July 27, 2024
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मोदी के भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में दुर्ग भाजपा विधायक गजेन्द्र यादव क्यों नहीं दे रहे साथ.... Featured

100 करोड़ मामले में केजरीवाल को हो सकती है जेल परंतु करोडो के गुमठी घोटाले के बावजूद नगर निगम कर्मचारी और तथाकथित कांग्रेसी पत्रकार हैं बेफिक्र....


       दुर्ग / शौर्यपथ / लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है इसके बावजूद भी सत्ताधारी एनडीए सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जंग जारी रखी है चुनावी माहौल में विपक्ष के विरोधों के बावजूद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को आखिरकार शराब घोटाले के संबंध में माननीय न्यायालय ने 15 अप्रैल तक जेल का आदेश दे दिया .भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हर भाषण में भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग की बात करते हैं किंतु अगर दुर्ग शहर की बात करें तो दुर्ग विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दुर्ग नगर पालिक निगम में गुमठी घोटाले के नाम पर करोडो रूपये की जमीन पर लाखो रुपए का भ्रष्टाचार हो चुका है परंतु इस मामले पर दुर्ग के विधायक गजेंद्र यादव द्वारा किसी भी तरह का ना ही बयान जारी हुआ है ना ही मामले को संज्ञान लेकर इस पर जांच की बात सामने आई है हालांकि दुर्गा नगर पालिक निगम में कांग्रेस की सरकार है परंतु प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार और देश में एनडीए की सरकार होने के कारण दुर्ग विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दुर्ग नगर निगम में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी के विधायक की जिम्मेदारी जनप्रतिनिधि होने के नाते बनती है परंतु दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव द्वारा दुर्ग नगर निगम में हो रहे भ्रष्टाचारों पर किसी भी तरह का संज्ञान ना लेना दुर्ग शहर में चर्चा का विषय बन गया है क्या दुर्ग नगर निगम में हो रहा है भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का दायित्व भारतीय जनता पार्टी के विधायक गजेंद्र यादव का नहीं बनता दुर्ग विधानसभा क्षेत्र की जनता ने बड़े ही उम्मीद के साथ कांग्रेस के कद्दावर नेता अरुण वोरा को छोड़कर भाजपा प्रत्याशी गजेंद्र यादव पर अपना भरोसा जताया परंतु आज दुर्ग की जनता अपने आप को ठगा महसूस कर रही है दुर्ग नगर निगम के गुमठी घोटाले की बात दुर्ग नगर निगम के बजट सत्र में भी खुलकर भाजपा पार्षदों ने उठाया और इस घोटाले पर कार्यवाही की मांग भी की परंतु ऐसा प्रतीत हो रहा है की गुमटी घोटाले में हुए भ्रष्टाचार पर ना ही दुर्ग नगर पालिका निगम आयुक्त किसी तरह संज्ञान लेना चाहते हैं और ना ही दुर्ग शहर के विधायक गजेंद्र यादव किसी प्रकार का संज्ञान लेकर शहर में सुशासन की का संकल्प लेने वाले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कथन को सार्थक करते हुए नजर आ रहे हैं क्या दुर्ग शहर में हो रहे भ्रष्टाचार पर भाजपा जनप्रतिनिधि ऐसे ही मौन रहेंगे...

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अधिकारी मुक्तेश की भूमिका भी संग्धित...
   दुर्ग शहर के जिला अस्पताल परिसर के सामने ( करोडो के मूल्य की जमीन ) एवं चर्च के सामने 40 से 50 गुमठियो का निर्माण किया गया है एवं इसे पात्र व्यक्ति स्ट्रीट वेंडर को देने की बात सामने आई परंतु मिली जानकारी के अनुसार गुमठियो का आवंटन स्पैरो कंपनी के कर्मचारियों को ,नगर निगम के कर्मचारियों के रिश्तेदारों को एवं ऐसे व्यक्तियों को किया गया जिनका स्ट्रीट वेंडर कार्य से कही कोई नाता नहीं .इस बारे में जानकारी मांगने पर राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अधिकारी रमाकांत शर्मा और कर्मचारी मुक्तेश द्वारा अलग-अलग जानकारी देकर मामले को छुपाने की कोशिश की गई परंतु राष्ट्रीय आजीविका मिशन द्वारा जारी सर्वे सूची,आवंटन पत्र एवं जानकारी शून्य सम्बन्धी भिन्न-भिन्न जवाब ही दर्शा रही है की गुमटी घोटाले में रमाकांत शर्मा और मुकेश की भी संलिप्त नजर आ रही है वही ज्वाला प्रसाद अग्रवाल द्वारा एमआईसी सदस्यों को चेलेंज करना कही ना कही पूर्व विधायक की भी संलिप्तता की ओर इशारा कर रहा है .अब देखना यह है कि दुर्ग जिलाधीश महोदय /नगर पालिक निगम दुर्ग आयुक्त द्वारा मामले को संज्ञान लिया जाता है या फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन की बात को नकारते हुए मामले को दबाने की कोशिश की जाती है और एक बार फिर दुर्ग निगम में भ्रष्टाचार के एक और मामले की फाइल कहीं कोनों में दब जाएगी।

तथाकथित कांग्रेसी पत्रकार ज्वाला अग्रवाल की बातें क्या सही साबित हो जाएगी !
 
   कांग्रेस के लिए चुनाव में पैसे बांटने का काम करने की बात करने वाले पत्रकार ज्वाला प्रसाद अग्रवाल ने खुलेआम यह कहा था कि " एमआईसी सदस्य अगर एक बाप की औलाद है तो गुमटी घोटाले की जांच करके बताएं "  जैसा की नजर आ रहा है की गुमटी घोटाले का मामला सामने आने के बावजूद भी इस पर जांच और इसमें शामिल लोगों पर कार्यवाही का ना होना कहीं ना कहीं सुनियोजित भ्रष्टाचार की तरफ इशारा कर रहा है ज्वाला प्रसाद अग्रवाल को कांग्रेसी पत्रकार इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि ज्वाला प्रसाद अग्रवाल ने मित्रो के बीच चर्चा में यह कहा कि अरुण वोरा के लिए चुनाव में समान बांटने का काम करते है इस बार भी विधायक प्रत्याशी वोरा से पैसे लिए .वही बता दे की ज्वाला प्रसाद अग्रवाल के साले के नाम पर भी एक गुमटी का आवंटन नगर निगम के अधीन राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा आवंटन किया गया है । हालांकि गुमठी घोटाला का मामला उजागर होने के बाद ज्वाला प्रसाद अग्रवाल ने शौर्यपथ समाचार के संपादक पर शारीरिक चोट पहुंचाने की नीयत से अपनी कार से ठोकर मार्ग कर झती पहुंचाने की कोशिश की एवं भविष्य में भी इस तरह जान माल के नुक्सान की कोशिश का संदेह होने के बावजूद शौर्यपथ समाचार पत्र द्वारा लगातार गुमठी घोटाले के मामले को उजागर किया जा रहा है देखना यह है कि दुर्ग के भाजपा विधायक क्या कांग्रेस शासन काल में हुए इस भ्रष्टाचार पर निगम आयुक्त / जिला प्रशासन को निष्पक्ष जांच और संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही का निर्देश देंगे या भ्रष्टाचार के मामले पर दुर्ग के भारतीय जनता पार्टी विधायक गजेन्द्र यादव मौन रहेंगे ?

दुर्ग शहर की जनता ने भ्रष्टाचार के खिलाफ किया था मतदान
  बता दें कि दुर्ग शहर की जनता ने पिछले विधानसभा चुनाव में दुर्ग तात्कालिक विधायक वोरा के नगर निगम में हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने से क्षुब्द होकर दुर्ग की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गजेंद्र यादव को भारी मतों से जीत दिलाई और यह उम्मीद के साथ जिले की दुर्ग नगर निगम क्षेत्र जो की दुर्ग विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है पर भ्रष्टाचार में लगाम लगे परंतु पिछले 4 महीने में ऐसी कोई बात सामने नहीं जिसमें ऐसा प्रतीत होगी दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव द्वारा भ्रष्टाचार के मामले पर निगम प्रशासन को कोई सख्त निर्देश दिया गया हो वही ऐसी भी खबर सामने आ रही है जिसमें निगम के कार्यों में भारतीय जनता पार्टी विधायक गजेंद्र यादव के समर्थकों का हस्तक्षेप के कारण भ्रष्टाचार में लिप्त कई समूह के कार्य नियम के विरुद्ध भी संचालित हो रहे ...

आरटीआई द्वारा मिली जानकारी ही साफ़ इशारा कर रही कि सम्बंधित अधिकारी किस तरह का खेल खेल रहे ....

         

एक गुमठी की कीमत तो डेढ़ लाख के आस पास की जिसे निगम क्षेत्र में एक ठेकेदार द्वारा बिना निगम की अनुमति के बना कर बेच दिया गया किन्तु मुख्य मार्ग के किनारे की जगह की कीमत  ही सरकारी मूल्य के हिसाब से करोडो की ऐसे में बड़े भ्रष्टाचार की बात से भी नहीं नाकारा जा सकता

 

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