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नागरिकों को किया जा रहा है संचेत, हाथी आने की संभावित क्षेत्र के नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया
नहीं हुई है कोई जनहानि, मकान क्षति होने पर मुआवजा हेतु प्रकरण तैयार किया जा रहा है
कलेक्टर ने नागरिकों को सचेत रहने और सुरक्षित स्थान पर रहने की अपील की
मोहला / शौर्यपथ / मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी 30 जून जिले के मानपुर परीक्षेत्र में जंगली हाथी के विचरण करने की सूचना पर राजस्व एवं वन विभाग के द्वारा सतत निगरानी रखी जा रही हैं। नागरिकों को जंगली हाथी से सुरक्षित रखरखाव और बचाव के लिए सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है। नागरिकों को सचेत किया जा रहा है। प्रभावित परीक्षेत्र के नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाकर आवश्यक व्यवस्था किया गया है। परीक्षेत्र में लगातार लोगों को सचेत करने के लिए मुनादी किया जा रहा है। अभी तक जंगली हाथी का क्षेत्र में विचरण व प्रभाव से कोई जनहानि नहीं हुई है। हाथी की गतिविधियों के चलते कुछ गांव के मकान क्षतिग्रस्त होने की घटना घटित हुई है। उक्त घटना पर वन व राजस्व विभाग द्वारा प्रकरण तैयार किया जाकर मुआवजा हेतु कार्यवाही की जा रही है। डीएफओ से मिली जानकारी के अनुसार बागडोंगरी में 03 मकान, बड़ामोर्चुल में 01 मकान, सरखेड़ा में 02 मकान और गुड़ारस में 02 मकान क्षतिग्रस्त होने की घटना सामने आई है। जिस पर प्रकरण तैयार किया जा कर मुआवजा हेतु आगे कार्यवाही किया जा रहा है। डीएफओ के निर्देशन में वन विभाग की पूरी टीम अलर्ट में काम कर रही है। क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखी गई है। नागरिकों से अपील किया गया है कि सुरक्षित स्थान पर चले जाएं। आंगनबाड़ी केंद्र एस्कूल भवन चले जाएं और सुरक्षित रहे।
कलेक्टर एस जयवर्धन के निर्देशन में राजस्व एवं वन विभाग की टीम लगातार हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखी हुई है। कलेक्टर के निर्देश पर नागरिकों के सुरक्षित रखरखाव और बचाव की सभी तैयारियां व उपाय किए जा रहे हैं। अभी फिलहाल कहीं भी कोई हताहत की घटना सामने नहीं आई है। कलेक्टर ने नागरिकों से अपील किया है कि वे सचेत रहें और सुरक्षित स्थान पर रहें। जिला प्रशासन के द्वारा हाथियों के गतिविधियों पर नजर रखने के साथ ही नागरिकों के बचाव और सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं।
- जिले में नवाचार करते हुए गौठानों में बनेंगे पोषण वाटिका
- स्कूलों की मरम्मत में नहीं होनी चाहिए लापरवाही, आरईएस विभाग को समय पर कार्य करने के दिए निर्देश
- शिक्षकों की समय पर उपस्थिति की जानकारी के लिए बनाएं व्यवस्था
- नि:शुल्क गणवेश वितरण, नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक वितरण एवं छात्रवृत्ति के संबंध में ली जानकारी
- कलेक्टर ने शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की
राजनांदगांव / शौर्यपथ / कलेक्टर डोमन सिंह ने आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की। कलेक्टर सिंह ने कहा कि बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते हुए कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिले में नवाचार करते हुए गौठानों में पोषण वाटिका बनाए जाएंगे। इसके लिए उद्यानिकी विभाग से मदद लेते हुए कार्य किया जाएगा। यहां से प्राप्त पौष्टिक सब्जियों का उपयोग मध्यान्ह भोजन में किया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजनांतर्गत ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के अधिकरियों को समय पर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों की मरम्मत के कार्य में लापरवाही नहीं होनी चाहिए। मरम्मत कार्य के लिए राशि स्वीकृत होते ही टेंडर जारी करते हुए कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि शिक्षकों की समय पर उपस्थिति की जानकारी के लिए व्यवस्था बनाएं और नियमित रूप से मानिटरिंग करें। कलेक्टर ने नि:शुल्क गणवेश वितरण, नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक वितरण एवं छात्रवृत्ति के संबंध में जानकारी ली। कलेक्टर ने कहा कि समय पर सभी विद्यार्थियों को गणवेश का वितरण हो जाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि स्कूलों में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति रहे। स्मार्ट टीवी का संचालन स्कूलों में सतत होता रहे। वैदिक गणित एवं अन्य महत्वपूर्ण पठन सामग्री रूचिकर तरीके से बच्चों को उपलब्ध कराएं।
कलेक्टर सिंह ने कहा कि जिले में स्वच्छता महाभियान के अंतर्गत व्यापक पैमाने पर साफ-सफाई की गई है। वहीें शाला प्रवेशोत्सव धूमधाम से मनाया गया। समाज को स्कूलों के निकट लाकर जोडऩे की एक कोशिश की गई है। ताकि उनमें स्कूल के प्रति लगाव एवं जागरूकता तथा जिम्मेदारी की भावना रहे। कलेक्टर से शिक्षकों ने समर कैम्प के संबंध में अपने अनुभव साझा किए। कलेक्टर ने शिक्षकों से कहा कि बच्चों को जोरातराई एडवेंचर पार्क का भ्रमण कराएं और उन्हें खनिज पाठशाला का अवलोकन कराएं। उन्होंने समग्र शिक्षा अंतर्गत स्कूलों की मरम्मत, शाला परिसर की स्वच्छता एवं सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में चर्चा की। जिला शिक्षा अधिकारी श्री राजेश सिंह ने बताया कि नि:शुल्क गणवेश योजना के तहत अब तक 1 लाख 177 बच्चों को गणवेश वितरण किया गया है। वहीं अब तक 1 लाख 67 हजार 820 नि:शुल्क पाठ््य पुस्तक वितरण किया गया है।
उन्होंने बताया कि नि:शुल्क सरस्वती सायकल योजना अंतर्गत 11 हजार 492 सायकल वितरित किया गया है। अब तक राज्य छात्रवृत्ति के तहत 43 हजार 418 विद्यार्थियों को 2 करोड़ 84 लाख 94 हजार रूपए की राशि का भुगतान किया गया है। इस अवसर पर परियोजना अधिकारी साक्षरता श्रीमती रश्मि सिंह, जिला मिशन समन्वयक राजीव गांधी शिक्षा मिशन श्री सतीश ब्यौहारे, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी, बीआरसी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
रायपुर / शौर्यपथ /
मुस्कान स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल महासमुन्द में कक्षा नवमीं में पढ़ती हैं, मुस्कान बताती हैं कि फ्री में इंग्लिश मीडियम स्कूल की अच्छी पढ़ाई के कारण अब मम्मी-पापा को फ़ीस की टेंशन नहीं होती। हमें क्वालिटी एजुकेशन मिल रही है, जो पहले प्राइवेट स्कूल में महंगी फ़ीस के साथ मिलती थी। मुस्कान के पापा ऑटो चलाते हैं, उसने कहती है पहले वाले स्कूल में फ़ीस भरने में बहुत तकलीफ़ होती थी, लेकिन अब सब बहुत अच्छा है, मैं बड़ी होकर सीए बनूंगी और अपना सपना पूरा करूंगी। मुस्कान जैसे विद्यार्थी आज बेहतर माहौल में अच्छी शिक्षा प्राप्त प्राप्त कर रहे हैं, क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा की नींव मजबूत करने की दिशा में लगातार काम कर रही है।
प्रोद्यौगिकी, इन्टरनेट के युग और ग्लोबलाइजेशन के दौर में अंग्रेजी शिक्षा आज की सबसे बड़ी जरुरत है। इसी जरुरत को समझते हुए और छत्तीसगढ़ की प्रतिभा को दुनिया के लिए तैयार करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की पहल की। इस पहल गरीब बच्चों को भी क्वालिटी एजुकेशन और अंग्रेजी भाषा में शिक्षा मिलना संभव हो रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अंग्रेजी शिक्षा की पहल पर खोले गए स्कूलों को स्वामी आत्मानंद को समर्पित किया है, जिन्होंने अपना जीवन आदिवासी बच्चों में शिक्षा के प्रसार के लिए बिताया। स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी स्वामी आत्मानंद के कार्यों से प्रभावित थीं, आज नारायणपुर के रामकृष्ण मिशन के विद्यालय से पढ़कर निकले विद्यार्थी देश के बड़े बड़े पदों पर कार्य कर रहे हैं।
अंग्रेजी शिक्षा से वंचित वर्ग तक भी शिक्षा का प्रसार हो इस भावना के साथ छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरे प्रदेश में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की शुरुआत की, जिसके जरिए नई पीढ़ी आज की जरूरत के हिसाब से भावी भविष्य के लिए तैयार हो रही है। आज प्रदेश के स्कूल सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक विद्यार्थियों को पढ़ने-लिखने और अपनी प्रतिभा को निखारने का अच्छा अवसर मिल रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अगुवाई में छत्तीसगढ़ में शिक्षा के स्तर का लगातार ग्राफ बढ़ रहा है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने और उसे मजबूत करने की दिशा में कई अहम पहल से छत्तीसगढ़ आज देश के लिए अपने तरह की एक अनूठी मिसाल पेश कर रहा है।
स्कूलों को किया गया अपग्रेड
विद्यार्थियों को पढ़ाई-लिखाई का बेहतर माहौल देने के लिए स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है, इसके लिए इन स्कूलों में सबसे पहले आधारभूत संरचना को मजबूत किया गयाद्य पुरानी बिल्डिंग का पुनरुद्धार कर उसे एक नया रूप दिया गया। इसी का परिणाम है कि पहले जिन स्कूलों में पुराने ब्लैक बोर्ड थे आज वहां ग्रीन बोर्ड लगाए गए हैं और कुछ जगहों पर स्मार्ट बोर्ड की सुविधा से भी विद्यार्थी पढ़ रहे हैं, अब स्कूलों में पुराने बैंच-टेबल की जगह नये कम्फर्टेबल बैंच ने ले ली है।
मिल चुके हैं कई पुरस्कार
प्रदेश के बजट में शिक्षा ज्यादा राशि शिक्षा के लिए खर्च की जा रही है। इससे शैक्षणिक संस्थाओं की अधोसंरचना बेहतर हो रही है। आँगन म शिक्षा पहल के लिए छत्तीसगढ़ को 2022 का स्कॉच अवार्ड प्रदान किया गया था। इसी तरह नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग को राष्ट्रीय स्तर के एमबिलीयंथ अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
अंग्रेजी शिक्षा के खर्च से मिली मुक्ति
स्वामी आत्मानंद शासकीय अंगेजी एवं हिंदी उत्कृष्ट विद्यालय योजना ने माता-पिता को अपने बच्चे के लिए अंग्रेजी शिक्षा के खर्च के बोझ से मुक्त करा दिया है। इन स्कूलों में अत्याधुनिक लाइब्रेरी, लैंग्वेज लैब, कंप्यूटर और साइंस के साथ ही टेनिस और बैडमिन्टन सहित विभिन्न खेलों की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में जरूरी हैं।
बेराजगारी भत्ता से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हुई आसान
रायपुर / शौर्यपथ / घर की माली हालत की वजह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का खर्च उठाना किसी भी प्रतिभागी के लिए आसान नहीं होता है। इस वजह से कई युवा घर के रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए कुछ काम करने लग जाते हैं। आज के दौर में जहां नौकरियां पाने के लिए कठिन प्रतिस्पर्धा से गुजरना पड़ता है। ऐसे में अपनी और घर की जरूरतों के लिए कुछ काम करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर शुरू की गई बेरोजगारी भत्ता योजना ने ऐसे युवाओं की मुश्किलें काफी हद तक आसान कर दी है। इस योजना के माध्यम से बेरोेजगार युवाओं को प्रतिमाह 2,500 रूपए प्रतिमाह दिया जा रहा है। बेरोजगारी भत्ता पाने वाले युवा अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताते हैं कि यह योजना उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। उन्हें अब अपने सपनों को पूरा करने में पूरा समय मिल पाएगा। घर की आर्थिक स्थिति बाधक नहीं बनेगी।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही मनेंद्रगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत चैनपुर की रहने वाली सुश्री मीनू चौरसिया ने बताया कि उनके पिताजी होटल व्यवसाय में काम करते हैं और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पहले उन्हें पुस्तक, स्टेशनरी और परीक्षा में शामिल होने के लिए आवश्यक जरूरतों के लिए पैसों की बहुत दिक्कत होती थी। परंतु बेरोजगारी भत्ता मिलने से उन्हें पुस्तक, कॉपी, पेन, प्रतियोगी पुस्तकें व परीक्षा फॉर्म भरने में काफी मदद मिल रही है। उन्होंने यूट्यूब में पढ़ाई करने के लिये नेट रिचार्ज भी कराया है।
मीनू चौरसिया की तरह ही अंबिकापुर में रहने वाली सुभद्रा मिंज व स्टेला लकड़ा किराए में रहकर पढ़ाई कर रही हैं। बेरोजगारी भत्ता मिलने से पुस्तक, कॉपी, पेन, प्रतियोगी पुस्तकें व परीक्षा फॉर्म भरने में काफी मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि हमें अब आर्थिक रूप से परिजनों पर आश्रित नहीं रहना पड़ रहा। इसी तरह लखनपुर निवासी उमेश चौधरी ने बताया कि बेरोजगारी भत्ता का उपयोग वे अपनी जरूरत के हिसाब से पढ़ाई लिखाई की सामग्री खरीदने में कर रहे हैं जिससे उन्हें पढ़ाई में परेशानी नहीं हो रही है।
एमएससी बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई पूर्ण कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली कोरबा की सुश्री राजलक्ष्मी राठौर के पिता एक स्टाम्प वेंडर हैं, उनकी आय बहुत कम है। इससे उन्हें परीक्षा की तैयारी करने में बहुत बाधाएं आ रही थी। राजलक्ष्मी कहती है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बेरोजगारी भत्ता योजना प्रारम्भ करने से गरीब एवं बेरोजगार युवाओं में शासकीय नौकरी की तैयारी के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगी है। इसी प्रकार रामपुर के रहने वाले शुभाशीष हो या छत्तीसगढ़ के अन्य क्षेत्रों के रहने वाले गायत्री दुबे, लोकेश साहू, हीरा कुमारी महिलांग, अजय मनहर, भीषम जांगड़े, चन्द्र विजय दुबे या इनके जैसे लाखांे युवा, इन्हें बेरोजगारी भत्ता ने सहारा दिया है कि वे उनके सपनों को पूरा करने में आर्थिक स्थिति अब बाधक नहीें बनेगी।
बेरोजगारी भत्ता योजना के तहत अब तक एक लाख 5 हजार 395 युवाओं के खाते में हितग्राहियों को प्रथम और द्वितीय किश्त के रूप में कुल 48 करोड़ 89 लाख 87 हजार 500 रूपए की राशि अंतरित की जा चुकी है। युवा जब बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन कर रहे हैं, जब उन्हें प्रशिक्षण के लिए विकल्प भी दिया जा रहा है ताकि उन्हें नौकरी अथवा व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण दिया जा सके। अब तक 1701 युवाओं का लाइवलीहुड कालेज सहित 33 संस्थानों में कौशल प्रशिक्षण आरंभ हो चुका है।
2 जुलाई को करेंगे बाबा बर्फानी के दर्शन,
स्टेशन पर जय बाबा बर्फानी के जयकारे गूंज उठे
दुर्ग / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की धार्मिक नगरी दुर्ग रेलवे स्टेशन से बाबा अमरनाथ धाम के लिए आज शिवभक्त रवाना हुए। स्टेशन पर शिव भक्तों ने जय बाबा बर्फानी के जयकारे के साथ यात्रा की शुरुआत की। पहले जत्थे में अलग-अलग ग्रुप में 10 से 15 लोग शामिल हैं।
श्रद्धालुओं ने बताया कि वे परिवार, समाज देश प्रदेश की समृद्धि की प्रार्थना भोलेनाथ से करेंगे।
श्री अमरनाथ की यात्रा 1 जुलाई से शुरू होने वाली है। 42 दिनों तक चलने वाली श्री अमरनाथ यात्रा के लिए छत्तीसगढ़ से पहला जत्था आज रवाना हो गया। 1 जुलाई से 12 अगस्त तक चलने वाली इस पवित्र यात्रा के लिए दुर्ग से भी पहला जत्था 27 जून को जम्मूतवी एक्सप्रेस से प्रस्थान किया।
अमरनाथ यात्रा में जाने वाले समाज सेवी योगेन्द्र शर्मा बंटी ने बताया कि इस साल दुर्ग भिलाई एवं आस पास के गांव से 50 से अधिक यात्री बाबा बर्फानी के दर्शन करने जा रहे हैं। दुर्ग के साथ साथ रायपुर राजधानी के अलावा जगदलपुर, धमतरी, कांकेर, बालोद, राजनांदगांव, दुर्ग, महासमुंद, बिलासपुर, कोरबा आदि शहरों से भी भारी मात्र में यात्री जा रहे है।
8 बार अमरनाथ जा चुके पंकज यादव ने बताया कि आज दुर्ग से रवाना होने के पश्चात कल दिनाँक 27 को रात्रि में जम्मू स्टेशन पहुँचने के बाद 28 को माता वैष्णव देवी जी का दर्शन एवं दिनाँक 2 जुलाई को पवित्र गुफा में बालटाल के रास्ते से जाकर बाबा बर्फानी अमरनाथ का दर्शन करेंगे, समुद्र तल से 13600 फीट ऊंचाई पर बाबा बर्फानी जी की गुफा है
11 बार बाबा अमरनाथ की यात्रा कर चुके भिलाई के जय प्रकाश भोले, एवं पापा राव, बताते हैं कि अमरनाथ की गुफा कश्मीर के श्रीनगर शहर से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। यह समुद्रतल से 13,600 फीट ऊंचाई पर है। गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर तथा ऊंचाई 11 मीटर है।
बाबा जी का दिव्य शिवलिंग प्राकृतिक बर्फ से बनता है, ऐसी मान्यता है कि अमरनाथ गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। शिवलिंग का निर्माण अपने आप प्राकृतिक बर्फ से होता है। शिवलिंग चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ घटता-बढ़ता है। सावन महीने के अंतिम दिन पूर्णिमा को यह पूरे आकार में आ जाता है। इसके पश्चात धीरे धीरे शिवलिंग छोटा होता जाता है।
अमरनाथ जाने का चंदनबाड़ी और बालटाल दो मार्ग है जिससे चलकर लाखों भक्त हर वर्ष बाबा बर्फानी के दर्शन हेतु जाते है, चंदनबाड़ी मार्ग से गुफा 32 किलोमीटर और बालटाल से 14 किलोमीटर दूर है।
आज दुर्ग भिलाई से रवाना हुआ दुर्ग भिलाई के भक्तों में विशेष रूप से ऋषि साहू, आकाश साहू, पंकज सिंह, कृपा शंकर, त्रिमलेश, आर के प्रसाद, पंकज सिंह, त्रिमलेश, दीपक, प्रतीक दीपक, कुणाल, बी,के.हरमुख, कमलावती, आशा, ममता, अनुपा, बिना, दीपिका, लक्ष्या, नन्दनी, बी. लक्ष्मी,
पोषण, आशीष, बलवंत, विकाश, बेतनात, नितेश, कृपाशंकर, रावनम्मा ओंकार लाल, सुनील कुमार, पुरूषोत्तम, केशवन, ओंकेश्वर, दिनेश एवं अन्य रवाना हुए..
नरवा योजना से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार, भूमिगत जल के संवर्धन व मृदा संरक्षण में मिली मदद
जल संरक्षण के क्षेत्र में नरवा योजना एक राष्ट्रीय मॉडल
दुर्ग । शौर्यपथ । कल तक जो किसान वर्षा ऋतु के इंतजार में सिर्फ एक फसल ले पाते थे, ऐसे सभी किसानों के लिए नरवा योजना वरदान साबित हो रही है। नरवा के माध्यम से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से किसानों की आय में वृद्धि हो रही है। साथ ही वे सामाजिक और आर्थिक रूप से भी सशक्त हो रहे हैं। नरवा स्ट्रक्चर ब्रशवुड, बिना लागत भूमिगत जल के रिचार्ज करने का एक बेहतरीन उदाहरण है। राज्य में स्थित वन क्षेत्रों में नालों में संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। जिससे क्षेत्रों में उपस्थित जीवों को अपना चारा-पानी खोजने के लिए रहवासी क्षेत्रों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ग्रामीण तथा कृषकों को प्रशासन द्वारा पेयजल तथा सिंचाई के साधन विकसित कराए जा रहे हैं। जिससे जल की उपलब्धता सुनिश्चित होने से किसानों को खेती-बाड़ी करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।
जल, जंगल व प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य छत्तीसगढ़ जहां धान, विभिन्न फसले, फल, साग-सब्जी का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाता है। कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने के साथ ही कृषि विकास एवं कृषक कल्याण दोनों एक दूसरे के दो पहलू हैं, और प्रदेश सरकार को सुराजी गांव योजना इन सभी विकास के पहलुओं को निखार रही है। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजनांतर्गत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देते हुए लोगों को गांव में ही पूर्ण रोजगार देने व गांव के विकास के लिए नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी को विकसित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिससे अब गांवों की तस्वीर बदल रही है। भूगर्भीय जल स्रोतों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में नरवा कार्यक्रम के माध्यम से ठोस प्रयास किए जा रहे हैं ताकि कृषि एवं कृषि संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। वर्षा के जल पर निर्भर किसानों के लिए यह योजना काफी फायदेमंद साबित हो रही है। दुर्ग जिले में नदी-नालों के संरक्षण और संवर्धन में निरंतर से विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं, जिसके फलस्वरूप ग्रामीणों को खेती किसानी और पशुपालन जैसी गतिविधियों के लिए बड़ी सुविधा मिल रही है।
छत्तीसगढ़ में नालों को नरवा कहा जाता है। इस योजना के तहत राज्य के नालों पर चेकडेम बना कर पानी रोकना तथा उस पानी को खेतों की सिंचाई के लिये उपलब्ध कराना है। इसके अलावा नालों के जरिए बारिश का जो पानी बह जाता है, उसे रोक कर भूगर्भीय जल को रिचार्ज करना है। नरवा योजना मुख्यतः इस वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित है कि पानी का वेग कम होने से धरती का रिचार्ज तेजी से होता है। क्योंकि धरती को जल सोखने के लिए अधिक समय मिलता है। अक्सर बरसाती नालों में जितने तेजी से पानी चढ़ता है उतने ही तेजी से उतर भी जाता है। अब किसानों को खरीफ के साथ ही रबी फसलों के लिए भी पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है, आसपास के क्षेत्रों में भूजल स्तर भी बढ़ रहा है। साथ ही मनरेगा के तहत नरवा विकास कार्यों में शामिल होकर ग्रामीणों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है।
दुर्ग जिले में नरवा अंतर्गत एरिया ट्रीटमेंट और ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट के कार्यों को नया आकार दिया गया है। एरिया ट्रीटमेंट के लिए कच्ची नाली, निजी डबरी, नया तालाब, वृक्षारोपण, वाटर अब्सोरप्शन ट्रेंच, भूमि सुधार, रिचार्ज पिट एवं कुओं का निर्माण किया गया है। ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट के लिए नाला पुनरोद्धार एवं गहरीकरण, अन्य नवीन नरवा जीर्णाेद्वार, चेक डेम, चेक डेम जीर्णाेद्वार, ब्रशवूड चेक डेम, रिचार्ज पिट इत्यादि का निर्माण किया गया है। नरवा अंतर्गत स्वीकृत कार्य के आंकड़े प्रशंसनीय हैं। डीपीआर में कुल 6207 कार्य लिए गए जिनमें से 6164 कार्यों को स्वीकृति मिल चुकी है। 5890 कार्य पूरे हो चुके हैं । 304 ग्राम पंचायतों में कुल 196 नरवा बनाये गए हैं एवं नरवा का उपचार किया गया है। 89 डाईक के साथ कुल 167660.81 हे. का जल संग्रहण क्षेत्र बनाया गया है ।
मिट्टी में नमी की मात्रा में वृद्धि का आंकलन क्षेत्र में वनस्पति अच्छादन व कृषि की उत्पादकता की स्थिति के आधार पर किया जाता है। नमी के चलते ही पौधों की जड़े फैलती है और पौधे नमी के साथ हो मिट्टी से अपना भोजन लेते हैं। ज्यादा पानी की वजह से फसल में आद्र गलन व जड़ गलन इस तरह के फफूंदजनित रोग की समस्या आती है। भूमिगत जल सतह की स्थिति का आंकलन वर्ष में दो बार किया जाता है। प्री-मॉनसून मार्च से मई तक और पोस्ट-मॉनसून अक्टूबर से दिसंबर तक होता है।
नरवा में प्रवाह का आंकलन रू लिटर प्रति सेकेंड के हिसाब से नरवा में पानी के प्रवाह का आंकलन किया जाता है। जब नरवा में पानी की मात्रा अच्छी होती है तो किसान को खेती में सुविधा मिलती है। इस सूचक के प्रभाव का आकलन रबी और खरीफ फसल के सिंचित रकबे में परिवर्तन के आधार पर किया जाता है। किसानों द्वारा नाले के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा रहा है, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ी है।
गजरा नाला वॉटर शेड में अल्प वर्षा से जलभराव होने से किसानों को सिंचाई के लिए पानी की सुविधा मिल रही है। जिससे फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। आस-पास के लिए हैंड पंप और बोर में भू-जल स्तर बढ़ रहा है। ग्राम पंचायत अकतई, औरी, पौहा और रानीतराई में नाले में बोरी बंधान से अल्पवर्षा का जल संग्रहित हुआ है। इस जलभराव से किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी की व्यवस्था हुई है। समृद्ध फसलों के लिए यह मददगार साबित हो रहा है। पंद्रह कि.मी. के लुमती नाले में ट्रीटमेंट होने पर डेढ़ हजार किसानों कर रहे रबी फसल का उत्पादन 745 हेक्टेयर में बोर के माध्यम से 1610 किसान कर रहे हैं। जिससे भूमिगत जलस्तर में भी बढ़ोतरी हुई हैं।
नाले के दोनों किनारों में 500 मीटर तक किसान पहले बोर चलाते थे, अब नाले से पानी ले रहे हैं। कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा धमधा में विकास कार्यों का निरंतर निरीक्षण करते हैं। मानसून की अमृत बूंदों के स्वागत के लिए तैयार नरवा स्ट्रक्चर के माध्यम से जलस्तर पांच इंच तक बढ़ने की उम्मीद है। नरवा के दो चरणों के काम सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुके हैं, 586 इंच जलस्तर बढ़ गया है जिससे पंद्रह हजार श्रमिकों की मेहनत रंग लाई है। इस योजना के माध्यम से न सिर्फ भूजल स्तर के गिरावट में कमी आ रही है बल्कि नरवा की साफ-सफाई और भूमि सुधारकर नालों के क्षेत्रफल को भी बढ़ाया जा रहा है। इस योजना का लक्ष्य यह भी है कि गर्मियों के मौसम में कुआं, हैंडपंप और बोरवेल आदि में भी पानी के स्तर में कमी ना आए और राज्य के किसान आसानी से खेती-बाड़ी कर सकें। साल भर जल की उपलब्धता बनी रहे और किसान आत्मनिर्भर व सशक्त रहे। जल संरक्षण में नरवा एक राष्ट्रीय मॉडल की भांति उभर रहा है।
दुर्ग । शौर्यपथ । जिले से नीट परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली यमुना चक्रधारी की कॉलेज फीस की प्रतिपूर्ति श्रम विभाग द्वारा संचालित मेधावी छात्र-छात्रा प्रोत्साहन योजना के तहत होगी। सहायक श्रमायुक्त के अनुसार श्रम विभाग के नोनी सशक्तिकरण योजना के तहत कुमारी यमुना को उसकी आगे की पढ़ाई के लिए विगत वर्ष में 20 हजार रुपए राशि प्रदाय किया गया था। नीट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आगामी कॉलेज की पढ़ाई के लिए श्रम विभाग में "मेधावी छात्र-छात्रा प्रोत्साहन योजना" के तहत उसके कॉलेज फीस की प्रतिपूर्ति राशि श्रम विभाग द्वारा प्रदान किया जाएगा।
स्वामी आत्मानंद मल्टीपरपज विद्यालय ने जीता सीड द फ्यूचर एंटरप्रेन्योरशिप प्रतियोगिता का खिताब शहर के बच्चे गुड़गांव में आयोजित जी 20 सम्मेलन में देंगे प्रस्तुति
कलेक्टर ने स्कूल प्रशासन और बच्चों को दी बधाई
बिलासपुर / शौर्यपथ / स्वामी आत्मानंद स्कूल ने एक और कामयाबी हासिल कर ली है। पुणे में आयोजित सीड द फ्यूचर एंटरप्रेन्योरशिप का खिताब जीतकर जिले सहित पूरे प्रदेश को गौरांवित किया है। फांस की कंपनी लॉ फाउंडेशन द्वारा आयोजित सीड द फ्यूचर एंटरप्रेन्योरशिप प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। बच्चे अब गुड़गांव में आयोजित जी 20 सम्मेलन में 4 जुलाई को प्रस्तुति देंगे। इस उपलब्धि के लिए कलेक्टर सौरभ कुमार ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर बच्चों सहित पूरी टीम को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता में टॉप 75 विद्यालय और नॉन एटीएल के 25 विद्यालय सहित कुल 100 विद्यालयों का चयन किया गया था। चयन पश्चात विगत 8 माह से विभिन्न चरणों में 3डी द्वारा निर्मित प्रोडक्ट एवं एंटरप्रेन्योर प्रतियोगिता कराई और 5 जोन के विजेता और उपविजेता को 22 जून को पुणे में आयोजित फिनाले में आमंत्रित किया गया। पुणे के टीप एंड टाउन होटल में प्रतियोगिता का परिणाम फ्रांस की कंपनी ला फाउंडेशिया डीसो सिस्टेम द्वारा घोषित किया गया। जिसमे स्वामी आत्मानन्द मल्टीपरपज स्कूल बिलासपुर को विजेता घोषित किया गया। उपविजेता सिक्किम रहा। बिलासपुर के आत्मानंद स्कूल को विजेता घोषित किए जाने पर शहर के छात्र-छात्राओं में हर्ष व्याप्त है।
// गोधन न्याय योजना से खुला ग्राम बरही के ग्वालिन स्वसहायता समूह के महिलाओं के लिए आमदनी का द्वार
//गोबर बेचकर महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर, गांव में ही स्वरोजगार मिलने से बढ़ा आत्मविश्वास ,05 लाख 20 हजार रुपये की राशि की 1007 क्विंटल खाद बिक्री कर
//समूह के प्रत्येक सदस्यांे को हुआ 47 हजार 272 रुपए का शुद्ध लाभ
बालोद / शौर्यपथ / राज्य शासन के सुराजी ग्राम योजना के अंतर्गत शुरू की गई महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के सफल क्रियान्वयन के फलस्वरूप यह योजना ग्रामीणों, पशुपालकों एवं महिला स्वसहायता समूह के अलावा इस कार्य से जुड़े लोगों के लिए हर तरह से उपयोगी साबित होकर कामधेनू बन गया है। जिले में इस योजना के सफल क्रियान्वयन के फलस्वरूप बालोद विकासखण्ड के ग्राम बरही के स्वसहायता समूह के महिलाओं के लिए गोधन न्याय योजना से आमदनी का स्थायी द्वार खुल गया है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत बरही गौठान में ग्वालिन स्वसहायता समूह की महिलाएं अब तक 1300 क्विंटल वर्मी खाद का निर्माण कर चूकी हैं। इसके साथ ही स्वसहायता समूह की महिलाएं अब तक 05 लाख 20 हजार रुपये की 1007 क्विंटल वर्मी खाद की बिक्री कर प्रति सदस्य 47 हजार 272 रूपये की राशि की शुद्ध आमदनी प्राप्त कर चूके हैं। इस योजना से स्वसहायता समूह की महिलाओं को गांव में ही रोजगार मिलने से उनका आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है। यह योजना आज फसलों मंे डालने वाले हानिकारक रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों से मुक्ति प्रदान करने के अलावा कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति को भी बरकरार रखने में भी अत्यंत मददगार साबित हो रहा है। इसके साथ ही यह योजना ग्रामीणों एवं स्वसहायता समूह की महिलाओं के लिए स्थायी रोजगार का जरिया बनकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है।
उल्लेखनीय है कि आदर्श गौठान बरही में नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना अंतर्गत विभिन्न प्रकार की आजीविकामूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हंै। जिसमें से वर्मी खाद निर्माण का कार्य प्रमुखता से किया जा रहा है। इसके अंतर्गत आदर्श गौठान बरही में ग्वालिन स्वसहायता समूह की 11 महिलाओं द्वारा गौठान में वर्मी खाद निर्माण का कार्य किया जा रहा है। बरही गौठान में वर्मी खाद निर्माण के फलस्वरूप इस कार्य से जुड़े स्वसहायता समूह की महिलाओं को निरंतर आमदनी होने से आज उनका जीवन स्तर पूरी तरह से सुधर गया है। राज्य शासन के गोधन न्याय योजना के फलस्वरूप गोबर बिक्री एवं वर्मी खाद निर्माण से उनके जीवन में हुए बदलाव के संबंध में जानकारी देेते हुए ग्वालिन स्वसहायता समूह की सक्रिय सदस्य केंवरा बाई ने इस योजना की मुक्तकंठ से सराहना की है। श्रीमती केंवरा बाई ने कहा कि राज्य शासन द्वारा गोधन न्याय योजना प्रारंभ करने के पूर्व उन्हें रोजगार की तलाश में आसपास के अन्य गांवों में जाना पड़ता था। लेकिन कड़ी मेहनत के बाद भी कोई खास आमदनी नहीं हो पाती थी। राज्य शासन द्वारा गोधन न्याय योजना शुरू कर इसके माध्यम से गोबर खरीदी एवं वर्मी खाद निर्माण कार्य प्रारंभ करने से आज यह योजना उनके जीवन को उनके जीवन के लिए कायाकल्प साबित हो गया है। उन्हें बताया कि आज बरही गौठान में वर्मी खाद निर्माण शुरू होने से उनके अलावा एवं उनके समूह के अन्य महिलाओं को रोजगार एवं आमदनी का बेहतरीन जरिया मिल गया है। केंवरा बाई ने कहा कि वर्मी खाद निर्माण से होने वाली आमदनी से उनका पारिवारिक जीवन सुखमय हो गया है। इस कार्य से होने वाली आमदनी का उपयोग वे अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के अलावा अन्य घरेलु कार्यों में कर रहीं है। इसके अलावा उन्होंने अपने समूह के अन्य सहयोगी श्रीमती शारदा यादव को भी उनके नये घर के निर्माण के लिए 35 हजार रुपये का सहयोग किया है। इस तरह से यह योजना इस कार्य से जुड़ेेे लोगों के जीवन को सुधारने के साथ-साथ अन्य लोगों के जीवन को भी सजाने व संवारने का काम कर रहा है।
राज्य शासन के गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गोबर खरीदी एवं वर्मी खाद का निर्माण का कार्य इस कार्य से जुड़े लोगों के लिए हर दृष्टि से उपयोगी होकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ग्राम बरही के ग्वालिन स्वसहायता समूह की सभी महिलाओं ने राज्य शासन की गोधन न्याय योजना की भूरी-भूरी सराहना करते हुए इसके माध्यम से उनके जीवन को सुखमय बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उनके प्रति विनम्र आभार माना है।
मुंगेली / शौर्यपथ / जवाहर नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा 2023 का परिणाम घोषित कर दिया गया है। जिसमें आशी साहू, मनीष कुमार साहू, रेशमी साहू, नीशा पटेल, तृप्ती डहरिया, आयुष राज टंडन, सृष्टि पात्रे, लक्ष्मी मरकाम, अंकित कुमार पाटले, रोशन धु्रव, दुष्यंत कुमार भास्कर, निखिल कुमार साहू, आशा कश्यप, मयंक लांझी, तनु साहू, प्रिंसदर्श धरवइया, विवेक बर्मन, भावेश कुमार, तिलेश राज, आशना, महिमा राजपूत, देवराज पटेल, देवमती जायसवाल, पलक साहू, शिवम साहू, नरबदिया साहू, मिथला साहू, चंद्रदीप साहू, कुणाल, विमल किशोर सोनवानी, गौरी पात्रे, वंशराज टोनडर, अंकित महिलांग, माधुरी कुर्रे, हर्षा टंडन, गोटेंगर टंडन, प्राची, शालिनी ध्रुव, मयंक ठाकुर और चेतन सिंह शामिल है।
दुर्ग / शौर्यपथ / केंद्रीय इस्पात और नागरिक उड्डयन मंत्री, ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने 23 जून को भिलाई स्टील प्लांट की दल्ली माइंस में एक नए बेनिफेसिएशन प्लांट (सिलिका रिडक्शन प्लांट) का वर्चुअल उद्घाटन किया। इस अवसर पर श्री सिंधिया ने अपनी तरह की इस पहली तकनीकी पहल पर सेल के प्रयासों की सराहना करते हुए, पिछले नौ वर्षों में इस्पात द्वारा उद्योग उठाए गए बड़े कदमों का उल्लेख किया। इस अवधि के दौरान देश में इस्पात उत्पादन और प्रति व्यक्ति इस्पात खपत में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है और भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक बन गया है। यह बेनिफेसिएशन प्लांट अधिक सिलिका गैंग वाले 1 मिमी से कम आकार के लौह अयस्क से सिलिका की मात्रा कम करने के लिए स्थापित किया गया है। यह अत्याधुनिक बेनिफेसिएशन प्लांट उपकरणों से सुसज्जित है और इसका उद्देश्य भिलाई इस्पात संयंत्र को आपूर्ति किए जाने वाले लौह अयस्क की गुणवत्ता को बढ़ाना है, जिससे ब्लास्ट फर्नेस से हॉट मेटल के वार्षिक उत्पादन में वृद्धि होगी, और साथ में कोक की खपत और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। मंत्री श्री सिंधिया के नेतृत्व में, इस्पात मंत्रालय का ध्यान घरेलू इस्पात उद्योग में डी-कार्बोनाइजेशन को बढ़ावा देने और इस्पात उद्योग के सहयोग से हरित इस्पात उत्पादन के लिए दीर्घकालिक रोडमैप तैयार करने पर केंद्रित है। सेल खुद कार्बन न्यूट्रिलिटी के राष्ट्रीय लक्ष्य के साथ जुड़ा हुआ है, दल्ली-राजहरा खदान में बेनिफेसिएशन प्लांट (सिलिका रिडक्शन प्लांट) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, यह प्लांट निम्न श्रेणी के लौह अयस्क को बेनिफेसिएशन के जरिये उपयोगी बनाकर इस्तेमाल करने के सेल के प्रयास का एक हिस्सा है। भिलाई स्टील प्लांट के दल्ली और राजहरा समूह की 60 साल पुरानी खदानों में लौह अयस्क भंडार की गुणवत्ता तेजी से कम हो गई है और एक अध्ययन के जरिये तथ्य सामने आया है कि ब्लास्ट फर्नेस में अनुकूलतम उपयोग वाले वांछित ग्रेड के लिए 1 मिमी से कम आकार के लौह अयस्क को परिष्कृत करने की आवश्यकता है। दल्ली में मौजूदा क्रशिंग, स्क्रीनिंग और वॉशिंग (सीएसडब्ल्यू) वेट प्लांट के साथ यह लगभग 149 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से बना सिलिका रिडक्शन प्लांट लगाया गया है। यह परियोजना विभिन्न राज्य सरकारी एजेंसियों, स्थानीय प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधियों की मदद से पूरी की गई है।
इस अवसर पर मौजूद सेल अध्यक्ष, श्री अमरेंदु प्रकाश ने कहा कि सिलिका कटौती के लिए यह बेनिफेसिएशन प्लांट (सिलिका रिडक्शन प्लांट) सेल के टिकाऊ इस्पात उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय इस्पात उद्योग को डीकार्बोनाइज करने की इस्पात मंत्रालय की पहल के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहा है।
रायपुर/ शौर्यपथ / आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित किए जा रहे सभी छात्रावास-आश्रमों को शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के पहले दुरूस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। छात्रावासों-आश्रमों की साफ-सफाई मरम्मत, पेयजल व्यवस्था, रंग-रोगन और मेस व्यवस्था के लिए सभी आवश्यक इंतजाम करने कहा गया है। गौरतलब है कि छात्रावासों-आश्रमों की व्यवस्था के साथ ही सभी सहायक आयुक्तों को निगरानी समिति की बैठक और पालक-बालक सम्मेलन आहूत करने आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
जारी निर्देश में यह भी कहा गया है कि छात्रावास-आश्रम शालाओं मंे अध्ययनरत विद्यार्थियों को विभागीय योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ-साथ निःशुल्क भोजन, शुद्ध स्वच्छ पेयजल, विद्युत, भवन, योग, स्वास्थ्य परीक्षण, ट्यूशन की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा सभी विद्यार्थियों को नाश्ते में मिलेट को भी शामिल करने कहा गया है। बस्तर एवं सरगुजा संभाग के छात्रावास-आश्रम शालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए राज्य भ्रमण कराने की योजना का भी क्रियान्वयन किया जाए। छात्रावास-आश्रमों में स्वच्छता संबंधी निर्देश और हाथ धुलाई के चित्र अनिवार्य रूप से दीवारों पर अंकित कराने कहा गया है। विद्यार्थियों को खाने से पहले हाथों को साबून से धोना और साफ कपड़ो से पोछना अनिवार्य कराया जाए। छात्रावासों के आंतरिक दीवारों पर ज्ञानवर्धक चित्र, उपयोगी सामान्य ज्ञान, समय-सारणी तथा छात्रावास-आश्रम से जुड़े अधिकारियों के महत्वपूर्ण टेलीफोन एवं मोबाईल नंबर का उल्लेख किया जाए।
छात्रावास-आश्रमों मेें प्रवेश के लिए प्राचार्याे, प्रधानाचार्याे और अधीक्षकों के साथ बैठक कर स्कूलों से निम्न आय वर्ग के प्रतिभावान बच्चों के सूची तैयार करने और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर नियमानुसार प्रवेश दिलाने के निर्देश भी दिए गए हैं। रिक्त सीटों पर प्री-मेट्रिक छात्रावासों में कक्षा 11वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों को नियमानुसार प्रवेश दिया जाए। कन्या छात्रावास एवं आश्रम में पक्का भवन, अधीक्षक, चौकीदार एवं नगर सैनिक के लिए आवास गृह होना चाहिए। अधीक्षक का आवास गृह उसी भवन परिसर में हो तो उसके लिए पृथक निकासी द्वार की व्यवस्था की जाए। भवन में अहाता, बिजली, पेयजल तथा शौचालय समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। कन्या छात्रावास-आश्रमों में महिला नगर सैनिक पदस्थ किए गए है, किन्तु जिन कन्या संस्थाओं में महिला नगर सैनिक पदस्थ नही है, वहां पर रात्रि काल में महिला चौकीदार की व्यवस्था की जाए।
गौठान में स्थापित रीपा बनाने की परिकल्पना अब हो रही साकार
अकेले ग्राम गुडेलिया में नारी शक्ति ग्राम समूह को 2 लाख वर्गफीट पेवर ब्लॉक का मिला एडवांस ऑर्डर
रायपुर/ शौर्यपथ / घरेलू कामों में व्यस्त रहने वाली कई महिलाएं सफलता की नई इबारतें लिख रहीं है। इनमें बलौदाबाजार भाटापारा जिले के विकासखण्ड भाटापारा के ग्राम गुडेलिया एवं विकासखंड पलारी के ग्राम गिर्रा की महिलाएं भी शामिल हैं। जो पेवर ब्लॉक बनाकर अपनी राह मजबूत बना रही है। जिलें में इस तरह पहली बार महिलाएं पेवर ब्लॉक बनाने का काम रही है। इसकी मांग इतनी है की पूर्ति करना मुश्किल हो जा रही हैं। आदर्श ग्राम गुड़ेलिया में नारी शक्ति ग्राम संगठन की महिलाओं द्वारा पेवर ब्लॉक बनाने का कार्य किया जा रहा है।
ग्राम संगठन समूह की सदस्य संतोषी ध्रुव ने बताया कि लगभग 1 माह पूर्व प्रारंभ हुआ उक्त यूनिट से अभी तक कुल 22 ट्रॉली 16500 वर्ग फीट पेवर ब्लॉक का निर्माण एवं सप्लाई हो चुका है। पेवर ब्लॉक की मांग अधिकतर आसपास के ग्राम पंचायतों द्वारा की जा रही है। जिसमें ग्राम धनेली, खपराडीह, लेवई, कडार एवं भरतपुर शामिल है। इसके साथ ही निजी व्यक्तियों द्वारा भी पेवर ब्लॉक की मांग की जा रही है। अभी तक हमारे संगठन को 2 लाख वर्ग फिट का एडवांस ऑर्डर मिल चुका है। जिसकी विक्रय दर 52 लाख रुपये है। जिससे लगभग 12 लाख रुपये का शुद्ध लाभांश नारी शक्ति ग्राम संगठन के सदस्यों को प्राप्त होगा। उन्होंने आगे बताया कि एक वर्गफीट का 26 रुपये दर निर्धारित की गयी है। जिसमे लगभग 20 रुपये खर्च होता है एवं 6 रुपये की बचत होती है। हमारे यहां 2 प्रकार की पेवर ब्लॉक बनाएं जा रहे है। जिसमें कॉस्मिक एवं जिगजैग प्रकार का शामिल है। कॉस्मिक में 1000 नग में 555 फिट एवं जिगजैग 1000 नग में 357 फिट का पेवर ब्लॉक बन जाता है।
सीमा ध्रुव कहती है की यूनिट के प्रारंभ होने से स्थानीय स्तर में ही हम को रोजगार एवं पर्याप्त मजदूरी साथ ही लाभांश राशि पर्याप्त मिल जा रही है। इसी तरह समूह की अन्य सदस्य मंजू ध्रुव कहती है की रीपा के संचालन से महिला समूह की सभी सदस्य बेहद ही खुश है एवं अतिरिक्त आय प्राप्त कर अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ परिवार के आर्थिक गतिविधियों में भी अपना हाथ बंटा रही हैं। उन्हें काम की तलाश में अब बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
इसी तरह ग्राम गिर्रा की जय चंडी माँ महिला स्व सहायता समूह के द्वारा पेवर ब्लॉक बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है। उक्त यूनिट में 25 हजार नग पेवर ब्लॉक तैयार कर ली गयी है गौरतलब है कि राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना के अंतर्गत गांव में निर्मित की गई गौठान के माध्यम से अब गांव एवं महिलाओं को एक नयी पहचान मिल रही है। गौठान में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) बनाने की परिकल्पना अब साकार हो रही है ।
रायपुर / शौर्यपथ / राज्य सरकार द्वारा लाख उत्पादन को भी खेती का दर्जा दिये जाने तथा विभिन्न प्रोत्साहन योजना के कारण प्रदेश के किसानों में लाख की खेती के प्रति रूझाान बढ़ा है। राज्य शासन द्वारा तकनीकी सलाह और प्रशिक्षण मिलने से अब किसान वैज्ञानिक पद्धति से भी लाख पालन करने लगे है। गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न जिलों में परंपरागत रूप से लाख की खेती होती है। प्रदेश में लगभग 50 हजार से अधिक कृषकों द्वारा कुसुम व बेर के वृक्षों पर कुसुमी लाख तथा पलाश एवं बेर वृक्षों पर रंगीनी लाख पालन किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य शासन द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने और उनकी आय में वृद्धि के लिए विशेष पहल की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बीहन लाख आपूर्ति तथा बीहन लाख विक्रय और लाख फसल ऋण की उपलब्धता के लिए आवश्यक व्यवस्था की गई है। इसी कड़ी में गरियाबंद जिले के किसान लाख उत्पादन कर अधिक मुनाफा अर्जित करने की ओर अग्रसर है। गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत लाख की खेती को बढ़ावा देने के लिए चार क्लस्टरों का चयन किया गया है। चयनित क्लस्टरों में किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से लाख की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत 761 किसान प्रशिक्षण पाकर 8243 कुसुम वृ़क्ष और 4849 बेर वृक्षों में लाख की खेती कर रहे हैं। तकनीकी सलाह और मार्गदर्शन मिलने की वजह से जिले के किसान 13 हजार से अधिक वृक्षों में वैज्ञानिक पद्धति से लाख की खेती कर रहे है।
गरियाबंद वनमण्डल के वनसंरक्षक ने बताया कि लाख की खेती को अधिक प्रोत्साहन कर लाख कृषक से बीहन लाख क्रय कर अन्य जिले के कृषकांे को भी प्रदाय किया गया है। उन्होंने बताया कि जून-जुलाई 2023 अंतर्गत देवभोग कलस्टर अंतर्गत अब तक 5 कृषकों से 14.53 क्विंटल लाख क्रय किया गया है। इसकी कीमत 5 लाख 75 हजार 527 रूपए है। जिले में लाख की खेती के लिए लाख पालक कृषकांे को जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के प्राथमिक साख सहकारी समिति से समन्वय स्थापित कर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 66 कृषकों को 23 लाख 25 हजार लोन की राशि वितरित की गई है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 में 17 कृषकों को 8 लाख 50 हजार रूपए का लोन दिया गया है।
बता दे कि राज्य में बीहन लाख की कमी को दूर करने के लिए किसानों के पास उपलब्ध बीहन लाख को उचित मूल्य पर क्रय करने के लिए क्रय दर का निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) तथा रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) लाख के लिए दर का निर्धारण किया गया है।