April 26, 2024
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / आंखें हमारे शरीर के नाजुक अंगों में से एक है इसलिए हमें इनका खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. आज के समय में लोगों की लाइफस्टाइल और खानपान ऐसा हो गया है जिस वजह से उनकी सेहत पर काफी बुरा असर पड़ता है. वहीं बात करें आंखों की तो हर तीसरे व्यक्ति कि आंखों पर चश्मा लगा होता है. पहले बढ़ती उम्र के साथ नजर कमजोर होती थीं. लेकिन आज के समय में छोटे बच्चों को भी चश्मा लगाने की जरूरत पड़ने लगी है. बता दें कि आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए और चश्मा उतारने के लिए दवाइयों और ऑपरेशन किया जाता है. लेकिन इसके अलावा भी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में कई ऐसे उपाय भी हैं जिनको करने से आंखों की रोशनी को बढ़ाया जा सकता है. इन घरेलू उपायों को करने से आंखों की रोशनी को तेज करने में भी मदद मिल सकती है. आज के दौर में व्यक्ति मोबाइल, लैपटॉप, टीवी ज्यादा देखते हैं ये भी एक कारण हो सकता है जिसकी वजह से आंखों की रोशनी कम हो रही है. इन सभी का इस्तेमाल व्यक्ति को कम करना चाहिए.
आंखों की रोशनी बढ़ाने के उपाय
बता दें कि सौंफ आंखों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है. इसमेंं एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए, सी और डी पाया जाता है. इसके अलावा सौंफ में लोहा, जस्ता, तांबा, कैल्शियम, पोटैशियम, फाइबर और मैग्नीशियम भी शामिल हैं. इन सभी का सेवन आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद कर सकता है.
आप एक गिलास दूध में सौंफ, बादाम और मिश्री को मिलाकर पी सकते हैं. यह आंखों के लिए फायदेमंद हो सकता है.आप इसमें हल्दी और काली मिर्च भी मिला सकते हैं. आप रात को सोने से पहले इस दूध का सेवन कर सकते हैं.

  नई दिल्ली /शौर्यपथ /चुनावों के दौरान धारा 144 लगाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया है. जिसमें कोर्ट ने कहा कि तीन दिन में आवेदन पर प्राधिकरण फैसला करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति चुनाव के बारे में मतदाताओं को शिक्षित करने के लिए यात्रा आयोजित करने की अनुमति के लिए आवेदन करता है तो संबंधित प्राधिकारी को ऐसे आवेदन दायर होने के 3 दिन के भीतर निर्णय लेना होगा.
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच इस बात की जांच करने के लिए सहमत हो गई है कि क्या जिला मजिस्ट्रेट एक नियमित मामले के रूप में चुनाव से पहले धारा 144 लागू कर सकते हैं? याचिकाओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि जब तक शांति भंग होने की आशंका न हो आप धारा 144 का आदेश जारी नहीं कर सकते. यह चुनाव से पहले किया जा रहा है और सभी रैलियां आदि रोक दी गई हैं.
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र यात्रा के संबंध में अनुमति के लिए हमने आवेदन किया है ताकि मतदाता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग कर सकें. दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय और निखिल डे ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर कहा है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के बहाने मनमाने ढंग से धारा 144 नहीं लगाई जा सकती. याचिका में कहा गया है कि उन्होंने लोकतंत्र यात्रा आयोजित करने की अनुमति के लिए राजस्थान चुनाव आयोग, मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार और अन्य अधिकारियों को कई पत्र लिखे. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
याचिका मे कहा गया कि धारा 144 का उद्देश्य सार्वजनिक शांति बनाए रखने,अशांति को रोकने और युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए एक अस्थायी उपाय है. हालांकि चुनाव के दौरान धारा 144 का बार-बार और व्यापक उपयोग न केवल इसके उद्देश्यों के उलट बल्कि बिना किसी डर या धमकी के वोट देने के अधिकार के प्रयोग में भी हस्तक्षेप करता है.

 नई दिल्ली /शौर्यपथ / ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन काफी समय से एक अलग प्रशासन या राज्य की मांग कर रहा है, उसकी स्थानीय लोगों से चुनाव का बहिष्कार की अपील के बाद नागालैंड के छह जिलों में आज अब तक लगभग शून्य फीसदी मतदान दर्ज किया गया है. ये समूह वर्ष 2010 से छह पिछड़े जिलों को मिलाकर एक अलग प्रशासन या राज्य की मांग कर रहे हैं. उत्तर-पूर्वी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए ईएनपीओ को नोटिस जारी किया है.
एक बयान में, शीर्ष चुनाव अधिकारी ने कहा कि समूह ने "आम चुनाव में मतदान करने के लिए पूर्वी नागालैंड क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वतंत्र अभ्यास में हस्तक्षेप करके... अनुचित प्रभाव का डालने का प्रयास किया था." अधिकारी ने कहा, इसलिए ईएनपीओ को "कारण बताने का निर्देश दिया जाता है...कि भारतीय दंड संहिता की धारा 171सी की उपधारा के तहत कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए."
ईएनपीओ ने जवाब दिया है कि सार्वजनिक अधिसूचना का "मुख्य लक्ष्य" पूर्वी नागालैंड क्षेत्र में गड़बड़ी की संभावना को कम करना था, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में है, और असामाजिक तत्वों के जमावड़े से जुड़े जोखिम को कम करना है. संगठन ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि "पूर्वी नागालैंड क्षेत्र वर्तमान में सार्वजनिक आपातकाल के अधीन है", और यह हितधारकों के साथ परामर्श के बाद घोषित किया गया था.
ईएनपीओ ने कहा, यह लोगों द्वारा एक "स्वैच्छिक पहल" थी, यह तर्क देते हुए कि धारा 171सी के तहत कार्रवाई "लागू नहीं है... क्योंकि किसी भी चुनाव में अनुचित प्रभाव से संबंधित कोई अपराध नहीं किया गया है..." बयान में कहा गया है, "यह देखते हुए कि बंद लोगों की स्वैच्छिक पहल थी, ईएनपीओ या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा जबरदस्ती या प्रवर्तन का कोई सवाल ही नहीं था." बयान में यह भी कहा गया है कि वह चुनाव आयोग के साथ सहयोग करने को तैयार है. कोई ग़लतफ़हमी या ग़लत व्याख्या हुई है."
30 मार्च को ईएनपीओ ने 20 विधायकों और अन्य संगठनों के साथ एक लंबी बैठक की, जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव से पूरी तरह दूर रहने की बात दोहराई. पूर्वी नागालैंड विधायक संघ - जिसमें 20 विधायक शामिल हैं. उसने ईएनपीओ से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था.
अगले दिन ईएनपीओ ने भारत निर्वाचन आयोग को चुनाव में वोट न डालने के अपने कदम के बारे में बताया. इसमें कहा गया है कि निर्णय को हल्के में नहीं लिया गया और यह "पूर्वी नागालैंड के लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को दर्शाता है, जिन्होंने लोकतांत्रिक शासन के ढांचे के भीतर हमारे अधिकारों और आकांक्षाओं की अथक वकालत की है." इसमें कहा गया है कि यह निर्णय लोकतंत्र बनाम अवज्ञा का कार्य नहीं है.
ईएनपीओ ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले भी बहिष्कार का आह्वान किया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आश्वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया था. नागालैंड में एक लोकसभा सीट है, जिस पर 2018 के उपचुनाव के बाद से नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के तोखेहो येप्थोमी का कब्जा है, एनडीपीपी भाजपा की सहयोगी है.

नई दिल्ली/शौर्यपथ /लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के तहत आज वोटिंग हुई. आम चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी  इस बार 400 के पार का नारा दे रही है. पार्टी का लक्ष्य है कि वह इस बार के चुनाव में अपने बल पर 370 सीटों से ज्यादा जीतेगी, वहीं NDA गठबंधन के लिए 400 सीटों का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए BJP कई तरह की रणनीति पर काम कर रही है.
इस आम चुनाव में BJP की सबसे अहम रणनीति है पुराने उम्मीदवारों की जगह पर नए चेहरों को मौका देना. यही वजह है कि पहले चरण के 102 सीटों में से 2019 में जिन 40 सीटों पर पार्टी को जीत हासिल हुई थी. बीजेपी ने इस बार इन सभी 40 जीते सांसदों में से कुल 50 फीसदी सांसदों का टिकट काट दिया है. यानी बीजेपी ने इस बार 20 सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया है.
BJP की इसी रणनीति को इस बार कुछ और पार्टियों ने भी अपनाया है. इस बार के पहले चरण के तहत 102 सीटों में से कांग्रेस को 2019 में 15 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस ने भी इस बार अपने इन 15 सांसदों में से 47 फीसदी का टिकट काट दिया. इसी तरह पहले चरण के तहत जिन 102 सीटों पर आज मतदान हुआ है उनमें से 24 सीटों पर डीएमके को 2019 में जीत हासिल हुई थी. लेकिन डीएमके ने भी इस बार अपने 24 सांसदों में से 54 फीसदी का टिकट काट दिया है.
माना जा रहा है कि इन पार्टियों ने अपने मौजूदा सांसदों के टिकट को बीजेपी की उसी रणनीति के तहत काटा है जिसके तहत वह जनता के मूड को पहले भांपती है और उसके बाद नए उम्मीदवारों को उतारती है ताकि जनता नए चेहरों पर भरोसा जता सकें.
आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि बीजेपी ने मौजूदा सांसदों के टिकट काटने का फैसला पहली बार किया हो. चुनाव से पहले बीजेपी बड़े फैसले लेने के लिए शुरू से ही जानी जाती रही है. पार्टी जनता का मूड समझने के लिए समय समय पर आंतरिक सर्वे करवाती रहती है. और इसी सर्वे के मुताबिक वह यह तय करती है कि वो आगामी चुनाव में किस रणनीति के साथ उतरेगी. और खास बात ये है कि बीजेपी को अपनी इस रणनीति में बीते कई चुनाव में सफलता हाथ लगी है. यही वजह है कि अब दूसरी पार्टियां भी बीजेपी की इस रणनीति को अपनाने में आगे दिख रही हैं. 

नई दिल्ली /शौर्यपथ /लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर आज पहले चरण का मतदान हो रहा है. देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर मतदान हो रहा है. बीजेपी इस बार मिशन 370 को लेकर चल रही है. बीजेपी को अगर मिशन 370 में कामयाब होना है तो पहले चरण में बीजेपी को 77 सीटों में से 64 सीटों पर जीत चाहिए. यानी स्ट्राइक रेट 83 प्रतिशत होना चाहिए. 2019 में बीजेपी का स्ट्राइक रेट ओवर ऑल रहा था 69 प्रतिशत.वहीं 2019 में बीजेपी का स्ट्राइक रेट पहले चरण में 49 प्रतिशत रहा था, वहीं 2024 की बात करें तो बीजेपी को 83 प्रतिशत स्ट्राइक रेट चाहिए.
2019 में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट पहले चरण में 19 प्रतिशत रहा था
वहीं कांग्रेस भी इस बार दावा कर रही है कि वे इंडिया गठबंधन के तहत बहुत अच्छा प्रदर्शन करने जा रहे हैं. कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 2019 में ओवर ऑल 12 प्रतिशत रहा था. 2019 में  पहले चरण की बात करें तो कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 19 प्रतिशत रहा था.
पहले चरण में 102 सीटों पर हो रहा मतदान
पहले चरण में तमिलनाडु की सभी 39 सीटों, राजस्थान की 25 में से 12 सीटों पर, यूपी की 80 में से 8 सीटों पर, मध्य प्रदेश की 6 सीटों पर वोटिंग हो रही है. महाराष्ट्र की 5, असम की 5, उत्तराखंड की 5, बिहार की 4, पश्चिम बंगाल की 3, मेघालय की 2, अरुणाचल प्रदेश की 2 और मणिपुर की 2 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. इसके अलावा पुडुचेरी, मिजोरम, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप, सिक्किम, त्रिपुरा, नगालैंड और अंडमान-निकोबार की 1-1 सीट पर वोटिंग हो रही है.
पहले फेज में 8 केंद्रीय मंत्रियों, 2 पूर्व सीएम और एक पूर्व राज्यपाल चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इस चरण के प्रमुख उम्मीदवारों में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सर्बानंद सोनोवाल और भूपेन्द्र यादव, कांग्रेस के गौरव गोगोई, और द्रमुक की कनिमोई शामिल हैं.

  नई दिल्ली/शौर्यपथ/दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले मामले में जेल में बंद है. इस बीच जेल अथॉरिटी की तरफ से अदालत में कहा गया है कि केजरीवाल तिहाड़ जेल में सलाखों के पीछे रहते हुए आम खाते हैं. साथ ही वो कई बार मिठाई भी खा चुके हैं.  जेल ऑथारिटी ने कहा कि जब केजरीवाल को जेल में लाया गया था तो वह पहले इंसुलिन ले रहे थे लेकिन बाद में खुद उन्होंने बंद कर दिया था. जेल अथॉरिटी ने कहा है कि केजरीवाल को घर से बना खाना देने के लिए लागू शर्तों में ऐसी बात नहीं कही गयी है कि वो फल या कुछ भी खायें.  दरअसल, वह डाइट फॉलो नहीं कर रहे हैं, हमें एम्स से भी राय मिली है, इसके मुताबिक उन्हें आम से परहेज करना चाहिए. जेल अथॉरिटी ने कहा कि जेल मैनुअल के अनुसार घर का बना खाना कैदी को नहीं दिया जा सकता है. केजरीवाल की तरफ से अब इस दावे का जवाब दिया गया है.
जेल अथॉरिटी ने कहा था कि केजरीवाल को डाइट फॉलो करना चाहिए, इंसुलिन की कोई जरूरत नहीं है. दरअसल, अगर वह इंसुलिन लेंगे तो शुगर लेवल काफी कम हो जाएगा. केजरीवाल की तरफ से इस दावे का जवाब दिया गया है.
केजरीवाल के वकील ने ED के दावे को बताया गलत
अदालत  को सौंपे गए एक विस्तृत बयान में केजरीवाल ने उन्हें अपने डॉक्टर के साथ वीडियो परामर्श की अनुमति देने के खिलाफ ईडी के प्रत्येक तर्क का खंडन किया है.  बयान में दावा किया गया कि केजरीवाल को "सावधानीपूर्वक डॉक्टरी जांच के तहत" 1 फरवरी से इंसुलिन इंजेक्शन बंद करने की सलाह दी गई थी.  केजरीवाल ने कहा कि तब उन्हें "दैनिक चिकित्सा और आहार" का पालन करने के लिए कहा गया था जिसमें नियमित व्यायाम भी शामिल था. हालांकि गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह उस नियमों का पालन करने में सक्षम नहीं रह गए हैं. केजरीवाल के वकील ने अदालत को बताया कि "हालांकि, गिरफ्तारी के बाद से आज तक, आवेदक को उसके शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन नहीं दिया गया है.
इस बीच  AAP ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की "हत्या करने की साजिश" का दावा किया है. आप की तरफ से दावा किया गया है कि केजरीवाल को  दो बार इंसुलिन की आवश्यकता होती है. गुरुवार शाम को केजरीवाल की पार्टी सहयोगी, आतिशी ने आरोप लगाया कि AAP नेता को "बार-बार अनुरोध के बावजूद" गंभीर मधुमेह वाले रोगी के लिए आवश्यक खुराक नहीं दी जा रही है. आप ने इंसुलिन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश के लिए अदालत में याचिका दायर की है.
आतिशी ने की ईडी की आलोचना
आतिशी ने इस सप्ताह एक कड़े बयान में, अदालत को यह बताने के लिए ईडी की आलोचना की कि केजरीवाल "नियमित रूप से ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं जो किसी भी मधुमेह रोगी के लिए अनुमति नहीं है". उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से झूठ है...केजरीवाल जी को डॉक्टर द्वारा बताए गए स्वीटनर के साथ चाय और मिठाई खाने की अनुमति है." आज उन्होंने वह बात दोहराई- मिठाइयां शुगर-फ्री हैं और केवल छह बार उपलब्ध कराई गईं है.
आलू पूड़ी विवाद
आतिशी और मुख्यमंत्री दोनों की अदालत की दलील में कहा गया है कि यह केवल नवरात्रि के दौरान आलू पूड़ी प्रदान किया गया था. आतिशी ने कहा कि ईडी वाले... भगवान से डरें! आपने अदालत में जो डाइट चार्ट जमा किया है, उससे पता चलता है कि केजरीवाल जी ने इसे केवल एक दिन यह खाया था-नवरात्रि का पहला दिन था वो. क्या आप हमें नवरात्रि का प्रसाद भी नहीं खाने देंगे?
अरविन्द केजरीवाल को क्यों गिरफ्तार किया गया?
दिल्ली में कथित शराब नीति घोटाले के सिलसिले में ईडी ने 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था.  जांच एजेंसी का मानना ​​है कि मुख्यमंत्री ने अब समाप्त हो चुकी नीति का मसौदा तैयार करने और शराब लाइसेंस के बदले में रिश्वत मांगने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. AAP और  केजरीवाल ने सभी आरोपों से इनकार कर दिया है और गिरफ्तारी और मामले को "राजनीतिक प्रतिशोध" बताया है, जैसा कि लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले हुआ था.  केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हालांकि, शीर्ष अदालत ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. उन्हें अब 29 अप्रैल तक इंतजार करना होगा, जब अदालत ईडी का जवाब सुनने के लिए दोबारा बैठेगी.

  गांधीनगर/शौर्यपथ /लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता नक्‍सलवाद के मुद्दे पर भी केंद्र की मोदी सरकार  को घेर रहे हैं. लेकिन गृह मंत्री अमित शाह  ने एनडीटीवी से की खास बातचीत में कहा कि  नक्‍सलवाद के खिलाफ हमारी जंग जारी रहेगी. बता दें कि चुनावों से ठीक पहले नक्‍सलियों पर एक बहुत बड़ा ऑपरेशन हुआ, ऐसा पिछले साल दिसंबर महीने में भी देखने को मिला था.
अमित शाह ने कहा, "देखिए, भाजपा के कमिटमेंट में कोई बदलाव नहीं आया है. फिर वो चाहे, नक्‍सलवाद के खिलाफ हो या आतंकवाद के खिलाफ. आतंकवाद और नक्‍सलवाद लोकतांत्रिक तरीके नहीं हैं और इन्‍हें समाप्‍त कर देना चाहिए. मैंने, प्रधानमंत्री जी ने सबने अपील की है कि जो हथियाद डालकर आते हैं, उनका स्‍वागत है. अगर हथियार लेकर आओगे, तो उसका जवाब तो सुरक्षाबल देंगे. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस पर भी जो रिएक्‍शन दिया है, उस पर रामचरितमानस में एक उपदेश है- ईश्‍वर जिसका खराब समय शुरू करता है, सबसे पहले उसकी मति हर लेता है."
कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए अमित शाह ने कहा, "कांग्रेस ने इस एनकाउंटर को फेक बताकर, नक्‍सलियों को बचाने की कोशिश की है. मैं इसकी घोर निंदा करता हूं. कांग्रेस सरकार जबतक छत्‍तीसगढ़ में थी, तो नक्‍सलियों पर ऑपरेशन नहीं होते थे. 90 दिन में हमारी सरकार ने नक्‍सलियों के खिलाफ ऑपरेशन किये... 87 नक्‍सली मारे गए हैं, 123 नक्‍सली गिरफ्तार हुए हैं और 253 नक्‍सलियों ने सरेंडर किया है. नक्‍सलियों के खिलाफ जो गति पकड़ी है, उसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के ज्‍यादा से ज्‍यादा एक या दो सालों में नक्‍सलवाद पूरी तरह देश से खत्‍म हो जाएगा."  
मोदी सरकार द्वारा किये गए कुछ बदलावों का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा, "मोदीजी ने पिछड़ा समाज, दलित समाज, आदिवासी समाज के कल्‍याण के प्रति सबसे ज्‍यादा काम किया है. हमने हमारे बहुमत का प्रयोग किया है, धारा-370 को हटाने के लिए, ट्रिपल तलाक को खत्‍म कर मुस्लिम महिलाओं को न्‍याय दिलाने के लिए, सीएए लाकर विदेशों में प्रताडि़त हो रहे लोगों को न्‍याय दिलाने के लिए हमने इसका उपयोग किया है. हमाने बहुमत का उपयोग आरक्षण छीनने के लिए नहीं किया है."
अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी को देशभर की जनता प्‍यार करती है. हर आयु, वर्ग, जाति, समुदाय के लोग नरेंद्र मोदी को वोट करने के लिए आतुर हैं. मैंने यह कई राज्‍यों में देखा है. मैंने भी गांधीनगर से नामांकन दाखिल कर दिया है. मैं लोगों से अपील करता हूं कि नरेंद्र मोदी जी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाएं.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व होता है. माना जाता है कि एकादशी पर श्रीहरि की पूरे मनोभाव से पूजा करने पर जीवन में खुशहाली आती है. हिंदु कैलेंडर के अनुसार नववर्ष की पहली एकादशी अप्रैल माह में पड़ने वाली है. यह एकादशी कामदा एकादशी होगी. कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है. जानिए किस दिन है कामदा एकादशी, किस शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है भगवान विष्णु  का पूजन और क्या है कामदा एकादशी की पूजा विधि.
कामदा एकादशी कब है |
पंचांग के अनुसार, इस साल कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा इस एकादशी की तिथि का आरंभ 18 अप्रैल की शाम 5 बजकर 32 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 19 अप्रैल रात 8 बजकर 5 मिनट पर हो जाएगा. चलते एकादशी का व्रत 19 अप्रैल के दिन ही रखा जाना है. एकादशी का पूरा दिन ही पूजा-पाठ के लिए शुभ माना जाता है.
कामदा एकादशी व्रत  का पारण 20 अप्रैल सुबह 5 बजकर 50 मिनट से सुबह 8 बजकर 26 मिनट के बीच किया जा सकता है. इस शुभ मुहूर्त में एकादशी का व्रत खोला जा सकता है.
कामदा एकादशी की पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और भगवान विष्णु का स्मरण करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. पूजा करने के लिए मंदिर या पूजा स्थल पर चौकी सजाई जाती है और उसपर श्रीहरि की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाने के बाद प्रतिमा उसपर रखी जाती है. इसके बाद लोटे में साफ जल भरकर रखा जाता है और पूजा सामग्रीमें तिल, रोली, अक्षत, दीप, धूप, पंचामृत, फल, फूल और दूध सम्मिलित किए जाते हैं. इसके बाद भगवान विष्णु की आरती की जाती है और व्रत की कथा सुनते हैं. भोग लगाने के बाद सभी में प्रसाद का वितरण किया जाता है और पूजा संपन्न की जाती है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / भक्तों के हर संकट को दूर करने वाले हनुमान जी  को संकट मोचक कहा जाता है. इस साल 23 अप्रैल को देशभर में धूमधाम से हनुमान जयंती मनाई जाएगी. मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन विधि विधान से पवन पुत्र की पूजा अर्चना करने से जीवन के कष्टों का निवारण हो जाता है. मान्यता है कि प्रभु को उनका प्रिय भोग अर्पित करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं. हनुमान जयंती के दिन बजरंग बली की पूजा के दौरान उन्हें उनके प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए. आइए जानते हैं हनुमान जी के प्रिय भोग और उसकी रेसिपी.
हनुमान जी का प्रिय भोग |
बजरंग बली को भोग में कुछ खास चीजें अत्यंत प्रिय हैं. उन्हें लड्‌डू, पंचमेवा, इमरती या जिलेबी, बूंदी और पान का बीड़ा भोग के रूप में अर्पित करना चाहिए. इन चीजों को भोग में चढ़ाने से पवनपुत्र अत्यंत प्रसन्न होते हैं, ऐसी मान्यता है. गुड़ और चने का भोग भी हनुमान जी को प्रिय हैं.
हनुमान जी के प्रिय भोग बूंदी की रेसिपी
हनुमान जी के प्रिय भोग बूंदी बनाने के लिए एक बर्तन में बेसन, पानी, दही और बेकिंग सोडा डालकर गाढ़ा घोल बना तैयार करें. इस घोल को 2-4 घंटे के लिए रखें. इस समय  बूंदी में डालने के लिए गाढ़ी चाशनी तैयार करें. इसके बाद कड़ाही में घी गर्म करें और बूंदी मेकर में घोल डाल कर  बूंदी तैयार कर लें. तैयार बूंदी को चाशनी में डाल दें. बूंदी के अच्छे से चाशनी में डूब जाने पर बजरंगबली को बूंदी का भोग लगाएं.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / पितरों की आत्मा की शांति के लिए साल के 15 दिन बहुत विशेष होते हैं, जिन्हें पितृ पक्ष   कहा जाता है. हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व होता है, कहते हैं पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और इस दौरान उनका नियमित श्राद्ध   करने से, तर्पण करने से और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में साल 2024 में पितृ पक्ष कब आएगा,  इसकी तिथि और महत्व क्या है, आइए हम आपको बताते हैं.
पितृपक्ष 2024 डेट और तिथियां
पितृपक्ष की शुरुआत हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा से अमावस्या तक होती है, जो इस बार 17 सितंबर 2024 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2024 तक रहेगा, इनमें कुल 16 तिथियां पड़ेगी जो इस प्रकार है-
17 सितंबर 2024, मंगलवार- पूर्णिमा का श्राद्ध
18 सितंबर 2024, बुधवार- प्रतिपदा का श्राद्ध
19 सितंबर 2024, गुरुवार- द्वितीय का श्राद्ध
20 सितंबर 2024, शुक्रवार तृतीया का श्राद्ध-
21 सितंबर 2024, शनिवार- चतुर्थी का श्राद्ध
21 सितंबर 2024, शनिवार महा भरणी श्राद्ध
22 सितंबर 2014, रविवार- पंचमी का श्राद्ध
23 सितंबर 2024, सोमवार- षष्ठी का श्राद्ध
23 सितंबर 2024, सोमवार- सप्तमी का श्राद्ध
24 सितंबर 2024, मंगलवार- अष्टमी का श्राद्ध
25 सितंबर 2024, बुधवार- नवमी का श्राद्ध
26 सितंबर 2024, गुरुवार- दशमी का श्राद्ध
27 सितंबर 2024, शुक्रवार- एकादशी का श्राद्ध
29 सितंबर 2024, रविवार- द्वादशी का श्राद्ध
29 सितंबर 2024, रविवार- माघ श्रद्धा
30 सितंबर 2024, सोमवार- त्रयोदशी श्राद्ध
1 अक्टूबर 2024, मंगलवार- चतुर्दशी का श्राद्ध
2 अक्टूबर 2024, बुधवार- सर्वपितृ अमावस्या
किस समय करें श्राद्ध कर्म
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुबह और शाम के समय देवी-देवताओं की पूजा पाठ की जाती है और दोपहर का समय पितरों को समर्पित होता है. दोपहर में करीब 12:00 बजे श्राद्ध कर्म किया जा सकता है, इसके लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त सबसे अच्छे माने जाते हैं. सुबह सबसे पहले स्नान आदि करने के बाद अपने पितरों का तर्पण करना चाहिए, श्राद्ध के दिन कौवे, चींटी, गाय, देव, कुत्ते और पंचबलि भोग देना चाहिए और ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए.

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