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मेलबॉक्स / शौर्यपथ / धरती पर मानव ही ऐसा प्राणी है, जो अच्छे और बुरे का भेद कर सकता है। मगर केरल की घटना ने ईश्वर की सबसे सुंदर रचना पर शक की चादर चढ़ा दी है। वहां एक गर्भवती हथिनी के साथ किया गया व्यवहार दुखी करने वाला है। इस घटना से यह समझ नहीं आ रहा कि वास्तव में जानवर कौन है? वह हथिनी, जो पीड़ा में भी शांत होकर पानी में खड़ी रही या फिर वे इंसान, जिन्होंने इस बेजुबान को फल में बम खिला दिया। हथिनी के पेट में पल रहे बच्चे ने भी शायद यही सोचा होगा कि अगर मानव ऐसे होते हैं, तो ठीक है कि मैं धरती पर नहीं आया। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब-जब मानव इंसानियत से दूर हुआ है, तब-तब उसे इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ा है।
ललित शंकर, मावना, मेरठ
सबकी है दुनिया
विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रकाशित अनिल प्रकाश जोशी का लेख ‘यह दुनिया सिर्फ इंसानों की नहीं’ पढ़ा। वाकई, इस दुनिया पर जितना हमारा अधिकार है, उतना ही उन लाखों जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों का भी है, जिनको प्रकृति ने हमारे साथ जीवन दिया है। चूंकि इंसान सबसे बुद्धिमान प्राणी है, इसलिए उसे पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। लेकिन दुखद यह है कि हम पर्यावरण को बचाने के लिए समय-समय पर बातें तो खूब करते हैं, लेकिन जिस तरह से उन पर काम होना चाहिए, वह नहीं करते। हमें अपने आसपास की आबोहवा साफ रखनी ही होगी, अन्यथा मानव जीवन शायद ही बचा रह सकेगा।
विजय कुमार धनिया, नई दिल्ली
बढ़ता तनाव
केरल के एक गांव में नौवीं कक्षा की एक छात्रा ने जिस तरह से आत्महत्या की, उससे कई सवाल उठ खड़े होते हैं। कहा जा रहा है कि ऑनलाइन पढ़ाई न कर पाने की वजह से वह दबाव में थी। यह बेहद अफसोस की बात है कि एक बच्ची पढ़ना चाहती थी, पर संसाधन के अभाव में हताशा के गर्त में चली गई और अपनी जान दे बैठी। सचमुच, सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे इतने संपन्न नहीं होते कि उनके पास स्मार्टफोन, टीवी, केबल आदि हों। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन और इंटरनेट की जरूरत पड़ती है। उस बच्ची के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। संभवत: पिता की आर्थिक मजबूरी रही होगी कि वह अपनी बेटी की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधन नहीं जुटा पाया। दिक्कत यह है कि सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू तो कर दी, लेकिन इसके लिए अपनी तैयारी पूरी नहीं की। कुछ समय लगाकर पहले अभिभावकों को तैयार करना जरूरी था। यह घटना सबक दे रही है कि हमें अपने आसपास ऐसे परिवारों की खोज-खबर जरूर लेनी चाहिए, जिनके मुखिया की आजीविका इस लॉकडाउन में चली गई हो और बुनियादी जरूरतें भी वह पूरी नहीं कर पा रहा हो।
विनय मोहन, सेक्टर 18, जगाधरी
अमानवीय कृत्य
केरल में गर्भवती हथिनी के साथ हुई बर्बरता हृदय-विदारक है। हमारे संविधान में सभी जीवों के प्रति दया की भावना रखने की बात मौलिक कर्तव्यों में कही गई है। हमारी संस्कृति में भी कई जीवों को पूजनीय माना जाता है और अहिंसा को महत्व दिया जाता है। ऐसे में, देश के सबसे शिक्षित राज्य में ऐसी अमानवीय घटना हमें चिंतित करती है। शत-प्रतिशत साक्षरता का भला क्या उद्देश्य होना चाहिए? क्या शिक्षा-व्यवस्था में सुधार की जरूरत है? जानवरों के अधिकारों को लेकर हमें ज्यादा गंभीर होना चाहिए। यह सही है कि देश में हर व्यक्ति को उनके अधिकार नहीं मिल पाते हैं, लेकिन मानवाधिकार और अन्य जीवों के अधिकार की बात एक साथ होनी चाहिए। ऐसा क्रूरतापूर्ण काम करने वालों से भला मानवता की क्या उम्मीद की जाए!
प्रीतीश पाठक
बलवाहाट, सहरसा
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