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दुर्ग / शौर्यपथ / श्री राम हिन्दू धर्म में आस्था का प्रतिक है वही देश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी भाजपा को सत्ता की चाबी श्री राम से मिली यह कहने में भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी . किन्तु श्री राम के नाम पर बने अयोध्या नगरी में हुए भ्रष्टाचार ने कही ना कही भाजपा को नुक्सान ही पहुँचाया वही प्रदेश के भाजपा सरकार की महत्तवपूर्ण योजना श्री राम लला दर्शन योजना है जो आस्था का प्रतिक है . किन्तु दुर्ग नगर पालिक निगम द्वारा इस आस्था के योजना में भी भ्रष्टाचार की परत चढ़ गई .
बता दे कि साय सरकार ने छत्तीसगढ़ की जनता के लिए राम लला दर्शन योजना की शुरुवात की है जिसमे प्रत्येक शहरी निगम एवं जनपद पंचायत के माध्यम से समाज कल्याण विभाग में दर्शनार्थियों के फ़ार्म भेजे जाते है जो वरीयता क्रम से होते है किन्तु दुर्ग निगम प्रशासन द्वारा इस कार्य में भी खुले आम भ्रष्टाचार किया जा रहा है . ऐसे कई दर्शनार्थी है जो कई महीनो से फ़ार्म जमा कर रहे और श्री राम की अयोध्या नगरी के दर्शन करने की इच्छा लिए हुए है किन्तु इनके फ़ार्म निगम में ही पड़े रह जाते है जिन्हें समय पर निगम प्रशासन द्वारा समाज कल्याण विभाग को नहीं भेजा जा रहा . वही संबंधो को महत्तव देते हुए वरीयता क्रम को दरकिनार करते हुए नए आवेदन समाज कल्याण विभाग को भेजे जा रहे है .
हाल ही में कुछ ऐसी ही जानकारी सामने आई . एक तरफ दुर्ग निगम में महीनो से सैकड़ो फ़ार्म जमा है वही निगम प्रशासन द्वारा नए आवेदन के एक पुरे समूह को समाज कल्याण विभाग भेज कर नए विवाद को जन्म दे दिया . वरीयता क्रम की इस त्रुटी को आसानी से अगर निष्पक्ष जाँच हो तो सामने लाया जा सकता है किन्तु दुर्ग निगम के इस भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार के कई मामलो से घिरा निगम प्रशासन मौन है और प्रदेश में सुशासन की बात करने वाली सरकार की इस महत्तवपूर्ण योजना पर भी भ्रष्टाचार की परत चढ़ गई .
एक बार फिर भाजपा विधायक गजेन्द्र यादव निष्क्रिय साबित हुए ...
सरकार की योजनाओं का निष्पक्ष और सुचारू क्रियान्वयन हो इसकी जिम्मेदारी स्थानीय विधायक की होती है और अगर सरकार जिस पार्टी की हो उसी पार्टी का विधायक हो तो यह जिम्मेदारी और बढ़ जाती है किन्तु यदि यह सरकार और प्रदेश के मुखिया सहित देश के प्रधानमंत्री के आस्था से जुड़ी योजना हो तो इस पर भ्रष्टाचार का कोई दाग ना लगे इस पर भाजपा विधायक होने के नाते गजेन्द्र यादव की जिम्मेदारी अत्यधिक होना लाजिमी है किन्तु स्थानीय विधायक द्वारा श्री राम लला दर्शन योजना में आवेदन फ़ार्म की वरीयता को निगम प्रशासन द्वारा अनदेखी करने के बावजूद भी मौन रहना यह सन्देश देता है कि स्थानीय विधायक पद मिलने के बाद आम जनता से दूर होते जा रहे सरकार की महत्तवपूर्ण योजनाओं से सुचारू क्रियान्वयन से दूर हो रहे है प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधान मंत्री की उस भावनात्मक योजनाओं जो आस्था से जुडी है के भ्रष्टाचार पर भी मौन है .
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