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नरेश देवांगन की ख़ास रिपोर्ट
जगदलपुर / शौर्यपथ / आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा जिले के आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए सैकड़ों आश्रम छात्रावास बनाकर उनकी भविष्य सुधारने की बुनियाद रखी गई है। पर वहां नियुक्त होने वाले अधीक्षक और कर्मचारी इस कदर लापरवाह हैं कि वे हॉस्टल में उन बच्चों के साथ न रहकर अपनी मनमानी कर रहे हैं। जिन्हें नियंत्रित करने वाला कोई दिखाई नहीं पड़ता। शौर्यपथ ने ऐसे ही दुर्गम अंचल के छात्रावासों कि पड़ताल की है जिसमे सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के शासकीय प्री मेट्रिक बालक छात्रावास भेजी में बच्चों को न तो ठीक से भोजन मिल रहा है और न ही उनकी आवासीय व्यवस्था ठीक ठाक है। मजे की बात तो यह है कि यहां पदस्थ अधीक्षक ना जाने किसके भरोसे यहाँ के बच्चों को छोड़ कर सप्ताह में एक दिन पहुंचकर रजिस्टर में दस्तखत कर अपनी कर्तव्य पूरा कर लेते हैं। साथ ही माह भर की तनख्वाह भी उठा लेते हैं।
वहां रहकर पढऩे वाले बच्चों ने बताया कि उन्हें मेनू चार्ट के हिसाब से भोजन नहीं दिया जाता है। वही अधीक्षक के द्वारा बच्चों को बाहर से लकड़ी लाने पर रविवार को अंडा कि सब्जी खिलाने कि बात भी कही जाती है। अधीक्षक महीने में दो-तीन दिन ही रहते हैं। छात्रावास के बालको ने बताया कि बीते 2 दिनों से एक बालक कि तबियत ज्यादा ख़राब है उसे बहुत तेज बुखार है जिसकी जानकारी अधीक्षक को बच्चों ने फ़ोन के माध्यम से दी थी जानकारी मिलने के बाद भी अधीक्षक इस पर गंभीर नहीं है स्वयं बालक को उपचार के लिए अस्पताल ले जाने कि जगह उलटे छात्रों से ही कह दिया कि डॉक्टर को ले जाके के दिखाए। बालक को सही समय में इलाज ना मिलने से तबियत काफ़ी बिगड़ती रही।
सूत्र बताते है कि बीते सप्ताह जिले के अधिकारी यहाँ आये हुए थे लेकिन अधिकारी ने बच्चो से हालचाल तक नहीं जाना ओर ना ही किसी ओर विषय पे उनसे बातचीत कि । यहां छात्रावास में 95 छात्र रह कर अध्ययन कर रहे हैं वह भी बदहाल स्थिति में। आश्रमों में रहने वाले छात्रावासी बच्चे बेबसी का जीवन जीने को मजबूर हैं।
आलम यह है कि इनकी सुरक्षा के लिए अधीक्षक की नियुक्ति की जाती है, छात्रावास अधीक्षक स्थानीय पालक की तरह होते है। लेकिन अधीक्षक ही गायब हो जाएं, तो इन बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित होगा, यह अपने आप में ही सवालिया निशान है। अब देखने वाली बात है कि जिम्मेदार इस पुरे मामले को कितनी गंभीरता से लेकर गैरजिम्मेदार अधीक्षक के ऊपर कब तक कार्यवाही करते है?
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