
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
नई दिल्ली/शौर्यपथ /कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने प्राइवेट सेक्टर की 'सी और डी' ग्रेड की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 100 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया.कैबिनेट में इसके लिए प्रस्ताव भी पास किया.हालांकि सरकार ने बाद में इससे पलटी मार ली.कर्नाटक के श्रम मंत्री के मुताबिक स्थानीय लोगों को प्राइवेट नौकरियों में 50 फीसदी और 70 फीसदी ही आरक्षण दिया जाएगा. कर्नाटक ऐसा करने वाला पहला राज्य नहीं है.स्थानीय लोगों को आरक्षण देने वाला पहला राज्य कर्नाटक का पड़ोसी आंध्र प्रदेश था.इसके अलावा महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और कुछ दूसरे राज्य भी इस तरह की कोशिशें कर चुके हैं. आइए जानते हैं कि निजी नौकरियों में स्थानीय लोगों के पीछे राजनीति कितनी है और यह धरातल पर कितना उतरता है.
कर्नाटक के प्रस्ताव का क्यों हो रहा है विरोध
कर्नाटक मंत्रिमंडल ने सोमवार को कर्नाटक राज्य उद्योग, कारखाना तथा अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवार रोजगार विधेयक, 2024 को मंजूरी दी थी. उद्योग जगत में सरकार के इस कदम का विरोध किया जा रहा था. विरोध करने वालों की दलील थी कि इस तरह का आरक्षण देने से तकनीकी के क्षेत्र में कर्नाटक की जो पहचान है, उस पर इसका असर पड़ेगा.इसके बाद कर्नाटक के श्रम मंत्री एमबी पाटील ने कहा कि हम लोगों की आशंकाओं और भ्रम को दूर करेंगे. हम मुख्यमंत्री के साथ बैठकर इस समस्या का समाधान करेंगे, जिससे इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव न हो.
स्थानीय लोगों को नौकरी में आरक्षण देने वाला पहला राज्य आंध्र प्रदेश था.साल 2019 में आंध्र प्रदेश ने प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण दिया था. विधानसभा में पारित विधेयक के मुताबिक औद्योगिक इकाइयों, फैक्ट्री, जॉइंट वेंचर और पीपीपी मॉडल पर आधारित प्रोजेक्ट में 75 फीसदी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित रहेंगी.इसमें कहा गया था कि स्थानीय लोगों में जरूरी कौशल नहीं होने पर कंपनियों को उन्हें राज्य सरकार के साथ मिलकर प्रशिक्षण देना होगा. इसके बाद उन्हें नौकरी में रखना होगा.
अदालत ने रद्द किया हरियाणा सरकार का कानून
वहीं उत्तर भारत के राज्य हरियाणा की बीजेपी सरकार ने भी प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में आरक्षण का कानून लागू किया था. मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने मार्च 2021 में निजी क्षेत्र में आरक्षण देने का ऐलान किया था.इससे जुड़ा विधेयक नवंबर 2020 में राज्य विधानसभा में पारित हुआ था. राज्यपाल ने इस बिल को 2 मार्च, 2021 को मंजूरी दी थी. हरियाणा सरकार ने नवंबर 2021 में प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण वाले कानून की अधिसूचना जारी कर दी थी. यह कानून 15 जनवरी 2022 से लागू हुआ था.
हरियाणा सरकार के कानून के तहत 30 हजार रुपये तक के वेतन वाली निजी नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. इससे पहले यह सीमा 50 हजार रुपये तक थी. इस कानून का पालन नहीं करने वाली कंपनी पर 25 हजार से लेकर एक लाख तक का जुर्माने का प्रावधान था.कुछ औद्योगिक संगठनों ने इस कानून को अदालत में चुनौती दी.पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने नवंबर 2023 में इस कानून को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया.हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.उसने भी हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.
इसी तरह से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अगस्त 2020 में स्थानीय लोगों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में 70 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था.लेकिन बात वादे से आगे नहीं बढ़ी थी.महाराष्ट्र में भी इस तरह का एक कानून है. इसके मुताबिक राज्य के पर उद्योग को राज्य सरकार से प्रोत्साहन मिलता है तो एक विशेष स्तर पर 70 फीसदी लोगों को स्थानीय होना चाहिए.
झारखंड में दम तोड़ता आरक्षण का कानून
वहीं झारखंड में भी कानून बनाकर निजी क्षेत्र में 75 फीसदी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित कर दी गईं.विधानसभा में पारित विधेयक का नाम'द झारखंड स्टेट इंप्लॉइमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट्स इन प्राइवेट से्क्टर एक्ट 2021' है. इस कानून के मुताबिक 10 से अधिक लोगों वाली निजी कंपनियों में 40,000 रुपये या उससे कम प्रतिमाह वेतन वाले पदों पर 75 फीसदी स्थानीय लोग होने चाहिए.इस कानून को झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और लघु उद्योग भारती जैसे संगठनों ने संयुक्त रूप से झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है.
झारखंड सरकार ने यह कानून तो बना दिया है, लेकिन इसे लागू करने में नीजि कंपनियां रुचि नहीं दिखा रही हैं. सरकार ने इसे लागू करवाने के लिए कंपनियों को नोटिस भेज रही है. इसके बाद भी हालात नहीं बदले हैं.सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कुल कर्मचारियों की संख्या दो लाख 29 हजार 569 है. इनमें स्थानीय लोगों की संख्या केवल 45 हजार 592 है.वहीं दूसरे राज्यों के कर्मचारियों की संख्या एक लाख 83 हजार 977 है.
क्या कहता है संविधान
संविधान के भाग-3 में मूल अधिकारों का वर्णन है. इनमें पहला मूल अधिकार समता का अधिकार है. इसके तहत अनुच्छेद -14 में यह व्यवस्था है कि देश के किसी भी राज्य में किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा. अनुच्छेद-16 (1) के मुताबिक राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी.
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.