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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग शहर में ही पुरे देश में कांग्रेस के एक बड़े नेता के रूप में स्व. मोतीलाल वोरा की पहचान है . सत्ता पक्ष ही नहीं विपक्ष भी स्व. मोतीलाल वोरा के प्रति सम्मान की भावना रखता है . अपने जीवन काल में स्व. मोतीलाल वोरा ने राजनीती से ही नहीं सामजिक स्तर से जुड़े हर व्यक्ति को सम्मान दिया और आज भी पूरा देश उन्हें सम्मान की भावना से याद करता है . राजनीती की जो उंचाई स्व. मोती लाल वोरा ने पाई वो उंचाई उनके पुत्र नहीं पा सके किन्तु इसी नाम के सहारे दुर्ग सहित प्रदेश के हर कांग्रेसियों ने प्रदेश एवं केंद्र की राजनीती पर अपनी पहचान बनाई .
दुर्ग के वर्तमान महापौर धीरज बाकलीवाल संगठन से कितना जुड़े रहे ये तो बहुत कम लोगो को जानकारी है किन्तु वोरा परिवार के काफी करीबी रहे और इसी का परिणाम रहा कि पिछले बार निकाय चुनाव में जब महापौर का चयन पार्षदों के द्वारा किया जाना था तो धीरज बाकलीवाल ने कांग्रेस के कई कद्दावर एवं वरिष्ठ कांग्रेसियों को पीछे छोड़ प्रथम बार सक्रीय राजनीती में कदम रखते ही सफलता पाई . पिछले निकाय चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता थी ऐसे में कई दिग्गज पार्षद मदन जैन , राजकुमार नारायणी , भोला महोबिया , अब्दुल गनी , दीपक साहू जैसे पार्षदों के रहते हुए भी मात्र 32 वोट से पार्षद चुनाव में जीत दर्ज करने वाले धीरज बाकलीवाल के सर महापौर का ताज सजा और कई वरिष्ठ पार्षदों की नाराजगी वोरा परिवार सहित तात्कालिक विधायक अरुण वोरा को झेलनी पड़ी . सालो की कमाई मान सम्मान कि संपत्ति इस एक फैसले के बाद कई कांग्रेसियों के विरोध का कारण बनी .
पर कहते है कि राजनीती में कब किस तरफ मुड जाए और कब अपना रंग बदल ले कोई कह नहीं सकता . प्रदेश में आज साल भर हुए भाजपा की सरकार का गठन हुए और निगम क्षेत्र में व्यापत भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है किन्तु इस पर लगाम लगाने में महापौर धीरज बाकलीवाल असफल ही रहे और हो भी क्यों नहीं कांग्रेसियों के भ्रष्टाचार को संबल देने का कार्य उनके मौन समर्थन का ही परिणाम नजर आ रहा है . गुमठी घोटाला,अवैध रेन बसेरा सञ्चालन , निविदा में कमीशन खोरी जैसे मामले सभी के सामने है .
गुरु का समधि स्थल हुआ जर्जर ...
साल भर पहले तक जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब तक कांग्रेस के कद्दावर नेता स्व. मोतीलाल वोरा की समाधी स्थल एक चमन के रूप में नजर आता था साफ़ सफाई और देखरेख होती थी किन्तु वर्तमान हालत की तरफ देखा जाए तो स्व. मोतीलाल वोरा के समाधी स्थल की हालत जर्जर है , प्रवेश द्वार टूटने की कगार पर है जगह जगह टूट फुट नजर आ रही है गंदगी का आलम है पौधे सुख रहे है सज्जा के लिए लगी लाइट टूट चुकी है और नशाखोरी का अड्डा बन चूका है वो भी तब जब निगम में एक ऐसे व्यक्ति विराजमान है जिनको इस मुकाम तक वोरा परिवार ने पहुँचाया और स्व. मोतीलाल वोरा का आशीर्वाद प्राप्त था आज उनके नहीं रहने पर इस तरह उनके समर्थक का समाधी स्थल की तरफ अनदेखा रुख राजनीती के बदलते रंगों का एक खुला आइना है . १० दिनों बाद स्व. मोतीलाल वोरा की पुण्यतिथि है हो सकता है इस दिन के पहले सफाई हो जाए टूट फुट सुधर जाए ताकि आम जनता को इस परदे के पीछे की असलियत ना पता चले किन्तु उसके बाद क्या ? क्या दुर्ग शहर को देश में एक पहचान देने वाले को सम्मान का इतना भी हक़ नहीं ?
स्व. मोतीलाल वोरा की पुण्यतिथि पर विशेष
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