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रायपुर / शौर्यपथ / राम वनगमन पर्यटन परिपथ राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत वर्तमान में मौजूद धार्मिक स्थलों को यथावत रखते हुए निर्माण विकास कार्य किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न शोधपत्रों, अभिलेखों एवं मान्यता अनुसार भगवान श्री राम ने अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से अधिकांश समय छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों पर व्यतीत किए थे। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा, ऐतिहासिकता एवं प्रचीन मान्यताओं से पर्यटकों को परिचित कराने राम वनगमन परिपथ के विकास की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। राम वनगमन पर्यटन परिपथ को विकसित करने के लिए प्रथम चरण में 9 स्थलों का चयन किया गया है। इन स्थलों में सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) शामिल हैं।
राम वनगमन पर्यटन परिपथ के विकास का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ आने वाले देश-विदेश के पर्यटकों एवं आगन्तुकों को आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना है। प्रथम चरण में चयनित 9 स्थानों पर कोई भी नया मंदिर निर्माण नहीं किया जा रहा है। अपितु इन स्थानों पर वर्तमान में मौजूद धार्मिक स्थलों, मंदिरों एवं अन्य धार्मिक संरचनाओं को यथावत् रखते हुए परिसर एवं आस-पास के स्थान में पर्यटक सुविधाओं के विकास का कार्य किया जाएगा। इससे पर्यटकों को इन क्षेत्रों में आकर्षित किया जा सकेगा। पर्यटक स्थानीय मान्यताओं, लोक-कला संस्कृति से परिचित हो सकेंगे इसके साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे। पर्यटन मंडल के अधिकारियों ने बताया कि रामाराम जिला सुकमा में पर्यटकों की सुविधा के लिए कैफेटरिया, गार्डन, पेयजल, दुकानें, यात्राी शेल्टर, ट्रेकिंग रूट, पार्किंग आदि अधोसंरचना का विकास प्रस्तावित है।
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