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दुर्ग । शौर्यपथ । नगरी निकाय चुनाव अब कुछ समय ही शेष बचे हैं ऐसे में दुर्ग नगर पालिका निगम की इस कार्यकाल की अंतिम सामान्य सभा 25 अक्टूबर को निगम परिसर के भवन में आयोजित हुआ । बाकलीवाल की शहरी सरकार के इस अंतिम सामान्य सभा में ऐसे कई मौके आए जब प्रदेश सरकार के ही भाजपा के सदस्यों ने निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठाएं ।
दुर्ग शहर की अवस्था पर लगातार भाजपा के पार्षद और कांग्रेस के पार्षदों ने निगम अधिकारियों को घेरा परंतु इस अंतिम सामान्य सभा में भारतीय जनता पार्टी के पार्षद अरुण सिंह ने हाल ही में हुए ठेका प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए और निगम अधिकारियों को संदेह के कटघरे में खड़ा कर दिया वहीं इस कार्यपाली पर कहीं ना कहीं दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव के हस्तक्षेप की ओर भी स्पष्ट इशारा हो गया ।
मामला इस प्रकार है कि हाल ही में निगम में विकास कार्यों के लगभग 8.50 करोड़ के कार्यों का ठेका हुआ था जिस पर लगभग हजार आवेदन जमा हुए थे परंतु किसी की भी रसीद नहीं काटी अंतिम दिनों तक रसीद नहीं कटने के कारण 3 अक्टूबर की तारीख को बढ़ाकर 10 अक्टूबर कर दिया गया 10 अक्टूबर शाम तक भी रसीद नहीं काटी और प्रपत्र जमा करने वाले रसीद कटवाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काटते रहे परंतु यह रसीद नहीं काटी कुछ ठेकेदारों ने इसकी शिकायत जिला कलेक्टर को भी की थी जिसमें विधायक के करीबी माने जाने वाले और पूर्व के कार्यकाल में सदा विवाद में रहने वाले कार्यपालन अभियंता मोहनपुरी गोस्वामी की संलिप्तता पर सवाल उठाए गए थे वहीं 25 अक्टूबर के सामान्य सभा में पार्षद अरुण सिंह ने निविदा प्रक्रिया पर कार्यपालन अभियंता आरके जैन एवं जूनियर इंजीनियर करण यादव के द्वारा की जा रही मनमानी पर सवाल उठाए वहीं इनकी मनमानी के चलते शासन को हुए करोड़ों के नुकसान की बात कही।
लगभग हजार आवेदन आने के बावजूद भी रसीद नहीं काटने से शासन को 5 से 6 लाख के राजस्व का नुकसान हुआ वही काम के बंटवारे में अपने मनपसंद ठेकेदारों को काम देने के मामले में पांच प्रतिशत कमीशन और 8% अधिक रेट पर काम देने से राज्य सरकार को राजस्व का लगभग करोड़ रूपया का नुकसान होने की बात कही । दुर्ग निगम में ऐसे मौके बहुत ही कम आए हैं जब above रेट पर निविदा जारी हुई अगर निष्पक्ष प्रतियोगिता के साथ कार्य वितरण होता तो लगभग 8.50 करोड़ के विकास कार्यों में 10 से 15% बिलों में कार्य का वर्णन होता है जिससे राज्य शासन को एक से डेढ़ करोड़ रुपए का लाभ होता परंतु above रेट जाने से राज्य सरकार को नुकसान हुआ । पार्षद अरुण सिंह ने खुले मंच पर इन दो अधिकारियों द्वारा कमीशन के इस खेल की बात कही गई और उक्त कार्यों को निरस्त कर स्वच्छ प्रतियोगिता के साथ कार्य की बात कही ।
पार्षद अरुण सिंह द्वारा जब करण यादव जूनियर इंजीनियर का नाम लिया गया तो सभा स्थल में एक साथ कई तरफ से आवाज उठने लगे कि करण यादव विधायक गजेंद्र यादव का दामाद है ऐसे में सामान्य सभा के बाद शहर में यह चर्चा है कि निगम के कार्यों में और ठेका देने के कार्यों में विधायक गजेंद्र यादव की मर्जी चल रही है । विधायक गजेंद्र यादव की निगम में हस्तक्षेप की चर्चा काफी महीनों से चल रही थी विधायक गजेंद्र यादव के करीबी व्यक्ति को कचरा परिवहन के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान पूर्व में भी हो चुका है ऐसे में निगम में बदहाल स्थिति की जिम्मेदारी के ऊपर अब विधायक गजेंद्र यादव के ऊपर भी सवाल उठने लगे हैं ।
देखना यह है कि प्रदेश की विष्णु देव साय सरकार द्वारा सुशासन की जो बात कही जा रही है उस सुशासन पर क्या विधायक गजेंद्र यादव संज्ञान लेकर विवादित निविदा प्रक्रिया को निरस्त कर एक स्वच्छ निविदा प्रक्रिया के लिए अधिकारियों को निर्देशित करते हैं या फिर यह प्रक्रिया निरंतर बढ़ती ही रहेगी ।
वहीं चर्चा यह यह भी है कि अगर इस तरह से विकास के कार्यों की निविदा में विधायक गजेंद्र यादव की मनमानी चलती रही और राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान होता रहा तो आने वाले निकाय चुनाव में भाजपा पार्षदों को अपने वार्ड में जनता के सामने जाने में कई तरह की परेशानियों का और सुशासन की बात करने वाले भाजपा को वोट मांगने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा । यह तो आने वाला समय ही बताया कि भ्रष्टाचार कि आच में घिरे हुए इस निविदा मामले पर विधायक गजेंद्र यादव किस प्रकार संज्ञान लेते हैं ? बरहाल यह तो स्पष्ट हो गया कि विधायक महोदय के दामाद निगम में कार्यरत है और कार्यों पर उनकी नजर है । वही 8.5 करोड़ के कार्यों का 5% कमीशन का मामला भी सबके सामने आ चुका हैं जो कि जांच का विषय है ।
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