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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग विधान सभा क्षेत्र में लगभग 50 सालो से वोरा बंगले का दबदबा रहा . स्व. मोतीलाल वोरा के कुशल राजनैतिक क्षमता के आगे सभी कांग्रेसी वोरा निवास को दिल्ली दरवाजा का मार्ग मानते थे किन्तु स्व.मोतीलाल वोरा के निधन के बाद जिस तरह दुर्ग की राजनितिक के समीकरण बदले उससे यह तो स्पष्ट हो गया कि दुर्ग में अब विधायक अरुण वोरा के विरोधी बहुतयात की संख्या में है . ऐसा नहीं कि यह विरोध काफी पुराने समय से है . दुर्ग शहर के विभिन्न समाजो के प्रतिनिधियों को जो सम्मान स्व. मोतीलाल वोरा के समय मिलता था अब उसमे कही ना कही उपेक्षा के भाव नजर आ रहे है . जिस तरह से नए नए जुड़े ऐसे लोगो को जिनकी हैसियत 10 वोट पक्ष में करने की भी नहीं वोरा बंगले में महत्तव दिया जा रहा एवं सालो से कांग्रेस के लिए समर्पित कार्यकर्ताओ की उपेक्षा की जा रही उससे कांग्रेसी भी अब वोरा बंगले से दूर होते जा रहे .
हाल ही की घटना को अगर देखा जाए तो निगम क्षेत्र में ऐसे सभी पोस्टर बार बार हटाये जाते है जिसमे विधायक वोरा के फोटो ना चाहे उसमे किसी का भी फोटो हो जिस पर पिछले एक माह से अंदरूनी खींचा तानी ज़ारी है . हद तो तब हो गयी जब प्रदेश के मुखिया और कांग्रेस सरकार की योजनाओं के पोस्टर जो शहरों में लगे थे उसे भी हटाया जाने लगा . वर्तमान में दो दिन पहले गौरव पथ मार्ग पर प्रदेश के मुखिया के सभी पोस्टर हटा दिए गए अवैध पोस्टर हटाने के नाम पर जिसके लिए बाकायदा निगम द्वारा प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की गयी . विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभी पोस्टर हटा कर विवेकानंद भवन में छुपा कर रख दिए गए और दुसरे ही दिन साफ सुथरे गौरव पथ मार्ग पर विधायक वोरा के पोस्टर लगाने शुरू हो गए. चुनावी समय में दुसरो के कार्यो को अपना बताने के कई मामले विधायक अरुण वोरा के साथ जुड़े है ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार की योजनाओं और मुखिया के पोस्टर आचार संहिता लगने के पहले तक शहर में लगे रहे इसकी सबसे ज्यादा चिंता विधायक के प्रबल दावेदार के रूप में वर्तमान विधायक की होनी चाहिए किन्तु दुर्ग शहर में तो सीएम के योजनाओं के पोस्टर हटने के बाद विधायक के पोस्टर लगने से शहर में चर्चा का विषय है कि क्या दुर्ग शहर विधायक अरुण वोरा को प्रदेश के मुखिया और सरकार की योजनाओं से नफरत है या फिर कोई और बात है . कारण जो भी हो प्रदेश सरकार की योजनाओं के पोस्टर बंद कमरों में है और विधायक के पोस्टर शहरो के खम्बो में .
बात खुलेगी तो गाज गिरेगा निर्दोष अधिकारियों पर ...
जब भी इस तरह की बात होती है तो सभी अपनी जिम्मेदारियों से बचते हुए किसी शासकीय कर्मचारियों पर इलज़ाम लगा कर उस पर कार्यवाही की बात करते हुए अपने आप को अनजान बताते नजर आते है जबकि अगर सही मायनों में देखा जाए तो शासकीय कर्मचारी आदेशो के पालन करते हुए राजनीती के शिकार हो जाते है देखना यह है कि इस बार मुख्यमंत्री बघेल की सरकार के योजनाओं के साथ वाले पोस्टर निकालने पर किस शासकीय कर्मचारी के ऊपर गाज गिरेगी या मामले को दबाने और भूल वश साबित करने की दिशा में सीएम बघेल के शासकीय योजनाओं के पोस्टर फिर से शहरो में लगा दिए जायेंगे .
https://youtu.be/3IfD7LZjfLM?si=JHOw7bEil1iJQmZK
ऊपर दिए लिंक पर क्लिक कीजिये और देखिये किस हालत में रखे है सरकारी योजनाओं के पोस्टर
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