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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग खनिज विभाग की लापरवाही कहे या फिर तथाकथित रेत माफियाओ से मिली भगत . दुर्ग शहर में खुले आम अवैध रेत परिवहन कर शासन की छवि को खराब करने की दिशा में कही ना कही खनिज विभाग की भूमिका भी संग्धित नजर आ रही है .
तीन दिन पहले दुर्ग जिला के खनिज उप संचालक दीपक मिश्रा को इस विषय में महत्तवपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने के बाद भी खनिज विभाग अधिकारी दीपक मिश्रा के द्वारा मामले पर संज्ञान तक लेने की बात तो दूर मिलने से भी अप्रोश रूप मना करना कई तरह के सवालो को जन्म देता है .
शौर्यपथ समाचार द्वारा शहर में अन्य जिलो से आ रहे अवैध रेत और बिना अनुमति परिवहन की लोकेशन फोटो सहित जानकारी खनिज विभाग के अधिकारी को दी गई बावजूद इसके अवैध परिवहन में रत्ती भर भी फर्क का ना पड़ना विभागीय कार्य प्रणाली को दर्शा रहा है .
जिलाधीश महोदया से अब कार्यवाही की उम्मीद ...
विधान सभा चुनाव के बाद प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद सुशासन की दिशा में पहल करते हुए उच्च अधिकारियों कि भूमिका बदलते हुए राज्य शासन ने कई कदम उठाये . दुर्ग जिले में इसी के तहत नई जिलाधीश के रूप में सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी को महत्तव पूर्ण जिम्मेदारी दी गई . अपने कार्यकाल के अल्प समय में ही जिलाधीश महोदया ने अपनी कार्य कुशलता से वीभागीय कसावट लाने में कई पहल की अब उम्मीद की जा सकती है की शहर में चल रहे अवैध खनिज परिवहन के मामले में जिलाधीश महोदया संज्ञान लेकर कार्यवाही को अंजाम देंगी .
दुर्ग में रेत माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि 100 किलोमीटर का सफर करके दुर्ग में खुले आम बिना शासन की अनुमति के रेत का व्यापार किया जा रहा है । 18 मार्च की सुबह 32 बंगला चौक से आगे स्थित पेट्रोल पंप पर दो हाइवा रेत खुले आम बिक्री के लिए खड़ी थी । वही यही स्थिति 19 मार्च की सुबह भी देखने को मिली .
वही रेत बिक्री के लिए खड़े हाइवा वाहन के चालको से इस रेत परिवहन के बारे में पूछने पर स्पष्ट कहना था कि यह रेत परिवहन अवैध रूप से किया जा रहा है और किसी प्रकार की रायल्टी नही है । 100 किलोमीटर का सफर करके दुर्ग तक आने में मार्ग में विभागीय जांच के विषय में पूछने पर चालक का कथन कही ना कहीं विभागीय अधिकारियों की सहभागिता की ओर इशारा कर रहा ।
वाहन चालक के कहे अनुसार गाड़ी मालिक और अधिकारियों के बीच सेटिंग है इसलिए कही परेशानी नहीं होती । चालक के एक वाक्य ने ही विभागीय अधिकारियों की अवैध रेत परिवहन में सहभागिता को उजागर कर रहा है ।
खनिज अधिकारी भी नहीं दिखे गंभीर ....
दुर्ग खनिज विभाग महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे दीपक मिश्रा को अवैध परिवहन की जानकारी एवम चालक के कथन अनुसार रेत परिवहन कर रहे वाहन मालिक और अधिकारियों की मिलीभगत की स्वीकारोक्ति के संबंध में बताने पर एवम प्रमाण देने के बावजूद भी खनिज अधिकारी दीपक मिश्रा के द्वारा निष्क्रियता का रुख अख्तियार करना अधिकारी की कार्य प्रणाली पर भी संदेह पैदा कर रहा . हालांकि वर्तमान समय में आदर्श आचार संहिता लागू है किन्तु अवैध परिवहन पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी भी खनिज विभाग की है जिस पर विभाग मौन है . शहर के ऐसे कई मार्ग है जहां सुबह सुबह अवैध रूप से रेत परिवहन का नजारा देखा जा सकता है ।
चौहान नामक शख्स की खनिज विभाग में गहरी पैंठ ?
बता दें कि जिस वाहन पर अवैध रेत का परिवहन हो रहा था वह दुर्ग निवासी मुकेश चौहान नामक व्यक्ति की है वाहन चालक ने गाड़ी मालिक के तौर पर शंकर नगर निवासी चौहान नामक व्यक्ति का नाम लिया वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गाड़ी मालिक जिसकी गाड़ी से अवैध रूप से बिना रॉयल्टी के रेत का परिवहन किया जा रहा था का खनिज विभाग में किसी विभागीय अधिकारी के साथ काफी निकटता की बात सामने आ रही है जिसकी वजह से उनकी गाड़ियों पर जांच या करवाई नहीं होती अगर कभी हुई हो तो सिर्फ मात्र दिखाने के लिए कार्रवाई की जाती है वैसे शासकीय नियम अनुसार 2 हाईवा वाहन में रेत परिवहन पर एक लाख से अधिक का जुर्माना लगता है परंतु जिस प्रकार से खनिज इंस्पेक्टर ने सूचना देने के बाद भी मामले पर गंभीरता नहीं दिखाई इसमें किसी विभागीय अधिकारी की मिली भगत से इनका नहीं किया जा सकता .जिस तरह 18 मार्च को अवैध रेत परिवहन का नजारा देखने को मिला यही स्थिति 19 मार्च को भी नजर आई कोई बड़ी बात नहीं कि यही स्थिति 20 मार्च को नजर आ सकती है .
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