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दुर्ग। शौर्यपथ । दुर्ग निगम प्रशासन में भ्रष्टाचार अपनी पूरी चरम सीमा पर है सड़को पर अतिक्रमण का बोल बाला है बाजार की व्यवस्था चरमराई हुई है । गुमठी घोटाला को अंजाम दिया जा चुका है , कचरो के खेल में लाखो का घोटाला के साथ बदबूदार वातावरण पर आम जनता जीने को मजबूर है । ऐसे कई मामले है जिसमे निगम आयुक्त लोकेश चंद्राकर की निष्क्रियता जग जाहिर है । दुर्ग निगम प्रशासन के पिछले कार्यकाल की तुलना की जाए तो निष्क्रियता एवम भ्रष्टाचार वर्तमान आयुक्त लोकेश चंद्राकर के कार्यकाल में पुरे उफान पर है।
निगम प्रशासन की मनमानी का आलम यह है कि निगम प्रशासन कलेक्टर जनदर्शन की शिकायतों को भी मानो रद्दी की टोकरी में डाल चुका है । बाजार विभाग के एक जिम्मेदार कर्मचारी की माने तो निगम का बाज़ार विभाग भ्रष्टाचार की पूरी किताब लिख चुका है वर्तमान में बाजार अधिकारी ईश्वर वर्मा को विभाग की जिम्मेदारी मिली हुई है किंतु इतनी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने के बाद भी बाजार अधिकारी ईश्वर वर्मा अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग न करते हुए निष्क्रियता का परिचायक बनते जा रहे है। वही अगर सूत्रों की माने तो ईश्वर वर्मा की निष्क्रियता का यह आलम है कि जिला प्रमुख जिलाधीश कार्यालय से आए हुए शिकायतों को भी बाजार अधिकारी ईश्वर वर्मा द्वारा कार्यवाही के नाम पर टाला जा रहा है वही कुछ विभागीय कर्मचारियों का मानना है कि शिकायत को दबाने के लिए बाजार अधिकारी को मोटी रकम मिल रही है । कही न कही इस बात को भी बल मिलता है क्योंकि बाजार अधिकारी के रूप में लगभग तीन माह हो जाने के बाद भी बाजार अधिकारी के रूप में ईश्वर वर्मा की निष्क्रियता के चर्चे आम है । वही आयुक्त लोकेश चंद्राकर की प्रशासनिक कार्य कुशलता पर भी सवाल उठ रहे हैं ।
सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में समीक्षा बैठक होती है जिसमें जिलाधीश द्वारा विभागों के कार्यों की एवं जनदर्शन की शिकायतों की समीक्षा की जाती है परंतु यह समीक्षा बैठक कितनी कारगर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कलेक्टर चंद्रासन में शिकायत किए हुए मीना की जाए परंतु शिकायत का निवारण नहीं होता ऐसे में आम जनता यह कैसे मान ले की कलेक्टर जनदर्शन का कोई औचित्य है एवं समीक्षा बैठक का आयोजन सिर्फ एक प्रशासनिक दिखावा ?
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