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दुर्ग / शौर्यपथ / दुनिया में वैश्विक महामारी कोरोना के कहर के कारण लाखो करोडो लोगो को भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है . इस महामारी के कारण लॉक डाउन के नियमो में सरकार समय समय पर स्थिति अनुसार बदलाव कर रही है ताकि कोरोना संक्रमण के विस्तार पर काबू पा सके इसके लिए प्रदेश के दुर्ग जिले के कलेक्टर भूरे द्वारा लगातार बेहतर स्वास्थ्य सुविधा का विस्तार के साथ साथ कोरोना संक्रमण के विस्तार पर भी कड़े निर्णय लिए जा रहे है ताकि स्थिति काबू में रहे और जान माल का नुक्सान न हो . नवनियुक्त कलेक्टर डॉ. भूरे द्वारा वर्तमान में पूर्ण लॉक डाउन घोषित किया गया 23 जुलाई से इस घोषित लॉक डाउन में किरण और राशन दुकानों को भी बंद रखने का आदेश दिया गया किन्तु त्योहारी सीजन को देखते हुए पहले दो दिन फिर उसके अगले दो दिन के लिए कुछ रियायत बरती गयी और अति आवश्यक वस्तु में राशन दूकान और किरण दूकान को खोलने की अनुमति दी गयी साथ ही इस नियम का कड़ाई से पालन करने के आदेश दिए गए ताकि इनके अलावा कोई और दूकान ना खुले .
कलेक्टर के आदेश का पालन करते हुए कई व्यापारियों ने अपनी दूकान बंद रखी इसमें रोज कमाने खाने वाले छोटे छोटे व्यापारी से लेकर बड़े बड़े व्यापारी भी शामिल है किन्तु फिर भी कुछ ऐसे लोगो द्वारा दूकान खोला गया जिसे अनुमति नहीं थी इस पर जिला प्रशासन द्वारा जुर्माना की कार्यवाही कर चेतवानी दी गयी की गैर अनुमति प्राप्त दूकान ना खोले . किन्तु दुर्ग इंदिरा मार्केट में गणेश मेडिकल के सामने डिस्पोजल की दूकान के संचालक द्वारा लगातार चार दिनों तक प्रशासन को चकमा देते हुए दूकान संचालित किया जाता रहा . जिसकी खबर शौर्यपथ समाचार द्वारा प्रकाशित की गयी . आज गोयल डिस्पोजल की दूकान को चालु हालत में देखते ही निगम के बाज़ार प्रभारी द्वारा जुर्माना लगाने पर दुकानदार द्वारा शासन के नियमो को ना मानने और उलटे दुर्गेश गुप्ता बाज़ार विभाग प्रभारी से हर्जाना माँगा जाने लगा . गोयल पलास्टिक के संचालक द्वारा तैश में आ कर यहाँ तक कह दिया गया कि जो भी आएगा बंद कराने उसे 30000 हज़ार रूपये और नौकरों की तनखा देनी होगी चाहे कलेक्टर ही क्यों ना आ जाये.
ये सही है कि वर्तमान समय में सभी को आमदनी की चिंता है परिवार की चिंता है इसके बावजूद ऐसे भी गरीब है जो सुबह कमाते है और शाम को खाते है उन लोगो के द्वारा भी शासन के नियमो का पालन किया जा रहा है ऐसे में गोयल प्लास्टिक के संचालक द्वारा शासन से इस तरह का बर्ताव समझ से परे है अगर प्रशासन ऐसे लोगो पर सख्त कार्यवाही नहीं करेगा तो कोई बड़ी बात नहीं कि गोयल प्लास्टिक के संचालको जैसा बर्ताव हर व्यापारी करने लगेगा और शासन के बनाए नियमो की धज्जी उडती रहेगी .
निगम आयुक्त की प्रथम जिम्मेदारी
दुर्ग के निगम आयुक्त एक ओर जहां नाली में कचरा फेकने वालो से एक हजार से कई हजार तक जुर्मान वसूल कर अपनी प्रशासनिक शक्ति का परिचय दे चुके है ऐसे में चार दिनों से लगातार नियमो का उल्लंघन करने वाले गोयल प्लास्टिक पर सख्त कार्यवाही ना कर आम जनता को क्या सन्देश देना चाहते है कि जो शासन के नियमो का पालन करेगा उसे हजारो का जुर्माना देना होगा और जो प्रशासनिक अधिकारियों से ऊँची आवाज में बात कर नियमो को तोड़ेगा उसे माफ़ कर दिया जाएगा या मामूली जुर्माना से बरी कर दिया जाएगा .
तहसीलदार खेम लाल वर्मा को करनी चाहिए सख्त कार्यवाही
दूकान दार द्वारा शासकीय अधिकारियों से बहस के दौरान नियमो को तोड़ने वाले दुकानदार द्वारा तेज आवाज़ में बात करना और हर्जाने की मांग करना इन सबकी जानकारी के बाद भी किसी तरह की कोई कार्यवाही का ना करना आखिर क्या सन्देश जा रहा है समाज को कि रसूखदारो के लिए कोई नियम नहीं नियम सिर्फ गरीबो के लिए है कमजोरो के लिए है क्या शहर की ऐसी व्यवस्था प्रणाली दोहरी निति को प्रदर्शित नहीं कर रही ?
क्या कलेक्टर डॉ.भूरे मामले को लेंगे संज्ञान
दुर्ग कलेक्टर ने जिले के नगरीय निकाय क्षेत्र में 23 जुलाई से पूर्ण लॉक डाउन का आदेश दिया और इस आदेश के तहत सभी व्यापारिक संस्थानों को ( अतिआवश्यक श्रेणी को छोड़ कर ) बंद करने का आदेश दिया किन्तु त्योहारी सीजन में जनता के हितो का ख्याल रखते हुए किराना व राशन दुकानों को 4 दिनों की छुट दी गयी . इन चार दिनों की छुट में प्लास्टिक डिस्पोजल की दूकान शामिल नहीं थी इसके बावजूद गोयल प्लास्टिक द्वारा लगातार दूकान खोला गया जिसे बंद करने का निवेदन रोज निगम प्रशासन द्वारा किया गया किन्तु संचालक द्वारा शासन के नियमो को पैर की धुल समझा गया जैसा की निचे दिए गए वीडियो में दिख रहा है और जुर्माना जो शासन के आदेश पर लिया जा रहा है उस पर आपत्ति करते हुए कलेक्टर के फैसले को गलत ठहराते हुए उलटे प्रशासनिक अधिकारियों से ही हर्जाना माँगा जा रहा है अगर इसी तरह सभी दुकानदार बर्ताव करने लगे तो फिर जिला कलेक्टर के आदेश का क्या औचित्य रह जायेगा . नवनियुक्त कलेक्टर डॉ. भूरे जनता के हितो को ध्यान में रखते हुए जनता के लिए ही दिन रात कार्य कर रहे है किन्तु ऐसे व्यापारियों के कारण शासन के नियमो की जो धज्जी उड़ रही जो चिंगारी पैदा हो रही कही ऐसा ना हो कि कल को सभी गोयल प्लास्टिक के संचालक जैसा ही रुख करे और लॉक डाउन का नियम सिर्फ एक मजाक बन जाए . चार दिनों में कोई सख्त कार्यवाही ना करने वाले निगम आयुक्त की कार्यशैली पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है आज की घटना से . क्या आज की घटना की जानकारी मिलने पर जिले के कलेक्टर डॉ. भूरे मामले को संज्ञान में लेंगे ?
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