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राजनांदगांव / शौर्यपथ / कोरोना महामारी में विगत वर्ष 2020-21 में कई प्राईवेट विद्यालय बंद हो गए और इन विद्यालयों ने प्रवेशित बच्चों को अन्य विद्यालयों में प्रवेश दिलाया जाना था और यह जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की होती है।
ग्रीन फील्ड स्कूल जो कि बीते वर्ष 2020-21 से बंद हो चुका है और बीते सितंबर माह से पालकों के द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित आवेदन कर उनके बच्चों को अन्य विद्यालयों ने प्रवेश दिलाने की मांग कर रहे थे, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने इस संबंध में कोई रूचि नहीं दिखाया, जिसके कारण इन बच्चों को बीते सत्र 2020-21 में किसी भी विद्यालयों में प्रवेश नहीं दिलाया गया और इस प्रकार इन बच्चों का पूरा एक वर्ष बर्बाद हो गया और उन्हें किसी भी विद्यालय से उत्तीर्ण होने का रिजल्ट नहीं मिल पाया और ना ही इस सत्र 2021-22 में भी किसी विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया, जबकि कई प्रायवेट विद्यालयों में 1 अप्रैल से कक्षाएं आरंभ हो चुकी है, जबकि सरकारी अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में 15 मई से प्रवेश आरंभ होने वाला है और यह सभी बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में अध्ययनरत् थे, इसलिए इन्हें अंग्रेजी माध्यम से स्कूलों में ही प्रवेश दिलाया जाना था, इनमें से कई बच्चे शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत प्रवेशित थे, जो विगत वर्ष से बिना शिक्षा पाए ही शिक्षा पाने भटक रहे है और यह गंभीर प्रवृति का अपराध है।
पीड़ित पालकों ने गुरूवार को सिटी कोतवाली में जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 166 के तहत् नामजद प्रथामिकी दर्ज करने की मांग को लेकर लिखित शिकायत किया गया है, क्योंकि पालकों का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी जो कि एक जिम्मेदार अधिकारी है और उनके बच्चों को किसी अन्य विद्यालयों में प्रवेश दिलाने की जिम्मेदारी उन्हीं की थी, लेकिन उन्होने जान-बुझकर कानून का उल्लघंन कर उनके बच्चों के जीवन व भविष्य के साथ सुनियोजित ढंग से खिलवाड़ किया गया है। इस प्रकार हेतराम सोम, जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव के द्वारा हमारे बच्चों को अनावश्यक मानसिक कष्ट दिया गया, उनकी उपेक्षा किया गया और उन्हें शिक्षा से वंचित कर उसके मौलिक अधिकार का हनन किया गया है, जिसके लिए डीईओ हेतराम सोम पूर्णतः जिम्मेदार है और यह प्रताड़ना की श्रेणी में आता है।
क्या कहता है कानून...
भारतीय दंड संहिता की धारा 166 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति जो किसी सरकारी नौकरी के पद पर पदस्थ है, वह एक लोक सेवक होने के नाते, जान-बुझकर किसी कानून के किसी भी प्रावधान का इस प्रकार उल्लंघन या उस कानून की अवज्ञा करता है, जिस प्रकार सरकार के द्वारा उस लोक सेवक को उस कानून का संचालन करने के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं। वह लोक सेवक या सरकारी नौकरी करने वाला व्यक्ति इस बात को अच्छे से जनता है, कि उसके द्वारा ऐसा कार्य करने से या उस कानून का उल्लंघन करने से किसी अन्य व्यक्ति को हानि पहुंच सकती है, या उस अन्य व्यक्ति को किसी प्रकार की चोट पहुंच सकती है, तो ऐसी स्थिति में वह लोक सेवक भारतीय दंड संहिता की धारा 166 के अनुसार अपराध करता है, और उसे उसके इस अपराध के लिए उचित दंड भी दिया जाता है।
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