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दुर्ग / शौर्यपथ / भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और भारत में सत्ता की चाबी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों के पास भी होती है सत्ता का सुचारू रूप से सञ्चालन हो इसके लिए लोक्तान्त्र्ण में प्रशासन और जनप्रतिनिधि के आपसी तालमेल का ही एक सुन्दर रूप है लोकतंत्र . किन्तु फर्जी दस्तावेजो का सहारा लेकर ऐसे कई लोग है जो सत्ता का मजा ले रहे है और दुसरो का हक मार रहे है . ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमे दुर्ग निगम के चुनाव में एक प्रत्याशी द्वारा जाति आरक्षण का लाभ लेकर चुनावी जीत दर्ज की गयी और सत्ता का सुख लिया जा रहा है .
मामला है दुर्ग निगम के चुनाव का . दुर्ग निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 29 कांग्रेस की प्रत्याशी रामकली यादव का मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी बबिता गुड्डू यादव से रहा था . बबिता गुड्डू यादव की इस चुनाव में जीत हुई और रामकली यादव की हार हुई . रामकली यादव की हार शहर में चर्चा का केंद्र बनी रही . रामकली यादव वर्षो से कांग्रेस की सक्रीय कार्यकर्त्ता के साथ संगठन के कई पदों की जिम्मेदारी भी सकुशल निभाते हुए राजनीती में सक्रीय रही है . पेशे से अधिवक्ता रामकली यादव एक मिलनसार कांग्रेस नेत्री के रूप में जानी ज़ाती है . निगम चुनाव में हार के बाद भी जनता के फैसलों को स्वीकार करते हुए वार्ड व शहर में सक्रीय रही व कोरोना आपदा में जरूरत मंदों की सेव के लिए आगे रही . वही निर्दलीय पार्षद के रूप में बबिता की जीत भी चर्चा का विषय रहा किन्तु अचानक राजनीती घटनाक्रम में एक ऐसा मोड़ आया जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बबिता गुड्डू यादव द्वारा चुनाव में भरी गयी जानकारी गलत है और आरक्षण का गलत फायदा उठाया गया है .
बता दे कि वार्ड नम्बर 29 पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित था किन्तु बबिता गुड्डू यादव शादी के पहले ब्राहमण जाति होने का आरोप कांग्रेस नेत्री और वार्ड की छाया पार्षद रामकली यादव द्वारा लगाया जा रहा है . श्रीमती यादव द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि बबिता गुड्डू यादव द्वारा मिथ्या जानकारी के तहत चुनावी समर में जीत हांसिल की है जो भारतीय संविधान की खुली अवहेलना है . श्रामती रामकली द्वारा बबिता गुड्डू यादव के निर्वाचन को रद्द करने का आवेदन कलेक्टर कार्यालय कू दी गयी व पार्षदी रद्द करने की मांग की गयी है .
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का राष्ट्रिय समाचार पत्र जनसत्ता में उल्लेख किया गया है जिसमे बताया गया है कि शादी के बाद महिला द्वारा जाती परिवर्तन कर आरक्षण श्रेणी में नौकरी प्राप्त की गयी जिसे असवैधानिक करार दिया गया . " सुप्रीम कोर्ट बोला - जाति जन्म से तय होती है शादी के बाद बदल नहीं जाती " ( २० जनवरी २०१८ )जिसका लिंक ( https://www.jansatta.com/national/supreme-court-said-caste-decided-by-birth-and-will-be-not-changed-after-marriage/553618/ ). अगर शादी से पहले बबिता गुड्डू यादव का नाम बबिता शर्मा पिता समारूराम शर्मा है तो यह तो स्पष्ट है कि बबिता ब्राह्मण जाती से सम्बन्ध रखती है वही अगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को माने तो बबिता यादव की जाती शादी के बाद भी नहीं बदल सकती . अब देखने वाली बात यह है कि रामकली यादव के शिकायत पर प्रशासन क्या कार्यवाही करता है ?
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