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ओपिनियन /शौर्यपथ /संपूर्ण विश्व में कोरोना की वजह से सामाजिक स्वास्थ्य के लिए आपातकाल व अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है। दुर्भाग्य से विश्व के एक तिहाई से अधिक लोग लॉकडाउन की वजह से घर पर बैठने को मजबूर हैं। त्रासदी का आलम यह है कि अत्याधुनिक अस्पतालों व उत्कृष्ट सामाजिक सुरक्षा वाले विकसित राष्ट्र आज कोविड-19 की पीड़ा से सबसे ज्यादा पीड़ित दिखाई दे रहे हैं। यह एक आकस्मिक व्यवधान के रूप में आया है। चाहे हमारे विद्यार्थी हों, अध्यापक हों या अभिभावक, कोई भी इसके लिए तैयार न था। भौतिक संसाधनों की दृष्टि से और प्रशिक्षित मानव संपदा की दृष्टि से भी हम पूरी तरह से तैयार नहीं थे। आज के कठिन दौर में हमारे लिए नया पाठ्यक्रम बनाने और शिक्षाविदों को प्रौद्योगिकी अपनाने हेतु प्रेरित करना एक बड़ी चुनौती है।
संकट की इस घड़ी में हमारी शिक्षा-व्यवस्था से जुडे़ हरेक शख्स ने जिस समर्पण, धैर्य का परिचय दिया है, वह प्रशंसनीय है। हमारे शिक्षण संस्थान बंद हैं, लेकिन हमारे योद्धा दिन-रात जुटे हैं। अत्यंत कुशल रणनीति का सृजन कर हमारे संस्थान विषम परिस्थितियों में भी जहां निर्बाध रूप से शैक्षणिक गतिविधियां चला रहे हैं, वहीं सबका आत्मविश्वास और मनोबल बनाए रखकर उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में एक नए युग के सूत्रपात के संकेत मिलने लगे हैं।
हाल में ही इस महामारी से बेहतर मुकाबले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे समूचे शैक्षिक जगत में नए उत्साह का संचार होगा। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गुणवत्तापरक और ऑनलाइन शिक्षा नियामक ढांचे का उदारीकरण करके हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी विद्यार्थी शिक्षा के अवसर से वंचित न रहे। देश के सर्वोच्च 100 विश्वविद्यालय ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू कर पाएंगे, जिससे हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं को उच्च शिक्षा के बेहतरीन अवसर मिलेंगे। बच्चों में साक्षरता और संख्यात्मकता योग्यता विकसित करने के लिए हम अनेक कदम उठा रहे हैं, इसके लिए शिक्षक क्षमता निर्माण के साथ ही एक मजबूत पाठ्यक्रम संरचना तैयार की जा रही है। आकर्षक शिक्षण सामग्री को ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों ही स्तर पर बेहतर परिणाम के लिए विकसित किया जा रहा है। उच्च गुणवत्ता युक्त ई-कंटेंट और क्यूआर कोड वाली पुस्तकों के माध्यम से विद्यार्थियों को वैश्विक प्रतिस्पद्र्धा के लिए तैयार किया जा सकेगा।
इस विकट संकट से उबरने के लिए हमारे 1,000 विश्वविद्यालय और 45,000 महाविद्यालय व एक करोड़ अध्यापकों का नेटवर्क प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपनी सेवाएं दे रहा है। व्यापक विचार-विमर्श की प्रक्रिया के बाद हमने कई अहम फैसले लिए हैं। कक्षा एक से नौ और 11वीं कक्षा के छात्रों को बिना परीक्षा पदोन्नति देने का निर्णय लिया गया। छात्रों के बीच असमंजस और अस्थिरता दूर करने के लिए हमने छात्रों की सुरक्षा और हित को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए हैं। कक्षा 10 और 12 के 83 में से बचे हुए 29 विषयों की परीक्षा जल्द ही होगी। हमें आशा है कि सभी परीक्षाएं तय समय-सीमा के अंदर आयोजित हो जाएंगी और 15 अगस्त तक सभी परीक्षा परिणाम भी आ जाएंगे। हमारा पूरा प्रयास है कि सभी नए शैक्षणिक सत्र जल्दी ही शुरू हों। सभी लक्ष्य समयबद्ध तरीके से छात्रों की सुरक्षा से समझौता किए बिना हासिल किए जाएं, इसके लिए सभी स्तर पर जरूरी व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
जो छात्र अपने परीक्षा केंद्र पर पहुंचने की स्थिति में नहीं हैं, वे अपने जिले के परीक्षा केंद्रों पर ही परीक्षा दे सकेंगे। इसीलिए इंजीनिर्यंरग, मेडिकल इत्यादि प्रतियोगी परीक्षाओं को देरी से कराने का निर्णय लिया गया है। कक्षा एक से 12 तक के लिए एनसीईआरटी का वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर तीन भाषाओं में जारी किया गया है, ताकि छात्रों की पढ़ाई समयबद्ध तरीके से चलती रहे। एक देश एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के तहत शिक्षा को संगठित करते हुए लाखों छात्रों द्वारा ई-दीक्षा, ई-पाठशाला, स्वयं प्रभा, नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी, शोध गंगा और ई-शोध सिंधू का इस्तेमाल ऑनलाइन शिक्षा के रूप में बखूबी किया जा रहा है। यूजीसी द्वारा समुचित बदलाव करते हुए नया शैक्षणिक कैलेंडर भी जारी किया गया है। इसके अतिरिक्त हर एक विश्वविद्यालय में कोविड-19 सेल की स्थापना की जाएगी। विश्वविद्यालयों के टर्मिनल सेमेस्टर के अलावा सभी छात्रों को पिछले सेमेस्टर के आंतरिक मूल्यांकन और प्रदर्शन के आधार पर ग्रेड प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। छात्रों की मांग पर आईआईटी/ आईआईआईटी में ट्यूशन फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं करने का निर्णय लिया गया है।
आज देश में ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत लगभग 45,000 से ज्यादा विदेशी छात्र शिक्षा ले रहे हैं, सरकार उनका भी ध्यान रख रही है। इसके अलावा जिन भारतीय छात्रों ने विदेश में शिक्षा के लिए आवेदन किया था और कोविड-19 के चलते वे नहीं जा पाए, उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए उनके लिए अलग से जेईई की परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है, ताकि उनके शैक्षणिक वर्ष को बरबाद होने से बचाया जा सके।
हमारी पूरी कोशिश है कि कोरोना महामारी के समय में भी देश में पढ़ने-लिखने का माहौल बना रहे। साहित्य का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। अच्छी किताबें हमारी दोस्त होती हैं, इस सिद्धांत पर ‘माई बुक माई फ्रेंड’ अभियान शुरू किया गया है। और हर्ष की बात है कि बड़ी संख्या में छात्र, शिक्षक, घरेलू महिलाएं, बुजुर्ग व बड़ी शख्सियतें भी इस मुहिम से जुड़ी हैं और लोग किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। आज चारों ओर कोविड-19 के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, इस विषय की गंभीरता को देखते हुए ही मनोदर्पण पोर्टल बनाया गया है, जो आने वाले दिनों में हमारे सभी छात्रों की मनौवैज्ञानिक समस्याओं का निदान करने में कारगर होगा।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत निर्माण के वास्ते पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के लिए और कोविड-19 के कारण शिक्षा के सामने आने वाली तात्कालिक चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें बदलाव की जरूरत है। एक ऐसा बदलाव, जो हमें नए भारत के निर्माण हेतु तैयार कर सके। हमारी गुणवत्तापरक और प्रौद्योगिकी युक्त शिक्षा इस बदलाव को लाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं) रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, मानव संसाधन विकास मंत्री
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