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शौर्यपथ / भारतीय रिजर्व बैंक ने देश की अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए जो ताजा घोषणाएं की हैं, वे कुछ और कदम भर हैं। कोरोना के लॉकडाउन दौर में यह तीसरी बार है, जब भारतीय केंद्रीय बैंक ने अपनी ओर से सुधार के कदम उठाए हैं। विशेष रूप से दो बड़ी घोषणाएं हैं, जिन पर गौर किया जा सकता है। पहली घोषणा यह कि रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कमी की गई है, ताकि बाजार में नकदी का प्रवाह बने। नकदी का प्रवाह बनने से न केवल ऋण सस्ते या आसान होंगे, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था में भी तेजी आएगी। रेपो रेट घटकर अब चार प्रतिशत पर आ गया है, ताकि बैंकों के पास खर्च या निवेश के लिए ज्यादा नकदी उपलब्ध हो। इसके साथ ही रिजर्व बैंक यह भी चाहता है कि बैंकों के पास ज्यादा धन रहे और वे रिजर्व बैंक के पास ब्याज के लिए धन रखने की बजाय उसे बाजार में लगाएं। अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक की यह मंशा स्वागतयोग्य है।
दूसरी घोषणा उन लोगों के लिए खुशखबरी है, जो अभी ऋण वापस करने की स्थिति में नहीं हैं। टर्म लोन पर पहले ही तीन महीने की छूट मिली हुई थी और अब इस छूट को तीन महीने और बढ़ाकर एक बड़ी आबादी को राहत देने की कोशिश हुई है। ज्यादातर तरह के ऋण लेने वालों को अब अगस्त महीने तक कोई भी ऋण चुकाने से राहत मिलेगी। यदि किसी ने गृह ऋण, वाहन ऋण, कॉरपोरेट, कारोबारी, क्रेडिट कार्ड ऋण ले रखा है और ईएमआई नहीं चुका पा रहा, तो बैंक अपने आप आपके ऋण को मोरेटोरियम में भेज देंगे। हालांकि बेहतर सलाह यह है कि आप बैंक को स्वयं मोरेटोरियम के लिए आवेदन कर दें, ताकि आपको अगस्त के महीने तक ईएमआई का दबाव न झेलना पडे़। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि लॉकडाउन के कारण ज्यादातर कामकाज बंद हैं, और बड़ी संख्या में लोगों की आय प्रभावित हुई है। मोरेटोरियम से उन्हें यह तो फायदा है कि कर्जदाता बैंक उन्हें अभी परेशान नहीं करेंगे, अलग से कोई पेनाल्टी नहीं लगाएंगे, लेकिन इस अवधि का ब्याज तो बैंक जरूर जोड़ेंगे। अब आशंका यह है कि ऋण चुकाने की अवधि भी बढे़गी और र्ईएमआई भी। ऐसे में, लोग मोरेटोरियम को किसी बड़ी राहत के रूप में नहीं देख रहे हैं। यह तात्कालिक राहत है और इससे दूरगामी परेशानियां बढ़ सकती हैं।
आज के हालात में लोगों को बैंकों पर बहुत भरोसा नहीं है और बैंक भी लोगों के प्रति यथोचित उदार नहीं हैं। इस अविश्वास के कारण ही ऋण के लेन-देन का बाजार लगातार मंदा चल रहा है। रिजर्व बैंक जो प्रयास कर रहा है, वह आम दिनों के लिए तो ठीक है, लेकिन जिस तरह की आपातकालीन स्थिति से देश गुजर रहा है, उसमें लोगों को रिजर्व बैंक से बड़ी राहत की उम्मीद है। ऋण के बोझ से दबे लोगों के मन में यह सवाल हैै कि सरकार या रिजर्व बैंक ने हमारे लिए क्या किया है? लॉकडाउन के दौर में अर्थव्यवस्था को बल देने की दिशा में रिजर्व बैंक की यह तीसरी घोषणा अच्छी तो है, लेकिन जरूरतमंद लोगों की उम्मीद से कम है। इसीलिए रिजर्व बैंक की घोषणा के बावजूद शुक्रवार को शेयर बाजार गिरकर बंद हुए। यहां तक कि विभिन्न बैंकों के शेयरों ने भी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। जाहिर है, आने वाले दिनों में सभी को और बेहतर राहत की उम्मीद है।
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