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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिका निगम में गुमटी घोटाला एक ऐसा घोटाला है जहां पर बिना शासन की अनुमति के ठेकेदार द्वारा करोडो की बेशकीमती जमीन पर लाखों रुपए की गुमटी बनाकर बेच भी दिया गया आखिर किस अधिकार एवं आदेश के तहत ठेकेदार विकास गर्ग ने शासकीय भूमि पर गुमटी बनाकर कुछ निजी व्यक्तियों , शासकीय कर्मचारियों के रिश्तेदारों तथा वेंडरो को बेचा ? क्या ठेकेदार विकास गर्ग के ऊपर दंडात्मक कार्यवाही नहीं होनी चाहिए जिसने बिना किसी आदेश के बेश कीमती शासकीय भूमि पर दर्जनों गुमटी का निर्माण कराया एवं लाखों रुपए में ऐसे लोगों को गुमटी का विक्रय किया जो स्ट्रीट वेंडर भी नहीं है या फिर ऐसे स्ट्रीट वेंडर जिनको पूर्व में भी नगर निगम के द्वारा व्यवस्थापन के तहत एल आई सी कार्यालय के सामने गुमटी आवंटन हो चुका है.
बड़ा सवाल उठता है कि सिटी मिशन प्रबंधन इकाई के सहायक परियोजना अधिकारी रमाकांत शर्मा के कार्यालय से दो अलग-अलग तरह की जानकारियां प्राप्त हुई जिससे गुमटी घोटाले में तात्कालिक सहायक परियोजना अधिकारी शर्मा की भूमिका भी संदेहास्पद नजर आ रही है बता दे की गुमटी घोटाला के मामले का खुलासा होने के चंद दिनों में ही रमाकांत शर्मा का तबादला सहायक परियोजना अधिकारी से लेखा अधिकारी के रूप में हो गया जिससे निगम में चर्चा जोरो पर है कि गुमठी घोटाले में निगम के तात्कालिक अधिकारी रमाकांत शर्मा , मुक्तेश कान्हा और सुरेश भारती के दामाद तथाकथित पत्रकार ज्वाला अग्रवाल की भूमिका मानी जा रही है . इस मामले पर अधिकारियों द्वारा तो मौन साधा जा रहा है किन्तु अपने आप को कांग्रेस का चुनाव के समय सामान बाटने का कार्य करने वाला ज्वाला प्रसाद अपने साथियों के साथ चर्चा में खुले आम निगम के एम आई सी सदस्यों को चुनौती भी दे दी है कि अगर एक बाप की औलाद है तो गुमठी घोटाले की जाँच करके बताये . इस बात के प्रमाण शौर्यपथ समाचार पत्र ने कुछ एम आई सी सदस्यों को भी दे दिया है अब देखना यह है कि क्या इस गुमठी घोटाले की जाँच होती है या इस घोटाले में एमआई सी सदस्यों की भी भूमिका है . अपने आप को अरुण वोरा का समर्थक और चुनाव के समय फंड लेने की बात भी ज्वाला प्रसाद अग्रवाल द्वारा कही गई .
वहीं नगर निगम में चर्चा का विषय है कि इस गुमटी घोटाले में लाखों रुपए के लेनदेन और सिटी मिशन प्रबंधन इकाई की बिना जानकारी के संभव नहीं .भारत सरकार की स्ट्रीट वेंडर को व्यवस्थापन की योजना का खुलकर बंदर बाट नगर पालिक निगम दुर्ग में सिटी मिशन प्रबंध विभाग द्वारा किया गया सिटी मिशन प्रबंध निकाय के नोडल अधिकारी से जब आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई तो प्रथम आवेदन में मामले को एक साधारण प्रक्रिया मानते हुए सहायक परियोजना अधिकारी कार्यालय से 10 अक्टूबर को जिला अस्पताल परिसर के सामने स्थित गुमटी के सर्वे रिपोर्ट एवं सर्वे रिपोर्ट की सूची प्रदान की गई जब मामला का उजागर हुआ तब एक जवाब फिर से सहायक परियोजना अधिकारी के कार्यालय से प्राप्त हुआ जिसमें सर्वे के कार्य में विभाग की अनिभिज्ञता की बात कही गई .दोनों ही विपरीत बातें कहीं ना कहीं सहायक योजना अधिकारी कार्यालय की और एक बड़े भ्रष्टाचार के ओर इशारा कर रही है .
आज वही दुर्ग नगर पालिक निगम का लेखा विभाग एक ऐसे अधिकारी के पास है जिनके कार्यकाल में दुर्ग नगर निगम के गुमटी घोटाला का एक बड़ा मामला सीना ताने हुए खड़ा है और नगर निगम के उच्च अधिकारी भी इस मामले पर निष्पक्ष जांच नहीं कर पा रहे हैं
एक तरफ वर्तमान की भारतीय जनता पार्टी की सरकार सुशासन की बात कर रही है वहीं दुर्ग नगर पालिका निगम के अंतर्गत गुमटी घोटाले में लाखों रुपए के घोटाले और भ्रष्टाचार की आंच को सभी महसूस कर रहे हैं और यह मामला सामान्य सभा के बजट सत्र में विपक्षी पार्टियों सहित सत्ता रूढ़ पार्षदों द्वारा भी पुरजोर तरीके से उठाया गया परंतु दुर्ग नगर पालिका निगम प्रशासन द्वारा इस गुमटी घोटाले की जांच आखिर क्यों नहीं की जा रही यह एक बड़ा सवाल आम जनता के सामने है.
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