May 09, 2025
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गोबर के उत्पाद की सराहना कर चुकी है केंद्र सरकार किन्तु छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के अपनाने से विपक्ष का विरोध किस आधार पर Featured

शौर्यपथ विचार / गाय का गोबर कई मायनों में हिन्दू धर्म के लिए अलग अलग महत्तव रखता है . घर के आँगन में गोबर की लिपाई , पूजा स्थल में गोबर से लिपना शुभ माना जाता है . गाय के गोबर से ईंधन का उपयोग प्रदुषण के लिए अन्य ईंधनो की अपेक्षा कम हानिकारक है , जमीन की उपजाऊ क्षमता की बढ़ोतरी गाय के गोबर से बने खाद से बढती है , गोबर गैस से ईंधन का निर्माण किया जा सकता है , गोबर से पेपर , गमले , अगरबत्ती आदि कई उपयोगी वस्तुओ का निर्माण किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद है . ऐसे कई उपयोगी वस्तुओ के लिए गोबर एक महत्तवपूर्ण पदार्थ है .
ऐसी ही कई परिकल्पना को जमीनी स्तर पर लाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने गोबर का क्रय करने की योजना शुरू की चूँकि ये योजना कांग्रेस नीत सरकार ने शुरू की तो इसे नीचा दिखाने की कसार विपक्ष भला कैसे भूल सकती है और गोधन न्याय योजना के शुरू होते ही शुरू हो गयी विपक्ष की अनगर्ल तथ्यहीन विरोध की वाणी किन्तु विपक्ष इस विरोध में ये भी भूल गए कि गोबर से निर्मित उत्पाद के लिए केंद्र सरकार ने पहले भी कई योजनाये बनाई और स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित भी किया साल २०१८ में केन्द्रीय मन्त्रिय गिरिराज ने 12 सितंबर को कुमारप्पा नेशनल हेंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट में गोबर से बने पेपर कैरी बैग को लॉन्‍च किया था। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने गोबर क्रय करने का निर्णय लेकर छोटे छोटे रोजगार के अवसर तो प्रदान किये साथ ही उन लोगो की नींद भी उड़ा दी जो खाद व उर्वरक के नाम पर प्रतिवर्ष करोडो का मुनाफा करते है किन्तु जमीन की उर्वरक शक्ति को खत्म करने में भी अपरोक्ष रूप से अपना योगदान देते है . सरकार के द्वारा गोबर कराया करने से कई तरह के उत्पाद तो तैयार होंगे ही जो पर्यावरण के लिए तो फायदेमंद रहेंगे ही वही जमीनों की पैदावार क्षमता को भी जैविक खाद के रूप में बढ़ाएंगे . प्रकृति को संतुलन रखने के लिए ऐसे कदम सराहनीय है जो भविष्य में रोजगार के अवसर तो प्रदान करेंगे ही . आत्मनिर्भरता के मोदी सरकार के प्रयासों पर भी पंख लगेंगे . खैर विपक्ष के तथ्यहीन विरोध को दरकिनार करते हुए प्रदेश सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरुवात तो कर ही दी है और सरकार इस गोधन ( गोबर ) का किस तरह उपयोग करती है ये भी धीरे धीरे स्पष्ट हो जायेगा .
    आइये हम बताते है गोबर का उपयोग रोजगार के किस किस क्षेत्र में आमदनी बढाने के लिए किया जा सकता है जिस पर केंद्र सरकार भी गंभीर है सिवाय अंध भक्ति से लिप्त लोगो के ....
अगर आप गाय के गोबर से पैसा कमाना चाहते हैं तो केंद्र सरकार आपका सहयोग करने को तैयार है। कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट में गाय के गोबर से पेपर बनाने की विधि इजाद की गई है। इस विधि को अब 'प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम' के तहत आम लोगों तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। मतलब अब आप भी इस प्‍लांट को लगाकर गोबर से पैसे बना सकते हैं। जयपुर स्‍थ‍ित कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट (केएनएचपीआई) के डायरेक्‍टर ए.के. गर्ग ने गांव कनेक्‍शन से बताया, ''गाय के गोबर से हैंडमेड पेपर तैयार किया जा रहा है। इस पेपर की क्‍वालिटी बहुत अच्‍छी है। इससे कैरी बैग भी तैयार किया जा रहा है। जैसा की प्‍लास्‍टिक बैग बैन हो रहे हैं, ऐसे में पेपर के कैरी बैग अच्‍छा विकल्‍प हैं।'
'' ए.के गर्ग इस प्‍लांट की लागत पर कहते हैं, ''ये तो क्वांटिटी (मात्रा) पर निर्भर करता है। 5 लाख से लेकर 25 लाख तक में प्‍लांट लगाए जा सकते हैं। चूंकि ये हैंडमेड पेपर हैं तो इससे हर प्‍लांट में कुछ लोगों को रोजगार भी मिलेगा। अगर 15 लाख में कोई प्‍लांट लगाता है तो इसमें 10 से 12 लोगों को रोजगार मिल सकता है।''
एमएसएमई मंत्रालय के तहत काम करने वाली हैंडमेड पेपर एंड फाइबर इंडस्‍ट्री के डायरेक्‍टर के.जे. भोसले ने बताया, ''गोबर से पेपर बनाने की विधि से रोजगार मिल सकेगा। इससे पेपर के अच्‍छे कैरी बैग बनने की जानकारी मिली है। जयपुर के केएनएचपीआई में तो इसकी शुरुआत भी हो गई है। जिसे भी ये प्‍लांट लगाना हो वो एक बार जयपुर में बन रहे पेपर के कैरी बैग को देख सकता है। इससे उसे प्रोत्‍साहन भी मिलेगा।'

केंद्रीय मंत्री ने किया था लॉन्‍च (२०१८)
इससे पहले केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री गिरिराज सिंह ने 12 सितंबर को कुमारप्पा नेशनल हेंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट में गोबर से बने पेपर कैरी बैग को लॉन्‍च किया था। इस दौरान उन्‍होंने कहा, ''गाय के गोबर से बने उत्पाद गुणवत्ता में बेहतर हैं और किफायती भी हैं. देशभर में इन्हें पसंद किया जा रहा हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच का ही परिणाम हैं कि किसान गाय के गोबर से भी पैसा कमा सकेगा.'' केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अधिकारियों को गोबर से कागज बनाने की यूनिट लगाने के प्रोजेक्ट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाकर मंत्रालय भेजने का निर्देश भी दिया थ। इसलिए अधि‍कारी प्रोजेक्‍ट को लैब से जमीन पर लाने के लिए जुटे हुए हैं।
पीएम मोदी भी गिना चुके हैं गोबर की उपयोगिता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पशुओं के अपशिष्ठ (यानि गोबर-गोमूत्र) से कमाई की बात करते रहे हैं। पीएम मोदी ने मन की बात में कहा था, ''गोबर भी किसानों की कमाई का जरिया हो सकता है। किसान गोबर की खाद अपने खेतों के लिए ही नहीं बल्कि उसे ज्यादा मात्रा में उत्पादन कर कारोबार भी कर सकते हैं। सरकार की गोबरधन स्कीम के जरिए वेस्ट को एनर्जी में बदलकर इसे आय का जरिया बनाया जा सकता है।'' सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग की एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में पशुओं से हर साल 100 मिलियन टन गोबर मिलता है जिसकी कीमत 5,000 करोड़ रुपए है। इस गोबर का ज्यादातर प्रयोग बायोगैस बनाने के अलावा कंडे और अन्य कार्यों में किया जाता है।
कमाई का जरिया बन रहा गोबर
    गोबर से बन रहे गमले और अगरबत्‍ती गोबर से बना गमला इलाहाबाद जिले के कौड़िहार ब्लॉक के श्रींगवेरपुर में स्थित बायोवेद कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान में गोबर से बने उत्पादों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां गोबर से गमले और अगरबत्ती जैसे कई उत्‍पाद बनाए जाते हैं। संस्‍थान के प्रबंध निदेशक डॉ. हिमांशू द्विवेदी बताते हैं, "हमारे यहां गोबर की लकड़ी भी बनाई जाती है, इसका हम प्रशिक्षण भी देते हैं। इसे गोकाष्ठ कहते हैं। इसमें लैकमड मिलाया गया है, इससे ये ज्यादा समय तक जलती है। गोकाष्ठ के साथ ही गोबर का गमला भी काफी लोकप्रिय हो रहा है।"
गोबर से बायो सीएनजी बनाने का प्लांट
गोबर से बायो सीएनजी भी बनाई जाने लगी है। ये वैसे ही काम करती है, जैसे हमारे घरों में काम आने वाली एलपीजी। लेकिन ये उससे काफी सस्ती पड़ती है और पर्यावरण की भी बचत होती है। बॉयो सीएनजी को गाय भैंस समेत दूसरे पशुओं के गोबर के अलावा सड़ी-गली सब्जियों और फलों से भी बना सकते हैं। ये प्लांट गोबर गैस की तर्ज पर ही काम करता है, लेकिन प्लांट से निकली गैस को बॉयो सीएनजी बनाने के लिए अलग से मशीनें लगाई जाती हैं, जिसमें थोड़ी लागत तो लगती है लेकिन ये आज के समय को देखते हुए बड़ा और कमाई देने वाला कारोबार है। उत्‍तर प्रदेश के कानपुर में रहने वाले विशाल अग्रवाल हाईटेक मशीनों से मदद से बॉयो सीएनजी बना रहे हैं, उनकी न सिर्फ सीएनजी हाथो हाथ बिक जाती है, बल्कि अपशिष्ट के तौर पर निकलने वाली स्लरी यानी बचा गोबर ताकतवर खाद का काम करता है। कानपुर से करीब 35 किमी. दूर ससरौल ब्लॅाक में लगभग पौने दो एकड़ में 5,000 घन मीटर का बायोगैस प्लांट लगा हुआ है।


गोबर से बना दिया 'वैदिक प्लास्टर'
हरियाणा के डॉ शिवदर्शन मलिक ने देसी गाय के गोबर से एक ऐसा 'वैदिक प्लास्टर' बनाया है जिसका प्रयोग करने से गांव के कच्चे घरों जैसा सुकून मिलेगा। वर्ष 2005 से वैदिक प्लास्टर की शुरुआत करने वाले शिवदर्शन मलिक का कहना है, "हमें नेचर के साथ रहकर नेचर को बचाना होगा, जबसे हमारे घरों से गोबर की लिपाई का काम खत्म हुआ तबसे बीमारियां बढ़नी शुरु हुईं। देसी गाय के गोबर में सबसे ज्यादा प्रोटीन होती है। जो घर की हवा को शुद्ध रखने का काम करता है, इसलिए वैदिक प्लास्टर में देसी गाय का गोबर लिया गया है।" शिवदर्शन बताते हैं, "हमारे देश में हर साल 100 मिलियन टन गोबर निकलता है। जिसका सही तरह से उपयोग न होने से ज्यादातर बर्बाद होता है। देसी गाय के गोबर में जिप्सम, ग्वारगम, चिकनी मिट्टी, नीबूं पाउडर आदि मिलाकर इसका वैदिक प्लास्टर बनाते हैं जो अग्निरोधक और उष्मा रोधी होता है। इससे सस्ते और इको फ्रेंडली मकान बनते हैं, इसकी मांग ऑनलाइन होती है। हिमाचल से लेकर कर्नाटक तक, गुजरात से पश्चिमी बंगाल तक वैदिक प्लास्टर से 300 से ज्यादा मकान बन चुके हैं।"

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