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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसा कार्य किया गया है जो मानवता को शर्मशार तो करता ही है साथ ही स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार को भी उजागर करने के साथ इसमें प्रदेश के नव पदस्त भाजपा सरकार को भी बदनाम करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है . एक तरफ प्रदेश के मुखिया सीएम विष्णुदेव साय सरकार द्वारा जनहित के कार्यो की लम्बी फेहरिस्त चंद महीनो के शासन काल में बन गई वही दुर्ग विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत दुर्ग निगम में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है स्थिति यहाँ तक हो गयी कि अब निगम के अधिकारी कार्यो में हो रहे भ्रष्टाचार पर जाँच तो दूर लगाम लगाने में भी असफल हो रहे है . वही भाजपा सरकार आने के बाद शहर की शहरी सरकार के मुखिया और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों से भी अधिकारी सलाह नहीं लेते यहाँ तक कि बड़े कार्यो की सुचना नहीं देते .
हाल ही दिनों में दुर्ग शहर को दुर्गन्ध और जहरीली गैस के साए में डाल कर स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर से दूर पुलगांव स्थित कचरा डंपिंग यार्ड को मात्र माह भर में ही हरयाली के शक्ल में बदल दिया और शहर के मध्य सुराना कालेज जिसके आस पास बच्चो के होस्टल , अधिकारियों का निवास , घना आबादी क्षेत्र है को डंपिंग यार्ड बना दिया .
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार किसी की शिकायत पर यह त्वरित कार्यवाही हुई बताया जा रहा है .
आचार संहिता के बीच भाव पत्र के माध्यम से अर्थ मुवर्स नामक कंपनी को पुलगांव से कचरा उठाने का कार्य दिया गया जो किसी भाजपा नेता का करीबी बताया जा रहा है . बड़ी बात यह है कि निगम के कई ठेकेदार महीनो से लाख दो लाख रूपये के भुगतान का इंतज़ार कर रहे वही इस कंपनी को लाखो रूपये का भुगतान कार्य समाप्ति ०३ जून आचार संहिता समाप्त होने के दो दिन पहले के राशि का जो कि लगभग २५-३० लाख की है हफ्ते भर में ही कर दिया गया . जबकि वही पुलगांव से कचरा हटाने के मामले में भी बड़ा खेल हुआ . ऐसे प्रमाण शौर्यपथ के पास है कि कचरा हटाने की जगह कई टन कचरा को वही जमीन में 12-15 फीट गहरा गड्ढा खोद कर डाला गया और वहा से निकलने वाली मिटटी को लेवलिंग के कार्य में उपयोग लाया गया . वही दूसरा तथ्य यह है कि यह कार्य निगम के कथित ठेकेदार द्वारा ना किया जा कर पास के नव निर्माण कालोनी के संचालको द्वारा किया गया जिसके पुरे प्रमाण शौर्यपथ के पास है . ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर अर्थ मुवर्स कम्पनी पर निगम प्रशासन क्यों इतनी मेहरबान है और कौन है इसका संचालक जो किस भाजपा नेता का करीबी है जिसके कारण हो रहे भ्रष्टाचार से प्रदेश सरकार की छवि धूमिल की जा रही है .
इस बारे में जब शहर के प्रथम नागरिक महापौर धीरज बाकलीवाल से जानकारी चाही तो उन्हें भी इस कार्य के बारे में नहीं मालुम होने की बात बताई वही स्वास्थ्य प्रभारी हमीद खोखर ने भी इस कार्य के बारे में किसी तरह जानकारी नहीं होने की बात बताई और इस बारे में स्वास्थ्य अधिकारी जावेद अली से भी शिकायत की गई .
आखिर लाखो रूपये खर्च कर कचरे हटाने के खेल और शहर के मध्य कचरों का ढेर रख कर आम जनता को दुर्गन्ध में जीने को मजबूर करने वाले स्वास्थ्य अधिकारी पर आयुक्त लोकेश चंद्राकर क्यों मौन है और क्यों अर्थ मुवर्स के संचालक का नाम उजागर करने की जगह बचाते हुए नजर आ रहे है . वही बड़ी बात यह है कि जब निगम के पास दर्जन भर डम्पर है तो फिर किराये का वाहन लेकर खस्ताहाल निगम को राजस्व की हानि पहुंचा कर ठेकेदार को फायदा क्यों पहुँचाया जा रहा है . आखिर स्वास्थ्य अधिकारी जावेद अली किस भाजपा नेता के दबाव में है या फिर भाजपा नेता के दबाव की बात सिर्फ हवा हवाई है और नेता के नाम का सहारा लेकर विभागीय अधिकारी जावेद अली एवं ठेकेदार ने लाखो का घोटाला कर दिया , क्या इन सब कार्यो में निगम आयुक्त लोकेश चंद्राकर की भी मौन सहमति है ? आखिर असलियत क्या है यह तो निष्पक्ष जाँच से ही ज्ञात होगा किन्तु दुसरे तरफ सत्य यह है कि आज शहर के मध्य क्षेत्र को डंपिंग यार्ड की तरह उपयोग कर जावेद अली शहर को दुर्गन्ध के वातावरण में झोंक कर शहर से दूर अपने आशियाने पर शुद्ध हवा के साये में सांस ले रहे है और शहर दुर्गन्ध के साये में जीने को मजबूर है .
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