April 19, 2025
Hindi Hindi

शिक्षा सफलता की पहली कुंजी , अच्छे शिक्षा और संस्कार से नशे जैसी आदतों से रहा जा सकता है दूर _ जिला न्यायाधीश

   दुर्ग । शौर्य पथ । 19 जुलाई से 25 जुलाई तक चलाए जा रहे विशेष अभियान के अंतर्गत आज गांधी चौक हिंदी भवन के सामने श्री राजेश श्रीवास्तव जिला न्यायाधीश/ अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देश पर रोको टोको अभियान के अंतर्गत एवं कानूनी विधिक जानकारी दिये जाने के संबंध में श्रीमती मधु तिवारी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं श्रीमती नीरू सिंह अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने उपस्थित होकर बताया कि शिक्षा सफलता की पहली कुंजी है किसी भी समाज, राज्य एवं देश का विकास उसके युवा पीढ़ी पर बहुत ज्यादा निर्भर रहती है, ऐसे में अगर यह पीढ़ी शिक्षित है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता हैै। बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार, एक मौलिक अधिकार है परंतु प्रायः यह देखा गया है कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने में कोई रूचि नहीं रखते है। यह भी देखा गया है कि बच्चों को व्यवसाय हेतु पढ़ाई को महत्व नहीं देते। यह भी पाया जा रहा है कि ग्रामीण व स्लम एरिया में लड़कियों को शिक्षा से दूर रखा जाता है। वर्तमान समय में लड़का एवं लड़की दोनों बराबर है, आज लड़कियाँ लड़कों से कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं, ऐसे में लड़का एवं लड़की में भेदभाव करना एक बिमार मानसिकता को दर्शाता है। अनुच्छेद 21क और आरटीई अधिनियम 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ। आरटीई अधिनियम के शीर्षक में "निः शुल्क शिक्षा" और "अनिवार्य शिक्षा" शब्द सम्मिलित हैं। निःशुल्क शिक्षा का तात्पर्य यह है कि किसी बच्चे जिसको उसके माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिल किया गया है को छोड़कर कोई बच्चा जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है। किसी किस्म की फीस या प्रभार या व्यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। अनिवार्य शिक्षा उचित सरकार और स्थानीय प्रधिकारियों पर 6 से 14 आयु समूह के सभी बच्चों को प्रवेश, उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखती है।

 श्रीमती नीरू सिंह अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने नालसा की नशा उन्मूलन संबंधी स्कीम के संबंध में जानकारी प्रदत्त की उन्होंने बताया कि - ’’नशा व्यक्तिगत के साथ-साथ समाज में भी बुरा प्रभाव डालता है । मोटर दुर्घटना के अधिकांशतः मामले नशे के हालत में गाडी चलाने के ही कारण होती है। समाज में युवा वर्ग वर्तमान परिस्थिति में नशे की ओर आकर्षित होते हैं । कई जगहों पर अनुचित रूप से हुक्का बार भी चलाये जाते हैं जिसमें युवा वर्ग की भागीदारी ज्यादा रहती है, जो उनके भविष्य को अंधकार में डालती है तथा समाज में उसका बुरा प्रभाव पडता है । परिवार में नशा करने वाले व्यक्ति के परिवार टूटने लगते हैं तथा बिखर जाते हैं। व्यक्ति को जब नशे की लत पड़ जाती है तो वह समाज से दूर रहने की कोशिश करता है क्योंकि समाज में नशायुक्त व्यक्ति को अपमानित रूप से देखा जाता है। अच्छी शिक्षा एवं संस्कार संस्कार से नशे जैसी बुरी आदतों से दूर रहा जा सकता है ।

::00::

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)