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दुर्ग। शौर्यपथ । दुर्ग लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र साहू की परेशानी खत्म होने का नाम ही नही ले रही है। एक तरफ कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र साहू दुर्ग विधानसभा क्षेत्र से बाहर चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं और प्रतिदिन आम जनता के समर्थन की बात कह रहे हैं किंतु अगर जमीनी हकीकत देखी जाए तो बिल्कुल जुदा है। शौर्यपथ समाचार ने एक दिन पहले ही दुर्ग कांग्रेस संगठन की मनमानी,निष्क्रियता की बात कही थी जो देर रात फिर सच साबित हुई ।
देखे खास खबर...
कांग्रेस संगठन का गणित दुर्ग लोकसभा में हो रहा फेल, राजेन्द्र साहू की जीत की संभावनाएं क्षीण....
https://shouryapathnews.in/cg/durg/28934-2024-04-06-03-51-15
देर रात कांग्रेस मध्य ब्लाक के प्रतिनिधित्व में वार्ड 30 एवम 31 की बैठक रखी गई थी परंतु यह बैठक कितनी सफल हुई इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बैठक में दोनो वार्ड के बमुश्किल 8 से 10 कार्यकर्ता ही उपस्थित हुए जबकि दोनो ही वार्ड में कांग्रेस के पार्षद निगम दुर्ग में प्रतिनिधित्व कर रहे । विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार बैठक कम चाय नाश्ता की पार्टी ज्यादा लग रही थी वही बैठक में एक बार फिर आपसी क्लेश सामने आया एक बार फिर कई कार्यकर्ताओं ने कुछ ही व्यक्तियों के पद में जमे रहने पर सवाल उठाया एक बार फिर निष्क्रिय संगठन और पद में जमे भेदभाव से ग्रसित होने की बात सामने आई । यह वाद विवाद बैठक के बाद मध्य ब्लाक के सोशल मीडिया ग्रुप में भी अनवरत जारी रहा अपनी बात कहने की बात करने वाली कांग्रेस की छवि फिर दागदार हुई और जवाब देने तथा कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने की जगह ऑनली फॉर एडमिन की बात से मसले को दबा दिया गया। हालाकि कुछ एक चरण चुंबक लोगो द्वारा बैठक को सफल बताया गया किंतु जमीनी हकीकत ठीक विपरीत रही ।
लोकसभा चुनाव देश का एक बड़ा चुनाव है और इस चुनाव में प्रत्याशियों से ज्यादा अहम भूमिका कार्यकर्ताओं की होती है किंतु दुर्ग कांग्रेस की यथास्थिति से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जिस तरह से विधानसभा में कांग्रेस की बड़ी हार हुई थी उससे भी बड़ी हार लोकसभा में हो सकती है ।
कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू अच्छे हो सकते हैं किंतु उनके द्वारा जिन्हे महत्त्वपूर्ण चुनावी जिम्मेदारी दी जा रही उससे कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी है । ऐसे ही पदाधिकारियों की मनमानी के चलते दुर्ग के तथाकथी लाडले विधायक के रूप में प्रसिद्ध अरूण वोरा को दुर्ग की जनता ने सिरे से नकार दिया था अब ऐसी ही हालत वर्तमान में रही तो और बड़ी हार को नकारा नहीं जा सकता। ये जरूर है। कि प्रत्याशी की चापलूसी करने की होड़ में कांग्रेसी पत्रकार बड़ी बड़ी बाते लिख कर मोटी रकम ले ले किंतु बड़ी बड़ी बातो से ही जीत होती तो फिर चुनाव की जरूरत ही नहीं होती ।
समय बहुत अगर जल्द ना संभले राजेन्द्र साहू तो सालो की मेहनत हो जायेगी बेकार ...
राजेन्द्र साहू पिछले कई सालो से पार्षद,विधायक ,महापौर का चुनाव कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय लड़ चुके हैं और जीत से दूर रहें परंतु इस बार उन्हे राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस की तरफ से लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला अगर वर्तमान समय में निष्क्रिय , संगठन के बीच अपनी छवि खराब कर चुके लोगो पर ही भरोसा करेंगे तो नुकसान सिर्फ उन्हें ही होगा उन लोगो को नहीं जो पद में जमे बैठे हैं और प्रत्याशी की जेब ढीली कर अपनी जेब भर रहे । राजेन्द्र साहू के लिए यह अंतिम बड़ा अवसर है मतदान में अभी माह भर का समय है मतलब परस्त बडी बडी बाते करने वालो को दूर कर सच्चे कार्यकर्ताओं के साथ ही चुनावी जंग में सफल हो सकते है वरना जो हाल अरुण वोरा का हुआ उससे भी बुरा हाल इस लोकसभा चुनाव में दुर्ग लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी का होगा ...
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