August 03, 2025
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बीएसपी अस्पताल के नवजात शिशु विभाग ने दिखाई उत्कृष्टता-नवजात शिशुओं को मिला नया जीवन Featured

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दुर्ग / शौर्यपथ / बीएसपी में कोविड के जंग में लगी डॉक्टरों की टीम के बीच एक ऐसी खबर आयी की 3 नवजात शिशुओं के जीवन बचाने में बीएसपी के नवजात शिशु विभाग के डॉक्टरों की टीम ने कमाल कर दिया। एक ओर कोविड की आपदा से जुझ रहे अस्पताल की टीम के मध्य नवजात शिशुओं को पुर्नजीवन देने वाले डॉक्टर्स आज इन माता-पिताओं को फरिश्ते की तरह लग रहे है। कोविड महामारी में जब जीवन का संघर्ष में हमारे डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ एक योद्धा की तरह डटे हों तो, इस संकट में भी कई सुखद समाचार परिवारों को हर्षित कर देता है। ऐसे ही प्रयास को बीएसपी के नवजात शिशु विभाग ने अंजाम दिया। इन माता-पिताओं से हमने बात की इनके अनुभव को जाना। मास्क के पिछे छिपे इन नवजात शिशुओं की माताओं की खुशी उनके स्वरों व शब्दों में स्पष्ट झलक रही थी।
नियोनेटल यूनिट के उत्कृष्ट चिकित्सा व समर्पण से बची जान- दिव्या
नवजात शिशु की माँ श्रीमति दिव्या हरित प्रशंसा करते हुए कहती हैं कि मेरी बच्ची को पैदा होते ही साँस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसे लगातार बुखार आ रहा था। ऐसे क्रीटिकल वक्त में बीएसपी के नियोनेटल यूनिट ने मेरी बच्ची का इलाज प्रारंभ किया। वेंटीलेटर सपोर्ट के साथ ही अन्य चिकित्सकीय उपाय तथा दवाईयां प्रारंभ की गयी। सेक्टर-9 अस्पताल के डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ के उत्कृष्टता व समर्पण का नतीजा है कि आज 14 दिन बाद मेरी बच्ची जीवन की जंग जीतकर घर लौट रही है। मै नवजात शिशु विभाग के सभी डॉक्टरों का दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ।
सेक्टर-9 अस्पताल के प्रयासों से मेरी बच्ची को मिला नया जीवन- दिपिका
श्रीमति ए दिपिका अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहती है कि मेरी बच्ची को पैदा होते ही कई जटिलताओं ने उसके जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इन जटिलताओं को नवजात शिशु विभाग के डॉक्टरों ने जिस प्रकार हैंडल किया, वह काबिल-ए-तारीफ है। 15 दिनों के बेहतरीन इलाज के बाद आज मेरी बच्ची को एक नया जीवन मिला है, मै सेक्टर-9 अस्पताल के नवजात शिशु विभाग की आजीवन आभारी रहूँगी।
बीएसपी डॉक्टरों का कमाल था कि आज मेरा बेटा मेरी गोद में खेल रहा है- श्रद्धा
बेटे को गोद में लिए हुए श्रीमति श्रद्धा साह बड़े ही कृतज्ञता भरे स्वर में कहती हैं कि मेरे बेटे का पुर्नजनम हुआ है। ये नवजात शिशु विभाग के डॉक्टरों का कमाल था कि आज मेरा बच्चा, मेरी गोद में खेल रहा है। ये डॉक्टर मेरे जीवन में फरिश्ते बनकर आये। कोविड के इस महामारी के बीच में भी इन डॉक्टरों ने इलाज के प्रति जो गंभीरता दिखाई है, उसकी जितनी भी प्रशंसा करूं वो कम है।
नवजात शिशुओं को पुर्नजीवन देने वाली टीम
नवजात शिशु को नवजीवन देने वाले डॉक्टरों की टीम में शामिल हैं- विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. संबिता पंडा, इंचार्ज (नवजात शिशु विभाग), डॉ. सुबोध कुमार साहा, डॉ. संजीवनी पटेल, डॉ. नूतन वर्मा एवं डॉ. वृंदा सखारे एवं अनुभवी नर्सिंग सिस्टर एवं देश के विभिन्न भागों से आये हुए डीएनबी विद्यार्थीगण जिनकेे अथक प्रयासों से सेक्टर-9 अस्पताल का नवजात शिशु विभाग इस उच्च मुकाम को हासिल करने में कामयाब हुआ है।
इन सफलताओं के पीछे अस्पताल के ईडी (मेडिकल) डॉ. एस के इस्सर, चीफ मेडिकल ऑफिसर द्वय डॉ. प्रमोद बिनायके एवं डॉ. एम रविन्द्रनाथ के मार्गदर्शन की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके साथ ही अस्पताल के प्रसूति विभाग की डॉ. सुनिता अग्रवाल, डॉ. संगीता कामरा तथा डॉ. शैला जेकब की टीम ने भी अनवरत् काम कर अपनी उत्कृष्टता सिद्ध की है। विदित हो कि सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के 860 बिस्तरों वाले सेक्टर-9 के जेएलएन अस्पताल का नवजात शिशु विभाग न केवल बीएसपी कर्मियों और उनके परिजनों अपितु आसपास के सभी गंभीर नवजात शिशुओं का इलाज विगत 25 वर्षों से करता आ रहा है।
बीएसपी का शिशु मृत्युदर राष्ट्रीय दर से कहीं कम
बीएसपी के नवजात शिशु विभाग ने चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देते हुए नवजात शिशुओं के जीवनरक्षा में अहम भूमिका निभाई है। उनके क्वालिटी ट्रीटमेंट का नतीजा है कि आज बीएसपी अस्पताल में शिशु मृत्युदर प्रति 1000 पैदा होने वाले जीवित बच्चों में केवल 07 है, जो कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रति 1000 बच्चों में 22 बच्चे से बेहद कम है। इस विभाग में होने वाले नवजात शिशु मृत्युदर देश के उच्च संस्थान जैसे एम्स, नई दिल्ली के समकक्ष है। यह शिशु रोग विभाग एवं नवजात शिशु रोग विभाग में पदस्थ चिकित्सा अधिकारियों एवं नर्सिंग स्टाफ के अनवरत एवं अथक प्रयासों का प्रतिफल है। ज्ञात हो कि सेक्टर-9 अस्पताल के नवजात शिशु विभाग में वेंटीलेटर, फोटोथेरेपी, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, लेमिनर फ्लो एवं रूमिंग इन तथा कंगारू मदर केयर की सुविधायें कई वर्षों से उपलब्ध है।
यही कारण है कि इस अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति विभाग में लोग दूर-दूर से प्रसूति कराने आते है। इस विभाग में नवजात शिशु के बचने का दर अन्य स्थानों से 15 प्रतिशत से ज्यादा है। आज कोविड-19 महामारी के विपरीत परिस्थितियों में भी सेक्टर-9 अस्पताल के चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ ने जिस निस्वार्थ भावना से कार्य किया वह प्रशंसनीय है।

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