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दुर्ग। शौर्यपथ। दुर्ग शहर में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो गरीबों को मुक्त भोजन मुहैया कराती है कई संस्थाएं कम शुल्क में भोजन उपलब्ध कराती है तो कई छोटे-छोटे होटल हैं जो 20-25 में भोजन की सुविधा आम जनता के लिए उपलब्ध करा रहे हैं इन दिनों शहर में साईं प्रसादालय, जन समर्पण सेवा समिति, मनोज राजपूत की संस्था सहित सड़कों के किनारे ऐसे कई होटल है जो ₹20 ₹25 में आम जनता के लिए सादा भोजन उपलब्ध करा रहे हैं. ऐसे में चर्चा यह है कि शहर की एक बड़ी संस्था अब भगवान के नाम का सहारा लेकर नगर निगम से जमीन आवंटन करने की दिशा में पहल कर रही है और इसके लिए बाजार विभाग के कुछ अधिकारी नाप जोख करने भी चले गए.
वर्तमान समय में शहर में भारतीय जनता पार्टी की शहरी सरकार श्रीमती अलका बाघमार के नेतृत्व में चल रही है और चर्चा के अनुसार जो संस्था जमीन आवंटन करने के लिए निगम महापौर और शहरी सरकार से गुहार लगा रही है उस संस्था के संचालकों के पास करोड़ अरबो की संपत्ति है बावजूद इसके सेवार्थ के नाम पर जमीन की मांग करना उन सभी संस्थाओं के लिए मार्ग खोलने जैसा होगा जो निशुल्क भोजन उपलब्ध करा रही है.
अगर शहरी सरकार ऐसी संस्था को जमीन दे देती है तो फिर शहर में संचालित अन्य संस्थाएं भी इसी आधार पर जमीन मांगेगा और शहरी सरकार को उन्हें भी जमीन देना पड़ेगा जबकि अगर पूर्व अनुभव के आधार पर देखा जाए तो सालों पहले शहर की एक संस्था ने जिला अस्पताल परिसर के सामने धर्मार्थ कार्य के लिए धर्मशाला की मांग की थी जो आज पूरी तरह व्यावसायिक रूप धारण कर लिया है स्थिति तो यहां तक बिगड़ गई कि इस संस्था ने बिना शासन की अनुमति के मेडिकल काम्प्लेक्स भी जिला अस्पताल परिसर के अंदर बनाकर निजी चिकित्सकों के लिए केबिन बना दिया और व्यापार आरंभ कर दिया.
ऐसे में अब देखना यह है कि दुर्ग नगर निगम की महापौर श्रीमती अलका बाघमार धनवानो के निवेदन को स्वीकार करती है या नहीं? महापौर के फैसले पर उन सभी संस्थाओं की भी नजर है कि अगर उन्हें जमीन मिले तो हम भी इसी आधार पर जमीन की मांग करेंगे और आम जनता की सेवा के लिए सस्ते दामों में भोजन उपलब्ध कराएंगे.
देखना यह है कि सस्ते दामों में भोजन उपलब्ध कराने के इस धर्मार्थ कार्य में व्यापार का प्रवेश किस तरह होता है और धनवानो जिसके पास करोड़ों अरबो की जमीन है वह निगम से शासकीय जमीन कैसे उपलब्ध करवाते हैं?
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