जिला गिरिडीह, झारखंड का निवासी था। उक्त युवक के निवास क्षेत्र अंतर्गत पडऩे वाले थाने भेलवाघाटी से दुर्ग पुलिस द्वारा संपर्क कर उनके रिश्तेदारों परिजनों से बात की गई] उन्हें यह बताया गया कि अगर वे चाहें तो मृत शरीर को झारखंड हमारे द्वारा भेजा जा सकता हैं, या वे स्वयं आना चाहे तो हमारे द्वारा उनका इंतजार किया जाएगा। उनके परिजनों द्वारा कहा गया कि वह तो कोरोना महामारी के चलते स्वयं दुर्ग आने में असमर्थ हैं।
ऐसे में उन्होंने दुर्ग पुलिस प्रशासन को अनुरोध किया कि उनके पुत्र का पीएम एवं अंतिम संस्कार दुर्ग में ही कर दिया जाए। ऐसे में दुर्ग जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव एवम अतरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर रोहित झा द्वारा मृतक का ससम्मान अंतिम संस्कार करने हेतु नगर पुलिस अधीक्षक दुर्ग एवं थाना प्रभारी को निर्देशित किया गया। तत्पश्चात परिजनों से संपर्क कर उनके यहां प्रचलित अंतिम संस्कार के विधि विधान की जानकारी ली गई।
पी एम पश्चात मृतक को रायपुर नाका स्थित मुक्तिधाम ले जाया गया वहां संपूर्ण अंतिम संस्कार को वीडियो कॉल के माध्यम से उनके परिजनों को दिखाया गया। पुलिस के द्वारा मजदूर का पीएम एवं अंतिम संस्कार उनके परिजनों से पूछ कर उनके रीति रिवाज के अनुरूप कराया गया। परिवार की निम्न आर्थिक स्थिति को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दुर्ग के द्वारा मृतक के मां के खाते में 11000 की आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई। अंतिम संस्कार में नगर पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला दुर्ग थाना प्रभारी राजेश बागड़े एवं तहसीलदार पार्वती पटेल तथा आस्था संगठन के सदस्य उपस्थित थे।

*भिलाई इस्पात मजदूर संघ ने सीजीएम पर्सनल से मिलकर की शिकायत*

भिलाई / शौर्यपथ / भिलाई इस्पात मजदूर संघ के महामंत्री दिनेश कुमार पांडे ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों को आवागमन में मेन गेट व बोरिया गेट मे अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि सुबह दोनों तरफ ट्रक की लंबी कतारें लगा दी जा रही जिससे लोगों को आवागमन में दिक्कत हो रही है जाम की स्थिति पैदा हो रही है यही स्थिति बोरिया गेट में भी हो रही है जिससे संयंत्र कर्मियों को आवागमन में भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा था आज भिलाई इस्पात मजदूर संघ के प्रतिनिधियों ने मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया एवं भिलाई इस्पात मजदूर संघ के महामंत्री दिनेश कुमार पांडे के नेतृत्व में सीजीएम पर्सनल डीपी सतपति से मुलाकात कर मेन गेट में हो रहे जाम की स्थिति के विषय में चर्चा की गई .
सतपति ने आश्वासन दिया कि निकट भविष्य में इस प्रकार की स्थितियां पैदा नहीं होने दी जाएगी तत्काल उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी किया इस अवसर पर प्रमुख रूप से भिलाई इस्पात मजदूर संघ के महामंत्री दिनेश कुमार पांडे उपाध्यक्ष हरिशंकर त्रिवेदी शारदा गुप्ता उपस्थित थे।

//देशभर में धार्मिक सौहाद्र्र को ठेस पहुंचाने और कांग्रेस अध्यक्ष के विरुद्ध अप्रासंगिक अपमानजनक टिप्पणियों पर न्याय आवश्यक
// अर्णव का मामला सीबीआई को ट्रांसफर करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार

रायपुर/ शौर्यपथ / निजी समाचार चैनल के संपादक अर्णब गोस्वामी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि अर्णब पर जहाँ भी जिस भी एफआईआर पर मुकदमा चलेगा, हमें पूरी उम्मीद है कि न्याय होगा। देशभर में धार्मिक सौहाद्र्र को ठेस पहुंचाने और कांग्रेस अध्यक्ष के विरुद्ध अप्रासंगिक अपमानजनक टिप्पणियों पर न्याय आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गोस्वामी की याचिका को अनुच्छेद 32 के अंदर सुने जाने योग्य नहीं माना गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गोस्वामी को अपने विरुद्ध दायर की गई एफ आई आर को चुनौती देने के लिए सही फोरम में चुनौती देने को कहा है।
अर्णब गोस्वामी के विरुद्ध देशभर में धार्मिक सौहाद्र्र को ठेस पहुंचाने एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विरुद्ध अप्रासंगिक एवं अपमानजनक बातों का उपयोग करने एवं समाज के वर्ग विशेष को ठेस पहुंचाने के आरोप में एफ आई आर हुई थी। गोस्वामी द्वारा इन एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। गोस्वामी द्वारा अपनी याचिका में अपने विरुद्ध हुए सभी एफ आई आर रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना की गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह टिप्पणी करते हुए गोस्वामी की याचिका का निपटारा कर दिया गया है कि किसी एक व्यक्ति के लिए विशेष नियम बनाकर भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता से परे जाते हुए कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गोस्वामी को 3 हफ्तों की अग्रिम जमानत का लाभ दिया गया है।
अर्णब गोस्वामी अपने विरुद्ध देशभर में हुए एफ आई आर को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पहुंचे थे। उनकी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह प्रार्थना की गई थी की इनके विरुद्ध हुए एफ आई आर की जांच मुंबई पुलिस द्वारा न करवाते हुए सीबीआई को सौंप दी जाए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गोस्वामी के इस आवेदन को खारिज कर दिया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने गोस्वामी के विरुद्ध दायर की गई जो एफ आई आर मुंबई पुलिस के पास है, उसी पर जांच करने का आदेश दिया है।

    राजनांदगांव / शौर्यपथ / महापौर श्रीमती हेमा सुदेश देशमुख की अध्यक्षता में महापौर परिषद की बैठक निगम स्थित महापौर कक्ष में संपन्न हुई। बैठक में आय-व्यय अनुमान पत्रक 2020-2021 पर विचार विमर्श उपरांत स्वीकृति हेतु सामान्य सभा को प्रेषित किया गया एवं वित्तीय वर्ष 2019-2020 के आय-व्यय को पुनरीक्षण की अनुशंसा सहित सामान्य सभा को भेजा गया। साथ ही नगर निगम के विभिन्न विभागों के लिये आमंत्रित वार्षिक निविदा में प्राप्त दर की स्वीकृति प्रदान की गई।
महापौर श्रीमती देशमुख ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये बजट के संबंध में विस्तार से चर्चा करते हुये अनुशंसा सहित स्वीकृति हेतु समान्यसभा को प्रेषित किया गया और दिग्विजय महाविद्यायल में निर्मित आडिटोरियम में ईको-साउंड सिस्टम स्थापना के लिये प्राप्त न्यूनम दर की स्वीकृति के अलावा बूढा सागर के उत्तरी भाग में स्थित फूड कोर्ट के संचालन के संबंध में निर्णय लिया गय तथा पेयजल परिवहन हेतु एवं निस्तारी कार्य के लिये प्राप्त दर की स्वीकृति एवं वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न वार्डो के लिये सफाई कार्य ठेके के माध्यम से कराये जाने प्राप्त न्यूनतम दर की स्वीकृति प्रदान की कई।
साथ ही कोरोना वायरस संक्रमण लाक डाउन की स्थिति में शासन द्वारा गरीब परिवारों को सुखा राहत समाग्री महापौर व पार्षद निधि से वितरण करने दी गयी स्वीकृति की पुष्टि की गई तथा नगर निगम की आय में वृद्धि करने शिवनाथ नदी के किनारे निगम सीमाक्षेत्र से रेत निकालने शासन को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया।
बैठक में महापौर परिषद के प्रभारी सदस्य मधुकर बंजारी, सतीश मसीह, संतोष पिल्ले, विनय झा, भागचंद साहू, गणेश पवार,राजा तिवारी,श्रीमती सुनीता फडनवीस, राजेश गुप्ता चंपू, श्रीमती बैना बाई तुर्राटे,कार्यपालन अभियंता दीपक जोशी व यू.के. रामटेके, लेखा अधिकारी यू.एस. वर्मा, स्वास्थ्य अधिकारी अजय यादव, राजस्व अधिकारी श्रीमती सीमा बक्शी, समाज कल्याण अधिकारी भूपेन्द्र वाडेकर, लेखापाल राकेश नंदे सहित निगम के अधिकारी उपस्थित थे।

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ‘जल जीवन मिशन‘ पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री श्री बघेल के साथ की चर्चा

राज्य सरकार ने मिशन के क्रियान्वयन के लिए जिलावार तैयार की योजना

मिशन मोड में होगा योजना का क्रियान्वयन

छत्तीसगढ़ की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखकर मिशन के लिए केन्द्र का योगदान 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का आग्रह

बोधघाट परियोजना को केन्द्रीय जल आयोग से अनुमति दिलाने का आग्रह

    रायपुर  / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में हर घर नल के जरिए वर्ष 2024 तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने के लिए राज्य सरकार मिशन मोड में कार्य करेगी। इसके लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है। श्री बघेल ने आज केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री  गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री  शेखावत ने कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन (हर घर नल-ग्रामीण) के क्रियान्वयन के संबंध में विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राज्य और केन्द्र सरकार मिलकर यह मिशन समय-सीमा के अंदर पूरा करेंगे। केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत ने इस मिशन के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

    छत्तीसगढ़ के कृषि और जलसंसाधन मंत्री श्री रविंद्र चौबे, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, अपर मुख्य सचिव  सुब्रत साहू, जल संसाधन और लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव  अविनाश चंपावत भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। जिसके तहत वर्ष 2024 तक ग्रामीण क्षेत्रों मंे हर घर नल के जरिए स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस मिशन में ग्रामीण क्षेत्र के हर घर में पाईप लाइन के माध्यम से 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन स्वच्छ पानी देने का प्रावधान है।
    मुख्यमंत्री बघेल ने चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री  शेखावत से कहा कि छत्तीसगढ़ की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखकर जल जीवन मिशन के लिए केन्द्र सरकार के योगदान को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया जाना चाहिए और राज्य का अंश 25 प्रतिशत रखा जाना चाहिए। वर्तमान में इस मिशन में 50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा और 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा देने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की आबादी आदर्श स्थिति में है लेकिन छत्तीसगढ़ देश का नवां बड़ा राज्य है। छत्तीसगढ़ आदिवासी राज्य है, यहां बड़े क्षेत्र में वन हैं और आबादी विरल है। छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा में कई गांव कई वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं। इसलिए यहां हर घर पाईप लाइन के जरिए पेयजल पहुंचाने में ज्यादा राशि खर्च करनी होगी।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के आदिवासी इलाकों में विशेष कर बस्तर में बड़ी वाटर बॉडी नहीं है। यदि हर घर को पानी देना है, तो इसके लिए जल की व्यवस्था भी करनी होगी। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि नरवा योजना के अंतर्गत प्रदेश के 30 हजार नालों को पुनर्जीवित किया जाएगा। वर्तमान में 1100 नालों के लिए कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसके लिए वैज्ञानिक ढ़ंग से सेटेलाईट नक्शों का उपयोग कर कार्य योजना तैयार की गई है। इस योजना के माध्यम से वाटर रिचार्जिंग कर निस्तार, पीने के पानी, ंिसंचाई और औद्योगिक गतिविधियों के लिए पानी की कमी नहीं होगी।
    केन्द्रीय मंत्री  शेखावत ने जल जीवन मिशन के लिए हर संभव सहयोग उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हर घर पानी पहुंचाने के कार्य में कैंम्पा, मनरेगा और 15 वें वित्त आयोग से मिलने वाली राशि का उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि जिन गांवों में पेयजल के लिए जल स्त्रोत और ठंकी की व्यवस्था है, वहां पाईप लाइन के माध्यम से घरों में पानी देने का कार्य प्रारंभ किया जा सकता है। इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
    कृषि एवं जल संसाधन मंत्री  रविन्द्र चौबे ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में गांवों तक सिंचाई जलाशयों से पानी लाने की व्यवस्था करनी होगी। बस्तर क्षेत्र की बोधघाट सिंचाई परियोजना केन्द्रीय जल आयोग में स्वीकृति के लिए भेजी गई है। इस योजना से नक्सल प्रभावित बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिले में सिंचाई होगी और इन क्षेत्रों में जल जीवन मिशन के लिए जल उपलब्ध हो सकेगा। श्री चौबे ने केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत से बोधाघाट परियोजना को जल्द स्वीकृति दिलाने तथा छत्तीसगढ़ और ओड़िशा के मध्य जल विवाद हल करने में सहयोग का आग्रह किया। उन्होंने नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना की जानकारी दी और बताया वन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विभाग तथा वाटर शेड के माध्यम से जल संरक्षण और संवर्धन के काम कराए जा रहे हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्र कुमार ने बैठक में कहा कि जल जीवन मिशन के लिए राज्य में सभी जिलों के लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है। इस मिशन के लिए संसाधनों की कमी नहीं होगी। जल जीवन मिशन के अंतर्गत गांवों में पाईप लाइन के जरिए पानी सप्लाई में होने वाले खर्च में केन्द्र और राज्य सरकार के योगदान के साथ 10 प्रतिशत भागीदारी स्थानीय समुदाय की होगी। गांवों में जितनी राशि जमा होगी उतनी ही राशि केन्द्र और राज्य सरकार देंगी। इस राशि का उपयोग गांव की नल जल योजना के संधारण में किया जाएगा।
    बैठक में बताया गया कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में पाईप लाइन के माध्यम से अब तक 11 प्रतिशत घरों में ही पानी सप्लाई की जा रही है। इस मिशन के माध्यम से शतप्रतिशत घरों तक पाईप लाइन से पानी की सप्लाई की जाएगी। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में 43 लाख 17 हजार घरों में से अब तक 4 लाख 82 हजार घरों मंे ही पाईप लाइन से पानी की सप्लाई की जा रही है। जल जीवन मिशन के माध्यम से 38 लाख 34 हजार घरों में पानी सप्लाई की जाएगी।

// 5700 करोड़ रूपए की राशि डीबीटी के माध्यम से चार किश्तों में जाएगी किसानों के खातों में
// प्रदेश में धान, मक्का और गन्ना (रबी) के 19 लाख किसानों को मिलेगा फायदा
//आगामी सीजन में दलहन और तिलहन पर भी मिलेगी सहायता राशि
गन्ना किसानों को वर्ष 2018-19 का बकाया बोनस 10.27 करोड़ रूपए भी मिलेगा

     रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने और किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने के लिए दूरगामी निर्णय लेते हुए राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू करने का जा रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई के दिन वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए प्रदेश में इस योजना का विधिवत् शुभारंभ करेंगे।
इस योजना के तहत प्रदेश के 19 लाख किसानों को 5700 करोड़ रूपए की राशि चार किश्तों में सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की जाएगी। राजीव गांधी किसान न्याय योजना किसानों को खेती-किसानी के लिए प्रोत्साहित करने की देश में अपने तरह की एक बडी योजना है। योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के मंत्रीगण, जनप्रतिनिधि और किसान वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए शामिल होंगे।
राज्य सरकार इस योजना के जरिए किसानों को खेती किसानी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए खरीफ 2019 से धान तथा मक्का लगाने वाले किसानों को सहकारी समिति के माध्यम से उपार्जित मात्रा के आधार पर अधिकतम 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से अनुपातिक रूप से आदान सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना में धान फसल के लिए 18 लाख 34 हजार 834 किसानो को प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए की राशि प्रदान की जाएगी।
    इसी तरह गन्ना फसल के लिए पेराई वर्ष 2019-20 में सहकारी कारखाना द्वारा क्रय किए गए गन्ना की मात्रा के आधार पर एफआरपी राशि 261 रूपए प्रति क्विंटल और प्रोत्साहन एवं आदान सहायता राशि 93.75 रूपए प्रति क्विंटल अर्थात अधिकतम 355 रूपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा। इसके तहत प्रदेश के 34 हजार 637 किसानों को 73 करोड़ 55 लाख रूपए चार किश्तों में मिलेगा। जिसमें से प्रथम किश्त 18 करोड़ 43 लाख 21 मई को हस्तांतरित की जाएगी।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इसके साथ ही वर्ष 2018-19 में सहकारी शक्कर कारखानों के माध्यम से खरीदे गए गन्ना की मात्रा के आधार पर 50 रूपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि (बकाया बोनस) भी प्रदान करने जा रही है। इसके तहत प्रदेश के 24 हजार 414 किसानों को 10 करोड़ 27 लाख रूपए दिया जाएगा।
राज्य सरकार ने इस योजना के तहत खरीफ 2019 में सहकारी समितिध्लैम्पस के माध्यम से उपार्जित मक्का फसल के किसानों को भी लाभ देने का निर्णय लिया है। मक्का फसल के आकड़े लिए जा रहे है। जिसके आधार पर आगामी किश्त में उनको भुगतान किया जाएगा।
    छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत बनाने के लिए लॉकडाउन जैसे संकट के समय में किसानों को फसल बीमा और प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत 900 करोड़ की राशि उनके खातों में अंतरित की गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा इसके पहले लगभग 18 लाख किसानों का 8800 करोड़ रूपए का कर्ज माफ किया गया है साथ ही कृषि भूमि अर्जन पर चार गुना मुआवजा, सिंचाई कर माफी जैसे कदम उठाकर किसानों को राहत पहुंचाई गई है।
   इस योजना में राज्य सरकार ने खरीफ 2020 से इसमें धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कोटकी तथा रबी में गन्ना फसल को शामिल किया है। सरकार ने यह भी कहा है कि अनुदान लेने वाला किसान यदि गत वर्ष धान की फसल लेता है और इस साल धान के स्थान पर योजना में शामिल अन्य फसल लेता हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता दी जायेगी।


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