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दुर्ग / शौर्यपथ / थप्पड़ कहने को तो साधे तीन अक्षर का शब्द है किन्तु इस थप्पड़ की गूंज कई बार बड़े बड़े बवाल कर देती है . हाल ही में सोशल मिडिया में सूरजपुर कलेक्टर द्वारा एक युवक को थप्पड़ मरने की घटना का वीडियो वाइरल होते ही प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने सूरजपुर कलेक्टर को तुरंत हटा कर अन्यत्र विभाग में भेज दिया गया . कहने का तात्पर्य यह है कि मुख्यमंत्री ने मामले को संज्ञान में लिया और कार्यवाही कर सुशान की बात पर यह कार्यवाही की किन्तु वही अगर ऐसे ही एक दुसरे मामले को देखा जाए तो वह इससे जुदा है और इस दुसरे मामले में दुर्ग विधायक वोरा द्वारा मामले को शांत करने की कोशिश की गयी वही थप्पड़ मरने वाले अधिकारी को भी अपरोक्ष रूप से बचाया गया .
बता दे कि १२ मई को पत्रकारों के वेक्सिनेशन के लिए महिला कालेज दुर्ग का चयन किया गया था और व्यवस्था की जिम्मेदारी दुर्ग निगम में विधायक वोरा के करीबी माने जाने वाले ईई गोस्वामी को व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गयी थी . इन्ही ईई गोस्वामी द्वारा किसी बात पर महिला कालेज के कर्मचारी देशमुख को थप्पड़ मार दिया गया . इस बारे में कर्मचारी का कहना था कि एक आदमी आया और कहने लगा कि अधिकारी को देख कर भी तुम खुर्सी से नहीं उठ रहे हो और आकर एक थप्पड़ मार दिया . उसके बाद उसने बताया कि वो नगर निगम का बड़ा अधिकारी है और अपना नाम मोहनपुरी गोस्वामी बताया . इस बात की जब शिकायत पीड़ित कर्मचारी द्वारा दुर्ग के वरिष्ठ कांग्रेस विधायक अरुण वोरा को की गयी तो उनके द्वारा मामले पर देखते है करके बात खत्म करने की कोशिश की गयी . आज घटना को हुए १० दिन हो गए किन्तु विधायक अरुण वोरा द्वारा जो छत्तीसगढ़ सरकार में राज्य मंत्री का दर्ज़ा रखते है ना तो मामले में जिम्मेदार अधिकारी ईई मोहन पूरी गोस्वामी पर कोई कार्यवाही की अनुशंषा की गयी और ना ही इस बारे में महापौर द्वारा कोई पहल की गयी .
चर्चा है कि वोरा बंगले से जुड़े कई लोग निगम में ठेकेदारी का कार्य कर रहे है और सभी कार्य के नोडल अधिकारी ईई मोहन पूरी गोस्वामी है शायद यही कारण माना जा रहा है कि एक ऐसा अधिकारी जो अभद्रता तो करता ही है कार्य में भी लापरवाही के कारण पूर्व आयुक्त द्वारा नोटिस प्राप्त कर चुका है जो अपने मपसंद ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए बिना निविदा के कार्य की अनुमति दे देता है जो विधायक निधि की रकम को ऐसे जगह खर्च करता है ऐसा निर्माण करने का प्रारूप बनाता है जो साल भर बाद टूटने की कगार में है ऐसे अधिकारी पर कार्यवाही की अनुशंषा की बजाये मामले पर मौन रहना और पीड़ित को न्याय नहीं दिलाने वाले विधायक अरुण वोरा पर अब आम जनता का भरोसा टूटता जा रहा है .
क्या प्रदेश की कांग्रेस सरकार के ये जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री बघेल की सुशासन की छवि को खराब करने में तुले हुए है या फिर अधिकारी और विधायक के करीबी दुर्ग विधायक अरुण वोरा को अँधेरे में रख कर विधायक की छवि खराब करने में लगे हुए है . कारण चाहे जो भी हो किन्तु जिस तरह सूरजपुर की घटना को मुख्यमंत्री बघेल ने संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही की वैसे ही महिला कालेज के कर्मचारी को थप्पड़ मारने वाले ईई मोहन पूरी गोस्वामी पर पीड़ित द्वारा की गयी शिकायत के बाद दुर्ग विधायक को कार्यवाही की अनुशंषा तो करनी ही चाहिए थी . आम जनता के हितो की रक्षा की बात करने वाले दुर्ग विधायक वोरा को पीड़ित को न्याय दिलाने की पहल करनी चाहिए ना कि ऐसे मगरूर अधिकारी जो पद केनाशे में हिंसा पर उतारू हो जाते है को बचाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि दुर्ग सहित प्रदेश की आम जाता को ये सन्देश जाए कि कांग्रेस के विधायक सहित मुख्यमंत्री भी अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार के असवैधानिक कार्य को बर्दास्त नहीं करते है .
कर्मचारी द्वारा मुख्यमंत्री के नाम ईई गोस्वामी की शिकायत के लिए लिखा गया पत्र किन्तु सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजनैतिक दबाव के चलते मामला को दबाया गया ...
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