August 02, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दूरदर्शी नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि की ओर अग्रसर हो रहा है। भारत सरकार एवं राज्य शासन के सहयोग से रायपुर में जैव प्रौद्योगिकी पार्क परियोजना की स्थापना की जा रही है। इस परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में अत्याधुनिक बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर का निर्माण किया जाएगा। इस सेंटर की स्थापना के लिए भारत सरकार, राज्य शासन एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मध्य त्रिपक्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन छत्तीसगढ़ जैव प्रौद्योगिकी प्रोत्साहन सोसायटी है।
इस बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर का मुख्य उद्देश्य राज्य में जैव संसाधनों के दोहन के साथ-साथ नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देना है। यहां युवाओं को जैव प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता एवं बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इस इंक्युबेशन सेंटर में कुल 23 आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी, जिनमें बीएस-4 स्तर की जैव सुरक्षा सुविधाएं उपलब्ध होंगी। साथ ही दो सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन एवं एनालिटिकल टेस्टिंग लैब की भी स्थापना की जा रही है।
इंक्युबेशन सेंटर में 17 सूक्ष्म एवं लघु और 6 वृहद उद्योगों के संचालन की व्यवस्था की जाएगी। कुल 23 स्टार्टअप कंपनियों के लिए कार्यालय स्थापित किए जाएंगे, जो तीन वर्षों तक सेंटर में कार्यरत रह सकेंगी। कृषि और फार्मा बायोटेक्नोलॉजी से संबंधित स्टार्टअप को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय के निर्देश पर बायोटेक इंक्युबेशन सेंटर के निर्माण एवं फर्निशिंग कार्य के लिए 20 करोड़ 55 लाख रुपये की द्वितीय पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति भी प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय की इस पहल से छत्तीसगढ़ जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरेगा। इससे जहां एक ओर शोध और उद्योगों के बीच समन्वय स्थापित होगा, वहीं दूसरी ओर रोजगार और उद्यमिता के नए द्वार खुलेंगे। यह परियोजना न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था और युवाओं के भविष्य को भी नई दिशा देगी।

पाठ्यपुस्तक वितरण प्रक्रिया में आई तकनीकी समस्याओं पर लिया गया त्वरित निर्णय
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के छात्रों को समय पर पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में आज छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष श्री राजा पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि कक्षा पहली से दसवीं तक के सभी विद्यार्थियों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकें वितरित की जा रही हैं। यह जिम्मेदारी पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा पूरी गंभीरता से निभाई जा रही है।
 पाण्डेय ने बताया कि पिछले शिक्षा सत्र में सामने आई कुछ अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष प्रत्येक पुस्तक पर दो बारकोड लगाए गए हैं।एक प्रिंटर की पहचान के लिए और दूसरा पुस्तक के गंतव्य विद्यालय की पहचान के लिए।
इस वर्ष कुल 2 करोड़ 41 लाख किताबें मुद्रित की गईं, जो 17-18 जून 2025 तक सभी डिपो में पहुँचा दी गईं। शासकीय विद्यालयों की कक्षा 9वीं, 10वीं की पुस्तकें स्कूलों तक पहुंचा दी गई है तथा स्कूलों में बारकोड स्कैनिंग का कार्य भी 90 प्रतिशत पूर्ण हो गया है। इसी तरह आत्मानंद विद्यालयों में भी पुस्तकों का वितरण तेजी से किया जा रहा है और 60 प्रतिशत किताबें पहुँच चुकी हैं, शेष कुछ ही दिनों में पहुँचा दी जाएंगी।
प्राइवेट विद्यालयों को इस बार बारकोड स्कैनिंग के पश्चात ही पुस्तकें डिपो से प्रदान की जा रही हैं, जबकि पूर्व में जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से यह प्रक्रिया की जाती थी। हालांकि, बीते तीन दिनों में डिपो में स्थान की कमी और स्कैनिंग प्रक्रिया में तकनीकी दक्षता की कमी के कारण समस्याएं उत्पन्न हुईं।
इस संबंध में जब मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय को अवगत कराया गया और बताया गया कि 1100 से अधिक सरस्वती शिक्षा मंदिर सहित बड़ी संख्या में प्राइवेट विद्यालयों को पुस्तकें मिलनी हैं, तब मुख्यमंत्री जी ने शीघ्र निर्णय लेते हुए निर्देशित किया कि सभी प्राइवेट विद्यालय अपनी आवश्यकता अनुसार जिलेवार किताबें डिपो से प्राप्त करें तथा 7 दिवस के भीतर अपने विद्यालय में बारकोड स्कैनिंग पूर्ण करें।
मुख्यमंत्री जी के इस निर्णय की सराहना करते हुए अध्यक्ष  पाण्डेय ने कहा कि यह शिक्षा के प्रति उनकी संवेदनशीलता और तत्परता को दर्शाता है। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि सभी बच्चों की पढ़ाई समय पर शुरू हो सके और कोई भी छात्र पुस्तक के अभाव में पीछे न रह जाए। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल एक बार फिर यह साबित करती है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित और सजगता से कार्य कर रहा है।

 रायपुर /शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में रजक समाज के प्रतिनिधि मंडल ने सौजन्य भेंट की। रजक समाज के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री साय को आगामी 20 जुलाई को बिलासपुर में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय युवा सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री श्री साय से समाज के युवाओं के उत्थान एवं कौशल विकास के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की तथा राज्य सरकार द्वारा समाज के कल्याणार्थ किए जा रहे कार्यों के प्रति आभार व्यक्त किया।
  मुख्यमंत्री साय ने रजक समाज की एकजुटता और प्रगति की सराहना करते हुए सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ रजककार विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री प्रह्लाद रजक  उपस्थित थे।

रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली "वॉटर वुमन" के नाम से विख्यात शिप्रा पाठक ने सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने शिप्रा पाठक के पर्यावरण संरक्षण और विशेष रूप से सिंदूर पौधरोपण को जन-जन तक पहुंचाने में उनके महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। उन्होंने शिप्रा पाठक को शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि शिप्रा पाठक ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए किए गए कार्यों के लिए व्यापक स्तर पर पहचान प्राप्त की है। उनके नेतृत्व में सिंदूर पौधरोपण अभियान ने न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया है, बल्कि आम लोगों को पेड़ लगाने और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित भी किया है।इस अवसर पर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रोफेसर हरिशंकर सिंह भी उपस्थित थे।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि शिप्रा पाठक के पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए गए कार्य समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि छत्तीसगढ़ सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर कार्य कर रही है और ऐसे प्रयासों को हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।

 रायपुर /शौर्यपथ /प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और संतुलित बनाने की दिशा में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से बेहतर परिणाम मिले हैं। प्रदेश में युक्तियुक्तकरण के पूर्व कुल 453 विद्यालय शिक्षक विहीन थे। युक्तियुक्तकरण के पश्चात एक भी विद्यालय शिक्षक विहीन नहीं है। इसी प्रकार युक्तियुक्तकरण के पश्चात प्रदेश के 5936 एकल शिक्षकीय विद्यालयों में से 4728 विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना की गई है जो कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सार्थक कदम है, जिससे निःसंदेह उन विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा और अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिलेगा।
   बस्तर एवं सरगुजा संभाग के कुछ जिलों में शिक्षकों की कमी के कारण लगभग 1208 विद्यालय एकल शिक्षकीय रह गये हैं। निकट भविष्य में प्रधान पाठक एवं व्याख्याता की पदोन्नति तथा लगभग 5000 शिक्षकों की सीधी भर्ती के द्वारा शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में पूर्ति कर दी जावेगी, जिससे कोई भी विद्यालय एकल शिक्षकीय नहीं रहेगा तथा अन्य विद्यालयों में भी जहां शिक्षकों की कमी है, शिक्षकों की पूर्ति की जाएगी।
  युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया, शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में निहित प्रावधानों के तहत की गई है, प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक स्तर पर 2008 के सेटअप की प्रासंगिकता नहीं रह गई है। ऐसे अधिकारी-कर्मचारी जो किसी भी प्रकार की अनियमितता में संलिप्त पाये गये, उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई है।

टोंक जिले में कानून का खौफ नहीं: ग्रामीणों ने पुलिस टीम को खदेड़ा, कार्रवाई के दौरान उग्र हुआ विरोध

राजस्थान / शौर्यपथ /

  टोंक जिले के अलीगढ़ थाना क्षेत्र के गढ़ी गांव में कानून व्यवस्था उस समय पूरी तरह से चरमरा गई जब अवैध शराब के खिलाफ दबिश देने पहुंची पुलिस टीम को ग्रामीणों ने न सिर्फ घेर लिया बल्कि जबरन गांव से खदेड़ भी दिया। इस पूरी घटना ने पुलिस की कार्यशैली, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते असंतोष और कानून व्यवस्था की जमीनी सच्चाई को उजागर कर दिया है।


? घटना का विवरण:

पुलिस को गढ़ी गांव में अवैध शराब के निर्माण और बिक्री की सूचना मिली थी। शुक्रवार सुबह अलीगढ़ थाने की एक टीम गांव में दबिश देने के लिए पहुंची। टीम में कुछ पुरुष पुलिसकर्मी और दो अन्य सरकारी अधिकारी शामिल थे।

जैसे ही पुलिस ने गांव के कुछ घरों की तलाशी शुरू की, ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। आरोप है कि पुलिसकर्मी बिना महिला कर्मियों के महिलाओं के घरों में घुस गए और अभद्र भाषा तथा बल प्रयोग किया। यह देख ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा और भीड़ ने पुलिस को घेर लिया।

स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को अपना वाहन छोड़कर भागना पड़ा। कुछ जवानों को ग्रामीणों ने लाठी-डंडों से पीटने की कोशिश भी की, जिसमें दो पुलिसकर्मी हल्के रूप से घायल हुए हैं।


? पुलिस की प्रतिक्रिया:

थाना प्रभारी ने कहा,

"हमें गुप्त सूचना मिली थी कि गांव में अवैध शराब बन रही है। जैसे ही हमने कार्रवाई शुरू की, भीड़ इकट्ठा हो गई और हमला कर दिया। यह प्रशासनिक कार्य में बाधा और पुलिस पर हमला है।"

पुलिस ने अज्ञात 15–20 ग्रामीणों के खिलाफ IPC की धारा 353 (सरकारी कार्य में बाधा), 332 (पुलिसकर्मी पर हमला) सहित अन्य धाराओं में FIR दर्ज कर ली है


?‍?‍? ग्रामीणों का पक्ष:

ग्रामीणों ने बताया कि—

  • पुलिस रात में बिना पूर्व सूचना के आई

  • टीम में कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं थी।

  • उन्होंने महिलाओं और बच्चों से भी दुर्व्यवहार किया।

  • निर्दोष लोगों को पकड़ने की कोशिश की गई।

कुछ ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस जबरन घरों में घुसकर चोरी का सामान बरामद बताने की कोशिश कर रही थी।


⚖️ प्रशासन की प्रतिक्रिया:

जिलाधिकारी और एसपी ने इस घटना को गंभीर मानते हुए बयान दिया कि—

  • “स्थिति की जांच के आदेश दिए गए हैं। दोषी कोई भी हो, कार्रवाई तय है।”

  • पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि संवेदनशील गांवों में कार्रवाई से पहले जनप्रतिनिधियों और पंचों से संवाद स्थापित करें


?️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:

इस घटना ने स्थानीय राजनीति में भी हलचल मचा दी है।
विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए कहा कि—

  • राज्य में कानून का भय खत्म हो गया है।

  • पुलिस की कार्यशैली जनविरोधी और अराजक है।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस का रवैया दमनात्मक हो चला है।


? निष्कर्ष:

टोंक जिले की यह घटना यह दर्शाती है कि पुलिस और जनता के बीच विश्वास की खाई बढ़ती जा रही है। यदि प्रशासन ने समय रहते सामूहिक संवाद और संवेदनशील कार्रवाई की रणनीति नहीं अपनाई, तो ऐसी घटनाएं भविष्य में और भी गंभीर रूप ले सकती हैं।

तीन दशकों बाद हुई शिक्षकों की कमी दूर
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लागू युक्तियुक्तकरण नीति से गांव के स्कूलों की रौनक बढ़ गई है। स्कूली बच्चे भी अब खुशी-खुशी स्कूल जा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि लंबे समय से एकल शिक्षकीय शालाओं में अब दो-दो शिक्षकों की पदस्थापना से बच्चों की पढ़ाई अब बेहतर हो गई है। 3 दशकों से महासमुंद जिले के प्राथमिक शाला मुडियाडीह (पासीद) और प्राथमिक शाला नाँदबारू शाला एक शिक्षकीय थी।
ग्रामीणों ने बताया कि तीन दशकों से इन विद्यालयों में एकमात्र शिक्षक के भरोसे शिक्षा व्यवस्था चल रही थी। सीमित संसाधनों और भारी जिम्मेदारियों के बावजूद शिक्षकगण पूरी निष्ठा से कार्य करते रहे, लेकिन कई शैक्षणिक गतिविधियाँ प्रभावी ढंग से संचालित नहीं हो पा रही थीं। प्राथमिक शाला मुडियाडीह (पासीद) और प्राथमिक शाला नाँदबारू, जो 1994-95 से एकल शिक्षक विद्यालय के रूप में संचालित हो रहे थे।
सत्र 2024-25 में छत्तीसगढ़ शासन की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत इन विद्यालयों को पहली बार दो-दो शिक्षक मिले हैं। यह केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं था, बल्कि इन विद्यालयों के लिए शैक्षणिक परिवर्तन का सकारात्मक पल था। दूसरे शिक्षक के आने से बच्चों के चेहरे पर नई ऊर्जा और उत्साह देखने को मिल रहा है। यहां पढ़ाई अब नियमित और व्यवस्थित हुई है। इसके अलावा खेलकूद, सांस्कृतिक, गतिविधियों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

शासन की सख्त निगरानी में किसानों को खाद वितरण
रायपुर/शौर्यपथ /खरीफ सीजन की तैयारी के तहत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के किसानों को आवश्यक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं। विभिन्न जिलों में यूरिया, डीएपी, एनपीके, एसएसपी और पोटाश जैसे प्रमुख उर्वरकों का पर्याप्त भंडारण किया गया है तथा प्रशासन की सतत निगरानी में इनका वितरण भी किया जा रहा है।
सरगुजा जिले से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक कुल 14,791 क्विंटल उर्वरकों का भंडारण किया गया है, जिसमें से 12,893 क्विंटल खाद किसानों को वितरित की जा चुकी है। शेष 1,898 क्विंटल खाद भंडारण में उपलब्ध है, जिसे किसानों की मांग के अनुरूप वितरित की जा रही है। यूरिया की 7,862 क्विंटल मात्रा में से 6,884 क्विंटल वितरण किया गया है और 978 क्विंटल शेष है। डीएपी का 1,276 क्विंटल भंडारण में था, जिसमें से 1,092 क्विंटल किसानों को प्रदान किया गया और 184 क्विंटल अभी भी उपलब्ध है। एनपीके की 4,066 क्विंटल मात्रा में से 3,815 क्विंटल का वितरण हो चुका है और 251 क्विंटल शेष है। एसएसपी के 811 क्विंटल में से 537 क्विंटल वितरित किए गए हैं तथा 274 क्विंटल शेष हैं। वहीं पोटाश की 776 क्विंटल मात्रा में से 565 क्विंटल का वितरण हो चुका है और 211 क्विंटल अब भी भंडारण में मौजूद हैं।
सरगुजा जिले के कलेक्टर ने खाद वितरण व्यवस्था की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया है कि किसानों को समय पर, पारदर्शी और व्यवस्थित ढंग से खाद उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी सहकारी समिति अथवा विक्रेताओं द्वारा अनावश्यक भंडारण या कालाबाजारी की शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि जिले के विभिन्न विकासखंडों में उर्वरक वितरण की निगरानी के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं, जो भंडारण केंद्रों और विक्रय समितियों का औचक निरीक्षण करेंगी। शासन का उद्देश्य है कि प्रदेश के सभी कृषकों को आवश्यक उर्वरक समयबद्ध और उचित दर पर उपलब्ध हों, जिससे खरीफ सीजन की बुआई और उत्पादन में कोई रुकावट न आए।

स्कूलों को मिले नए शिक्षक, पढ़ाई में आई रफ्तार
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ शासन की युक्तियुक्तकरण नीति से ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के तीन प्राथमिक शालाओं अमोदी, बस्ती पारा और डोभट्टी में वर्षों से एकल शिक्षक व्यवस्था के कारण बाधित हो रही पढ़ाई को अब नए शिक्षकों की नियुक्ति से नई दिशा मिल गई है। गांववासियों और प्रधानपाठकों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को इस महत्वपूर्ण निर्णय के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह पहल बच्चों के भविष्य को नई दिशा देने में मील का पत्थर साबित होगी।
इन स्कूलों में अब बच्चों की हँसी, किताबों की सरसराहट और शिक्षक की आवाज़ फिर से सुनाई देने लगी है। पहले जहां एक शिक्षक को ही सभी कक्षाओं का बोझ उठाना पड़ता था, अब दो-दो शिक्षकों की व्यवस्था से शिक्षण प्रक्रिया संतुलित और प्रभावी हो गई है।
शिक्षकों की नियुक्ति बनी उम्मीद की किरण
प्राथमिक शाला डोभट्टी के प्रधानपाठक श्री बंजारे बताते हैं, पहले अकेले सभी कक्षाओं को संभालना कठिन था। अब दूसरे शिक्षक की नियुक्ति से बच्चों को सही मार्गदर्शन मिल रहा है और उनकी पढ़ाई में रूचि भी बढ़ी है। अमोदी-बस्ती पारा प्राथमिक शाला के प्रधानपाठक श्री घनश्याम साहू ने बताया कि नए शिक्षक के आने से विद्यालय में ऊर्जा का संचार हुआ है। बच्चों के स्तर में सुधार हो रहा है और अभिभावक भी अब पढ़ाई को लेकर अधिक उत्साहित हैं।
शिक्षा का केंद्र बनते जा रहे गांव के स्कूल
अब ये स्कूल सिर्फ भवन नहीं, बल्कि गाँव के बच्चों के लिए उज्ज्वल भविष्य की नींव बनते जा रहे हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और अभिभावक भी शासन की इस पहल से संतुष्ट हैं।

रायपुर /शौर्यपथ /राज्यपाल रमेन डेका ने प्रेस अधिकारी श्रीमती हर्षा पौराणिक और सहायक लेखाधिकारी श्री मनीष पाण्डेय के स्थानांतरण पर उन्हें नये दायित्वों तथा उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
  राज्यपाल ने कहा कि शासकीय सेवा के दौरान स्थानांतरण एक प्रक्रिया है जिससे हर शासकीय सेवक को गुजरना पड़ता है। जहां भी कार्य करें अपना सर्वश्रेष्ठ दें। शासकीय दायित्वों के साथ अपने परिवार को भी समय दें।
राज्यपाल के सचिव डॉ. सी.आर प्रसन्ना ने कहा कि आज सोशल मीडिया के दौर में जनसंपर्क का कार्य एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। साथ ही राजभवन के लेखाजोखा का कार्य भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। दोनों अधिकारियों द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन कुशलता पूर्वक किया गया। उन्होंने नये दायित्वों के लिए दोनों को बधाई दी।
इस अवसर पर राज्यपाल के विधिक सलाहकार श्री भीष्म प्रसाद पाण्डेय, उप सचिव श्रीमती हिना अनिमेष नेताम सहित राजभवन के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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