May 15, 2024
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शौर्यपथ

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नई दिल्ली / शौर्यपथ / कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में पारले-जी बिस्किट की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की है. पारले प्रोडक्ट्स के एक वरिष्ठ अधिकारी मयंक शाह ने इसके कारण पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महामारी के दौरान खाद्य राहत पैकेट बांटने वाले एनजीओ और सरकारी एजेंसियों ने भी पारले-जी बिस्किट को तरजीह दी क्योंकि यह किफायती है और दो रुपये में भी मिलता है. साथ में यह ग्लूकोज का अच्छा स्रोत है.
उन्होंने बताया कि वृद्धि जबर्दस्त थी और इसके नतीजतन लॉकडाउन के दौरान बाजार में पारले की हिस्सेदारी में 4.5 से पांच फीसदी का इजाफा हुआ. उन्‍होंने बताया कि बीते 30-40 साल में हमने ऐसी वृद्धि नहीं देखी है.उन्होंने बताया कि पहले आई सुनामी और भूकंप जैसे संकटों के दौरान भी पारले-जी की बिक्री बढ़ी थी.

गौरतलब है कि कोरोना की महामारी के कारण एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में कारों से लेकर कपड़ों तक हर चीज की बिक्री में गिरावट आ रही है, जिससे कंपनियों को उत्पादन पर लगाम लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे समय में पारले-जी बिस्कुट की रिकॉर्ड बिक्री अपने आप में खास है. गौरतलब है कि दो और पांच रुपये प्रति पैकेट वाले पारले-जी बिस्कुट की कोरोना वायरस महामारी के दौरान लोगों को खाद्य राहत पैकेज वितरित करने के लिए काम करने वाली सरकारी एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के बीच काफी मांग रही.

 

नई दिल्ली / शौर्यपथ / देश में कोरोनावायरस की एंट्री के साथ ही भारत सरकार ने इसके खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए कॉलर ट्यून जारी कर दिया था, जो अब हर भारतीय के फोन में सुनाई देता है. आप किसी को भी कॉल करते हैं तो आपको घंटी की बजाय सुनाई देता है ये संदेश- 'आज पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है......' आपने कभी न कभी यह जरूर सोचा होगा कि इस ट्यून को आवाज किसने दी है. तो आज हम आपको मिला रहे हैं जसलीन भल्ला से. वॉयसओवर ऑर्टिस्ट जसलीन ही वो चेहरा हैं, जिन्होंने भारत सरकार के इस संदेश को अपनी आवाज दी है. NDTV ने उनसे खास बातचीत की.
जसलीन ने अपने इस खास मैसेज के बारे में बात की. जसलीन ने बताया कि उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उनके एक वॉयस रिकॉर्डिंग का इतना असर होगा. उनके इस कॉलर ट्यून को इतनी पॉपुलैरिटी मिली है कि इस पर मीम (Memes) भी बने हैं. कहीं-कहीं तो लोगों ने इस कॉलर ट्यून से तंग आकर सरकार से इसे बंद करने की भी अपील की है.

इस पर जसलीन ने हंसते हुए बताया कि सबसे पहले उनके परिवारवालों ने ही उनको चिढ़ाना शुरू कर दिया था और उनके पास उनके दोस्तों और रिश्तेदारों से भी मैसेज आते हैं.

जसलीन से जब पूछा गया कि जब वो खुद किसी को कॉल करती हैं और उनको अपनी ही आवाज सुनाई देती है तो उन्हें कैसा लगता है तो उनका जवाब था, 'बहुत ही अजीब सा लगता है. आप किसी को कॉल करते हो और आपको 30 सेकेंड तक अपनी ही आवाज फेस मास्क यूज़ करने, हाथ धोने और सैनिटाइजर के इस्तेमाल करने को कहती हुई सुनाई देती है.'

 

लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / स्कीन को सॉफ्ट और ग्लोइंग बनाने के लिए हर दिन हम कुछ-न-कुछ जरूर करते हैं। बात चाहे स्क्रब की हो या फेस पैक की, चेहरे पर निखार लाने के लिए स्कीन केयर रूटीन को फॉलो करना बहुत जरूरी होता है और पार्लर जाने की अपेक्षा घर पर ही कई ब्यूटी ट्रीटमेंट किए जा सकते हैं जिसका त्वचा पर कोई नुकसान भी नहीं होता है। हमारी रसोई में ऐसे ही ब्यूटी स्किट मौजूद हैं जिनके इस्तेमाल से आप दमकती और सॉफ्ट स्कीन पा सकते हैं। अगर आप भी स्किनकेयर उत्पाद पर ज्यादा खर्च किए बिना बेहतर त्वचा की तलाश कर रहे हैं तो नारियल का तेल आपकी खूबसूरती में चार चांद लगा सकता है।

यह जादुई औषधि आपके चेहरे में निखार के साथ-साथ चेहरे पर मौजूद दाग-धब्बों को कम करने में भी उपयोगी है। इसका इस्तेमाल आपको अपनी नाइट केयर रूटीन में करना है। यह तेल कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। इसमें मौजूद गुण आपकी त्वचा को चमकदार बनाने में कारगर है।

नारियल तेल हानिकारक बैक्टीरिया और फंगस से लड़ने का काम करता है। मुंहासे, स्कीन एलर्जी व फंगस से लड़ने के लिए नारियल का तेल बहुत उपयोगी है।
रूखी त्वचा के लिए नारियल का तेल वरदान है। यह त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करता है।

घावों को ठीक करने में कारगर माना जाता है


नारियल का तेल यह किसी जादुई औषधि से कम नहीं है। यह घावों को भरने का काम करता है। अगर त्वचा पर किसी तरह की चोट लग गई है तो उस पर नारियल का तेल लगाने से राहत मिलती है और कुछ दिनों में ही यह चोट को सुखा देता है।

नाभि में नारियल का तेल डालने से चेहरे पर चमक और होंठों को सॉफ्ट रखने में मदद मिलती है। रात में सोने से पहले इसे नाभि में डालकर सोना लाभकारी है।
रोज रात में चेहरे पर नारियल के तेल की मसाज करने से चेहरे पर मौजूद दाग-धब्बों से छुटकारा मिलता है।

 

 

खाना खजाना /शौर्यपथ / सामग्री :पका मीठा खरबूजा, ठंडा दूध, शक्कर, चुटकी भर इलायची पावडर।
विधि :
खरबूजा छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को मिक्सर में डालकर उसका पल्प बनाइए। चार बड़े चम्मच खरबूजे का पल्प, पाव गिलास दूध और स्वादानुसार शक्कर मिलाकर मिक्सर में दो मिनट तक अच्छी तरह से घुमाइए, ताकि उस पर झाग आ जाए।

अब लाजवाब खरबूजा मिल्क शेक गिलासों में भरकर पेश करें। चाहें तो ऊपर से आइस क्यूब डाल सकते है।

 

जानिए खरबूजे के फायदे -

1. खरबूजा शरीर में पानी की कमी की पूर्ति करता है साथ ही इसमें मौजूद विटामिन और मिनरल्स आपको ऊर्जावान बना रखने में मदद करते हैं।

2. खरबूजा में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो बढ़ती उम्र को रोकने के साथ-साथ तनाव कम करने में भी मददगार है।

3. खरबूजा में भरपूर मात्रा में फाइबर और पानी और शर्करा की मात्रा कम होती है जो आपका वजन बढ़ने से रोकती है।


4. खरबूजे में मौजूद विटामिन ए आपकी आंखों, त्वचा व बालों के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

5. इसके अलावा इसमें बीटा कैरोटीन भी पाया जाता है जो आंखों के लिए बेहद लाभप्रद है।

 

दुर्ग । शौर्यपथ । प्रदेश में निकाय चुनाव हुए लगभग6माह हो रहे है वही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार का गठन हुए डेढ़ साल हो गए । प्रदेश के हर निकाय में एल्डरमैन की नियुक्ति हो चुकी है किंतु दुर्ग निगम में अभी भी एल्डरमैन की नियुक्ति की फ़ाइल अधर में है । 

  राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय है कि दुर्ग निगम के एल्डरमैन के नामो की अनुशंसा दुर्ग कांग्रेस के केंद्र बिंदु विधायक वोरा के हांथो में है उनकी अनुशंषा के बिना सूची की अधिकृत घोषणा नही हो सकती । जैसा कि अब कोरोना का ख़ौफ़ के साथ जन जीवन सुचारू रूप से चल रहा है । प्रदेश के सभी क्षेत्रों में आय के कार्य प्रगति पथ पर है ऐसे में एक बार फिर चर्चा जोरों पर है कि अब एल्डरमैन की नियुक्ति में देरी नही करनी चाहिए । किन्तु चर्चा सिर्फ चर्चाओं में है इसे खुले रूप से कोई कांग्रेसी नही कह रहे है । कांग्रेसियों की लंबी फ़ौज है एल्डरमैन के दावेदारों की और चयन सिर्फ 7-8 लोगो का ही होना है ऐसे में सभी को उम्मीद है कि उनके नाम का चयन होगा । 

 जब एल्डरमैन की नियुक्ति करनी ही है तो इसमे आखिर देरी क्यो क्या दावेदार सिर्फ इंतज़ार ही करते रहेंगे या हताश हो कर दावेदारी छोड़ देंगे ? क्या कोई खास नीति के तहत देर की जा रही है ...

खेल / शौर्यपथ / भारतीय क्रिकेट में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हुए हैं। सचिन तेंदुलकर, कपिल देव, सुनील गावस्कर युवराज सिंह, अनिल कुंबले, वीवीएस, लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ ऐसे ना जाने कितने ही नाम हैं। सचिन तेंदुलकर को ऑल टाइम बेस्ट माना जाता है। मौजूदा दौर में भी भारत के पास विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गज बल्लेबाज हैं। कोरोना वायरस की वजह से सभी क्रिकेट गतिविधियां ठप्प पड़ी हुई हैं। लॉक डाउन की वजह से क्रिकेटर्स घर में परिवार के साथ वक्त बिता रहे हैं। इसी के साथ सोशल मीडिया के जरिये अपने फैन्स के जुड़े रहने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच बहुत से क्रिकेटर सोशल मीडिया पर अपनी-अपनी ऑल टाइम इलेवन भी बना रहे हैं।

घरेलू क्रिकेट में वसीम जाफर भारत के बेस्ट बल्लेबाज माने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने भी सोशल मीडिया पर इंडिया ऑल टाइम वनडे इलेवन का ऐलान किया। जाफर ने सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली को ओपनर के रूप में चुना है। इन दोनों की अपने समय में अच्छी साझेदारियां रही हैं। हालांकि, उन्होंने इस टीम में वीरेंद्र सहवाग को नहीं चुना जिस पर हरभजन सिंह ने हैरान जताई है।

वसीम जाफर ने अपने ऑफिशियल टि्वटर हैंडल से ऑल टाइम वनडे इलेवन के बारे में बताया। जाफर की ऑल टाइम वनडे इलेवन में इन खिलाड़ियों को जगह मिली- सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, रोहित शर्मा, विराट कोहली, युवराज सिंह, महेंद्र सिंह धोनी, कपिल देव, रवींद्र जडेजा या हरभजन सिंह, अनिल कुंबले, जहीर खान, जसप्रीत बुमराह।

जाफर की इस ऑल टाइम वनडे इलेवन पर भारत के अनुभवी ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने हैरानी जताई, क्योंकि जाफर की टीम में वीरेंद्र सहवाग नहीं हैं। हरभजन ने जाफर के ट्वीट पर सवाल करते हुए पूछा- सहवाग नहीं?

बता दें कि सहवाग को अपनी पीढ़ी का सबसे विस्फोटक बल्लेबाज माना जाता है। तकनीकी रूप से मजबूत नहीं कहे जाने के बावजूद भी उनके हाथों और आंखों के बीच गजब का तालमेल था। उन्होंने भारत के लिए यादगार पारियां खेली हैं। सहवाग ने भारत के लिए 251 वनडे, 19 टी-20 मैच खेले हैं।

उन्होंने वनडे में उन्होंने 8273 और टी-20 में 394 रन बनाए। वनडे में उन्होंने 23 शतक और 32 अर्द्धशतक लगाए। सहवाग पहले भारतीय क्रिकेटर थे, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक लगाया था। उन्होंने टेस्ट में दो तिहरे शतक लगाए हैं। करुण नायर तिहरा शतक लगाने वाले दूसरे भारतीय हैं। अक्टूबर 2015 में 'नजफगढ़ के नवाब' के नाम से मशूहर सहवाग ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया था।

 

मनोरंजन / शौर्यपथ / टीवी सितारों की कमाई भले ही बॉलीवुड सितारों जितनी न हो, लेकिन इनका मेहनताना इतना होता है कि इनकी लाइफ में लग्जरी लाइफ जीने में कोई कमी नहीं आती है। कई टीवी स्टार्स के पास दुनिया के बड़े- बड़े ब्रांड्स की कार हैं। इनके भी बॉलीवुड सितारों की तरह बड़े बड़े शौक है. तो चलिए फिर बिना किसी देरी के जानते हैं कि किस टीवी कलाकार के पास कौन सी आलिशान कार है, तो चलिए जानते हैं पार्थ ने कौन सी कार ली है और अन्य बड़े टीवी सितारों के पास कौन सी गाड़ी है।

दीपिका कक्कड़

33 वर्षीय दीपिका कक्कड़ पॉपुलर टीवी शो ‘ससुराल सिमर का’ से फेमस हुई थी। इसके अलावा वे बिग बॉस 12 की विजेता भी रह चुकी है। दीपिका टीवी की दुनिया का फेमस फेस है। दीपिका कक्कड़ फिलहाल कहां हम कहां तुम सीरियल में नजर आ रही हैं। उन्होंने अपने टीवी करियर में बहुत पैसे कमाएं है। उनके पास एक ब्लू बीएमडब्ल्यू कार है। इसके अलावा अपने पति शोएब इब्राहीम के साथ मिलकर उन्होंने BMW X4 भी खरीदी थी। बता दें कि BMW ब्रांड की करें 60 लाख से शुरू होती है।

पार्थ समथान

कसौटी जिंदगी के 29 साल के एक्टर पार्थ समथान के पास मर्सेडीज बेंज है। वाइट कलर की इस लग्जरी कार की तस्वीर उन्होंने इंस्टाग्राम पर फैन्स के साथ शेयर की थी। इस ब्रांड की कारें 40 लाख से 2 करोड़ रुपए तक की आती है।

शिवांगी जोशी

टेलीविजन की मशहूर 25 वर्षीय एक्ट्रेस शिवांगी जोशी ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में नायरा का रोल निभाती हैं। हाल ही में शिवांगी ने खुद के जैगुआर की लेटेस्ट मॉडल कार खरीदी। इस कार की कीमत करीब 1 करोड़ रुपये है।

भारती सिंह

मशहूर कॉमेडियन भारती सिंह के पास ब्लैक रंग की बीएमडब्ल्यू है। इसके अलावा उनके पास Mercedez Benz GL-350 भी है। इसमें कोई शक नहीं कि टीवी पर मौजूदा समय में फीमेल कमीडियन में से भारती सबसे ज्यादा कमाती हैं, ऐसे में खुद के लिए लग्जरी कार खरीदना तो बनता है।

कपिल शर्मा

कॉमेडियन कपिल शर्मा के पास लग्जरी मर्सिडीज कार है जो कि उनकी महंगी चीजों में से एक है। इसकी कीमत 1.19 करोड़ रुपए है। मर्सिडीज के अलावा कपिल के पास Volvo XC भी है। उनकी इस कार की कीमत 90 से 1.3 करोड़ के करीब है। कुछ टाइम पहले ही कपिल ने अपनी न्यू वैनिटी वैन की फोटोज इंस्टाग्राम पर शेयर की थीं। कहा जाता है कि कपिल की वैनिटी वैन इंडस्ट्री की सबसे महंगी वैनिटी वैन में से एक है ये शाहरुख खान की वैनिटी से भी ज्‍यादा कीमती है। कपिल शर्मा की वैनिटी वैन की कीमत 5.5 करोड़ रुपए है।

सुनील ग्रोवर

कॉमेडियन सुनील ग्रोवर टीवी पर डॉक्टर मशहूर गुलाटी के नाम से फेमस सुनील ग्रोवर अपनी कॉमेडी से हंसाने में हमेशा कामयाब रहे हैं। ये आपको जल्द सलमान खान की फिल्म ‘भारत’ में भी नजर आएंगे। इस एक्टर के पास व्हाइट कलर की बीएमडब्लू 5 सीरीज की कार है। इसकी शुरूआती कीमत 53 लाख से है।

मोनालिसा

37 वर्षीय अंतरा बिस्वास उर्फ़ मोनालिसा को हम ‘नज़र’ सीरियल में देख चुके हैं। इसके अलावा वे ‘बिग बॉस 10’ में भी दिखाई दी थी। मोनालिसा ने भोजपुरी फ़िल्में भी बहुत की है। उनके पास सफेद रंग की ऑडी कार है। इसकी एक तस्वीर भी वे सोशल मीडिया पर साझा कर चुकी है। ऑडी ब्रांड की कारें 50 लाख से लेकर 2 करोड़ तक की आती है।

एक्ट्रेस दिव्यांका

स्टार प्लस का पॉपुलर शो 'ये हैं महोब्बतें' की लीड एक्ट्रेस दिव्यांका भी मर्सेडीज कार की ओनर हैं। उन्होंने इस गाड़ी को 2018 में पति विवेक के साथ मिलकर खरीदा था। उनकी मर्सेडीज भी सफेद रंग की है। दिव्यांका ने 'बनूं मैं तेरी दुल्हन' से टीवी इंडस्ट्री में कदम रखा था हालांकि इसके बाद वो कई सीरीयल में नजर आ चुकी हैं। आपको बता दें, दिव्यांका 2003 में मिस भोपाल का खिताब भी अपने नाम कर चुकी हैं। वहीं विवेक 'ये है आशिकी' और 'एक वीर की अरदास वीरा' जैसे सीरीयल में काम कर चुके हैं। फिल्हाल विवेक 'कयामत की रात' में करिश्मा तन्ना के ओपोजिट बतौर लीड एक्टर का किरदार निभा रहे हैं।

रोनित रॉय

रोनित रॉय उन्हें आपने हर कैरेक्टर में देखा होगा। चाहे निगेटिव हो या एक केयरिंग फादर का किरदार, ये हर रोल में पसंद किए जाते हैं। उनकी काफी फैन फॉलोइंग है। इस एक्टर के पास ऑडी क्यू7 जिसकी कीत 85 लाख है और येलो ऑडी आर8 जिसकी कीमत 2 करोड़ रुपए है ऐसी कारें मौजूद हैं।

चंदन प्रभाकर

चंदन प्रभाकर ‘द कपिल शर्मा’ शो में चंदू चाय वाले के नाम से फेमस चंदन प्रभाकर को भी महंगी गाड़ियों का शौक है। इनके पास बीएंडब्लू 3 सीरीज की कार है जिसकी कीमत 31 लाख रुपए के आस-पास है। शो में सिंपल रोल में नजर आने वाले चंदन का रियल लाइफस्टाइल काफी शानों-शौकत वाला है।

कुशाल टंडन

कुशाल टंडन ‘बेहद’ और ‘एक हजारों में मेरी बहना है’ जैसे सीरियल में नजर आ चुके कुशाल टंडन छोटे पर्दे एक डैशिंग एक्टर में से एक हैं। उनके पास भी महंगी गाड़िया मौजूद हैं। उनकी इस लिस्ट में मर्सिडीज से लेकर ऑडी और बीएमडब्लू जैसी कारें शामिल हैं।

राम कपूर

राम कपूर ‘घर एक मंदिर’ से अपना टीवी सफर शुरू करने वाले राम कपूर ने काफी कम वक्त में घर-घर में अपनी पहचान बना ली। उन्होंने इसी सीरियल में रही अपनी कोस्टार गौतमी से शादी की है। इस एक्टर का भी कार कलेक्शन काफी शानदार है। उनके पास कई महंगी गाड़ियां हैं जिनमें बीएमडब्लू और पोर्श शामिल हैं। पोर्श की शुरूआती कीमत 80 लाख है।

 

नजरिया /शौर्यपथ /भारत में कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या में हुई बढ़ोतरी बेहद चिंताजनक है। यूरोप के आधा दर्जन विकसित देशों से आगे निकलकर भारत पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। अब प्रतिदिन लगभग 10 हजार रोगी सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के विश्लेषणों व अनुमानों पर विश्वास किया जाए, तो भारत में सामूहिक संक्रमण का दौर शुरू हो चुका है और जून-जुलाई तक इसके विस्तार की आशंका है। हालात 1918 की ‘स्पेनिश फ्लू’ महामारी जैसे पैदा होते जा रहे हैं, तब भारत में 12 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। ऐसे में, आज भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था पर दुनिया की नजरें टिकने लगी हैं।
वैसे भी दुनिया भर में रोगियों की 27 फीसदी आबादी भारत में रहती है। भारत में करीब 26 हजार अस्पताल हैं, उनकी कमी को लेकर भी बहस शुरू हो गई है। बहरहाल, सर्वोच्च न्यायालय में लंबित एक याचिका पर तीन न्यायाधीशों की यह टिप्पणी भी उल्लेखनीय है कि सरकारी जमीन पर बने अस्पताल क्या कम दरों पर संक्रमित लोगों को सुविधा मुहैया नहीं कराएंगे? देश के एक दर्जन महानगरों में पांच सितारा होटलों की तर्ज पर आलीशान अस्पताल बने हुए हैं, जिनसे देश कीसिर्फ एक प्रतिशत आबादी ही सेवाएं ले पाती है। कई निजी स्वास्थ्य केंद्र सरकार द्वारा जारी नियमों को पलीता लगाते रहते हैं। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत अनेक निजी अस्पतालों की पहुंच से दूर है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि कोरोना भारत के लिए आयुष्मान योजना को आगे बढ़ाने काअच्छा अवसर है। आयुष्मान भारत विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसमें 50 करोड़ लाभार्थियों को बीमित करने का लक्ष्य है।
मौजूदा संकट में दुर्भाग्यपूर्ण है कि नामी-गिरामी अस्पताल कोरोना टेस्ट के लिए 4,500 रुपये की रकम को लाभकारी नहीं मान रहे। एक सामाजिक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके स्वास्थ्य संवाओं के राष्ट्रीयकरण की मांग की है, जिसमें उन्होंने छोटे मुल्क क्यूबा का उदाहरण दिया है कि जहां एक भी निजी अस्पताल नहीं है। वहां सबसे बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। क्यूबा में प्रति 1,000 आबादी पर नौ डॉक्टर हैं। संक्रमण के इस दौर में यह छोटा मुल्क अमेरिका व चीन जैसे शक्तिशाली राष्ट्र समेत 70 राष्ट्रों को चिकित्सीय सेवाएं प्रदान कर रहा है। भारत में यह मांग भी जोर पकड़ती जा रही है कि जन-स्वास्थ्य को केंद्रीय सूची में लाया जाए।
स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भारत 145वें पायदान पर है। इस कसौटी पर वह बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार व भूटान से भी पीछे है। भारत में बीमारी किसी अभिशाप से कम नहीं। महंगे इलाज के चलते करोड़ों लोग गरीबी में फंसते चले जा रहे हैं। परिवार के किसी एक सदस्य की गंभीर बीमारी पूरे परिवार को कई वर्ष पीछे धकेल देती है। तमाम अध्ययनों का निचोड़ है कि ऐसी गुणवत्तापरक स्वास्थ्य प्रणाली निर्मित की जाए, जो अधिकांश भारतीयों के लिए उपयोगी और सुलभ हो। देश के अस्पतालों में निजी क्षेत्र की बढ़ती हिस्सेदारी लगभग 74 फीसदी हो गई है। लगभग 60 प्रतिशत बिस्तर निजी अस्पतालों में होते हैं। निजी अस्पतालों के हिस्से में लगभग 80 फीसदी डॉक्टर, 70 फीसदी नर्स व स्टाफ हैं। इसका असर गरीबों पर पड़ रहा है। वायरस के इस दौर में निरंतर साबुन से हाथ धोने को बचाव का उत्तम तरीका बताया गया है। एक अध्ययन यह भी है कि भारत में मात्र 43 फीसदी लोग साबुन से हाथ धो पाते हैं।
महामारी के साथ अब महामंदी भी दस्तक दे रही है। एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे चली जाएगी। अनुमान के अनुसार, लॉकडाउन के कारण प्रतिदिन 40 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। नव-उदारवाद की नीतियों ने भी समाज के वंचित समूहों को कोई राहत नहीं पहुंचाई है। कई शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इतनी असमानता ब्रिटिश काल में भी नहीं थी। एक वर्ष के दौरान सबसे अमीर एक फीसदी जनसंख्या की संपत्ति में 46 फीसदी की बढ़ोतरी, जबकि सबसे गरीब 50 प्रतिशत जनसंख्या की संपत्ति में मात्र तीन फीसदी की वृद्धि हुई है। साफ है, महामारी और महामंदी से निपटने के लिए 130 करोड़ लोगों को एकजुट करके ही संकट का मुकाबला किया जा सकता है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)के सी त्यागी, वरिष्ठ जद-यू नेता

 

सम्पादकीय लेख / शौर्यपथ / प्रवासी मजदूरों के बारे में सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला देश के लाखों गरीब कामगारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। यह एक मुकम्मल फैसला है। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को न सिर्फ 15 दिनों के भीतर तमाम इच्छुक प्रवासी मजदूरों को उनके गांव या मूल स्थान लौटने की सुविधा मुहैया कराने का आदेश दिया है, बल्कि गांव पहुंचने के बाद उनकी आजीविका के उपायों के बारे में भी योजनाएं बनाने को कहा है, ताकि उनके कौशल के मुताबिक उनका समुचित समायोजन हो सके। कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात का भी ख्याल रखा है कि जो मजदूर अपने मूल स्थान पर लौटें, उन्हें वहां प्रखंड व जिला स्तर पर चलने वाली सरकारी योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ मिले और वे फाकाकशी का शिकार न बनने पाएं। ये सारे काम कार्यपालिका के हैं और इन्हें बिना न्यायिक हस्तक्षेप के संपन्न हो जाना चाहिए था। पर सुप्रीम कोर्ट को यदि स्वत: संज्ञान लेना पड़ा और उसके दखल की नौबत आई है, तो यह हमारी कार्यपालिका के लिए कतई सुखद बात नहीं है।
बीते 25 मार्च से देश में पूर्ण लॉकडाउन लागू हुआ था, और इसके शुरुआती दो दिनों में ही दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर जो मंजर दिखाई पड़ा, उसको देखते हुए ही केंद्रीय व राज्य प्रशासन को प्रवासी मजदूरों की लाचारी और बेचैनी का अंदाज हो जाना चाहिए था, लेकिन प्रशासन के पास तब सख्ती बरतने के अलावा दूसरी कोई त्वरित योजना नहीं थी। और यह स्थिति तब थी, जब सरकारें अच्छी तरह से जान रही थीं कि देश में करोड़ों-करोड़ कामगार दूसरे प्रदेशों में जाकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं, बल्कि उनमें से लाखों की रातें फुटपाथों पर गुजरती हैं। जाहिर है, हजारों की तादाद में लोग अपने मूल निवास की ओर निकलने लगे और प्रशासन उनकी संख्या के आगे बेबस पड़ता गया। आज करीब ढाई महीने बाद आला अदालत ने जब इन मजदूरों के हक में अपना फैसला सुनाया है, तब तक लाखों कामगार सैकड़ों किलोमीटर की पीड़ादायक यात्रा करके या श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से अपने-अपने घर पहुंच चुके हैं।
प्रवासी मजदूरों की इस हालत के बरअक्स हमारे सामने आज जो तथ्य हैं, वे बता रहे हैं कि हम लॉकडाउन का अपेक्षित लक्ष्य नहीं हासिल कर पाए। जिन देशों ने कोरोना की जंग में लॉकडाउन को एक कारगर हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, वहां शासन-प्रशासन ने सबसे पहले इससे प्रभावित होने वाली जनता की बुनियादी जरूरतों का संजीदगी से ख्याल रखा। निस्संदेह, हम जैसी विशाल आबादी के लिए यह आसान काम नहीं है, लेकिन हमारा जोखिम भी तो छोटा नहीं है। हम दुनिया के उन शीर्ष देशों में आ गए हैं, जहां वायरस का संक्रमण सबसे ज्यादा है। मौजूदा स्थिति में प्रवासी मजदूरों की दुश्वारियां और न बढ़ें, इस लिहाज से सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप सराहनीय है। अदालत ने उन कामगारों की भी सुध ली है, जो अपने कार्यस्थल पर लौटना चाहते हैं। उनके बगैर आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौट भी नहीं सकतीं। लेकिन उन्हें अब काफी सतर्कता बरतनी पड़ेगी, इसके लिए उनकी कौंसिलिंग जरूरी है। अदालत ने लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले श्रमिकों के खिलाफ दायर सभी मुकदमों को खत्म करने का जो आदेश दिया है, उसकी भी सराहना की जानी चाहिए। बेबस लोगों के साथ इंसाफ का यही तकाजा था, और यकीनन इंसानियत का भी।

मेलबॉक्स / शौर्यपथ / जहां एक तरफ केंद्र सरकार देश के नौजवानों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रही है, तो वहीं कुछ युवा नौकरी जाने के तनाव में आत्महत्या कर रहे हैं। प्रवासी मजदूरों की पीड़ा भी किसी से छिपी नहीं है। एक नए अध्ययन के मुताबिक, करीब ढाई करोड़ नौजवान अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। इनके लिए रोजगार के अवसर जुटाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। फिर भी, बेरोजगार हुए नौजवानों का आत्मविश्वास टूटने न पाए। यदि देश के युवाओं पर ही इस तरह की त्रासदी आएगी, तो देश का भविष्य क्या होगा? इस विपदा की घड़ी में जरूरत है युवाओं को उनकी शक्ति और योग्यता का स्मरण करा सकने वाले जामवंतों की, जो उन्हें आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सही राह दिखा सकें। सरकार युवाओं को इसके लिए प्रेरित करे और उन्हें सही राह दिखाए।
शुभम कुमार प्रजापति
हरिद्वार, उत्तराखंड

एक गुजारिश
दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने इस वर्ष प्रॉपर्टी टैक्स सिर्फ ऑनलाइन जमा करने की बात की है, जबकि इसका सॉफ्टवेयर एकदम निम्न स्तरीय है। कई-कई दिनों तक मोबाइल पर ओटीपी ही नहीं आता, जिसके बिना आगे कोई काम नहीं कर सकते। बैंक के खाते से राशि ज्यादा कटती है, लेकिन निगम के खाते में कम दिखाई देती है। इससे सब परेशान हैं, विशेषकर वरिष्ठ नागरिक। नगर निगम को चाहिए कि जब तक इनका सॉफ्टवेयर ग्राहक के अनुकूल नहीं हो जाता है, तब तक चेक द्वारा ही वह भुगतान स्वीकारे। आखिर बैंक भी तो रोज लाखों चेक ले-दे रहे हैं।
दिलीप सक्सेना, दिल्ली

आत्मनिर्भरता की ओर
लद्दाख में चीन की सेना द्वारा किए गए सीमा-उल्लंघन पर भारतीय आक्रोशित हैं। चीन को सबक सिखाने के लिए उपाय सुझाए जा रहे हैं। उसे आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने की बात हो रही है। कहा जा रहा है कि भारत की जीवन-चर्या का अंग बन चुके चीनी सामानों का बहिष्कार किया जाए। सच भी है कि द्विपक्षीय रिश्तों में भारत निर्यात के मुकाबले चीन से तीन गुना अधिक सामान आयात करता है। जनसंख्या की दृष्टि से सभी के लिए रोटी, कपड़ा और मकान जुटाने के संदर्भ में भी भारत में आत्मनिर्भरता का अभाव जग जाहिर है। यही नहीं, चीन के सामान की तुलना में भारतीय सामान का महंगा होना भी चीनी सामान के व्यापक उपयोग का बड़ा आधार है। मगर भारत में कौशल की कमी नहीं है। यदि भारत अपनी जनसंख्या को नियंत्रित करके इस कौशल का सदुपयोग करे, तो किसी अन्य देश से उसे उपभोक्ता वस्तुओं के आयात की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी और जीवन के लिए उपयोगी तमाम क्षेत्रों में हमारी आत्मनिर्भरता को दुनिया का कोई देश रोक नहीं सकेगा।
सुधाकर आशावादी, ब्रह्मपुरी, मेरठ

पैर पसारती भुखमरी
कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण विश्व स्तर पर भुखमरी का खतरा बढ़ गया है। सीएसई की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक स्तर पर गरीबी की दर गत 22 वर्षों में पहली बार बढ़ी है। विश्व की 50 फीसदी आबादी लॉकडाउन में है, जिनकी आय या तो बहुत कम है या उनके पास आय के साधन खत्म हो गए हैं। दुनिया के छह करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जाने वाले हैं। भारत में भी 1.20 करोड़ लोग भुखमरी या गरीबी की स्थिति में आ सकते हैं। विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक की मानें, तो दुनिया में हर रात 82.10 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं। अभी दुनिया के 13़.50 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। साफ है, यदि सरकारों ने भुखमरी और गरीबी के खात्मे की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया, तो यह स्थिति और भयावह हो जाएगी। इससे बचने के लिए एक समग्र नीति बननी चाहिए।
सत्य प्रकाश
धनसारी छर्रा, अलीगढ़

 

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