CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
इंस्पायरिंग /शौर्यपथ/
धरती पुत्र का बेटा हूं, सरकारी स्कूल में पढ़ा, जो तमिल मीडियम होते थे। तमिलनाडु के छोटे-से गांव से हूं। वहां मैंने मजेदार जिंदगी जी है। पढ़ाई के साथ हमें खेती भी करना होती थी। मेरे पिता किसान थे और आम का व्यापार भी करते थे। जब भी स्कूल की छुट्टियां होती थीं, हम खेत पर ही पिता जी की मदद के लिए पहुंच जाते थे। आमों के बाग में मैंने खूब काम किया है। मेरे पिताजी मुझे देख खुश हो जाते थे, उनके लिए वहां मैं एक मजदूर की तरह ही था। मेरा काम उन्हें बहुत पसंद था।
जब मेरे कॉलेज जाने का वक्त आया तो उन्होंने यह नहीं देखा कि कौन-सा कॉलेज अच्छा है, कहां बढ़िया टीचर हैं... उन्होंने देखा कि कौन-सा कॉलेज घर के पास है, ताकि मैं खेत पर काम करने आ सकूं। हमारा परिवार जी-तोड़ मेहनत करने वाला था क्योंकि घर के हालात ऐसे नहीं थे कि थोड़ा भी आराम कर पाते। हमें रोज की कमाई का ध्यान रखना होता था। हालात इतने बुरे भी कभी नहीं हुए कि हमें तीन वक्त का खाना नहीं मिले। मुझे भी कभी पढ़ाई के बाद खेत पर जाने में कोई तकलीफ महसूस नहीं हुई।
यकीन मानिए मैंने पहली बार चप्पल तब पहनी थी, जब मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रवेश लिया था। तब तक मैं जहां भी गया... चाहे गांव का स्कूल हो या रिश्तेदारों के यहां, नंगे पैर ही गया। कॉलेज तक मैंने पैंट भी नहीं पहनी थी, धोती में ही जीवन गुज़र कर रहा था।
मैं इंजीनियरिंग करना चाहता था, लेकिन पिताजी बोले कि इतने रुपए उनके पास नहीं हैं इसलिए बीएससी कर लो। मैंने विरोध किया, एक हफ्ते तक भूख हड़ताल की, लेकिन थक-हार मुझे ही अपनी जिद छोड़ना पड़ी। मैंने बीएससी मैथ्स किया। इसके बाद पिताजी बोले - मैंने एक बार तुम्हें रोका था, अब तुम जो चाहो वो पढ़ो। मैं अपनी जमीन बेच दूंगा, लेकिन तुम इंजीनियरिंग कर लो।
बीटेक के बाद मुझे नौकरी मिलने में दिक्कत आई क्योंकि उस दौर में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में कम जॉब होते थे। काम नहीं मिला तो आईआईएससी में आगे पढ़ाई करने लगा।
मेरे पूरे करियर के दौरान मैं वो नहीं कर पाया जो मैं करना चाहता था। मैं सैटेलाइट सेंटर जॉइन करना चाहता था, लेकिन विक्रम साराभाई सेंटर में जाना पड़ा। मैं एयर डायनेमिक्स ग्रुप में शामिल होना चाहता था, लेकिन पीएसएलवी प्रोजेक्ट थमा दिया गया।
जो भी मेरे सामने आया उसे सिर्फ इस उद्देश्य से किया कि इस काम को उच्चतम स्तर पर ले जाना है। कभी उसके बारे में सोचने में वक्त नहीं गंवाया जो मुझे नहीं मिला। मुझे जो दिया गया हमेशा ध्यान उस पर रहा। फिर बात पढ़ाई की हो, खेतों में की गई मेहनत की या नौकरी की। आपको हमेशा वो नहीं मिलता जो आप चाहते हो। आपको मिले हुए की कद्र करना होगी और अपना बेस्ट देना होगा। आप बेस्ट देंगे तो वो काम भी बेस्ट होगा।'(तमाम मंचों पर इसरो के पूर्व चेयरमैन डॉ. के सिवन)
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.