
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
आज मनाई जा रही है फाल्गुन अमावस्या, जानिए किस तरह करें पूजा
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि का अत्यधिक महत्व होता है. माना जाता है कि अमावस्या पर पूजा करने पर पितृ दोष से छुटकारा मिल सकता है. पितृ नाराज होते हैं तो घर-परिवार पर पितृदोष लग सकता है. ऐसे में पितरों की पूजा के लिए अमावस्या की तिथि को बेहद शुभ माना जाता है. इस साल फाल्गुन मास की अमावस्या 27 फरवरी, गुरुवार के दिन पड़ रही है. ऐसे में अमावस्या का महत्व और अमावस्या पर किस तरह पूजा की जाती है संपन्न, जानें यहां.
फाल्गुन अमावस्या की पूजा विधि |
फाल्गुन अमावस्या की पूजा करने के लिए जल्दी उठा जाता है. इसके पश्चात किसी पवित्र नदी में स्नान किया जाता है. घर के आस-पास पवित्र नदी ना हो तो गंगाजल को बाल्टी में डालकर इस पानी से भी स्नान कर सकते हैं.
सूर्य देव को प्रणाम किया जाता है और अमावस्या के व्रत का संकल्प लिया जाता है.
अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा भी की जा सकती है.
इस दिन पितरों का तर्पण करना बेहद शुभ होता है. पितरों का तर्पण करने के बाद गरीब और जरूरतमंदों को दान दिया जाता है.
शाम के समय पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है.
पूजा करने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाया जाता है.
पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यधिक शुभ होता है. इसके साथ ही पेड़ की परिक्रमा की जाती है.
पूजा के दौरान पितरों का स्मरण किया जाता है.
अमावस्या पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ कुल देवताभ्यो नमः
ॐ पितृ देवतायै नम:
ॐ आपदामपहर्तारम दातारं सर्वसम्पदाम्,लोकाभिरामं श्री रामं भूयो-भूयो नामाम्यहम! श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे, रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नम:!
ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
गोत्रे मां (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः"
फाल्गुन अमावस्या पर पितरों को कैसे करें प्रसन्न
अमावस्या तिथि हिंदू धर्म में बेहद जरूरी मानी जाती है. विशेष रूप से फाल्गुन अमावस्या का दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए शुभ माना जाता है. इस दिन गंगा स्नान करने और पितरों को अर्घ्य देने की परंपरा है. मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. पितरों के नाम से पिंडदान और तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
ये काम जरूर करें -
फाल्गुन अमावस्या के दिन सुबह जल्दी स्नान करना चाहिए. अगर नदी में स्नान करना संभव न हो, तो घर के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करें और उसकी सात बार परिक्रमा करें. साथ ही, पीपल के नीचे सरसों के तेल में काले तिल डालकर दीपक जलाएं.
दिशा का रखें खास ध्यान -
अमावस्या तिथि पर घर के बाहर दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं, क्योंकि यह दिशा पितरों की मानी जाती है. मान्यता है ऐसा करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
ऐसे प्रसन्न होंगे पितृ -
फाल्गुन माह की अमावस्या पर पितृ चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी क्षमता अनुसार दान-दक्षिणा दें. साथ ही, गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, धन व वस्त्र दान करें. ऐसा करने से पितरों की कृपा मिलती है.
पितृ दोष से मुक्ति -
फाल्गुन अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितरों के निमित्त पिंडदान और श्राद्ध कर्म अवश्य करें. इससे पितरों को मोक्ष मिलता है. साथ ही, अमावस्या के दिन शिवलिंग पर तिल अर्पित करने से पितृ शांत होते हैं.
कालसर्प दोष से राहत पाने के लिए क्या करें
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, अमावस्या के दिन कालसर्प दोष से राहत पाने के लिए चांदी के सर्प (सांप) बनवाकर किसी शिव मंदिर में अर्पित करें या फिर उन्हें बहते पानी में प्रवाहित करें. यह उपाय शुभ फल देता है और दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है.
फाल्गुन अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त -
अमावस्या तिथि प्रारंभ : 27 फरवरी, सुबह 8:08 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त : 28 फरवरी, सुबह 6:14 बजे
ब्रह्म मुहूर्त : 27 फरवरी, सुबह 5:09 से 5:58 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : 27 फरवरी, दोपहर 12:11 से 12:57 बजे तक
पितृ दोष क्या होता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब पूर्वजों की आत्माएं असंतुष्ट रह जाती हैं, तो वे अपने वंशजों के जीवन में बाधाएं उत्पन्न करती हैं, जिसे पितृ दोष कहा जाता है. यह दोष केवल व्यक्ति के अपने कर्मों से नहीं, बल्कि माता-पिता या पूर्वजों के कर्मों की वजह से भी लगता है. पितृ दोष जन्म कुंडली में विद्यमान होता है, जबकि कर्म जीवन के दौरान बनते हैं. यह एक ऐसा दोष है, जिसका कारण स्पष्ट रूप से समझ पाना कठिन होता है. यहां तक कि अगर जन्मपत्री में शुभ योग भी हों, तब भी व्यक्ति को अपेक्षित शुभ फल नहीं मिलते.
पितृ दोष क्यों लगता है?
अगर किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाए और उसका अंतिम संस्कार विधिपूर्वक न किया जाए, तो पितृ दोष लग जाता है. माता-पिता या पूर्वजों का अनादर करना, उनकी मृत्यु के पश्चात पिंडदान, तर्पण, और श्राद्ध न करना भी पितृ दोष का कारण बन सकता है. इसके अलावा, अगर पूर्वज किसी कारणवश अशांत या असंतुष्ट होते हैं, तो उनका आशीर्वाद नहीं मिलता, जिससे पितृ दोष लगता है. ऐसा माना जाता है कि इस दोष के कारण परिवार में अलग तरह की परेशानियां आती हैं. घर के सदस्यों के मान-सम्मान में कमी आती है, आर्थिक हानि होती है और संतान प्राप्ति व सुख में बाधाएं आती हैं.
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.